बेटी
– सुमन झा, कोलकाता
बेटी छथि जग के निर्माता,
बेटिये त छथि धरती माता।
कियै लगै छथि बेटी भारी,
हुनके स त आँगन वारी।
बाबु के ओ दुलरी गुडिया,
दुख्खो में ओ सुखक पुडिया।
बेटी छथि जग के निर्माता
बेटिये त छथि धरती माता
बेटी होइथ गोर या कारी
लेकिन बनैथ कुलवंती नारी।
सीता सनक हुनकर ब्यवहार
भूमि जकाँ सहैत ओ भार,
बेटी छथि जग के निर्माता
बेटिये त छथि धरती माता
दुनियाँ में ओ नाम कमाबैथ
नैहर सासुर दुनु पुजाबैथ
देखैन हुनकर कुशल ब्यवहार
कहैन सब धन्य बेटी के माय बाप
बेटी छथि जग के निर्माता
बेटिये त छथि धरती माता
विनय करी हम हाथ जोड
बेटी के लिय हृदय स कोर
बेटा लेल नै पाप कमाउ
गर्भे में नै बेटी हटाउ ।
बेटी छथि जग के निर्माता
बेटिये त छथि धरती माता।