आभा झा
# आधुनिक शिक्षा के नीक प्रभाव की सब अछि और दुष्प्रभाव की सब अछि #
आधुनिक शिक्षा देश में प्रत्येक व्यक्ति लेल शिक्षा के रास्ता खोलि देने अछि। हर जगह आर गाम में सेहो शिक्षा के नीक अवसर जुटायल जा रहल अछि। शिक्षासमाज के आधारशिला अछि। शिक्षा के बिना व्यक्तित्व के विकास असंभव अछि आर व्यक्तित्व के विकास लेल उत्तम शिक्षा के भेनाइ आवश्यक अछि आर उत्तम शिक्षा तखने भ सकैत अछि जखन शिक्षा प्रणाली सेहो उत्तम होयत। माध्यमिक स्तर तक के बच्चा के लगभग हर विषय के ज्ञान देल जाइत अछि जे जीवन लेल उपयोगी अछि। बच्चा जखन छोट रहैत छैथ तखने सं स्कूल में हुनका नैतिक आचरण सिखायल जाइत छैक। जेना-जेना ओ पैघ होइत छैथ हुनका अहि जोगरक बनायल जाइत अछि कि परिवार आर समाज में अपना आपके ढालि सकैथ। शिक्षा सं हमर सबहक व्यक्तित्व के विकास होइत अछि। शिक्षा के द्वारा रचनात्मकता बढ़ैत अछि। शिक्षित व्यक्ति सामाजिक आर नैतिक नियम के अशिक्षित व्यक्ति के अपेक्षा स्वयं के बेसी बेहतर विकसित क सकैत अछि। शिक्षा सं व्यक्ति अपन जिम्मेदारी बुझैत अछि आर निष्ठापूर्वक अपन सामाजिक जिम्मेदारी के निभबैत अछि।ओ सही गलत में भेद क सकैत अछि। अपन गुण आर आचरण के अपना क एकटा नीक समाज के निर्माण क सकैत छी।
महामारी में ऑनलाइन शिक्षा एकमात्र विकल्प देखाइ दैत अछि। शारीरिक दूरी बना क रखनाइ आर लाॅकडाउन में एक जगह इकट्ठा नहिं भ सकी ताहि लेल इ आवश्यक अछि। भारत के कुल जनसंख्या के लगभग 6करोड़ बच्चा स्कूलो नहि जा पाबैत अछि।
आधुनिक शिक्षा के दुष्प्रभाव– आधुनिक शिक्षा प्रणाली में शिक्षक आर विद्यार्थी दुनु में कर्तव्यपालन के भावना नहिं अछि। दुनु अपन अधिकार के पाछु छैथ। शिष्य के गुरू में श्रध्दा,विस्वास तथा भक्तिभावना के अभाव छैक आर गुरू शिष्य में प्रेम-भाव के अभाव छैक। गुरू खाली धनार्जन लेल शिक्षा दैत छैथ आर शिष्य टाका सं शिक्षा के मोल लेब चाहैत छैथ। दुनु में आत्मीयता के अभाव अछि। श्रध्दा आर प्रेम के द्वारा जखन तक हृदय सं हृदय के मिलन नहि होयत तखन तक विद्या के आदान-प्रदान नहि भ सकैत अछि।
आधुनिक शिक्षा प्रणाली में छात्र सब घर में ऑनलाइन क्लास लैत छैथ। हुनका सबके लगातार एक जगह पांच-छौ घंटा बैस क क्लास करै पड़ैत छैन। अहि सं हुनकर शारीरिक आर मानसिक विकास दुनु पर बहुत खराब असर पड़ि रहल अछि। एखन के समय में स्कूल नहि जा पेनाइ आर कोनो शारीरिक सक्रियता नहि होइत छैक। इन्टरनेट बच्चा के वास्तविक उम्र सं पहिने पैघ हुअ के अनुभव के एहसास करबैत अछि।
शिक्षा के वर्तमान स्वरूप व्यवहारिक नै भ क सैद्धांतिक भ गेल अछि जाहि सं व्यवहारिक ज्ञान में कमी देखल जा रहल अछि। सादा जीवन उच्च विचार के भावना आब पुरान बात भ गेल अछि। आधुनिक शिक्षा आइ के प्रतिस्पर्धातपूर्ण युग में निजी शिक्षा केंद्र के जन्म देने अछि जेकर कारण आइ शिक्षा एक क्रय-विक्रय आर बिज़नेस के रूप में देखल जाइत अछि।
आधुनिक शिक्षा प्रणाली में सुधार के प्रयास केनाइ अति आवश्यक अछि–नैतिक शिक्षा आर देश-प्रेम के भावना के जगाबै वाला विचार के वर्तमान शिक्षा प्रणाली के हिस्सा बनायल जेबाक चाही। बच्चा के समग्र विकास के प्रयास करबाक चाही। छात्र सबहक पुस्तक के बोझ सं लादल झोरा के कम करबाक चाही। बच्चा सबके एहेन कला,हस्तकौसल अथवा उद्योग के शिक्षा देबाक चाही जाहि सं ओ समय के सदुपयोग क सकैथ आर आत्मनिर्भर बनैथ। शिक्षा के माध्यम मातृभाषा हेबाक चाही जेकर द्वारा स्व-संस्कृति सं अपनत्व के भावना बढ़ैत अछि।
आभा झा
गाजियाबाद