साहित्य सृजन
– पल्लवी झा
जखने बेटी जन्म भेल छल, बच्चे से ने पाय जुटैतियै यौ
अइछ नै जमीन त खून पसीना, बहाक अहाँ कमैतियै यौ
समधी सुनू नै लोभ ये हमरा, अहाँ के एक्को पाय से
मुदा समाज के नियम त मानब, जे देब से अपने जमाय के
हमरो शौक ये अप्पन पुतौह के, गहना कपड़ा सँ छारब हम
मुदा कतय से ख़र्चब बाजू, अप्पन त जेब नै झारब हम
घर द्वार ते देखते छी अहाँ, कमी त बस एक गाड़ी के
अहाँ के जमाय ते बच्चे से, छैथ शौकीन फेरारी के
जे करबै से जल्दी बाजू, नै त लाइन में छै कतेको धनसेठ
एहेन ओहेन नै बुझब अहाँ, बेटा छैथ हम्मर असल ग्रेजुएट
चलु मानलौं बेटी के अहों पढेलों, दु चारि पाय कमाइयो लेती
लेकिन ओय स कि हेतै से बाजू, घर त ओ नहिये ने चलेती