दीपिका झा।
- फगुआ अई अगुआएल…।।
~~~~~~~~~~~~~~~
दीपक ज्योति पूछि रहल अई,
आंखिक मोती जूझि रहल अई,
नैन अछि तरसाएल……..
विरहिणी बनि हम बाट बहोरति,
पिया मोरा बिसराएल……
हे सखी फगुआ अई अगुआएल…।।
व्यथा हृदय के की कहू तोर,
परदेशी प्रियतम छथि मोर,
तन के छोड़ि मोन लय गेला,
सेहो मोन बौआएल……
हे सखी फगुआ अई अगुआएल…..।।
फूलक पंखुड़ी संग गुलाल,
पिचकारी में भरितहुं टुह-टुह लाल,
पियाक संग मोर चूनर भीजैति,
स्वप्न नैन सजाएल……
हे सखी फगुआ अई अगुआएल…..।।
जुगल जोड़ी मिलि खेलितहुं फागु,
पिया संग, भय बढ़ितहुं आगु,
पंकज पुष्प सन खिलल हृदय छल,
सेहो अछि मसुआएल…….
हे सखी फगुआ अई अगुआएल……।।
जेना राधा के रसिया लगबथि रंग,
दीपिका खेलथि तेना पिया के संग,
प्रेम सं ओत-प्रोत अछि फागुन,
देखि मोन हर्षाएल…….
हे सखी फगुआ अई अगुआएल।।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~