विचार
– प्रवीण नारायण चौधरी
१६ जून २०२१, विराटनगर।
कृतज्ञ प्रवीणक अभिवादन स्वीकार करू
हृदयतल सँ धन्यवाद, अपने लोकनिक शुभकामना आ आशीर्वाद पाबि हमर सुपुत्री व हम समस्त परिवार कृतज्ञ भेल छी। वास्तव मे फेसबुक हमरा सब गोटा केँ एकठाम आनि देने अछि, दूर-दूर रहितो हम सब एकदम मानवीय ढंग सँ मानवताक सर्वोच्च रूप परस्पर प्रेम आ भाईचारा मे एक परिवार जेकाँ बनि गेल छी, से निस्सन्देह एहि फेसबुक के कारण। फेसबुक आधुनिक टेक्नोलोजी के विशिष्ट योगदान थिक से मानय मे कोनो हर्ज नहि। काल्हि बेटीक जन्मदिन पर फेर सँ एकत्रित भाव मे अपने सब कियो एकठाम जुड़ि गेलहुँ से आह्लाद उत्पन्न कयलक। पुनः आभार व्यक्त करैत छी। अपन स्नेह, जुड़ाव आ आशीष सदिखन एहिना बनेने रहब अपने लोकनि।
एकटा युग ओ छल, जहिया गाम सँ बहराइत रही त भितरे-भीतर कुढि-कुढिकय कानल करी। हमर आदति छल जे केकरो देखाकय नहि कानी, लेकिन कानय वास्ते असगर एकान्त ताकिकय कानल करी। बेसीकाल पिता लेल कानलहुँ। ओ असमय छोड़िकय चलि गेलाह। एखनहुँ बर्दाश्त नहि होइत अछि। कोंढ फटनाय वला कननाय आइयो अपन पूज्य आ अतिप्रिय पिता लेल होइत अछि। कखनहुँ मोन पड़ि जाइत छथि।
हमरा अपन पिता सँ बड बेसी लगाव छल। छोट रही त बड तंग करियनि। बिना कहने कतहु चलि जाय त बहुत बेसी परेशान भऽ गेल करथि। पूरे गाम ताकय लेल निकलि गेल करथि। लेकिन हमरा ओ राति ओहिना मोन अछि जहिया पिता प्रति हमर समर्पण पूरे १८० डिग्री मे एक छोड़ सँ दोसर छोड़ केर यात्रा कय गेल। ओ राति कालरात्रि समान छल। परञ्च हमरा पिता संग एना जोड़ि देलक तेँ ओकरा हम आइयो बेर-बेर गोर लगैत छी। पिताक तबियत बड बेसी खराब भऽ गेल छलनि। ओ कुहरि रहल छलाह। बेर-बेर ओ अपन माय आ पिता केँ आवाज दय रहल छलाह। हमरा लेल ई दृश्य बहुत कारुण्य छल। जे पिता नित्य हमर मुंह पोछि माथा पर हाथ फेरि सुतायल करथि, से पिताक संग ई कालरात्रि बहुत विचित्र छल।
दर्द आ कराह केर पहिल अनुभव पिता मार्फत हमरा भेटल। हम बहुत डरा गेल रही। बेर-बेर पिताक मुंह पोछि रहल छलहुँ। पुछियनि जे कि होइत अछि, कियैक एना कराहि रहल छी। फेर ओ शान्त भऽ जाइथ, हमरे मुंह पोछिकय कहि देल करथि जे मोन कने नीक नहि अछि, तूँ सुत। हम केना सुतू! पिताक एकटा आरो रस्ता छलन्हि जे कनिकबो किछु घबराहट हुए त ‘सीताराम सीताराम’ करय लागी। से हम अपन पिताक मुंह पोछैत मोने-मोन ‘सीताराम सीताराम’ कय रहल छलहुँ। पिता केँ आराम भेलनि। ओ सुतलाह। तखन अपनो सुतलहुँ। सीताराम भगवान् सब दिन एहिना रक्षा करैत रहथि।
जहिना पिताक ओ स्थिति देखि हमरा अपन पिताक संग एतेक पैघ नेह जुड़ि गेल जे अपन सारा बदमाशी आ बचपना केँ ओहि दिन त्यागि हुनका प्रसन्न रखबाक लेल सब तरहक यत्न करय लगलहुँ, तहिना आजुक सन्तान सब मे अपन माता-पिता प्रति नेह आ समर्पण आबय से प्रार्थना करैत रहैत छी। सभक सन्तान एक रंग होइछ। जेहने अपन तेहने सभक। सभ सन्तान मे अपन माता-पिता आ परिजन प्रति यैह आपेकता, नेह आ समर्पण रहय, हमर हृदयक यैह कामना रहैत अछि।
अपन पिताक संग अलौकिक प्रेम भेना मात्र किछुए वर्ष बीतल नहि आ कि बाहर जाय पड़ि गेल। बाहर जाय मे कहियो नीक नहि लागय। बड कानी। लेकिन करू त करू की? बाहर नहि जायब त जीवनरूपी गाड़ी आ भविष्यक सुरक्षा केना होयत? अपन भरण-पोषण, पारिवारिक जिम्मेदारी, सामाजिक उत्तरदायित्व, कीर्ति निर्माण आदि केना संभव होयत? अपने सँ ई सब सवाल पुछि फेर अपने सँ अपना केँ बौंसि लेल करी।
आजुक अवस्था अलग अछि। ई फेसबुक आ व्हाट्सअप संग आरो कय रंग के फीचर्स सब माता-पिता सँ सन्तानक दूरी केँ लगभग पाटि देलक। समाजहु बीच स्वयं केँ पूर्ण सक्रिय राखिये सकैत छी। आर फेर हमरा सनक लोक जे अपन समाजक दायरा कतय सँ कतय धरि बढा लेलहुँ ओकरो लेल सभक संग जुड़िकय रहब – ई सारा स्थिति आधुनिक तकनीक सम्पन्न युग मे सहज भऽ गेल अछि। आब हमरा जेकाँ अनेरे केकरो कानय नहि पड़तैक। एकदम मिलिजुलि रहू, सक्रिय रहू आ अपन जीवनक उद्देश्यक संग एहि विशाल परिवार केर संग आगू बढैत रहू।
एक बेर फेर अहाँ सब केँ अपन स्नेह व आशीष हमेशा दैत रहबाक लेल हृदय सँ आभार व्यक्त करैत छी। अपन परिवार मे हमरा स्थान देने रहू। हमर सन्तान सब सेहो अहाँ सभक आशीर्वाद प्राप्त करैत रहय। सीताराम सीताराम केर नाम कीर्तन सब कियो करैत रहब। महामारीक अकलबेरा सेहो बीत जायत, भगवान स्वयं सभक रक्षा करथिन। हमर एकटा फेवरेट लाइन अछिः
कहल सुनल सब क्षमा करियौ यौ बैद्यनाथ
सब क्षमा करियौ यौ बैद्यनाथ
आब मेटि… मेटि दियौ सब… सब अपराध!!
त हम चूँकि एक परिवार के छी, हमरो स्नेह आ अभिवादन सब परिवारजन केँ, एहि भाव मे ई मानवलोक बढैत रहय। जा धरि रही, एहि भाव मे रही!! ॐ तत्सत्!
हरिः हरः!!