११ जुन – २०१५, पटना मे लालु जी पत्नी राबड़ी तथा सैर गिरिजा केर सहयोग सँ अपन उमेर बरोबरि यानि ६८ किलोक केक जेकर रंग हुनकर चहेता हरियर छल तेकरा काटिकय मनौलनि।
समाजवादी चेहरा – धर्मनिरपेक्षताक प्रखर ओकालति – गरीबक मसीहा – आवाजहीन केर आवाज: एक लालु आ कतेको रास चेहरा! विद्यार्थी जीवन सँ राजनीति मे सक्रिय, लगातार १५ वर्ष तक एकलौती शासन बिहार पर अपन नेतृत्व मे करबाक रिकार्ड, भ्रष्टाचारक आरोप मे मुख्यमंत्री रहिते जेल चलान, जेल जेबाक सँ पूर्व अपन राजनीतिक बागडोर अनपढ आ अराजनैतिक पत्नी राबड़ी देवीक हाथ मे सौंपि प्रजातांत्रिक मूल्यक अवमूल्यन करैत आन नेताक हाथ मे नेतृत्व नहि दय विश्व मे तानाशाही प्रवृत्ति लेल बदनाम आ नहि जानि आरो कतेको प्रकारक आरोप सँ घेरायल लालु अपन अलग शैली आ वक्तृत्व चरित्र सँ पुन: केन्द्रीय शासन मे रेल मंत्रीक रूप मे वापसी करैत ढेर रास सकारात्मक निर्णय द्वारा देश-विदेश मे लोकप्रियता हासिल केलनि। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन आ नितीश कुमार केर नेतृत्व – लालुक तथाकथित जंगलराज केर अन्त केलक आ भाजपा द्वारा नरेन्द्र मोदी केँ प्रधानमंत्री पदक उम्मीदवारी देलाक बाद नितीश भाजपा सँ सम्बन्ध विच्छेद करैत आजुक समय मे लालुजी संग मित्रता करैत बिहार राज्य मे एकटा नव गठबंधन केर निर्माण कयलनि अछि जाहि मे कानूनी रूप सँ चुनाव तक नहि लड़य योग्य लालुजी नितीश कुमार केँ नेता मानि हुनकहि मुख्यमंत्री बनेबाक नारा संग ‘भाजपा केँ घर-वापसी’ यानि १९८९ केर लोकसभा चुनाव जेकाँ मात्र २ सीट भेटबा समान दयनीय अवस्था मे पहुँचेबाक नव संकल्प संग अपन ६८म जन्मदिन मनौलनि अछि।
जनता परिवार – मुलायम सिंह यादवक संयोजकत्व मे एकत्रित करबाक घोषणा पर्यन्त भऽ चुकल बिहार मे लालु अपन अस्त सूर्य केँ पुन: उदय करबाक लेल जी-तोड़ प्रयास कय रहला अछि। मुदा राजनीति मे सत्ताक खेला-वेला कखन केकरा दोस्त आ केकरा दुश्मन बनबैत अछि एहि सब सँ चीर-परिचित बिहार केर जनमानस आब लगभग सबटा बुझैत अछि आ जातिवादिता दुर्गंध सँ ऊबि चुकल जनता अपन दयनीय अवस्थाक समाधान ताकि रहल अछि। आर्थिक विकास सँ लैत पूर्वाधार, संचार, सड़क, सिचाई, कृषि, शिक्षा… हर क्षेत्र मे जनता विकास चाहैत अछि, एकर किछु झलकी नितीश केर नेतृत्व मे ‘सुशासन’ साथ विकास शुरुआती वर्ष मे देखलो गेल छल। मुदा जहिया सँ भाजपा संग गठबंधन टूटल, नितीश कुमार केर विकासक रेल पटरी सँ उतैर गेल आ अगबे राजनीति करबाक अनेको कृत्य सब नित्य देखय-सुनय लेल भेटय लागल। ई तय बात छैक जे भाजपा केर अनुशासित आ सुसंगठित नेतृत्ववर्ग नितीश केँ नेता मानि राज्य हित लेल कार्य करैत छल, ताहि समय जदयू केर नेता सब सेहो कार्यनीति अनुरूप राज्यक विकास पर जोर दैत छलाह। राजनीति कम, काजनीति बेसी – यैह सिद्धान्त बेसी लोकप्रियता हासिल केलक बिहार मे। लेकिन छद्म स्वरूप सँ दोस्ती बेसी दिन नहि टिकैत छैक, ताहि कारण राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सँ नितीश कुमार अपन महात्वाकांक्षाक कारणे दूर होइते बिहार मे पुन: जंगलराजक दोसर टर्म शुरु होयबाक चिन्ता आम जनमानस मे देखाय लागल अछि। एम्हर लालु-नितीश केर एहि नवनिर्मित दोस्तीक फायदा कि होयत ई देखय लेल बाकिये अछि, लेकिन पुरान आ अनुभवी कतेको नेता एहि खेमाक छद्म स्वरूप सँ खिन्न छथि। कतेक तँ खुलेआम बगावत सेहो कय चुकला अछि। जनता फेर मूर्ख नहि बनय आ आगामी चुनाव मे जातिवादिताक सियारी खेल मे नहि फँसय, जरुरत एकर छैक जे विकास केर मुद्दा पर चुनाव मे हार-जीत हो।