Search

“पग-पग पोखरि माछ मखान”

झा सृष्टि।                                 

#मिथिलामेंमाछकेमहत्व
माछ के बात कैल जै तँ इ मिथिला में सब सँस्कार में अपना आप के मुख्य पात्र बनेलक अछि। वियाह, उपनयन, मुंडन, द्विरागमन या फेर कोनो भी तरह के शुभ या अशुभ कर्म हुए, रिती सँ लँ कँ जीभ के चटोरी प्रीत तक, सब ठाम माछे माछ अछि। कोनो एकटा आदमी के सोलह संस्कार सम्पन्न हुए अथवा नय हुए मुदा माछ के भँ जायत अछि। बेटी सासुर जायत छथि तँ पहिने माछे काटै छैथ, वर जखन सासुर में चारिम दिन नुनगर खाय छैथ तँ पहिने माछे खाय छैथ। मिथिला में माछ के सांस्कृतिक आ पारंपारिक महत्व अछि। लोग माछ देख क यात्रा केनाय शुभ मानैत छैथ।
मुदा जै मिथिला में माछ के अतेक महत्व अछि ओतय किछु व्यक्ति के लेल माछ वर्जित सेहो अछि। जेना कि यदि कोनो महिला के पति के देहांत भँ जायत छनि तँ फेर ओ महिला के जीवनपर्यंत माछ वर्जित कँ देल जायत छैन। आबक संतति तँ इ सब नय मानैत छथि मुदा अखनो जे पुरान लोग सब छैथ दादी, नानी ओ सब अखनो सब रीती रिवाज के महत्व दैत छथिन मुदा अफसोस इ बातक अछि जे पुरान लोग सब आब धीरे धीरे खत्म भेल जा रहल छथि जेकर परिणामस्वरूप हमर सबहक सब रीती रिवाज के हनन भेल जा रहल अछि। अपन मिथिला में माँस, मुर्गा वर्जित अछि मुदा माछ के सर्वश्रेष्ठ मानल गेल अछि। मिथिला पेंटिंग मे तँ खास कँ क माछ के महत्व देल गेल। कोहबर में माछक आकृति के बिना कोहबर अशुद्ध मानल जायत अछि एहैन बुढ पुरान सब के कहनाम अछि। एकटा पुरान लोकोक्ति प्रसिद्ध अछि…
“पग-पग पोखरि माछ मखान,
सरस बोल मुस्की मुख पान,
यैह थिक मिथिला केर पहचान!!
धन्यवाद..🙏
किछ गलत लिखने होय तँ क्षमाप्रार्थी छी..🙏 हमरा जे बुझल छलै से लिखलौ अछि।
झा सृष्टि….🙏

Related Articles