राष्ट्रीय जनगणना २०७८ नेपाल आ मैथिली सेवा समिति विराटनगर केर वृहत्-विचार-विमर्श कार्यक्रम

राष्ट्रीय जनगणना २०७८ नेपाल आ मैथिली सेवा समिति विराटनगर केर वृहत्-विचार-विमर्श कार्यक्रम मे प्रवीण विचार

६ जनवरी २०२१, जानकी सेवा सदन, विराटनगर मे ३ बजे सँ ६ बजे सम्पन्न कार्यक्रम मे राखल गेल विचारक प्रति निम्न अछिः

मैथिली सेवा समिति द्वारा आयोजित आजुक वृहत् विचार विमर्श कार्यक्रम जेकर उद्देश्य मैथिली भाषा, साहित्य, संस्कृति तथा कला संरक्षण-संवर्धन-प्रवर्धन केर अछि – ताहि मे उपस्थित समस्त महानुभाव विद्वान् बुद्धिजीवी, चिन्तक, विचारक, समाजक अगुआ आ भविष्य प्रति सचेत रहि समाज ओ समुदाय केँ सचेत रखनिहार व्यक्तित्व लोकनि मे प्रवीणक प्रणाम!

नेपालक जनगणना आबयवला भ गेल। जून 8 सँ 22 धरि, वैशाख 25 सँ जेठ 6 गते धरि घर घर सँ तथ्यांक संकलन कयल जायत। राष्ट्रीय जनगणना 2078 केर कुल 80 गोट प्रश्न जनही पुछल जायत। बहुत रास व्यक्तिगत जानकारी संग जातीय, धर्म व भाषा, शिक्षा आदिक बात पुछल जायत। जमीन, मकान, स्त्री, पुरूष आदिक जानकारी सब संकलित करैत देशक राज्य संचालनक दिशा दशा तय होयत जनगणना के आधार पर।

संचालक महोदय – श्री विपुलेन्द्र बाबू, महासचिव मैथिली सेवा समिति द्वारा देल गेल अभिभाराक मर्म केँ बुझैत सम्मानित सभा समक्ष समग्र मे सन्दर्भ आ प्रसंग केँ राखय लेल सम्माननीय संयोजक डा. योगेन्द्र प्रसाद यादव व अध्यक्ष डा. एस. एन. झा सँ आज्ञानुसार विन्दुवार बढय चाहब।

सर्वप्रथम जनगणना मे भाषाक सरोकार –

भाषा हर मानवक एकटा प्राकृतिक पहिचान होइत छैक। माय केर कोरा सँ जिम्मेदारीक बोझा धरि – आत्मा-परमात्मा सँ जन-गण-मन आ हाकिम-हुकुम धरि सँ जाहि माध्यम सँ लोक अपन सोच-विचार, बोल-वचन, ज्ञान-व्याख्यान अभिव्यक्त करैत अछि वैह कहाइत अछि भाषा। भूगोलक विशेष भाग मे विकसित ई भाषा आदिकाल सँ अनन्तकाल धरिक यात्रा करैत अछि। मूल भाषा सँ मूल वासीक मुख्य सरोकार संग बाहरी लोकक कब्जा, व्यवस्थापन, शासन, प्रशासन, शिक्षा, संचार, सरकारी कामकाज, आजुक समय मे फिल्म आदिक प्रभाव सँ मूलभाषा मे परिवर्तन, कोर दमन-शोषण कतेको तरहक प्रभाव, घटना, आदि होइत देखल गेल अछि। आइ खस भाषा केँ शिक्षा, सरकारी कामकाज, संचार, फिल्म, कलाक्षेत्र, आदि मे आन सब भाषा पर थोपिकय कोना प्रथम वर्ग आ द्वितीय वर्गक राष्ट्रियता स्थापित भेल से उदाहरण सभक सोझाँ मे अछिये। केहेन भयावह संघर्ष करैत उत्पीड़ण-शोषण सँ उन्मुक्ति आ अधिकारसम्पन्नता लेल संघीय लोकतांत्रिक गणतंत्र मे परिणति भेल सेहो सारा माजरा हमरा अहाँक आँखिक सोझाँ मे अछि। परिवर्तनक नींब कतेक मजबूत – कतेक कमजोर से एकटा अलग बहस केर विषय भऽ सकैत अछि, कारण ठीक सँ नव संविधान लागुओ नहि भेल आ राजनीतिक नौटंकी – अस्थायी व अराजक व्यवस्था सभक सोझाँ फेर ताण्डव शुरू कय देने अछि। मुदा, हम मैथिलीभाषी सहिष्णु आ सृजनशील समुदाय वर्तमान उद्वेलन केँ नौटंकी मात्र मानैत दीर्घकालिक व्यवस्था दिश स्वयं सजग रहबाक लेल आजुक ई महत्वपूर्ण वृहत् विचार-विमर्श मे सहभागिता जना रहल छी, आर एहि सौभाग्यपूर्ण सम्मेलन सँ अपन भाषाभाषी केँ आगामी जनगणना मे निज अधिकार आ सर्वोच्च महत्वपूर्ण ‘भाषिक पहिचान’ प्रति सजग रहबाक सन्देशक संचरण करय चाहि रहल छी।

सभक पहिचान केँ सम्मान लेल संघर्षक दशक पैछला ७० वर्ष सँ उल्टाकय देखला सँ नेपाल मे अस्थिरता साफ देखल जा सकैत अछि। बेर-बेर परिवर्तन होइत अछि, बेर-बेर लोकतांत्रिक मूल्य-मान्यता केँ पुनः एहि ठामक भविष्यनिर्माता स्वयं निर्माण आ स्वयं विनाश केर कार्य करैत देखा रहल छथि। एकर मतलब अछि जे भीतर आ बाहर – दुनू स्थान पर एक रंगक मानसिकता आ कि संकल्प नहि रहि ढुलमुल आ पेन्डुलम जेकाँ एक स्थान सँ दोसर स्थान, फेर दोसर स्थान सँ पूर्वक स्थान धरि हिलडोल टा कय रहल छी। लेकिन २१वीं शताब्दीक जनता आब १८-१९वीं या २०वीं शताब्दी जेकाँ भेंड़-बकरी जेकाँ चरवाहाक होहकारा पर चलत से बात नहि छैक। तेँ आजुक एहि कार्यक्रम सँ आमन्त्रित गणमान्य विद्वान् विचारक लोकनि द्वारा एहेन ठोस घोषणापत्र जारी करबाक ध्येय अछि जे सम्पूर्ण मैथिलीभाषी जनमानस केँ अपन भाषा, साहित्य, संस्कृति, पहिचान, कला सहित मानवीय आवश्यकताक सब पृष्ठभूमि प्रति सजगताक प्रसार करय। आर ई कार्य अपने सभक महत्वपूर्ण सुझाव संकलित करैत मात्र कयल जा सकैत अछि। एहि लेल आजुक ई कार्यक्रम नव इतिहास कायम करय तेकर शुभकामना। विचार करबाक आ विचार देबाक जे आजुक शीर्षक सब अछि तेकरा हम केवल शीर्षक मे एना बँटलहुँ अछि।

1. नेपालक जनगणना आ भाषिक सरोकार – विगत केर ९ जनगणना आ ओकर तथ्यांकक विश्लेषण-अध्ययन करैत आगामी दिन मे मैथिलीभाषी लेल जनगणना मे कोन-कोन बात पर सजग रहबाक जरूरत अछि, एहि विन्दु पर गम्भीरतापूर्वक विचार करैत अपन संख्या नेपाली पछाति दोसर सर्वाधिक बाजल जायवला भाषाक टैग कायम रखबाक लेल अपन पहिल भाषा ‘मैथिली’ अवश्य लिखाबी।

2. मातृभाषा आ मैथिली – नेपालक सर्वथा प्राचीन आ आधिकारिक भाषा, पूर्व मे काठमांडू सँ शासन पद्धतिक पर्यन्त हिस्सा ‘सरकारी कामकाजक भाषा’, महाकवि विद्यापति संग ज्योतिरिश्वर ठाकुर समान ऐतिहासिक महत्वक लेखक-साहित्यकार आ कालान्तर मे सिमरौनगढ, सप्तरी, बनौली, मोरंग, धनुषा, मूर्तिया, महिसौथा, सलहेश, दीना-भद्रीक भूमि समान अनेकों पुरातात्विक महत्वक ऐतिहासिक मिथिलाभूमि केर आधिकारिक भाषा मैथिली केर महत्व सर्वविदिते अछि। लेकिन शिक्षा आ सरकारी कामकाज सँ बाहर रहलाक कारणे वर्तमान मे विपन्नताक कगार पर ठेलल ‘मार्जिनलाइज्ड भाषा’ थिक मैथिली, जे नव संघीय नेपाल मे पुनः अपन मान आ मर्यादा वापस पाबय, गठित भाषा आयोग आ अध्यक्ष डा. लबदेव अवस्थी संग विद्वान् भाषा वैज्ञानिक डा. योगेन्द्र प्रसाद यादव, डा. राम अवतार यादव, प्रा. वासुदेवलाल दास, डा. सुनील कुमार झा, पं. ताराकान्त मिश्र सहितक अनेकानेक प्राज्ञ लोकनिक कर्मक्षेत्र मे रहल मैथिली प्रति जन-जन मे जागरण बनल रहय, एहि दिशा मे सब कियो जरूर सोची आ स्वर्णिम भविष्य लेल विचार दी।

3. भाषा आ बोली – विदित हो जे भाषाक मौखिक रूप अनेक होइत छैक, जेकरा सामान्य भाषा मे ‘बोली’ आ साहित्यिक भाषा मे ‘भाषिका’ कहल जाइत छैक। ३ कोस पर पानी बदले ४ कोस पर वाणी – माने जे पानि आ वाणी केर बदलैत रहबाक सिद्धान्त प्रकृति प्रदत्त रहलैक अछि। जाहि पर आयरिश विद्वान् डा. जार्ज अब्राहम ग्रियर्सन १८७५ सँ १९२८ धरिक लम्बा शोधकार्य संग भाषिक सर्वेक्षण मे मैथिली केर लगभग ७ टा प्रमुख बोलीक जानकारी लिंग्विस्टिक सर्वे अफ इंडिया मे देने छथि। नेपाल मे भाषा आर बोलीक सम्बन्ध मे सेहो कतिपय विद्वान् लोकनि अपन रिसर्च वर्क मार्फत भाषा आ बोलीक बीच केर अन्तर्सम्बन्ध पर उल्लेख्य चर्चा कएने छथि। कालान्तर मे विखंडनकारी सोच द्वारा भाषा आ बोली बीच झंझटि लगाकय विभाजित जनता सँ अपन हितसाधनक खतरनाक काज सेहो भेल, ताहि प्रति सचेत रहब आवश्यक अछि। औपचारिक-अनौपचारिक शिक्षा बिनु पेने लोक सब द्वारा कहियो भाषाक क्लिष्टताक नाम दय केँ, कहियो संस्कृतहि जेकाँ मैथिली सेहो कोनो खास वर्गक आरक्षित भाषा कहिकय, मैथिली केँ तोड़बाक कुचक्र सब कयले जाइत रहल अछि। एहि सब विन्दु पर सेहो बहुत सावधानीपूर्वक विचारिकय आमजन मे भ्रम समाप्त करबाक दिशा मे आजुक कार्यक्रम मे हम सब ध्यान केन्द्रित करी।

4. बोलीक नामपर कित्ता काट आ तेकर दुष्परिणाम – बोलीक नाम पर कित्ता काट केर खतरनाक खेल पहिने सँ मैथिली केँ कमजोर करैत रहल अछि। अंगिका कहिकय एकटा निश्चित भूगोल (भागलपुर, मुंगेर, खगड़िया, आदि) केँ मिथिला सँ अलग करबाक लेल मैथिली केँ तोड़ल गेल। बज्जिका कहिकय तिरहुत प्रमंडल क्षेत्र केँ भारत मे तोड़ल गेल, नेपालहु मे गौर-रौतहट आ बारा-पर्सा दिश मैथिली केँ तोड़ल गेल जे विगत केर जनगणना २०६८ मे ४% लगभग देखाय दैत अछि। तदापि मैथिली आइ संसारक २६म्, भारतक संविधानक अष्टम अनुसूचीक कुल २२ सूचीकृत भाषा मे एक सर्वथा प्राचीन आ सम्पन्न साहित्यिक भाषाक रूप मे आ नेपालक दोसर सर्वाधिक बाजल जायवला भाषाक रूप मे नेपाली ४४% पछाति लगभग १२% केर भाषा थिक। कित्ता काट कयल भाषा बज्जिका, अंगिका वा एतेक तक कि मिथिलाक्षेत्रक मुसलमान द्वारा उर्दू भाषी कहेबाक लिलसा मे केहेन दुर्घटना भेल अछि से आइ एहि भाषाभाषी समुदायक शिक्षा आ समग्र विकास संग साहित्यिक-सांस्कृतिक विकासक ग्राफ स्वतः कहि दैत अछि। भाषाक उत्थान समाजक उत्थान थिकैक, लेकिन भाषाक नाम पर स्वयं केँ अलग कय पिछड़ा सँ आरो बेसी पिछड़ा बनि गेनाय कतेक लाभप्रद छैक, नोक्सानदायक छैक, ताहि सब पर सभाक ध्यान जाय से आग्रह।

5. मधेश आन्दोलनक उपलब्धि आ हार या शासक वर्ग द्वारा क्रमिक रूप सँ दमन केर उदाहरण – मधेश आन्दोलनक उपलब्धि केँ दमन भेल सब जनैत छी। कियैक? जहिना मधेशीक संख्या केँ कतेको कुतर्क आ कुत्सित परिभाषा सँ तोड़ि-ताड़ि २०% सँ नीचाँ कय देल गेल, तहिना आब भाषिक पहिचान केर तौर पर नेपाली उपरान्त दोसर सर्वाधिक सशक्त भाषा मैथिली केँ खन्डित कय शासक वर्ग आ स्वयं भाषाभाषी मे किछु भटकल लोक कथित पिछड़ा वर्गक उत्थान लेल कार्य कयनिहार अभियन्ता कोना कुत्सित आ क्षुद्र कार्य सब कय रहल अछि ताहि दिशा मे गम्भीरतापूर्वक विचार करब आजुक एहि विचार-विमर्श कार्यक्रमक मुख्य हिस्सा हो सेहो मांग करैत छी। जँ टूटने केकरो कल्याण होइ त टूटिकय पहिने अलग भेलक हाल देखैत हुनका सब लेल उचित परामर्श देनाय बहुत जरूरी अछि। खासकय, एहेन अभियन्ता जे समाज मे जा-जाकय लोक सब सँ हुनकर जातिक नाम पूछि ई कहथि जे अहाँ फल्लाँ बड़का जाति जेकाँ नहि बजैत छी तेँ अहाँक भाषा मैथिली नहि, मगही भेल… जे मगही सर्वविदित तौर पर गंगा दक्षिण मगध क्षेत्रक भाषा थिक, ताहि नाम पर खिचड़ी पकेनाय… एहि तरहक विखंडनक खतरनाक परिणाम प्रति हुनका सब केँ आगाह करब बहुत आवश्यक बुझाइत अछि।

6. राष्ट्रीय परिवेश में बदलाव के क्रांति, राजनीति, अराजकता, आंतरिक षड्यंत्र आ अन्तिम (वर्तमान) राजनीतिक अवस्था के उदाहरण – वर्तमान राष्ट्रीय परिवेश राजनीतिक परिवर्तन केर संकेत पर अपने सब जरूर विचार करब। आखिर अति-राजनीति आ अराजक मांग कयला सँ परिणाम कतेक जल्दी उलैट जाइत छैक, एहि विन्दु पर सेहो सोचय जाउ। भाषिक पहिचान केँ जाति सँ जोड़िकय सरकारक मुलाजिम सब सँ गोटेक हजार आ गोटेक लाख टका भत्ता अपन एनजीओ मे पचेबाक लेल समाज केँ तोड़बाक दुष्परिणाम हमरा-अहाँ केँ कतय लय जायत, एहि सवाल पर चिन्तन जरूर हो।

7. क्रांतिक समय राजतंत्र केँ निरंकुश कहब आ फेर वैह राजतंत्र के सिफारिश करब, पुनर्मुसिको भव के स्थिति आ समीक्षा – एखन धरि कतेको बेर एकटा राजा प्रति कतेको तरहक विचारक खुलेआम प्रचार हम सब अपन जीवनकाल मे देखि लेलहुँ अछि। कहियो जे प्राण भन्दा प्यारो रहैत अछि, वैह चोर बनि देश छोड़य लेल बाध्य भऽ जाइत अछि। फेर किछुए समय मे वैह चोर प्राण सँ प्रिय बनि जाइत अछि। त ई सब ढुलमुल रवैया – जेकरा कृष्ण गीता मे व्यवसायात्मिक बुद्धि कहि एकर परित्याग करैत ‘निश्चयात्मिका बुद्धि’ केर अवलम्बनक उपदेश कएने छथि, हम सभा सँ ई अपेक्षा करी जे ‘निश्चय संकल्प सहितक घोषणापत्र’ जारी करबाक दिशा मे आइ मंथन हुअय।

8. मैथिली तोड़बाक कुचक्र, अप्पन लोकक द्वारा जातीय आधार पर फूट डालबाक खतरनाक सामाजिक विखंडन आ एकर दीर्घकालिक परिणाम – तोड़नाय लक्ष्य जेकर हो ओकरा चेतावनी दैत ओहेन घटिया काज करय सँ रोकनाय आजुक मांग अछि। एहि पर गम्भीर निर्णय करैत उचित कार्रबाई आ जनमानस मे जनचेतना लेल काज हुअय, जाहि लेल मैथिली सेवा समिति आ समस्त भाषा-संस्कृति प्रति समर्पित संस्था द्वारा सक्रियतापूर्वक कार्य कयल जाय।

9. मैथिली भाषी जनमानस में वृहत स्तर पर जनगणना प्रति जनजागरण के जरूरत – जनगणना मे भाषा सहित आरो-आरो विन्दु पर सतर्कता लेल जनजागरण अभियान चलेनाय आजुक आवश्यकता बुझाइत अछि, शेष सभाक जेहेन आदेश हो।

10. विराटनगर महानगरपालिका, पूर्वांचल के जिला मोरंग झापा सुनसरी स्तर पर संस्थागत, व्यक्तिगत आ संचारगत समन्वय आ जनजागरण अभियान केर सुझाव – महानगरपालिका सँ जिला होइत कम सँ कम प्रदेश १ धरिक सम्पूर्ण ५,३५,००० जनसंख्याक मैथिलीभाषी सँ सम्पर्क कोना कयल जाय, कोन तरहक जनजागरण समिति बनय, केना प्रचार-प्रसार हो, कोष व्यवस्थापन आ क्रियान्वयन प्रति सेहो आजुक सभा मे विमर्श कयल जाय। आगाँ एकर नेतृत्व संयोजक डा. यादवक नेतृत्व मे केना संभव होयत, आरो हुनका सहयोग लेल किनका सभक सहयोग लेल जाय, एकटा समिति गठित हो।

11. संस्था सभक बीच समन्वय आ सहकार्य – कतेको रास कमजोर विन्दु सेहो हमरा सभक अछि, आपस मे समन्वयक अभाव आ आन भाषाभाषी जेकाँ अपन भाषा प्रति उदासीनताक भावना, अपने सँ अपन भाषा घर मे छोड़नाय – एतेक रास संस्था सब कार्यरत रहितो आपस मे वैर आ ईर्ष्या केर भावना, एक-दोसर सँ गलत प्रतिस्पर्धा, सरकारी निकाय मे जा एक-दोसरक कमजोरी कहि आन केँ लाभ लेबाक मौका देनाय… एहि सब पर सेहो आत्मालोचना संग आगामी समय समन्वय-सहकार्य केना बढय, केना एकजुटता हुअय, एकता मे बल अछि से बुझी, एहि पर ठोस कार्ययोजना आ क्रियान्वयन लेल सभादेश हो। ||अस्तु॥