“त्यागक मूर्ति- गरीब परिवारक बेटी”

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-दिलिप मंडल।                                   

शिर्षक: गरीबक बेटि
गरीबक बेटि यथार्थ मे एक टा समाजक लेल बलाय होइत छनि! जे बेटि जन्म काल स लक मरनोपरान्त धरि समाजिक अबहेलना आ कुबिचार के सहैत छनि!! आ अपन माय बापक मान मर्यादा के सहेज क रखबाक प्रयास करैत छनि!! मुदा बेटि शब्द अपने आपमे सेहो हमरा अहाक समाज मे एक अभिषाप के रुपमे परिभाषित अछि!! बेटि शब्द के कतेको ब्यक्ति माय के गर्भ मे नै मिटा दैत छैक त कतेको ब्यक्ति वहि बेटि के अपमानित क माईर दैत छनि!!बेटि जौ पढ्बाक योग्य होईत छै तखन समाजक ब्यक्ति हुनका पढाई लिखाई के सङ्ग हुनक मनोबल के तोडि दैत छनि!! जखन बेटि अपन जिबन यापनक लेल कोनो काज करति तखन समाजक पुरुषार्थ ब्यक्ति वहि बेटि अपन डिठ लगौने रहैत छनि जे फलनाक बेटि बदचलन छनि! तकरा बाद वो बेटि बिबाहक योग्य होइत छनि तखन वहि बेटिक लेल दुल्हा खरिदबाक लेल दहेज बजार मे परिबेश करैत छनि!! दहेज मे रङ्ग बिरङ्गक समान आ fancy के समान लगायत अनेको आभुषण सङ्ग लाखो करोडो रोकडा लैत छनि अपन सम्पति के अनुकुल!! वो बेटि बेचारि अपन माय बापक कर्ज कहियो उतारि नै सकैत छनि!! बिबाहक समय मे सेहो बेटि प्रताडित होइत छनि!! अनेको प्रयासक बाद बेटि सासुर मे सेहो अपमाणित होइत छनि!! कखनो अपन परिबारक ब्यक्ति द्वारा त कखनो अपन समाजक ब्यक्ति द्वारा!! जौ बैबाहिक जिबन अगर ठिक ठाक भजाय तखन वहि बेटिक उपर बहुत जिमेदारि बैढ जाईत छनि वो बेटि अपन खन्दान के मान सम्मानक कारण अपन मनक बात अपना मनमे राइख लैत छनि!! बेटि के तुलना बेटा नहियो होइतो हुवे बेटाके शिर उच्चा होइत देखल जायत अछि मात्र नाम के बल पर!! हमरा बिचारे गरीबक बेटि कोनो तरिका स कहियो सफल नहि भ सकैत अछि!! कियाकि वहि गरीबक बेटि जन्म स मरन धरि जिन्दगि मे कहियो सुखक सहानुभुति नै भेटैत छनि!! सङ्घर्षक सिमा किन्नहु समापन नै होइतो हुवे दु:खि मनक दुबिधामे अपन जिबन के ललाहित जिबन के रुपमे गुजारा करैत छनि!! ताय बेटि समाजक एक अभिषाप के रुपमे परिभाषित अछि!!