१७ मई २०२१ – मैथिली जिन्दाबाद!!
मैथिली भाषाक साहित्य आ एकर इतिहास सुदृढ आ सम्पन्न रहितो वर्तमान पीढी धरि अबैत-अबैत एकर पठनीयता पर बड पैघ संकट अछि। विद्यालय, महाविद्यालय आ उच्च शिक्षा धरि मैथिली स्थापित रहितो कतेक लोकक पसीन या प्राथमिकता मे मैथिली अध्ययन पड़ैत अछि ताहि पर सेहो दुविधाजनक स्थिति कहय-सुनय लेल भेटि जाइत अछि। जखन कि मैथिली पढाई केर महत्व उच्च किसिमक सरकारी नौकरी (सेवा आयोग केर परीक्षा, विद्यालय शिक्षक, महाविद्यालय प्राध्यापक, अनुवादक) आदिक संग कतेको तरहक निजी संस्थान मे सेहो एकर काफी महत्व अछि। स्वरोजगारक क्षेत्र मे त एतेक पैघ मैदान खाली अछि जे जेकरा जतेक मोन हो से ओतेक दौड़ लगाकय अपना सुस्थापित आ प्रतिष्ठित बना सकैत अछि। तथापि मैथिली साहित्यक पठनीयता सँ नैराश्यताक भाव चिन्ताजनक अछि। मैथिलीभाषी जनमानस मे स्वत्व प्रति एहेन विकर्षण आबयवला किछु दशक बाद मिथिला केँ श्रुति इतिहास मे धकेलि सकैत अछि, एहेन आशंका उपस्थित भऽ रहल अछि। मंचीय प्रस्तुति आ आम उत्सव सब मे साहित्यक पुरोधा एक विद्यापति टा केँ बेसी देखल-सुनल जाइत छन्हि, ताहि सँ सेहो कतेको लोकक मोन मे ई दुविधा होइत छन्हि जे बाकी सृजनकर्ताक परिचिति आखिर आम जनमानस मे कियैक नहि बनल। यैह सब सन्दर्भ पर फेसबुक केर ‘दहेज मुक्त मिथिला’ नाम्ना समूह पर एकटा छोट सर्वे कयल गेल। विदित हो जे एहि समूह पर काफी जानल-मानल विद्वान्-विदुषी लोकनि उपलब्ध छथि। जिनका अपने गुमाने चूर होयबाक अभिमान छन्हि ओ सब विरले कहियो सक्रिय होइत छथिन, मुदा जनसामान्य केर नीक सक्रियता देखल जाइछ आर विमर्शक स्तर सेहो काफी उच्च आ समय-सान्दर्भिक रहैत अछि। तेँ, एक सजग-जागरूक फेसबुक समूह पर एहि तरहक सर्वे सँ मैथिलीक पठनीयता पर एकटा समीक्षात्मक अवस्था बनल से कहि सकैत छी। एखन धरि लगभग २०० गोटे अपन विचार रखलनि अछि आर बहुत रास मैथिली साहित्यकार सभक नाम, हुनक कृतित्व आदिक नीक व्योरा आबि सकल अछि। एहि पर आधारित एक गोट वेबिनार सेहो काल्हि राति ९ बजे सँ ११ बजेक समय मे आयोजित भेल जाहि मे विदुषी रेखा झा, अखिलेश कुमार मिश्र, राकेश कुमार झा ‘रसिक’, ईशनाथ झा, अजित आजाद एवं नवीन झा जेहेन जानल-मानल लेखक-विद्वान् व शिक्षाविद् लोकनि अपन विचार रखलनि। आउ, सीधे देखी जे एहि सर्वे मे किनकर कि विचार आयल अछिः
मैथिलीक कोन लेखक केँ अहाँ मोन पाड़ैत छियनि? आ कि मैथिली पढनहिये नहि छी? सर्वे मे सहभागिता दी, अनुरोध!!
241Karuna Jha, Kislay Krishna and 239 others
Maithili padhne he nai chhi
हास्य कवि में जय प्रकाश चौधरी जनक,मैथिली गीता मैथिली पुत्र प्रदीप के , हरिमोहन झा के बाबा क संस्कार
राजनीति कटाक्ष में बैद्यनाथ मिश्र यात्री(बाबा नागार्जुन) और रामधारी सिंह दिनकर
ख्ट्टर काका के दही चुरा चीनी,
सच कहूं त हम मैथिली पढ़ने ही नै छी बस बजैय छी
kanyadaan….ego hath tutta kursi padhne chhi yad nai aai lekhak k nam…ego aar kahani bhagirath baba bla padne chhi… Jai me jinde bap k sb beta ganga me dubki lgwa K mair dai chhaith aa khub dhum dham S bhoj karai chhaith
Maithili padhnaihe nai chchii
श्रीमान मैथिली गद्य या पद्य के किच्छ PDF होयत् त साझा करू।
दिनकर, नागार्जुन, आ १ टा प्रसिद्ध लेखक छैथ हुनक नाम याद नै आईब रहल अई। हूनक कथा सब , महारानीक रहस्य, भोल बाबाक गप्प, आदि पढ़ने छी।
हरिमोहन झा डॉक्टर सुभद्र झा
सर ज्यादा त नै मुदा किछु लेखक के किछु किताब पढने छि हम जेना:- हरिमोहन झा जी के , भोला झा, जनार्दन झा, सभहक किछु रचना पढने छि….
Class 12th me Mathili padhne chi….
२ टा पाठ अखैन तक हमरा याद अछि – हरिमोहन झा जी के रचित एक टा कथा छै “बाबाक संस्कार” एक टा आर कविता छै तंत्रनाथ झा जी के रचित “मुसरी झा”।
Maithli padhne nai chhi bajai chhi
पंडित श्री सीताराम झा , श्री बैद्यनाथ मिश्र, कवि कोकिल विद्यापति ई तिनू गोटे केर रचना। आधुनिक कवि आओर साहित्यकार लोकेन के विषय में नहि जानत छी।
‘Anhar se Ejot Me Aau’ aur ‘Shree Natvar leela Mahakavya’ :Shree Maithili Putra Pradeep
हम त ग्रैजुएशन तक 250 अंक के मैथिली विषय स पढ़ने छी। मैथिली स STET सेहो पास केलौ मुदा हाई स्कूल सबमें सीट खाली रही गेल आ बहाली नै भेल।
स्कूल कॉलेज के लेखक कवि सबके अतिरिक्त हमरा हरिमोहन झा जी के लिखल कन्यादान बड्डे प्रभावित केलक।
DrPratibha Smriti humro kanyadan bad nik lageya
Anisha Jha Pranaymya Devta???
Khattar kaka k tarang,bhafaiet chahak jingi,chanda jhak Ramayani,saptparna,Anubhav,vidyapati pada wali ,fakeni etc
काशी कान्त मिश्र (मधुप) , हरिमोहन झा
Pandit Sri Harimohan Jha.
हरिमोहन झा, यात्री जी, मधुपजी, सुभद्र बाबू,उपेन्द्र ठाकुर, ललित जी, और बहुत साहित्यकार, और कवि लोकैन छैठ,
मैथिली के सबसे बेसि लेखक के हम हरीमोहन झा के मोन पारै छियनि ।ओकर बाद प्रो ,सुमन जी ,कान्चीनाथ झा किरण जी ।प्रो, तन्रनाथ झा प्रो , रमानाथ झा ,जैय कान्त मिश्रा ,बैदेही के सम्पादक कृष्ण कान्त मिश्रा ,प्रो,शैलेन्द्र झा ,यात्री जी,मधुप जी ,मयानन्द मिश्र ,राजकमल चौधरी ,सेफालिका वर्मा ,आशा मिश्रा , राजनाथ मिश्रा ,आर अनेकों लेखक के कथा कविता लेख सब मैथलि के पढ़ने छि । मिथिला मिहिर से लय के अनेकों पत्रीका सब पढ़ने छि आर पढ़ैत छि ।
Kanyadan ,aur Khattar kakka
Pt Harimohan Jha… hmr shuddh Maithili k gyaan k srot chhaith e lekhak. Ehan sahaj lekhni je padhi k man maho maho bha jaai
हरि मोहन झा ,काशी कान्त मिश्र मधुप,और कांची नाथ झा किरण
चन्दा झा ( चन्द्रनाथ झा) हमर प्रिय लेखक अछि।
Chandranath Mishra Amar Jee,
Harimohan Jha ji k graduate putohu
हम हभागा मैथिली नाइ पढ्लू केकर नाम लैब
विद्यापति,चंदा झा ,काशीकांत मिश्र मधुप,हरिमोहन झा, बैधनाथ मिश्र यात्री ,सुधांशु शेखर चौधरी।
यात्री जी,राजकमल चौधरी,शैलेंद्र मोहन झा, हरिमोहन झा ,किरण जी औरों लेखक के पढ़ने छी।
हम श्री हरिमोहन झा जी के लेखन शैली के बहुत ज्यादा प्रसंशक छी।और वेह शैली के झलक समूह के एडमिन श्रीमान् चौधरी जी के लेख सब में देखायत अछि।कुछेक विद्यापति जी के रचना भी पढ़ने छी।और जयचंद्र जी पघारी स छथि हुनकर पोस्ट सब भी बहुत नीक लगैया —-
मैथिली क प्रो हरिमोहन झाक विवाह ,द्विरागमन,पढने छी,हुनका अतिरिक्त पं उमेश मिश्र, जनार्दन झा,राजकमल चौधरी,चंदा झाक, मैथिली रामायण , वैद्यनाथ मिश्र,भोला झा, सुरेन्द्र झा,भोला लाल दास ,तंत्रनाथ झा ,,और बहुत लेखक छैथ ,आब याद नै आबि रहल छैथ ,हमर बीए ,एम ए मैं मैथिली विषय छल ,आब बहुत बिसरि गेल छी , मिथिला मिहिर भी पढैत छलहु , मिथिला क्षर प्रवीण भी छी , मैथिली स बहुत लगाव रहल सब दिन
One and only Prof Hari mohan Jha
हरिमोहन झा, यात्री जी, सुरेन्द्र झा सुमन, राजकमल चौधरी,चन्द्रनाथ झा, विद्यापति, रामदेव झा आदि प्रमुख लेखक छइथ, मुदा कतेको कथा जेकर मैथिली अनुवाद भेल अछि से हो सब पढ़ने छी। किछु इतिहासकार के सेहो पढ़ने छी।
डाक्टर भीमनाथ झाक कविता धूरी (कोइलख)
एकबेर गाम स भागि क गेल रहथि तखन के ई रचना छी | ओकर किछु पंक्ति -…
हमरा हेतु माँक जी क्षण -क्षण
हम्मर सुधिक वर्षा में अन्न –
Hari mohan Jha vidhayapati ocar badharimohan jha sab pahine bich me Dhananjay Jha budhinath jha bart man me sabita jha mathilani likhate chieth aa Prafulla lolakhiyan hindi kalpana jha Hindi likhae chieth suvpravat
vidyapati hamar priya kavi chhath sangahi vartman paristhitk mulyankan baidhnath mishra yatri g dwara awisraniy rahat sangahi Bhim babu ke seho ham bad pasand karayit chhi. hinka sab ke sath aneko kavi o sahitykar hamra priy chhath chahe o ashok mehta hetah ya bhim babu narayan jha e sab Darbhanga ke aan ban o saan chhaith
Baidyanath Mishra ‘yatri’
हम पढ़ने छी हरिमोहन झा के ओर पढ़ने छी मुदा नाम याद नइ अइछ।
स्कुल मे मैथिली पढने छलहु। SLCमे १०० मे ८५ नम्बर आयल छल।
Hari Mohan jha, Bhim nath jha, Madhupji,yatriji,
Harimohan Jha, नागार्जुन, विद्यापति, चंदा jha,
Mashup ji. Chanda Jha harimohan jha
Dr. Budhinath Mishra ke रचना seho chhain मैथिली me
हरिमोहन झाक” खट्टर ककाक तरंग”,सुभेन्दु शेखर केँ”ओकरो कहियौ पाँखि हेतै” संगे नौवीं कझा सँ मैथिली पढ़ैत एलौं तऽ बहुत लेखक लेखिका के रचना सब पढ़ने छी।
Maithili sharan gupt, surendra jha suman etyadi
Deepak Chaudhary मैथिली शरण गुप्तक कोन मैथिली रचना पढने छी अहाँ?
हरिमोहन झा हमर सबसे प्रिय छठी।आरो यात्री जी, तंत्रनाथ झा,राजकमल ौधरी आदि।
Acharya DrGopal Krishna Jha
Ham t maithili me bahut kahani padhne chhi Jena ki – naika banijara.hath tuta kursi graduate putauh aur prem chandra k upnyas
हमरा हर समय मोन परैति छैथि, श्री प्रभास चौधरी जी, …।
हम आई.ए बी .ए में मैथिली विषय लऽ कऽ पढ़ल छी ।
बचपन स बहुत रास मैथिली खिस्सा सब पढ़ने छी । कविता सब रटने रही ।नानाजी आनि कऽ दैत छलखिन्ह ।हमर बाबुजी रचना सभ आब प्रकाशित भऽ रहल अछि
दिनकर, नागार्जुन, फणीश्वरनाथ रेणु, विद्यापति, के रचना बहुत निक ये।
Maithili se lagav nai chhal pahine…tai nai padhalaun… yatri pariwar ke rahito..Lekin jahiya se ham sakhi bahinapa se juralun…pyar umarait aichh…akhan ham distance se Maithili me pg ka rahal chhi…Baba ke upnyas me… Paro padhalaun nik lagal. Akhan du chair din pahine kanyadan uprant duragaman Harmohan jha ke padhalaun.. bad nik lagal…akhan hunake ham pranamay devata padhab. Aiab man vichalit bha rahal aichh ki kiya nai padhalaun…Han Chandana dutt didi ke..Ganga sanan seho padhalaun jahi me chhot chhot kata aichh…magar jamin se jural aicch…ar ham padhab ta kahab
हरिमोहन झा,चंदा झा,तंत्रनाथ झा, राजकमल चौधरी ,आरो लेखक कवि के लेख कविता पढ़ने छी नाम याद नै अई। मैथिली साहित्य सं लगाव अई । मिथिलाक्षर प्रवीण छी।
विद्यापति जी आ हरि मोहन झा
हरिमोहन झा, लीली रे, प्रभास कुमार चौधरी, कविश्वर चंदा झा, गोविन्द झा, सुरेन्द्र झा सुमन, आ सर्वोपरि विद्दपति
आहाँ के आगुक महामारी नै दिखा रहल अछि, जे ओहि पर किछु लिखवाक चेष्टा करब
शशि कुमार साहु हे भगवान! महामारी देखब आ ओहि पर लिखब त भैर दिन टीवी खोलने रहू आ आजतक, एबीपी, जी न्यूज, एहि सब पर लटकल न रहू। कतय घर भेल अहाँक यौ?
Harmohan jha ke Kanyadan..dil ke chhubait aichh
Kaushal Jha Ekdum sahi jawab. Bar paigh Darshnik evam tatwavetta chhalaah
हाय! व्रजकिशोर वर्मा मणिपद्म जी बिसारि देल गेलाह? हमरा ओ मोन पड़ै छथि। हुनकर नैका बनिजारा, अनंगकुसुमा आ कण्ठहार।कोब्रागर्ल, कनकी, अर्द्धनारीश्वर, लोरिक विजय, लवहरि-कुशहरि, राय रणपाल, आदिम गुलाम (उपन्यास) ई सभ रचना मैथिलीक धरोहर बनल रहत।
हरिमोहं न झा, किरण जी, मधुप जी, भीम भाई, गोपेश जी, प्रवाशी जी, नाटक का र् मे esh नाथ झा, अक्कूजी, महेंद्र मंगलिया, रविंद्र नाथ ठाकुर, समालोचक मे डॉ जय कांत मिश्र, डॉ श्री श जी सहित वर त् मान काल मे विनोदजी, बिभूति आनंद अहन् लेखक छथि जे रचना से पाठक के सुख दैत् छथि, नवतु रिया मे डॉ प्रमोद कुमार, डॉ राम कुमार
Dr. Harimohan Jha, Kvishwar Chanda Jha, Baidya Nath Mishra” Yatri”……..
Harimohan jha Priya Lekhak
[Ham te sabse besi maithili Pravin Narayan Choudhary bhaizi aa Kislay Krishna bhai saheb ke post se paidh ke sikhlu ye .
स्व. ब्रज किशोर वर्मा मणिपद्म, प्रभास कुमार चौधरी हमर प्रिये लेखक कथाकार छलाह ओना राजकमल जी, व्यास जी सभहक रचना सेहो मनगर
कविवर विद्यापति हरिमोहन झा चंदा झा
Hum sab s besi Pravin Narayan Choudhury sr ke post padhe chhi jahi s bahut kich sikhe ke mauka bhtet aachhi
Vidyapati ji..aa damodar ji ke geet gabai chi hm ..ekhno yad karait chi.
Vedyapati, Hari Mohan jha ,Chanda jha,sure dar jha Suman,Chandranath Mishra Amar
Narayan jee jha, Rahua sangram
Harimohan Jha….Aa Vidyapati
हम हरिमोहन झाजीक पुजारी छी हुनकर कथा कहानी उपन्यास के बडड रुचि सँ एखनो पढिकय आनंद उठबैत छी
हरिमोहन झा, श्रीमति लिली रे, वैद्यनाथ मिश्र यात्री आ मधुप जी
हरिमोहन झा ,मायाकांत मिश्र, डॉ० महेन्द्र झा , रविन्द्रनाथ ठाकुर याद आबै य ऽ ।
Pravin Narayan Choudhary ji, Namaskar! humar janm Delhi me bhel. Laalan paalan sang schooling seho Delhiye me bhel aichh. Gaam occasionally jai chhi, – jena muran, upnayan aur humar byah ber me gaam jelaun aa ekhne (March me) beta k muran seho ka ka elaun han.
Maithili bhasha nai padhne chhi lekin seekhe k abhilasha aichh.
Sachin Kumar Mishra जरूर। अपन भाषाक साहित्य पढब त ओहि सँ आत्मसम्मान आ यश-प्रतिष्ठा व कृति आदि करय मे बेस सुविधा होयत।
Dr Harimohan jha and kavishwar chanda jha
विद्यापति,हरिमोहन झा,प्रभास कुमार चौधरी,
श्री रघुनंदन दास ; श्री चंदा झा ;श्री यात्री;श्री परमेश्वर झा; श्री ग्रीयर्शन; श्री हरिमोहन झा; श्री मधुप ————श्री स्वयंप्रभाजी।
Vidhyapati. Harimohan jha chanda Jha
हरिमोहनझा,श्रीमति लिली रेनागार्जुन
मैथिली लेखक चन्द्रनाथ झा,रामधारी सिंह दिनकर, विद्यापति,विद्यानाथ झा bidit,परमेश्वर झा, पं बालकृष्ण मिश्रा ओरो बहुत गोटे के रचना कहानी पढ़ने छी
मैथिली लेखक में हम हरिमोहन झा के याद रखबनि।
पंचोभ ग्रामीण निवासी श्याम चन्द्र झा के कथा संग्रह उदय आओर अस्त, प्रोफेसर हरिमोहन झा के कन्यादान,खटर काका क तरंग, बैकुंठ झा के बुझनुक, दुःख हरण झा के नेहा , रवीन्द्र नाथ ठाकुर के पंच कन्या । पत्रिका – मिथिला मिहिर, मिथिला दूत। रजनी कान्त झा , बेंगलुरु। उदय आओर अस्त के हिन्दी में अनुवाद कैलैन।
श्रद्धेय हरिमोहन झा, राजकमल चौधरी, मायानंद मिश्र, डाॅ महेन्द्र झा, मनोरंजन झा, प्रभास चन्द्र चौधरी, बैद्यनाथ मिश्र यात्री, डाॅ विभूति आनंद, ललित,डाॅ शेफालिका वर्मा, लीली रे,ज्योत्सना आनंद, महाकवि विद्यापति, चन्दा झा, मार्कण्डेय प्रवासी, डाॅ सुभाष चन्द्र झा सहित अन्यान्य
Baidya Nath Mishra Yatri jee seho yatharth vadi kavi aa lekhak chhalah
हमरा हरिमोहन झा के कथा कहानी बहुत नीक लगय य।
हरीमोहन झा ।चूड़ा दही चीनी । खट्टर काका गेरेज्यूट पुतोह।ओ हमर बाबा लगैत छलाह । कुमार बाजीतपुर ।
Bhuwaneshwari Kumari वाह, नमन! हरिमोहन बाबू अपन रचनाधर्मिता सँ बहुतो लोकक प्रिय बनि आइ अमर लेखक बनि गेल छथि। एहि मे कोनो सन्देह नहि। सम्भव हो त आजुक वेबिनार मे अपने सेहो जुड़ी। किछु हुनकर स्मृति सब शेयर करी। राति नौ बजे। ऊपर लिंक देल अछि।
मैथिली लेखक में हरिमोहन झा
विद्यापति, हरिमोहन झा, चंदा झा वाचस्पति मिश्र, कालीकान्त झा और बहुत के पढ़ने छी
मैथिली पुत्र प्रदीप जी के। छोटी सुकुमारी सिया नामि नामि केशिया…. जगदम्ब अहिं अबलंब हमर……
हरिमोहन झा, श्री अजीत मिश्र,स्व.कुमुदनाथ झा इत्यादि के
Prabhu Narayan jha Pradeep
मणिपद्म, यात्री,ललित, सूची बड्ड पैघ भ जायत जँ ज्योतिश्वर, विद्यापति, चंदा झा सँ शुरू करब । नामे नै एक दू टा रचनाक संग मंगने रहितहु तँ आर नीक छल ।
Neelmadhav Chaudhary आदरणीय भाईसाहब केँ प्रणाम। आजुक लाइव में 9 बजे ऊपर देल गेल लिंक सँ जुड़ब त बहुतो केँ लाभ आ प्रेरणा भेटत।
Mhakbi bidiyapthi, surendar jha suman,. Kbi kokil chanda jha baidhnath mishr yatri. Kishwar Chanda jha ham Lalit narayan maithila biswbidiyslya. Sa 1990to 1992 maithli bivag sa pratham shreni utran vel chi
Hmra lag akhnu 100-125 kabi aa hunk rcnak kichu aains yad achi
पढने त बड छी मुदा लेखक सबहक नाम ध्यान नै।हां वीरेंद्र झा,हरिमोहन झा क बहुत कृति पढनै छी।
श्री सुरेन्द्र झा “सुमन “,श्री जगदीश प्रसाद मण्डल।
यात्री जी, हरिमोहन झा जी, डॉ अमरनाथ झा जी, पण्डित सुभद्र झा जी, छेदी झा द्विजवर जी, डॉ सुभाष चंद्र यादव जी, डॉ मायानंद मिश्र जी, राजकमल जी ,चंद्रा झा जी, सर गंगानाथ झा जी आदि
मैथिली साहित्य संसार आब एतेक व्यापक आ विपुल अछि जे ई वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तरीमे समेटल नहि जा सकैए !
हम स्वयं पढ़ैत छी, आ कोनो एक-दू गोटै नहि पचासो सँ बेसी नाम मन पड़ैत अछि ……!
सूची तऽ बहुत पैघ अछि तथापि विद्यापति, श्री हरिमोहन बाबू, चंदा झा, यात्री जी आओरो विख्यात नामक सङ्ग चन्द्रभानु सिंह जी के शकुन्तला बहुत प्रभावित केलक।
Ajay Jha चन्द्रभानु सिंह केर एक छोट संग्रह नाम विस्मृत भ गेल, जाहि में मधुकर पड़ल दुलेब कोयलिया घुलल घामल बोल छौ, कि कहियौ गे करिकी तोहर बाजब बड़ अनमोल छौ, ई छल, से संग्रह लय 1983 में हुनकर दर्शन भेल छल।
Pravin Narayan Choudhary जी स्वर भारती, स्वदेश भारती आ राष्ट्र भारती शकुन्तलाक अतिरिक्त हुनकर रचना छनि।
विद्यापति, हरिमोहन झा आ अमरनाथ झा
चूडा दही चीनी हरि मोहन झा
किछु समय पहिले, हरिमोहन झा जी के रचना पढ़लौ।
नमोनारायण , खट्टर काका हरी मोहन झा ! हम और हमर पापा दूनू गोटा फैन छी हिनकर पापा के किताब टाइम बांट के पढैत रही दिन में हम रात में पापा
हम हरिमोहन झा जी के एकटा हिन्दी रचना खटृर काका पढ़ले छि। मैथिली साहित्य स अनभिज्ञ छि। किया कि हम भोजपुरी बाजब वाला छि। मुदा अहि समूह स शुरुआत स जुड़ल छी।
ललका पाग – स्वर्गीय राजकमल चौधरी
Bidhyapati jee ke bare me kani sun ne xi but maithili padhale nai xi
हरि मोहन झा विद्यापति सुरेन्दर झा सुमन भपाईत चाहक जिनगी सारा परक तुलसी ईबतहा संसार
ओह्ह बहुत दुखक बात हम नहि छी पर्हने मुदा मिथिला मैथिल प्रति बहुत लगाव अछी