“गामक दलान” :- कृष्ण कांत झा के नव रचना

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रघुपत्यष्टकम - संस्कृत सृजनकर्मी कृष्णकान्त झाक नव रचना

“साहित्य”

:- कृष्ण कांत झा।

#गामक दलान#

मोन पडैया बचपन के दिन।
सुंदर गामक दलान छल।।
बाबा काका पीसा सबहक।
पसंदीदा स्थान छल ।।

ताश हास परिहास के संगहि।
अट्टहास खुब साजै छल।।
नाश्ता पानी चाय समोसा।
बच्चा दिया भेजाबै छल।।

आंगन में निर्धोष रहै छल।
घर के मान सम्मान छल।।
अभ्यागत अतिथि सेवाहित।
सुंदर गामक दलान छल।।

जिनकर दलान जतेक नम्हर।
हुनकर ओतेक शान छल।
अनाचारक प्रतिकार करै लेल।
सर्वोत्तम बड़का दलान छल।।

पंचैती स न्याय दियाबै छल।
ओ गामक दलान छल।।
बारातीक स्वागत के भी हित।
बड नीक गामक दलान छल।।

क्रमशः–