१९ जनवरी २०२१ – मैथिली जिन्दाबाद!!

एहिना हँसैत रहैत छलाह नार्मदेय – बहुत दर्द घोंटिकय रहैत छलाह प्रणव
काल्हि १८ जनवरी २०२१ सन्ध्या साढे ५ बजे करीब काशी मे उपचाररत कवि प्रणव नार्मदेय केर दुखद निधन भऽ गेलनि। सोशल मीडिया मे ई खबरि समस्त मैथिली साहित्य जगत केँ मर्माहत कय देलक आ देर राति धरि लोक अपन-अपन स्मृति आ कवि नार्मदेय केर मार्मिक रचना सभ शेयर करैत हुनका श्रद्धाञ्जलि समर्पित करैत देखेलाह। सब सँ पहिने ई समाचार नवारम्भ प्रकाशनक संचालक आ साहित्यकार संगहि प्रणव नार्मदेय केर साहित्यिक आ वास्तविक जीवन मे अत्यन्त समीप रहनिहार व्यक्तित्व अजीत आजाद फेसबुक स्टेटस सँ देलनि आर तदोपरान्त त लगभग सब कियो हुनका श्रद्धाञ्जलि दैत देखेलाह।
अजीत आजाद द्वारा देल गेल बाकी अपडेट सँ पता चलैत अछि जे प्रणव नार्मदेय पिछला एक मास सँ काशी स्थित अस्पताल मे इलाजरत रहथि। वरिष्ठ साहित्यकार धीरेन्द्र प्रेमर्षि द्वारा शोक सन्देश दैत ईहो कहल गेल अछि जे ओ लीवर कैन्सर सँ संघर्ष कय रहल छलथि। समग्र मे मैथिली केर एक चर्चित युवा कवि प्रणव नार्मदेय बहुत अल्पावस्था मे एहि इहलोक सँ विदाह भऽ सब केँ दुःखी कय परलोक सिधारि गेलथि। सारा मैथिली साहित्य जगत हुनकर अभाव केँ महसूस कय रहल अछि। मैथिली जिन्दाबाद केर तरफ सँ विनम्र श्रद्धाञ्जलि!!

प्रणव केर हस्तलिखित नोट
अनकर पापक तील-चाउर कहिया धरि बहतै

प्रणव नार्मदेय केर प्रकाशित पोथी – विसर्ग होइत स्वर
ई सत्ता सँ सत्ताधीशक अनुबन्ध भेलैए

श्री अजित आजाद व अन्य साहित्यकार संग प्रणव नार्मदेय केर लास्ट वीडियो चैट – दिनांक १७ जनवरी २०२१
१५ जनवरी १९७८ – मदन कान्त झा एवं नर्मदा झा, ग्राम – हरिपुर मजराही (कलुआही), मधुबनी जिला केर पुत्र केर रूप मे एहि धराधाम मे आयल छलाह प्रणव नार्मदेय । बहुत कम समय मे कइएक उपलब्धिमूलक कार्य मैथिली भाषा आ साहित्य लेल कय गेलाह । हुनकर कतेको रास कथा, निबन्ध, कविता, गजल आदिक विभिन्न पत्र-पत्रिका सब मे प्रकाशित होइत रहल अछि । हुनकर अपन लिखल रचना संग्रह पुस्तक रूप मे ‘विसर्ग होइत स्वर’ नवारम्भ प्रकाशन द्वारा प्रकाशित भेल छन्हि । हाल किछु वर्ष सँ मधुबनी मे अपन निजी रोजगार करैत जीवनयापन करैत छलाह । ताहि सँ पहिने किछु वर्ष ओ कतारदेशक राजधानी दोहा मे वैदेशिक रोजगार मे कार्यरत रहलथि । दोहा (कतार) मे सेहो साँझक चौपाड़ि नामक साहित्यिक कार्यक्रम केर संयोजन मे विन्देश्वर ठाकुर व अन्य मैथिली सृजनकर्ता लोकनिक संग सक्रिय रहलाह । दोहार सँ प्रकाशित ‘परदेशी आखर’ केर सम्पादन सेहो ओ करैत रहथि । ई एकटा त्रैमासिक पत्रिका थिक मैथिलीक । साहित्य आ कला मे काफी रुचि छलन्हि । तबला वादन सेहो करैत रहथि । हुनकर रचना मे एकटा अलग वैशिष्ट्य आ धार देखल जाइत – विज्ञ आ मर्मज्ञ अक्सर यैह बात कहल करथि ।