अपना केँ जराउ, पड़ोसी केँ बचाउ

– प्रवीण नारायण चौधरी

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झा चन्दन केर ओ प्रसिद्ध कार्टून जाहि मे निजभाषा ‘मैथिली’ केर सिनेमा छोड़ि अश्लील आ फूहरता सँ भरल भोजपुरी सिनेमा दिशि समाजक झुकाव बढैत अछि….. मोटामोटी हर दिशा मे स्वयं मिथिलावासी अपन मूल्य केँ अवमूल्यन करैत आनक पात चाटय सँ पाछाँ नहि हँटैत छथि।

अपन घर के खोजे नहि अन्ना के पुछारि
अपने भ्रष्ट से सोचे नहि सभ्यताके बिसारि!

मिथिला राज बनाबय लेल तेलंगाना के वेट
बारीक पटुआ तीत अछि दूरक लगबी रेट!

कौआ कुचरय सांझ के खायब नहि आब गुँह
भिन्सर फेरो बिसरैत अछि दौड़ि मारय मुँह!

मोरक पाँखि पहिरि के नाचि सकय नहि जोर
पाउडर मुँह रगड़ि कतबो बनय केओ कि गोर!

नित्य नया टन्टा झाड़य मारय झटहा तीर
महाबूड़ि कोढिया मनुख बनय हमेशा वीर!

साहित्यक समुद्रमे सुन्दर सनके सम्हारि
हाइकू शेर्न्यू रूबाइ ओ गजलक देखू मारि!

चोर-चोर हल्ला मचबय गाम मे भेल जगारि
भेल पुछारि जे चोर कतय चोरहि हल्ला पारि!

देख रे मूढ टेटर अपनहु माथ भरल छौ आगि
‘प्रवीण’ भने गैरखोर बनें चोतमल काजक लागि!

हरिः हरः!!