प्रिय पंकज बाबू केँ जन्मदिन पर प्रवीण शुभकामना
हमर सपना रहल, अछियो, मिथिला केर सब विभूति केँ ताकि लेब आ जोड़ि लेब। प्रो. विद्यानन्द मिश्र केर अविस्मरणीय उक्ति सँ भेटल प्रेरणा जे मिथिला केर वर्तमान दयनीयता के कारण एतुका विद्वान व विदुषी तिल तिल में बिखैर गेला अछि, निज मिथिला भूमि सँ रहितो कियो कतय, कियो कतय, आर समग्र रूप में ओ लोकनि आ मिथिला बीच के अन्तर्सम्बन्ध तेँ छितरायल अवस्था मे अछि, जा धरि गुड़ के पाक में तिल केँ गूथि तिलवा (लड्डू) नहि बनत, मिथिला शिथिला लगबे करत। ओ विद्वान/विदुषी सेहो एकाकीपन आ रिक्तता केर झमार में बिना मैथिल मिथिला पहिचान केर रहता/रहती, एम्हर मिथिला सेहो भरल-पुरल रहितो रिक्त आ अवहेलित रहत।
कोनो सच्चा मिथिला सपूत लेल विद्यानन्द बाबूक ई ओजपूर्ण सम्बोधन मनोमस्तिष्क केँ छू देत, हृदयंगम भले थोड़ करय। प्रवीण केँ ई सूत्र देलक, मानू महादेव स्वयं डमरू बजबैत पाणिनी केँ जेना महेश्वर सूत्र देलनि! बस, एके महीना बाद तिल सब समेटय लगलहुँ। साईंधाम दिल्ली सँ आरम्भ भेल मैथिली महायात्रा आ 2015 राजघाट (महात्मा गांधी स्मारक स्थल) पर आयोजित ‘आकाश तर बैसकी’ (कवि सम्मेलन) में प्रमुख अतिथि केर रूप में भेटि गेलाह साक्षात जीवित विद्यापति, हँसमुख चेहरा, मृदुलता सँ भरल वाणी, सूर्य समान दमकैत उपस्थित भ गेलाह पूज्य विद्वान डॉ पंकज मिश्र सर। दिल्ली विश्वविद्यालय केर प्रतिष्ठित संस्थान सेन्ट स्टीफेंस कॉलेज केर प्राध्यापक, आकाशवाणी समाचार केर महान चर्चित वाचक (संस्कृत), कुशल विचारक, राष्ट्रक उन्नति लेल कतेको महत्वपूर्ण स्थान पर सलाहकार, अग्रजो आ समतुरियो… मूलग्राम सहरसा के चैनपुर सम्भवतः, ताहि दिनक हमर अतिप्रिय अमित आनन्दक माध्यम सँ जुडिकय भेंट दय कृतार्थ कयलाह, बाद में बहुत सत्संग समयाभाव केर कारण शायद ओ हमर नसीब में नहि देलनि, तथापि हमर मोन आ हृदय सँ उचाट त नहि भ सकैत छथि, से रहलथि, रहबो करता, हुनकर आइ जन्मदिन थिकन्हि फेसबुक जस्ट कनिकाल पहिने कहलक आ लिखय लगलहुँ शुभकामना, जेकरा प्रवीण शुभकामना कहल जाइछ।
सर केर जीवन एहिना व्यस्त रहय, मस्त रहय, कथमपि त्रस्त नहि हुए भले कोरोना आबय कि फोरोना! जेहने हँसमुख आ सक्रिय भूमिका केर जनतब प्रथम भेंट में देलनि, पुनः मण्डनधाम केर विद्वत सम्मेलन में देखलहुँ, बस वैह स्फुरणा बनल रहनि आ मातृभूमि संग मातृभाषा प्रति सेहो अपन योगदान अवश्य करथि, यैह शुभकामना अछि। भगवती दहिन रहथि आ कनिकाल लेल सही, हेलो-हाय हमरो सभक संग जरूर करथि। आर की? आब त मोदियो जी केँ कतेक मन्त्र कान में फुकि देने हेथिन! मिथिला लेल सेहो कनी किछु कहियौन सर!😊
बाकी कुशले कुशल!
हरि हर!!