१. माधवेश्वरनाथ महादेव मन्दिर – सभागाछीक शान आ पुरातन कलाकृतिक विशिष्ट नमूना
सौराठ सभागाछी स्थित ई विलक्षण मन्दिर नहियो किछु तऽ ५०० वर्ष प्राचिन होयत। मिथिलाक एक राजा ‘माधवेश्वर सिंह’ केर नाम पर राखल गेल एहि मन्दिरक नाम ‘माधवेश्वरनाथ महादेव’ अछि। दहेज मुक्त मिथिला व ऐतिहासिक सौराठ सभा विकास समिति केर संयुक्त तत्त्वावधान मे ८ जनवरी, २०१२ एक बैसारक मार्फत एहि प्राचिनतम मिथिला धरोहर केर जीर्णोद्धार लेल निर्णय लेल गेल छल। एहि कार्यक वास्ते मधुबनी जिलास्तरीय एक कार्यसमिति सेहो बनेबाक भार आदरणीय शेखर चन्द्र मिश्र व हुनक वकील मित्र (मधुबनी कचहरी वकील संघ केर सचिव – नाम विस्मृति भऽ रहल अछि) पर देल गेल छल। ओहि बैसार मे हम आ करुणा झा जी सेहो भाग लेने रही। बैसारक पूर्ण विवरण आ निर्णय एहि सँ पूर्व सेहो देल गेल अछि जे आइयो दहेज मुक्त मिथिलाक पुरान पोस्ट मे मौजूद अछि। माननीय विधायक फय्याज भाइ (बिस्फी विधानसभा), मधुबनी ड्योढिक बाबु कुलधारी सिंह, रहिका सँ बाबा निलाम्बर मिश्र, सौराठ सँ प्रो. सर्वेश्वर मिश्र सहित अनेको गणमान्य बुद्धिजीवी, ज्येष्ठ नागरिक, समाजसेवी आदि केर बीच भेल समस्त निर्णय छल जे हम सब स्वयंसेवा सँ एहि मन्दिरक जीर्णोद्धार करब। ताहि समय श्री निलाम्बर मिश्र तात्कालीन विधान परिषद् सभापति ताराकान्त बाबु केर स्थानीय प्रतिनिधिक रूप मे तारा बाबु संग लगे हाथ बात करैत ओहि मिटींग सँ दुइ महत्त्वपूर्ण निर्णय करौने छलाह। एक, सौराठ मे ‘मिथिला चित्रकला शिक्षण संस्थान’ खुलेबाक आर माधवेश्वरनाथ महादेव मन्दिर केर जीर्णोद्धार लेल कला-तथा-संस्कृति मंत्रालय, बिहार सँ कार्य करेबाक पुष्टि, दुनू कार्य लेल बिहार सरकारक टोली सेहो आबि आवश्यक छानबीन करैत वचन दय चलि गेल। संस्थान आ मन्दिर दुनू कार्य हाल धरि बिहार सरकार पूरा नहि कय सकल अछि। आ एहि चक्कर मे हमरा लोकनि स्वयंसेवा सँ सेहो किछु नहि कय सकलहुँ अछि।
२. सौराठ सभाक औचित्य: विचार
(२०११ मे लिखल एक विचार)
*विश्वक सर्वश्रेष्ठ वैवाहिक पद्धति अधिकार निर्णय मैथिल ब्राह्मण मे जे सौराठ सभाक मार्फत होइत आयल अछि – पैतृक परिवारमे सात पीढी तक आ मातृक परिवारमे पाँच पीढी तक विषम गोत्री बीच बिना कोनो रक्त सम्बन्ध भेला उपरान्त मात्र विवाह संभव अछि। से अधिकार निर्णय उपलब्ध पंजिकार (सौराठमे) द्वारा होइत अछि। तेकर बादे वैवाहिक सम्बन्ध के निर्धारण कैल जाइछ। एहि प्रथा के निरंतरता देनै याने शुद्ध-संस्कारी पीढी दर पीढी संतानोत्पन्न लेल अत्यन्त महत्त्वपूर्ण अछि। आजुक समयमें लोक स्वयंके ततेक व्यस्त बुझय लागल छथि जे एक पेट के पाछू मात्र बेहाल छथि, पेट सऽ फुर्सत भेला के बाद सिंह में कतेक तेल लागल ताहिके चक्करमें बेहाल छथि। आइ तही कारण सऽ विदेह (मिथिला) में लोक देहके पोषण में बताह बुझा रहल छथि आ विपन्नता हावी भऽ रहल छैक।
*मूलरूप सऽ सौराठमें केवल उत्कृष्ट व्यक्तित्वके बहुत प्रकारके परीक्षा-पूछताछ आदि भेला उपरान्त उपस्थित सभासदगण सभ चुनाव करैत छलाह जे हिनकर विवाह सभासदगणकेर कोन सम्बन्धी संग उचित होयत आ एहि लेल सभाके मार्फत चुनावके प्रक्रिया कतेक प्रतियोगी होइत छलैक जेना आजुक सिविल सर्विस के परीक्षा पास करैत आइ.ए.एस. – आइ.पी.एस बनब होइत छैक। कालान्तरमें अवमूल्यन हर तंत्रमें होइत रहलैक आ मोटामोटी सभ श्रेणीके वरके विवाह एहिठाम सऽ होवय लगलैक आ तखन कन्यापक्षमें सेहो प्रतियोगिता जे उत्कृष्ट श्रेणीके वर के विवाह हुनकहि ओहिठाम होइक भले एहि के लेल जतेक द्रव्य खर्च करय पड़य… आ एना दहेज के प्रकोप शुरु होइत अंततः पराकाष्ठापर पहुँचलैक आ संगहि पंचकोसीके स्थानीय क्षेत्रमें कम्युनिष्ट के बाहुल्यता – बलजोरी उठेनै – विवाह करा देनाइ… दहेज के प्रतिकार लेल अपहरण – आतंक के सहारा लेनै – बहुत कारण बनलैक जे सौराठ के गरिमाके धूमिल कय देलकैक। आब सौराठ सभामें जाय विवाह करब याने जेकर कतहु विवाह नहि होयत से सभामें जाउ – एहि तरहक गलत-छाप सऽ सभा मरणासन्न भऽ गेलैक अछि। लेकिन एकर शुद्ध स्वरूपके रक्षा आइ फेर संभव छैक – भले एहि लेल समय लगतैक, लेकिन एकर आवश्यकता छैक। विद्वान् के विवाह सौराठ सभा सँ होइत रहलैक, से पुनः शुरु करय लेल मिथिला क्षेत्रके समस्त युनिवर्सिटी, कॅलेज, आ प्रबुद्ध वर्ग यदि एहि लेल सहमत होइथ तऽ केवल विद्वत् सभा के मार्फत एकर पुनरुत्थान संभव छैक। लेकिन स्मरण रहय, विद्वान् केवल ब्राह्मणहि टा नहि, अपितु समस्त जाति-वर्ग छथि। विद्वत् सभालेल कोनो जातीय आरक्षण के बात आजुक एकीसम शदीमें करब बेईमानी हेतैक। भले वैवाहिक पद्धति सभ जाति-वर्गके अपन-अपन छन्हि, प्रतियोगिता खुलेआम हेबाक चाही आ विशेषतः दहेज मुक्त विवाह लेल मात्र हेबाक चाही, सभ जाति-वर्गके लेल हेबाक चाही। यदि सौराठ सभा एहि लेल आदेश नहि दैत छथि – अन्यत्र एहि तर्ज पर सभ व्यवस्था हेबाक चाही। एहिमें बिहार सरकार, नेपाल सरकार, भारत सरकार – सभके संयुक्त प्रयास हेबाक चाही आ मिथिलाके एहि पौराणिक परंपरा के संरक्षण जरुर हेबाक चाही।
*आब मिथिला क्षेत्र तऽ एक निश्चित सीमामें सिमैट गेलैक अछि, लेकिन मैथिल समूचा संसारमें पसैर गेल छथि। घर-कुटमैती सौराठके बिगड़ैत स्वरूपके एक विकल्प तऽ बनलैक, लेकिन आजुक प्रवासी मैथिल लेल ई एकदम औचित्यविहीन छैक। प्रवासी लेल फेर एक मंच – एक सभा चाही – ई अनिवार्य छैक। एहि मार्फत नहि सिर्फ हुनकर समस्या (बेटा वा बेटीके विवाह सम्बन्ध निर्धारण) निदान हेतैन, बल्कि आजुक अर्थके युगमें प्रवासी मैथिलके एक बेर फेर मिथिला सँ अपन सम्बन्ध कायम हेतन्हि आ आर्थिक विकास सेहो हेतैक, गाम संग हुनक भावनात्मक सम्बन्ध फेर बनतैक, समृद्धि पुनः वापसी करत, ऋद्धि-सिद्धि जे मिथिलासँ आइ रुसल छथि से फेर एक बेर अपन नैहर वापसी करती।
*बहुत मिथिला-राज्य के बारे में चर्चा देखैत-पढैत छी – प्रयास कि होइत छैक? दिल्लीके जंतर-मंतर पर किछु संघर्षशील मैथिल बामुश्किल समय निकालि एक दिन में धरना-प्रदर्शन करैत मिथिला राज्य बनबैक लेल दबाव बनबैत छथि, जा के एक ज्ञापन पत्र भारतके गृहमंत्री आ राष्ट्रपतिके हस्तान्तरण करैत छथि आ दोसर दिन सँ फेर दिल्लीके ग्रामीण भेगमें प्रापर्टी डिलींगके व्यवसाय करैत अपन नेतागिरीके धौंसपर माल कमैत पेट पोसैत छथि – अर्थात् अपन काजमें व्यस्त होइत छथि। त्यागपूर्ण राजनीति करनिहार मिथिलामें के? प्रयासके नामपर एहिसँ बेसी कि? मिथिलाके भूमिपर आन्दोलन कतय? संगठन कोन? मिथिलाके समाजमें नेताके पहचान कि? व्यक्तिगत स्वार्थ सऽ ऊपर हिनकर समाजिक योगदान कि?? हमरा बुझने सभाके तर्जपर मिथिलाके सम-सामयिक विषयपर चर्चा, आपसी एकता, कूरीतिके बहिष्कार, आदर्श सिद्धान्तके प्रतिपादन – एहि सभके लेल जाबत मिथिलामें एक करारा मंच नहि बनत ताबत कोनो भी आन्दोलन हवामें इठलैत रहत आ उर्वशी समान आकाशगामिनी बनल रहत। सौराठ सभा या अन्य कोनो भी सभा जे समान प्रकृतिके हो – ओ एहि रिक्त स्थानके जरुर पूर्ति करत।
सौराठ सभा के पुनरुत्थानमें सहयोग लेल सभ के आह्वान करी। बिना जातीय सीमांकन केने एहि सभाके फेर जगाबी। हमर यैह अनुरोध अछि।