लघुकथा
– बेबी झा, चकफतेहा, शिवहर
आई अपने सब के बीच एकटा लघु कथा राखब जाहि में तीन टा बिन्दु पर फोकस करब। पहील जे छोट काज हुए या पैघ ईमानदारी बरकरार रहे, दोसर किनको में नीक बात लागे त अनुकरण करी नै की ईर्ष्या, तेसर जे जीवन में कोनो नकारात्मक बात हुए त धैर्य बनेने रही, कखनो क नकारात्मक बात सकारात्मक के रूप ल लैत अछि। आशा अछि जे अहां सब पढि हमरा निहाल करब।
एकटा प्राइवेट स्कूल के शिक्षिका रहथि जिनका जतबा ज्ञान रहनि ओतबा में मन स पढा क बच्चा सब के संतुष्ट राखथि। हुनका जे बात नहि बुझाईन से ककरो स पुछबा संकोच नहि करथि। सहयोगी शिक्षक सब हुनका पर आलोचना करथिन, “मैडम जी – कितना भी मेहनत करिएगा पैसा उतना ही मिलेगा”। ओहि पर ओ जबाब देथिन, “सर – इसमें बच्चे का क्या दोष? हमलोगो का काम है पढाना, चाहे हम लोग मजबूरी में ही पढाते है पर, इसकी सजा बच्चे को क्यों दें?” शिक्षिका के मोन में इहो रहैन जे जतबा ज्ञान अछि ओहि में किछु बढोतरी करी। एक बेर रुटिन सेट भेल त प्रिसिंपल महोदय स कहलखिन, “सर- कुछ ऊपर बला क्लास में घंटी दीजिए”। ओहि पर ओ कहलखिन, “आपसे होगा?”, त शिक्षिका जबाब देलनि, “आप से पुछेंगें, घर से पढके आएगें, नहीं तो हम दीस इज, देट इज में ही रह जाएंगे”। चूंकि स्कूल छोट रहे त कनी – मनी शिक्षिक के अप्पन बिचार रखै के स्वतंत्रता रहैन। एहि तरहे शिक्षिका अपन पढाबै के सिलसिला बरकरार रखने रहथि।
शिक्षिका के मेहनत के प्रशंसा होनि। स्कूल में हुनकर कनी महत्व देल जाइन। लेकिन एक दू टा सहकर्मी शिक्षक सब हुनका नीचा देखाबै पर प्रयत्नशील रहथि। स्कूल में कोनो तरहक सख्ती बरतल जाइ, जेना कि मोबाईल यूज नही करना है, प्रार्थना के समय सभी शिक्षक को एक्टिव रहना है, सबटा कारण शिक्षिका के ठहरेल जाइन जे यही सब करबाती है।
संयोग स किछु दिनक बाद शिक्षण प्रशिक्षण शुरू भेल। एक दिन कोनो कारण स सेन्टर पर पहुचै में देरी भ गेलैन। संयोगवश सेन्टर पर कोनो पदाधिकारी आबि हुनकर उपस्थिति के काटि देलखिन। बेचारी जखन सेन्टर पर पहुचली त सब कहे लगलनि – मैम कहाँ रह गयी आपका एटेनडेन्स कट गया। हतोत्साहित भ गेली। पदाधिकारी लग सेहो गेली। मुदा, कोनो सुनबाई नहि। एहन स्थिति में हुनकर विपक्षी सब बजली – जिसका कट गया अच्छा हुआ। ओहि पर ट्रेनर आश्वासन देलखिन – मैम आप चिंता मत करिए, आपका प्रेजेंटेशन एन आई ओ एस को भेज दिए है। स्कूल में प्रेजेंटेशन केने रहथि रहीम के दोहा टापिक पर जे बहुत उत्कृष्ट भेल रहनि। बाद में उपस्थिति में सुधार सेहो भ गेलैन आ स्कूल स जे 100 नम्बर देबाक रहै ओहि में हुनका 96 नम्बर प्राप्त भेलैन।
एहि तरहे देखु त ठीके शिक्षक बच्चा के लेल आदर्श होइत छैथ। शिक्षक के हर एक्टिविटी पर बच्चा के नजैर रहैत अछि आ ओ अनुकरण करैत छथि। तेँ हमरा सब सरकारी स्कूल में रही वा प्राइवेट में, ईमानदारीपूर्वक काज करी। किए त बच्चा के शुरुआती नीव स आगु बढिया महल तैयार होइत अछि। एरिक्सन महोदय जे बड़का मनोवैज्ञानिक रहथि से अप्पन एक्सपेरिमेंट में देखेने छैध जे बच्चा में शुरू में ट्रस्ट विकसित होइए से जीवन भरि काज अबैए। एलबर्ट बंडूरा मनोवैज्ञानिक सेहो अप्पन एक्सपेरिमेन्ट के आधार पर देखेलैथ जे आक्रमक दृश्य पर बच्चा वेह सिखलक आ बोबो डाल में प्यार देखेलैथ त बच्चा प्यार सिखलक। शिक्षक बच्चा के लेल आईडियल मानल जाइत छथि। दोसर बात जे कतौ कोनो संस्था स जुड़ल रही त आपसी स्नेह, प्रेम, सद्भावना बनल रहे। तेसर असफलता के स्थाई नहि मानी, सफलता के लेल तत्पर रही। असफलता स सफलता के द्वार खुजैत अछि।
अपने सब अप्पन अप्पन प्रतिक्रिया जरूर व्यक्त करी🙏🙏🙏🙏🙏 जय मिथिला!!