#दहेज मुक्त मिथिला
#लेखनी के धार
#विषय-आधुनिक-मिथिला-में-नारी-के-योगदान
घरनी ,धरनी घर भार सहे,
घर ऑगन घरनी सॅ चमकै।
आधुनिको समाज में पुरूषे सर्वोपरि,
महिलाक जीवन अधिक जटिल।
बाहर भीतर दुनू सम्हारैत,
समय पर घोघ निकालैथ।
जींस सूट पहिर ऑफिस जैथ,
डेग स डेग मिला सब कर्तव्य निभाबैथ।
जेना धरन कडी पर छत टिकल,
तहिना घरनी दुःख सुख छाँव करैथ।
आधुनिक नारी छैथ पढल लिखल,
घर दफ्तर दुनू ठाम बैसल।
पहिने घरनी दबुक आ अनपढ छलि,
भानस भात में दिन बितबैत छलि।
आब हवाई जहाज चलबैत छैथ,
दुनू कुल के लाज बचबैत छैथ।
आधुनिक समाज में स्थान बनाक,
मिथिला के नाम रौशन करैत छैथ।
मिथिला में रही या नई रही,
अप्पन कुलक नाम बढाबी।
अप्पन सभ्यता आ संस्कृत के बचबैत,
दहेज मुक्त परिवार बनाबी।
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ममता झा
डालटेनगंज