बाबाक स्मृति मे पोतीक लेखः महान पुरुषक इतिहास लेखनक आवश्यकता दिश इशारा

पारसमणि नगर रहुआ संग्रामक लौह-पुरुषः अभिराम झा

– नीलम झा

आइ हम अपन प्रेरणापुरुष पर किछु लिखय चाहि रहल छी। हमर ‘बाबा’ यानि पितामह जिनका लोक लौहपुरुष सँ तुलना करथि, हमर गाम पारसमणिधाम यानि रहुआ संग्राम केर एहेन महान चर्चित आ नित्य-स्मृत व्यक्तित्व अभिराम झा केर सम्बन्ध मे संछिप्त लेखन कय रहल छी।
 
हुनकर एक मित्रक उक्ति अछि – Iron man of village Parsamani Nagar Rahua Sangram
 
“Late Babu Abhiram Jha”
 
He was a famous and senior chief Editor of Aaryabat and Indian Nation, Hindi and English daily newspaper Patna. We heartily honored and regarded him for his remembered contribution to us, our village in real. He was ‘the great ideal personality’.
 
ई शब्द बाबाक एगो क्लोज फ्रेंड (अभिन्न मित्र) छलाह ओ कहने छथि। बाबाक प्रशंसक कतेको लोक छथि, हुनके सबहक मुंहे अपन बाबा कअ वर्णन सुनय छी तऽ अपना आप केँ गौरवान्वित अनुभव करैत छी कि हमर बाबा कतेक महान पुरुष छलाह। हुनके एगो और क्लोज फ्रेंड बाबा केँ मेमोरी शेयर कएने छलथि जे देखि कऽ आंखि मे नोर भरि गेल। कहबी छैक न… “कस्तुरी कुंडल बसे मृग ढुंढे वनमाहि” – हम महान आत्माक खोज मे अपन दिमाग लगा रहल छलहुँ, और ओ महान आत्मा खुद हमरहि मे निवास करैत छथि। ओहि पूर्वज सबहक खून हमरा बेर बेर लिखय लेल प्रेरित करैत अछि। तखन हम समय नहि देखैत छी जे कतेक राइत रहल यऽ।
 
बाबाक एगो और प्रशंसक विनय कुमार झा द्वारा कहल शब्द “आर्यावर्तक प्रखर प्रख्यात साहित्यकार आ उदार पुरुष स्वर्गीय पं. अभिराम झा अपना व्यक्तित्व आ वाकपटुता बले असंभव केँ संभव कयलन्हि।”
 
आशा करय छी जे भारत कऽ पहिल व्यक्ति हेताह जे पत्रकारिता क्षेत्र मे हिन्दी मे संवादकला लिखलनि। हिनके नेतृत्वक सफल-सुखद परिणाम अछि जे रहुआ संग्राम कोशी बान्हक पश्चिम अछि। ‘माधव कते तोरे करब बड़ाई’ – ज्ञान केर क्षेत्र मे जतेक गोता लगाबैत छी, किछु न किछु नया चीज पता चलिते अछि। बाबाक लिखल साहित्य केर किताबक नाम अछि:
 
१. संवाद लेखनावली
२. कलासंकलन
३. अभिरामा
 
अभिरामा बाबाक नाम सँ मिलैत हुनकर जीवन पर आधारित पुस्तक थिक। अभिरामा नाम सँ पटना मे बाबा केर प्रेस सेहो चलैत छलन्हि। बाबा के मरलाक बाद ओ सब सरकारक भऽ गेल। कियैक तऽ पापा सब ओहि समय मे छोट छलाह। कियो ओहि सम्पत्ति केर बारे मे सोचय या सरकार सँ केश लड़य वास्ते सामर्थ्यवान नहि छलाह और ओ सब सम्पत्ति पर सरकारक कब्जा भऽ गेलैक। बाबा अपन गांव कि दुर दुर केर गाम सब के सेहो भलाई कार्य मे अग्रसर छलाह। हुनकहि प्रतापे रहुआ नगरी बसल छल। बाबा एकटा लौह पुरुष छलाह जे अन्याय के खिलाफ हमेशा आवाज बुलंद कयलनि। ओ कमजोर केर लाठी छलाह। हम चाहब जे हमर बाबा केर आत्मकथा वेव पत्रिका पर छापल जाय जहि सँ और लोक हुनका बारे मे जानकारी हासिल कय सकथि। ई हमरे तक सीमित नहि रहय। जेना हम गर्व करैय छि अपन पूर्वज पर हमर बालो बच्चा करैथ। बाबा केर लिखल एकोटा पुस्तक हमरा लग नहि अछि, ओ पटना लाइब्रेरी मे अछि। हुनकर बहुत प्रशंसक हमरा सँ हुनकर पुस्तक केर बारे मे पूछैत छथि। ओ बाबा के बारे मे जानय चाहैत छथि। मुदा हम किंकर्तव्यविमूढ जेकाँ छी, हमरा पास हुनकर मेमोरी कअ अलावा किछु नहि अछि।