विज्ञ प्रश्न: चुनाव आ मिथिला भाग-२

ramanath jha1– रामानाथ झा, नई दिल्ली।

(लेखक एक अनुभवी मैथिल छथि, निर्माता-निर्देशक: मैथिली फिल्म हाफ मर्डर, बाजार तथा निर्यात प्रबंधक, निजी व्यवसायक संग कोरपोरेट कन्सल्टैन्ट रूप मे दिल्ली मे कार्यरत)

युद्ध के शंखनाद भऽ चूकल अछि और आब जीत के बादे रथ रूकत ई युद्ध धर्म और अधर्म, न्याय और अन्याय, अपमान और स्वाभिमान के बीच अछि। अतः एहि मे अपन और आन, सहयोगी और विरोधी, मित्र और शत्रु के विभेद कर्म के आधार पर हेबाक चाही। आब बोली पर नै!

सब के कार्यशैली पर व्यक्तित्व के पहचान हेबाक चाही। कथनी किछु और करनी किछु और वला मानसिकता आब पाछू धकला गेला। आब मिथिलावासी के बस एकहि टा मुद्दा अछि। ‘मैथिली-मिथिला के समग्र विकास, अपन धरोहर के रक्षा और विश्व पटल पर एकर पहचान’। जे एहि विचारधारा पर संग देला सैह शुभचिंतक बाकी सब फेल।

जेना कोबी, परवल, सेब और अन्य तरहक फल, सब्जी बारहो महिना छत्तीस दिन भेटैत रहैत अछि तहिना अपना सबहक दिस कोल्ड स्टोरेज के व्यवस्था कऽ आम के सुरक्षित राखि बारहो महिना उपलब्ध नै कराओल जा सकैत अछि?

आम के उपलब्धता तऽ बहुत अछि मुदा अव्यवस्था के कारण लाखो रूपया के आम सब सीजन मे बर्बाद होइत अछि। अगर आम के सब वर्ग छोट सऽ पैघ होइत प्रक्रिया मे आवश्यकता अनुसार लघु उद्योग जकाँ हवा बिहारि मे खसैवला आम के क्रमशः आमचूर, अँचार, आम पापड़ इत्यादि के निर्माण कैल जाय। सरकार सब आई धैर की केलक?

अपन सबहक अँचार के सामने पँचरंगा अँचार पासैंग भरि टिकैत?

मुदा आई धैर कियो आन जगह के लोक स्वादे नै बुझलक। आम अपन सबहक प्रमुख फल अछि और प्रचुर मात्रा मे होईत अछि मुदा सही व्यवस्था नै होबय के कारण भारी मात्रा मे राई-छित्ती होइत अछि, औने पौने दाम मे बेचय पड़ैत अछि। जतेक भेराइटी के आम और ओतबे नीक स्वाद! बहुत पैघ व्यवसाय भऽ सकैत अछि।

हमरा जे उचित लागल कहलौ आब अहाँ मैथिल भाइ सब जे सोचू। हम तऽ कहब सरकार के जाय दियौ एतेक पाई वला मैथिल भाइ सब छी, आगू बढ़ू, दू तीन गोटा मिल कऽ एहि इण्डस्ट्री मे आऊ, जागाऊ, कोल्ड स्टोरेज बनाऊ एकटा बड पैघ उपलब्धि हैत। सरकार भरोसे पता नै कहिया दिन सुदिन हैत!!