सरदार पटेल या नरेन्द्र मोदीक खोज मिथिला लेल जरूरी (विमर्श)

एक जरूरी विमर्श – विद्वानक सहभागिता वांछित

सन्दर्भ – मिथिलाक आर्थिक विकास मे उद्यमशीलताक भूमिका 

मैथिली मे संचारकर्म केर धर्म केँ निभबैत, विद्यमान समाज मे मिथिला प्रति चिन्तन-मनन केँ निरन्तरता देबाक लेल आजुक ई विमर्श अछि। एहि मे रुचि रखनिहार तथा उपयुक्त योग्यता सँ योगदान देनिहारक सहभागिता मात्र जरूरी अछि। सर्वप्रथम ध्यानाकर्षण आ अपनेक जवाब एहि दुइ विन्दु मात्र पर चाहब –१. जनक-जानकीक मिथिला केँ जोड़यवला तत्त्व आजुक परिस्थिति मे कि सब छैक?२. मिथिलाक प्रत्येक जिलावासी (चाहे नेपाल आ कि भारत) मे मिथिला प्रति समान जुड़ाव उत्पन्न करबाक साधन कि सब छैक?काल्हि एकटा आन्तरिक विमर्श मे हम सब किछु गोटे माथा खपा रहल छलहुँ। सभक जानकारी लेल काल्हिक विमर्श शेयर करब जरूरी आ आवश्यक सेहो बुझैत छी। कनेक समय खर्च कय सन्दर्भित विमर्श पर गौर करू। साउथ अमेरिका सँ भारत धरि अपन बिजनेस तथा उद्यमशीलताक मूल धर्म निर्वाह करैत एक सुस्थापित मैथिल चेहरा – मिथिला रत्न श्री अजय झा अपन एक प्रकाशित विचार (तीरभुक्ति, अक्टूबर-दिसम्बर २०२० अंक) संग एक अत्यन्त महत्वपूर्ण विषय रखलाह, ओ लिखलनि –“विश्व भरिक मैथिल कें मिथिलाक जागरूकता प्रति एकटा सामाजिक क्रांतिक संभावना देखा रहल अछि। मिथिला कें सबसँ पैघ (तात्कालिक) जरूरत एक Role Model केर छैक जे कोनो सरकार वा राजनीति सँ नहि बल्कि उद्यम आ उद्यमिता क्षेत्र सँ आबय। जेकरा मे कोनो लोभ वा पद केर ईच्छा नहि हो मुदा मिथिला प्रति सम्पूर्ण समर्पण हो और विद्यमान विकृति सँ जूझय मे समर्थ हो।”श्री अजय बाबू अक्सर अपन लेख-रचना तथा विचार सोशल मीडिया मे सेहो रखैत छथि आर वक्ता सेहो बेजोड़ छथि ओ। हम हुनका अहमदाबाद केर अन्तर्राष्ट्रीय मिथिला महोत्सवक महत्वपूर्ण सत्र मिथिलाक समग्र विकास लेल आजुक परिस्थिति मे उद्यमिता विकास केर आवश्यकता विषय पर चर्चा मे सुनने रही। ताहि सँ पहिने सेहो अहमदाबादे मे आयोजित एक अन्य उद्यमिता सँ जुड़ल चर्चहि मे आनलाइन सेहो सुनने रही। बहुत निर्भीक आ सटीक विचार राखल करैत छथि। मातृभूमि प्रति हुनका मे बहुत रास चिन्तन आ कर्तव्यनिर्वहनक बोध सेहो छन्हि। १७म् अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन विराटनगर द्वारा हुनका मिथिला रत्न सँ सम्मानित करबाक भावना आयोजक-संयोजक रूप मे जे हमरा अन्दर जागल छल तेकर मूल मर्म सेहो हुनक समर्पण आ चिन्तन संग सेवाभाव देखियेकय भेल छल। संयोगवश अजय बाबू स्वयं त उपस्थित नहि भेलाह, मुदा हुनक मूलपुरुष यानि जननी (माताश्री) जे स्वयं एक टीचर्स ट्रेनिंग कालेज केर प्राचार्या रहि चुकल छथि ओ आ अजय बाबूक श्रीमती तथा बेटीक संग सम्मेलन मे उपस्थित भऽ अजय बाबूक सम्मान ग्रहण कएने छलीह। एहि अवसर माताजीक किछु उद्बोधन सेहो सुनबाक अवसर सम्मेलन केँ प्राप्त भेल छल। बाद मे परिचय विस्तार सँ पता लागल जे अजय बाबू एक विद्यावान परिवारक सपूत छथि आर भरि परिवार मे कतेको आईएएस व राष्ट्रक सेवा मे समर्पित उच्चस्तरक व्यक्तित्व सब भरल छथि। हमरा बड़ नीक लगैत अछि जखन-जखन मिथिलाक एहि तरहक प्रतिष्ठित परिवार केँ हम सुमिरबाक काज करैत छी, मानू जे गंगा मे स्नान करैत छी तेहेन आत्मानुभूति भेटैत अछि। अजय बाबूक उपरोक्त कथन पर कनीकाल विचार कयलहुँ, सोचलहुँ जे सर केर कहब त बहुत उपयुक्त अछि, लेकिन आजुक परिस्थिति त मिथिला लेल बड़ा प्रतिकूल सेहो अछि। मिथिला जानि-बुझिकय वर्तमान सत्ता-संचालक लोकनि द्वारा कतहु ‘मिथिलांचल’, कतहु ‘कोसी’, कतहु ‘बज्जिकांचल’, कतहु ‘तिरहुत’, कतहु ‘सीमांचल’, कतहु ‘अंगिकांचल’, कतहु ‘मध्य मधेश’, कतहु ‘कोच मधेश’, कतहु ‘भोजपुरी मधेश’ – अंग-भंग कय केँ टुकड़ा-टुकड़ा मे चिन्हल जाइत अछि…. भाषा मैथिलीक हिसाब सँ सेहो मिथिलाक परिचिति केँ न्युनाधिक खन्डिते कय देल गेल अछि, कारण जे आजुक राजनीतिक षड्यन्त्रकारी सब भाषा सेहो जाति केर हेबाक तगमा पहिरा देलक आ मैथिली भाषा सेहो बाभन-काइथ केर भाषा कहि बहुजन (बहुसंख्यक) सर्वहारा समाज केँ फर्क बोलीक आधार पर विखन्डित करबाक कुचक्र मे मिथिला केँ फँसा देलक। तथापि, फेसबुक (सोशल मीडिया) मे मिथिला-मिथिला रटनिहार हमरा सभ सन किछु दीवाना लोक केर कारण मिथिला भारत मे ३० जिलाक आ नेपाल मे कुल ११ जिलाक अछि। मैथिलीक विभिन्न बोली रहितो समग्रता मे सबटा मैथिली छी, से हम आ हमरे समान सोच आ अध्ययन रखनिहार विरले लोक सेहो बुझिते छथि। भूगोल आ भाषा दुनू मिथिलाक अवस्थिति भले दुइ राष्ट्र मे, लेकिन देखबैत अछि। चिन्तन आ मनन मे ‘मिथिला’ यैह थिक से बुझल जाइत अछि। मुदा अलग-अलग क्षेत्रक लोक मे मिथिला प्रति वितृष्णा छोड़ि जुड़ाव केर आधार अत्यल्प नजरि पड़ैत अछि। तेँ उपरोक्त दुइ गोट महत्वपूर्ण विन्दु पर ध्यानाकर्षण कएने छी। अजय बाबू सँ सेहो हम पुछलियन्हि – “एहि तरहक प्रस्ताव पर विचार करय लेल एकटा ठोस कार्यसमिति आ समस्त मिथिलाक प्रतिनिधित्व करयवला कोनो ठोस संगठनक जरूरत छैक। अपनेक नजरि मे कोनो संगठन अछि की? आर एकरा लागू करबाक कोनो रोडमैप सेहो सोचलियैक सर?”अजय बाबू जवाब देलनि, “नहि सर, मिथिला सोच-विचार करऽ में बहुत विश्वास करैत छैक। समय केर मांग आब बस “करऽ” केर छैक। लकीर सँ हँटि किछु नव एवं उपयोगी क्रांति केर जरूरत अछि जेकरा लेल कोनो Road Map नहि, मिथिला केर सामूहिक Brain Map करऽ के जरूरत छैक । हमरा नजरि मे समय स्वयं विकल्प दैत छैक। ताहि लेल Time, Place & Person पर नजरि राखू एवं क्षमता अनुकूल योगदान करू। मनीष जी सँ दू दिन पूर्व भेट भेल। मिथिलाक बदलैत परिदृश्य सँ साक्षी होयबाक मौका भेटल।”विमर्श एतय सँ आरम्भ भेल। मिथिलाक एक महान चिन्तक आ योजना निर्माण केर एक्सपर्टाइज रखनिहार व्यक्तित्व श्री अनूप कुमार झा सेहो अपन विचार रखैत कहलथि, “यौ रोडमैप बनेने छी, मुदा आदित्य झा सीतामढ़ी सँ छथि, अजय बाबू आओर मनीष जी मधुबनी सँ छथि, दुनू जिला आर्थिक क्षेत्र मे बड्ड पाछू अछि। विचार यदि फार्मा सेक्टर सँ करी त संपदा नारायण सिंह, सुजीत कुमार सिंह, महेंद्र प्रसाद सिंह, श्री निवास प्रसाद गुप्ता आदि फार्मा टाइकून छथि बिहार सँ। हिनका सभ द्वारा अपन क्षेत्र मे निवेश की? बिहार में? शून्य। बिहारक सामाजिक ढांचा केँ ध्यान रखैत आर्थिक प्रारूप बनायब त चलत। प्रवीण बाबू मैक्रो इकोनॉमिक्स के बात करैत छथि, विचारय के बात कहैत छथि। कहबाक अर्थ charity begins at home, फेसबुक मे हमरा सँ बेसी एक्टिव सभ गोटेक change Agents के छथि मिथिला मे? आओर बिहार मे? सूक्ष्मता सँ अध्ययन केने छी। एम्हरे एक साल सँ रुकल छी। या कोरोना बुझू या Geriatric care बुझू। Road Map तैयार अछि। इनोवेटिव एप्रोच भी अछि। कनेक सब्र राखू।”अनूप बाबू आ अजय बाबू दुनू गोटे पास विश्वसनीय आधार छन्हि। पूँजी निवेश सँ लैत फीजिबिलिटी अध्ययन केर आ उद्यमशीलताक प्रत्येक अवयव पर पकड़ सेहो छन्हि, गट्स सेहो छन्हि, ई सब जे चाहता से कय सकैत छथि। एहि मे कतहु सन्देह नहि। लेकिन विमर्श मे बाते टा बेसी हो आ ठोस काज नहि देखाय त स्वाभाविक छैक जे नैराश्यता प्रवेश करतैक। फिलिपीन्स मे कार्यरत आईटी मैनेजमेन्ट पर्सनेल आ मिथिलाक एक अभूतपूर्व हितचिन्तक कार्तिकेय मैथिल सहसा निराशाक गोटेक अवयव रखैत विमर्श मे प्रवेश करैत देखेलाह। ओ अनूप बाबू केँ सम्बोधित एक टिप्पणी लिखलनि, “ध्यान दी… अपनेक एहि लिस्ट मे एहेन बहुत सफल व्यक्तित्व के नाम नहि अंकित छन्हि, ख़ासकय जे फ़ेसबुकिया व्यापारी नहि छथि..। ओ सब विद्यापति, मिथिला-मैथिली केर आड़ मे व्यापार नहि करैत छथि..। आयडेंटिटी क्राइसिस, ग्रुप संग कमीशन बाज़ी और पाग-दोपटा प्रेम केर शिकार नहि छथि…। सब सँ पहिने एक टा मैथिल सरदार पटेल सन व्यक्तित्व केँ ताकी, जिनका नेतृत्व मे सब विशुद्ध आ वास्तविक रूप सँ सफल बिज़नेस व्यक्तित्व केँ एक करथि..। @Rajkishore Jha, एक टा ब्रेन्स्टॉर्मिंग सेशन अहि विषय पर करी..।”अनूप बाबूः प्रतिष्ठा के विषय नहि बनबियौक। case जटमलपुर, case विसनपुर – जलवायु आ माटि मे फर्क नहि, जटमलपुर मे कोनो चर्चित व्यक्ति नहि, विसनपुर मे चर्चित व्यक्ति बड्ड – आर्थिक विश्लेषण बुझि सकैत छी। जटमलपुर मे अग्रि समृद्धि, विसनपुर सर्वाधिक पिछड़ाग्रस्त। हमरा गप्पे मात्र करय नहि अबैत अछि। फैक्ट फिगर राखैत छी। मनीष बाबू पहिने सँ लिस्ट मे छथि। एक स्टार्टअप हमर दिशा निर्देश मे पूर्वी भारत मे एकमात्र पुरस्कृत अछि। कहबाक मतलब जे हमरा पास टैलेंट अछि, लेकिन हम सब स्वयं महत्व नहि दैत छियैक। मनीष जी, राजकिशोर जी, सुबोध जी, कार्तिकेय जी छथि। समस्या केर समाधान भेटक चाही।कार्तिकेय मैथिलः यदि हम आर स्पष्ट कही त.. हमरा अनुभव के आधार पर @अनूप भैया अपने और अहाँ सन किछु आर व्यक्तित्व पूर्ण रूप सँ फ़्रंट पर आबिकय लोक केँ जोड़य के कोशिश कय रहल छी …। ई बहुत सार्थक प्रयास अहि..। लेकिन एहेन बहुत लोक़ सब फ़ेसबूक प्लेटफार्म पर मजबूरी मे आ दिखावटी ऐक्टिव सहो छथि जे सोशल मीडिया पर बहुत बड़का बड़का सिद्धांतवादी बात करय छैथ.., मुदा वास्तविक जीवन मे किछु आर..। पारस्परिक सम्बन्ध प्रबंधन मे पारदर्शिता बिल्कुल नहि छन्हि..। सम्बन्ध स्थापित केर प्रारम्भिक चरण मे बुझायत जे भगवान केर दर्शन भऽ गेल, लेकिन धीरे धीरे वास्तविक सत्य के पता चलत..। बिना ढंग सँ जनने-बुझने किनको प्रति क़ोनो विचार नहि बनाबी..। उदाहरण— यदि अहा कहबइ जे फ़ल्लाँ बाबू नीक छथि त ओ कहता जे नहि-नहि, ओ ख़राब छथि..। लेकिन कनी दिन बाद अहाँ देखबइ जे ओहि फ़ल्लाँ बाबू के सामने वैह कहता जे अहाँ त बहुत नीक आ सफल छी..। मतलब कोनो मानवीय सिद्धांत नहि.., सिर्फ़ और सिर्फ़ एक दूसरा के नीचाँ देखेनाय…। Nevertheless हमर ई अनुरोध रहत कि एक टा नीक अराजनैतिक मैथिल सरदार पटेल सन व्यक्ति केँ empower करी जे सब मैथिल रियासत केर एक टा दिशा निर्देश आ सकारात्मक ढाँचा में बांधथि..। अनूप बाबू: कार्तिकेय जी, के कि करैत छथि ओहि पर नहि जाउ। हमरा सभक एहि ग्रुप मे सार्थक लोक सब छथि, हुनका लय के चलियौ। अजय बाबू बड्ड प्रयास करैत छथि मिथिला लेल। मनीष जी बड्ड मेहनत केलाह। कियैक नहि हेतैक काज – कहबाक अर्थ एतबे। अगर सभ गोटे विमर्श करी, एक्शन प्लान मे बदली त संभव अछि। देखियौ, फैक्ट और फिगर्स केँ ध्यान मे राखय पड़त। कार्तिकेय मैथिल: जी..! हमहूँ सैह कहि रहल छी। उद्देश्य प्राप्ति हेतु जाहि टीम केर निर्माण मे हम सब लगल छी ओहि टीम केर स्वरूप आ निर्माण मे बहुत गहनता सऽ अध्ययन करी..। फ़ैक्ट्स और फ़िगर केँ बिलकुल ध्यान मे राखी लेकिन फ़ेसबुकीया फ़ैक्ट्स नहि.., वास्तविक फ़ैक्ट्स और फ़िगर केँ इवैल्यूएट कय केँ टीम चुनी। अनूप भैया, एक टा चीज़ और! फ़ैक्ट्स और फ़िगर केर सोर्स और आधार फ़ेसबूक परका पोस्टिंग कदापि नहि हो, अन्यथा टीम त बनि जायत पर दोसर वला बनत, जाहि मे चुनाव चिन्ह केर ज़रूरत पड़ि जायत..। अनूप बाबू: यौ, अहाँक विचार उचित। प्रवीण जी निर्यात सलाहकार छथि, राजकिशोर बाबू HRD में महारत छथि, मनीष बाबू स्टार्टअप केँ गति द देने छथि, मणिकांत बाबू एहि ठामक यूनिट केर Accelerator छथि, बस सकारात्मक रहय के अछि। बदलाव होयत।कार्तिकेय मैथिल: पारदर्शिता और सकारात्मक टीम समूह केर सोच केँ रेस्पेक्ट भेटबे करतय..। Authenticated फ़ैक्ट्स और फ़िगर के आधार पर अपनेक सूची मे mentioned नाम और एक्स्पर्टीज़ पर क़ोनो प्रश्न नहि..। जी ई सब अपना क्षेत्र मे पारंगत छथि। लेकिन अप्पन समूह केर उद्देश्य केँ ड्राइव केना ई सब करता ताहि मे हमर रुचि रहत। किसी को छोटा नहीं समझो इस जमाने में, छोटा सा कपड़ा मास्क बनाकर लाखों बिक रहे हैं। अच्छे कपड़े शोरूम मे ग्राहकों का इंतजार कर रहे हैं….। राधे राधे!!अनूप बाबू: आइ के वार्ता सार्थक, अजय बाबू Brain maps के जरूरत कहलनि, यानी soft Skills संगहि अहूँक संवेदनशीलता सराहनीय रहल। निवेदन करबनि सभ गोटे सँ जे एहि पर वेबिनार करियौ, नीक रहत। अजय बाबू केँ हमरा तरफ सँ पुनः बधाई, नीक लागल। संजय झा व आदित्य झा दुनू गोटे स भेंट अछि, प्रेरित भेलहुँ। ई समूह सप्तरंग अनुमंग छथि, तेकर अपने खूबी, कोनो संदेह नहि, बस ओपन माइंड स काज करय के अछि।कार्तिकेय मैथिल: हम सब सदस्य एकजुटता स ग्रुप केर उद्देश्यक प्रति समर्पित रही। अप्पन नाम आ व्यक्तिगत बिज़नेस केँ चमकाबय स बेसी ध्यान आ मार्केटिंग अपना ग्रूप के विज़न आ मिशन के पूरा करय मे करी। प्रवीण (हम) – कार्तिकेय जी फेसबुक सँ काफी आहत बुझा रहल छथि। क्रांतिक दोसर विकल्प में सरदार वल्लभ भाई पटेल ताकि रहल छथि। जे तकबाक भार लेल टीम वर्क करय चाहि रहल छथि। तखन पहिने सरदार हुनकहि कहल डिजाइन केर ताकब आ फेर शेष काज करब। स्टार्टिंग पॉइंट यैह राखू।हमर व्यक्तिगत अनुभव त फेसबुक केँ धन्यवाद दैत अछि, नहि त मिथिला त लिटरली खत्म भ चुकल छल, मैथिली सेहो घरो सँ भागि चुकल छल, निजता सँ आत्मसम्मान बढ़बाक बदला हीनताबोध केर शिकार भ गेल छल मिथिला समाज।आर आर्थिक विकास व उद्योग धंधा, व्यवसाय, बाजार, व्यापार में मिथिला यथार्थतः केकरो सँ पाछू कम सँ कम बिहार में नहि अछि। प्रति व्यक्ति आय आ संरचनात्मक विकास, सब किछु आगू अछि। अफसोस जे राज्य द्वारा प्रदत्त योजना जेना बियाडा द्वारा अधिग्रहित जमीन पर उत्पादकता अपेक्षा अनुसार नहि बढ़ि सकल अछि। रोजगार गारंटी करयवला उद्योग आ निवेशक खुलिकय एकर उपयोग नहि कय दबंग द्वारा जमीन कब्जा कय केँ अनुत्पादक ढंग सँ अड़का देल गेल अछि। त निश्चित सरदार पटेल भेटता त कहीं बिहार सरकार आ दबंग सब डेरायत!अनूप बाबूः (प्रवीण सँ) अपनेक उचित तथ्य देलहुँ। अपनो भाखा जीवंत रहनाइ जरूरी, नहि त जियय के कोनो अर्थ नहि। फेसबुक केर भूमिका नीक आ समीचीन सेहो रहलैक, मुदा आर्थिक विवेचना कतेक भेलैक ई सोचय वला विषय छी। डॉ0 कुमार पदमनाभ जी केर अनुसार मैथिल तेजी सँ अग्रसर अछि से हमर सभक प्लस पॉइन्ट अछि। कार्तिकेय मैथिल: (प्रवीण सँ) प्रणाम भैया, फ़ेसबूक स आहत बिलकुल नहि छी.. लेकिन फ़ेस्बुक पर स्वघोषित विद्वान आ उद्योगपति केर अर्टीफ़िशियल रूप केँ अनुभव कय हम आहत छी..। ग्रुप केर उद्देश्यक प्रति समर्पण देखाबक चाही नहि कि अपन निजी नाम और प्रोडक्ट के। जी, अपना मिथिला के रेप्रेज़ेंटेशन हेतु एक टा सरदार पटेल सन इंटिगरेटर के आवश्यकता अहि.. और एहि ज़रूरत आ विषय पर सब मिलिकय चर्चा करी। प्रवीण: मिथिला लेल संचारकर्म सेहो नहि जियैत अछि, आ नहिये कन्वेंशनल मॉड के मीडिया मिथिला आधारित तथ्यांक प्रस्तुत करैत अछि…. कनेक मनेक साहित्यिक संचार जियैत अछि, सेहो कार्तिकेय जी सहित हम-अहाँ स्वयं अपने कतेक ओकर उपयोग प्रयोग करैत छी से कहब त लज्जित भ जायब सब गोटे। तखन सरदार पटेल किछु कय सकता कार्तिकेय जी? कल्पना बेजा नहि अछि। प्रैक्टिकली केना हेतैक से सोचियौ। सेल्फ एडवरटाइजिंग आजुक संसार थिकैक, पीएम मोदी समान पॉवरफुल लीडर केँ पर्यन्त होर्डिग बोर्ड्स पर भारत के प्रत्येक पेट्रोल पंप पर लगा देलक। अहाँ स्वयं मैनेजमेंट पर्सनेल छी।कार्तिकेय मैथिल: भैया, कनी ई कहु जे किछु मैथिल भाइ सब स्वघोषित साहित्यकार बनिकय समाज मे अप्पन मार्केटिंग कय रहल छथि और समाज केँ ज़ोड़बाक प्रयास केर अर्टीफ़िशिल रूप सँ अप्पन मित्र सूची केर लोक केँ लाइक/कॉमेंट हेतु दर्शा रहल छथि.. ओ वास्तविक जीवन मे अपना परिवार. दियाद, समाज आ माता पिता तक सऽ ढंग सँ नहि जुड़ल छथि..। आदर्श समाज केर निर्माण सिर्फ़ वेह कय सकैत अछि जे हर रूप मे सामाजिकता केर महत्त्व प्रैक्टिक्ली बूझैत होइ। फ़ेसबुक केर फाँकी सँ किछु नहि हेतैक। हमहूँ त सैह कहलउ जे एक टा कुशल नेतृत्व केर तलाश करी (चाहे मोदी सन या पटेल सन)। और ओहि नेतृत्व मे विश्वश राखी और ओहि व्यक्ति विशेष लीडर के हम सब सपोर्ट करी। वर्तमान मे मिथिला केँ स्ट्रोंग रेप्रेज़ेंटेशन हेतु कोन चेहरा छथि? हम सब उपमुख्यमंत्री वाला चर्चा मे एहि केर तलाश मे रही और फ़िलहाल ओहि के एखनहुँ ज़रूरत अहि। ब्रेन स्ट्रोमिंग सेशन हेतु हम प्रस्तावना द चूकल छी..अहि विषय पर विस्तार में चर्चा के आवश्यकताअहि। हम सब अपन मिथिला के हित हेतु एक टा मोदी या पटेल ताकी। हमहूँ सब ओहि चेहरा केँ होर्डिंग आ आत्मा में स्थान दय सकी।

राजकिशोर सर: प्रवीणबाबू, अजय बाबू, अनूपजी आ कार्तिकेयजी, अहाँ सब मुख्य रूपसँ कैल्हुक विमर्शमे सहभागी छलहुँ। सबहक भाव नीक अछि आ मंशा सेहो जे मिथिलाक विकास होमय।

हमर पॉइंट ऑफ़ व्यू:

1. विश्वसनीयता विचारक अभिव्यक्तिसँ संभव नै छै। ओ अहाँक व्यक्तित्वक रिफ्लेक्शन होईत अछि जकर यात्रा अबोध कालसँ शुरू भ’ जाइत छै।
2. Say:Do मे अंतर एकरा संबल नै होमय दैत छै।
3. चाही जे से स्वयं करी चाहक राह अनंत – 25-30 वर्ष पूर्व कमलाबाबूक मंचीय उद्बोधनमे ई सुनने रही मुदा ओकर मतलब आब समझ आबि रहल अछि।
4. सफल हेबाक वा सफलता पएबाक लेल अपन संस्कार आ संस्कृतिकेँ नीचा देखा क’ किछु हासिल नै क सकैत छी। No development or success is worth unless it helps preserving human/social values, culture and prosperity. सरदार वा जाट कहियो अपन पगड़ी के विकासक दुश्मन नै मानत मुदा अपना सब ओकरे पर आक्रमण/दुष्प्रचार कय सफलताक सीढ़ी पर चढ़ब। हमरा सबकेँ सहि उदाहरण आ तुलना अनवरत समाज मे पेश करबाक चाही।
5. यदि हम कोनो सोच या विचारधारा के प्रति संकल्पित छी त’ ओकर इम्प्लीमेंटेशन आ ओकर सिद्धि हेतु नेतृत्व करबाक जिम्मेवारी सेहो लेबय परत।
6. विचार, संचार आ कार्यप्रणाली मे consistency आ तालमेल जरूरी।
7. अपना सबकेँ डिलीवरी स्किल केँ विकसित केनाई अति आवश्यक। एक सँ एक नीक आ समसामयिक विचार फ़ॉलोअप आ डिलीवरी बिनु बेकार भ’ जाईत अछि।

आशा अछि कैल्हुक चिंतन सार्थक मोड़ पर पहुँचत।

मिथिला केँ गाँधी एहन त्यागी चाही, सरदार एहन संकल्पित व्यक्ति चाही, मोदी एहन विज़नरी चाही आ अमित शाह एहन सांगठनिक शक्ति चाही, अहमद पटेल एहन एडवाइजर चाही, हार्दिक पटेल सन क्रन्तिकारी चाही, टाटा-अंबानी-रुईया सँ उद्यमी आ पायनियर चाही….

लेकिन इहो सत्य जे मिथिलामे एहन संजोग भेनाइ मुश्किल आ गढ़नाई मुश्किल। तथापि आगू बढ़बाक संकल्प चाही।

प्रवीणः नीक ढंग सँ अपने निष्कर्ष ड्रा कयलहुँ आदरणीय राजकिशोर सर। आलेख मे ओकरा समेट देल। अपनेक एक लाइन – आशा अछि काल्हिक चिन्तन सार्थक मोड़ पर पहुँचत – यैह त चुनौती भेलैक। सार्थक पर पहुँचाबय लेल हम सब १०० शेयर १०० टका के लैत एकटा इनिशियल कैपिटल ठाढ करबाक काज तुरन्त आरम्भ कय दी। इनिशियल कैपिटल सँ जे कोष ठाढ होयत ओकरा सँ पब्लिक लिमिटेड इन्डस्ट्री अनूप सर केर फीजिबिलिटी स्टडी अनुसार आ हमरे सभक बीच सँ बोर्ड औफ डायरेक्टर्स सेहो बनाकय मैनेजमेन्ट करैत देखी जे हम सब लाभ कमाय योग्य बौद्धिकता रखैत छी या केवल बातहि धरि मे सीमित रहबाक। “मिथिला विकास कोष” – स्वैच्छिक योगदान सँ न्युनतम १०० शेयर १०० टकाक खरीद करैत एकटा अक्षय कोष ठाढ कयल जाय, जेकर उद्देश्य अन्तिम मे औद्योगिक विकास लेल पब्लिक लिमिटेड कम्पनीज केर स्थापना संग अर्जित लाभ सँ मिथिला समग्र विकास केर कार्य कयल जाय, संगहि स्टेकहोल्डर्स केर कैपिटल विथ प्रोफीट्स रिटर्न कयल जाय।

(विमर्श निरन्तरता मे….)

हरिः हरः!!