मिथिला युवा शक्ति – प्रवास पर बेसी प्रखर
(किछु दिन पूर्व कोलकाता सँ प्रकाशित युवा शक्ति मे मिथिला-युवा पर प्रकाशित कैल भेल छल। एक बेर फेर अहाँ सबहक लेल एहि पोस्ट मे राखि रहल छी।)
सर्वविदित ‘मिथिला-चिन्तन’ अछि जे वर्तमान युगक सर्वथा युवा-शक्ति अन्य राज्यक प्रगति मे ‘श्रमदानी’ बनि खपि रहल अछि। हमरा सबहक ८० प्रतिशत युवा साधारण पढल-लिखल, बस अक्षर-ज्ञान सँ भिज्ञ बनैत मजदूरी या फोर्थ ग्रेड – अनस्किल्ड लेबर बनि प्रवास पर रहैछ तऽ लगभग १५ प्रतिशत एवरेज एजुकेशन, कमर्स या आर्ट ग्रेजुएट सब कार्यालय सहायक वा लेखापाल स्तरक कार्य करैत अछि, बाकी ५% हाइ-स्टैन्डर्ड एजुकेशन – कन्वेंशनल, वोकेशनल या प्रोफेसनल – हर स्तर पर मैथिल युवा देशक मूल-धारा विकास मे अपना केँ आगू रखैत अछि। अहाँ कोनो शहर जाउ, बस एहि तीन रेन्ज मे युवा-शक्तिक खपत देखय लेल भेटत।
१९१२ ई. सँ मैथिल केर पहिचान ‘बिहारी’ बनलाक १०० वर्ष बितला बाद, मिथिला-मैथिलक पहिचान केँ मृत्युदान देबाक विभिन्न उतार-चढाव सँ भरल घटना-परिघटना उपरान्त अन्ततोगत्वा ‘बिहार राज्य गीत’ मे ‘बिहारक सियाहपंथ – मिथिला प्रति द्रोहक भावना’ स्पष्ट होइते ‘मिथिला युवा-शक्ति’ मे अपन असल पहिचान प्रति जागृति आयल देखा रहल अछि। संयोगवश फेसबुक व वेब पेज संग ब्लाग आदिक उपलब्ध सहज मिडिया युवा समाज मे आरो महत्त्वपूर्ण जानकारी सँ भरल तथ्य सब उजागर करैत अछि। परिणामस्वरूप अपन अस्मिता प्रति सहिष्णुवादी या आत्मप्रशंसी अवस्थाक बिपरीत ‘प्रखरता, गंभीरता आ तत्परता’ मे अभिवृद्धि आबय लागल अछि। वर्तमान परिदृश्य मे ९५% मैथिल आइयो गरीबी सँ लडैत देखा रहल अछि, मुदा ५% सक्षम मैथिल प्राइवेट जबहोल्डर रहितो जाहि प्रखरता सँ भारत, नेपाल व विश्वक अनेको ठाम संगठित होइत अपन मातृभाषा, संस्कृति आ लोकहित केर अनेको कार्य करय लागल अछि यैह मिथिलाक सनातनपंथ होयबाक आत्मशक्ति रहल से प्रमाण दय रहल अछि। आइ कला के संसार हो या उच्च सरकारी सेवा – प्राइवेट संस्थान हो या उद्योग-व्यवसाय – पुरुष हो या महिला – सब कियो वर्तमान युगक भौतिकतावादी विकास संग सेहो ओतबे डेग सँ डेग मिला बढैत देखा रहल अछि।
एकर बिपरीत गाम-घर मे छूटल युवा-वर्ग मे नशा प्रति मनुहार, काजक प्रति कोढिपन, देखाबा-प्रदर्शन प्रति दंभी लगाव आ समाज मे सकारात्मकता, सृजनशीलता, स्वच्छता, सुन्दरता, सौहार्द्रता आदि बढेबा मे एकदम नकारात्मक सोच अयबाक अवस्था देखा रहल अछि। यैह कारण छैक जे आजुक मिथिला मे पहिनुका जेकाँ अभिभावक अपन संतान केँ घरे रहि, गामे बैसि काज कय अपन खेती-पाती आ बात-विचार सँ व्यवस्था करबाक उत्साह देबाक बदले ओकरा गाइर-माइर दैत गाम सँ भगबैत अछि। आइ गामक खेती मे रोपनी भेल वा नहि, प्रवासक खेत पहिने रोपा जाइत अछि। धानक फसल समय सँ कियो खेतिहर कटनी कय लेत ताहि लेल गामघर मे जन-जनिहार नहि भेटैत छैक। मशीनक युग रहितो समृद्धि एतय सँ रूसल एहि मिथिलाकेँ मात्र आ मात्र प्रवास सँ पठायल पैसा पर जीवन चलबाक प्रत्यक्ष प्रमाण दय रहल छैक। एतहु मात्र प्रवासी मैथिलक प्रखरता सँ जे किछु आर्थिक विपन्नताक समाधान आइ मिथिला लेल वरदायी प्रमाणित भेल छैक।
मैथिली महायात्रा जाहि गति सँ भारत व नेपालक विभिन्न शहर मे संचालित भऽ रहल छैक ताहि सँ आरो महत्त्वपूर्ण कार्य मैथिल द्वारा होयबाक प्रेरणास्पद उद्धरण सोझाँ आबय लागल अछि। देखय मे आयल अछि जे वर्तमान प्रवासी मैथिल आब कोनो राष्ट्रीय दलक पिछलग्गू बनि मात्र वोटबैंक केर रूप मे इस्तेमाल होयबाक मनसा सँ बहुत ऊपर अपन अलग दल बनेबाक नीति पर कार्य कय रहल अछि। निश्चित रूप सँ भारतक गणतांत्रिक स्वरूप मे अपन मौलिक अधिकार प्रति ई चेतना सब सँ पाछू – पछता रोटी खेनिहार मैथिल मे अबैत देखि उत्साहक माहौल छैक। जे विद्यापति स्मृति समारोह या मिथिलाक विभिन्न विभूति केर स्मृति समारोह गोटेक-आधेक होइत छल से आब हर शहर आ हर बाजार – हरेक टोल – हरेक मोहल्ला मे होमय लागल अछि। ई समारोह द्वारा लोक मे एक जागृति जे अपन भाषा, संस्कृति आ लोकहित लेल संगठित होयबाक संदेश तऽ देले जाइत छैक, संगहि एहि समारोह मे ओहि ठामक स्थानीय जनप्रतिनिधि, राजनीतिक कार्यकर्ता सबकेँ सेहो सहभागी बनाय अपन सांगठनिक क्षमताक प्रदर्शन एक अत्यन्त प्रखर रूप केँ दरसाबैत छैक। मिथिला राज्यक माँग संग चलि रहल आन्दोलन एहि तरहें अपन सुसुप्त मुदा प्रखर शैली मे संचालित होइत निरन्तर आगाँ बढि रहल छैक जे आबयवला समय मे नहि मात्र स्वराजक चिन्तन जन-जन मे देतैक, बल्कि स्व-विकास सँ समुदाय-विकास हेतु सब तरहक वैचारिक – कार्मिक मोडेल पर काज सेहो हेतैक।
मिथिला ब्रान्डिंग केर आवश्यकता
मिथिलाक सुप्रसिद्ध अर्थशास्त्री डा. संजीव मिश्रा केर विचार छन्हि जे ‘मार्केट’ रहला सँ ‘ब्रान्ड’ बनैत छैक। मिथिलाक चित्रकला ‘मधुबनी पेन्टिंग’ आइ विश्व भरि मे डंका बजा रहल अछि। जे कियो स्रष्टा एकरा विश्व-स्तर तक पहुँचेला ओ नमन योग्य छथि।
मिथिलाक उभरैत ब्रान्ड ‘मिथिला गृह उद्योग’ केर ‘मर्यादा’ – समस्त भारत मे पसरि रहल अछि
निस्सन्देह वर्तमान युग मे मिथिला युवा-शक्ति द्वारा ‘मर्यादा’ नामक ब्रान्ड सँ मिथिलाक पारंपरिक विभिन्न प्रसिद्ध भोजन परिकार जेना कुम्हरौरी, अदौरी, तिसियौरी, मुरौरी, सुखौंत, आदिक संग-संग बगिया, मुरब्बा, अँचार केर अनेको परिकार भारतक विभिन्न शहर मे उपलब्ध करबैत छैक। ‘मिथिला गृह उद्योग’ सँ संचालित ‘मर्यादा’ केर लक्ष्य छैक जे घरेलू महिला केँ सेहो स्वरोजगार उपलब्ध कराबी। वर्तमान अर्थक युग मे घरक कामकाजी महिला लेल उपरोक्त समानक तैयारी लेल घरहि मे कार्य करबाक अवसर प्रदान करी। एना घरे-घरे कैल गेल कार्य सँ उत्पादित पूर्ण अर्गेनिक फूड – पूर्ण प्राकृतिक आ देशी शैली सँ निर्मित सुस्वास्थ्यपूर्ण भोजनक परिकार जे मैथिलक फूड हैबिट रहल, जेकर बदौलत मैथिल केर मस्तिष्क पूर्ण विकसित होइत रहल अछि, से सब शहर आ बाजार मे उपलब्ध कराबी। गृह-उद्योग सँ एकरा मिडियम ईन्डस्ट्री मे परिणति प्रदान करी। एहि तरहें प्रवासी युवा मैथिलक प्रखरता हर क्षेत्र मे मिथिलामय कय रहल अछि जे मिथिला आन्दोलनक बड पैघ सफलता थिकैक। हेरायल पहिचान फेर सँ सजीब हेतैक, एहि मे भले सरकारी कोनो मददि भेटय वा नहि, से आत्मविश्वास बढि रहल अछि।