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दीपावली शुभकामना – पठनीय मननीय सन्देश

दीपावली शुभकामना

वर्ष 2020 केर दियाबाती यानी दीपावली आबि गेल। समय अपन गति केँ निर्बाध रूप सँ चलबैत रहैत अछि, किछु भ जाय ई ठमकैत तक नहि अछि। तेँ एहि वर्ष मानव सभ्यता पर कोरोना महामारी केर खतरा रहितो येन केन प्रकारेण गाड़ी बढ़िते जा रहल अछि, भले हम बीमार भ क्वरंटीने में छी आ कतेको लोक एहि संसार छोड़ि दोसर दिश गमन कय गेलाह, कतेको लोक अनिश्चितता केर विचित्र फांस में बदतर ढंग सँ फँसल छथि। सामान्यतः जे उत्साह आ उमंग होली दिवाली में रहैत अछि से प्रभावित भेल अछि। एक मानव आ हिन्दू संस्कार में जन्म लेल मिथिला के एहि बेटाक तरफ सँ तैयो सब गोटे केँ हृदयक तहस्थल सँ शुभकामना!💐💐💐

जानकी जी केँ रावण सम अहंकारी शत्रु सँ मुक्त करा श्री रामचन्द्र जी आबि रहल छथि अयोध्या, मतलब हमरा सभक घर-आंगन ओ आबि रहल छथि, हम सब प्रजा छियन्हि आ तेँ हमरे घर-आंगन हुनकर अयोध्या थिकन्हि। हम सब गली, मार्ग, दलान, घर आदि सब तरफ सफाई कय रहल छी। एहि बीच शिवहर सँ हमर मसीयउत जेठसारि बेबी दीदी साक्षात लक्ष्मी जी केर प्रतिरूप बनिकय घरक सफाई स्वयं करैत फोटो पोस्ट कयलीह अछि। हिनका देखिकय सौंसे बचपन आ माँ केर मेहनति मोन पड़ि गेल अछि। हमर मिथिला के असल घर-अंगना यैह छल, आब लोक भौतिकतावादी बनि विदेहक बिगड़ल सन्तति बेसी बनि गेल अछि, धरि ओरिजनल विदेह केर घर ई छी से बेबी दीदी दर्शन करौलीह। 😊

माटि आ गोबर सँ लेप चढेबाक काज माँ कयल करय। दीदी आजुक भौतिकतावादी संसार केँ विदेहिया फोटो त देखेलीह मुदा हिचकिचाहट में सफाई केर स्वरूप केँ छोट बुझैत बस कनी झिझकली शायद…. नहि नहि दीदी! यैह असल छी। हम मानव यथार्थ में एतबी धरि सही छी। आध्यात्मिक उन्नति जरूरी अछि। भौतिक उन्नति कदापि सुखी नहि कय सकैत अछि। दीदी केँ कहबो कयलियन्हि –

“यैह टा छी असल विदेह आ वैदेही भाव दीदी, एहि सँ आगू मात्र मृग मरीचिका अछि। कतहु प्यास नहि मिझाय वला ओझराहट! हमर जनक अवस्था आ तेकर शुद्ध सफाई लेल अहाँ केँ हृदय सँ सराहना करैत छी।”😊

आइ रंग-बिरंगक डिसिन्फेक्टेन्ट, सर्फेकटेन्ट, क्लीनिंग एजेन्ट, आर कि कहँदीना, मुदा हम मिथिलावासी प्रकृति प्रेमी, घास फुस सँ छाड़ल माटि के घर, माटिक कोठी, माटिक बर्तन, माटिक चुल्हाचेकी, माटिक चिनवार, माटिक पिंडरूप कुलदेवी, सब किछु माटि सँ…. तखन विचार आ भाव होइत छल उच्च सँ उच्चतर आ आकंठ डूबल रहैत छलहुँ बनि पूर्ण आध्यात्मिक आ कहाइत छलहुँ विदेह। आब की? सौ तरहक प्यास, घोर भौतिक सुख में निर्लिप्त आ बीमार! केवल बीमार!😢 कतबो चाही सुख, भेटैत अछि अगबे दुःख!😢 कारण अनासक्ति के बदला घोर आसक्ति आ बंधन में जकड़ल बान्हल जीवात्मा छी। मुक्ति वास्ते पिता जनक मैथिल केर मार्ग सँ विपरीत चलि रहल छी। खैर! अर्थ, धर्म, काम आ मोक्ष केँ बराबर मात्रा में हासिल करबाक सद्बुद्धि आबय, यैह उच्चभाव केर शुभकामना संदेश भेटय सब केँ। ॐ तत्सत!

हरि हर!!

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