भारती झा।
कनि संग बैस लिय ने”
आउ कनि संग बैस लिय ने,
जे किछ मतभेद य ओकरा बिसैर लिय ने।
काल एल कोरोना ,नै जानि कतेक अपन के निगैल गेल कोरोना ,
कनि संग बैस के मुस्कुरा लिय ने।
चाय संग गरम कचरी सेहो बना अनलों, जे अहाँ के बड्ड पसिन्न अइछ,
सुनु ने कनि चुप्पी के मास्क हटा लिय ने।
सर समाज,दुनिया दारी अहिना चलैत रहतै,
कनि संग बैस क गुनगुना लिय ने।
जूनि चिंता करू जिनगी के एहि चक्र के,समय हिसाबे सब ठीक भ जेतै ,
कनि संग बैस के भरि मोन बतिया लिय ने।
जिनगी क गाड़ी के दु पहिया ,अगर कनि डगमगाए गेल,
त कनि दुनु मिल के सम्हारि लिय ने।
सुनु ने कनि काल सब चिंता बिसरा के ,
संग बैस हैंस लिय ने।