विश्वसनीयता निर्माण मे बहुत समय लगैछ – टूटब त क्षण भरिक काज छी

आउ किछु चर्चा करी विश्वसनीयता निर्माण आ नोक्सान ऊपर
 
हाई स्कूल केर कक्षा १०वीं मे गामक आरो कतेको छात्रक संग एक राजकुमार बाबू सेहो छलाह। सुखी‍-सम्पन्न परिवारक बच्चा, हुनका स्कूल अयबा-जयबा लेल एकटा साइकिल कीनि देल गेल छलन्हि। आर बच्चा सभक परिवार ततेक सुखितगर-सुभितगर नहि छल – आर केकरो पास साइकिल नहि छलैक। राजकुमार बाबू साइकिल सँ आबथि-जाइथ, हुनकर रस्ता होइत छलन्हि पक्की सड़क आर दोसर बच्चा सब खेतक आड़ि-धूर धय स्कूल आबय-जाइ छल। राजकुमार बाबू केँ साइकिल सँ जेबा काल कहियो-कहियो अपन कक्षामित्र सभ केँ संग अनबाक इच्छा जागि जाइत छलन्हि आर ओ कोनो न कोनो बहन्ने कनेक दूर खेते-खेत होइत जाइत मित्र सभ केँ आवाज लगबैथ त लोक दौड़िकय आबि जायल करय, कहीं राजकुमार बाबू कोनो आफद मे फँसि गेला अछि से हुनका जाय केँ देखल जाय, सहयोग कयल जाय। एहि तरहें लोक सब जखन नजदीक जाइत छल त ओ कहि देल करथिन जे समस्या दूर भऽ गेल, आब पक्किये सड़क धेने चलय चलू अहुँ सब। लोको सब आब ओतय सँ कि घुरिकय आड़ि-धूर धरैत लौटितय, ओहो सब राजकुमार बाबूक संग सड़के-सड़क घर घुरल करय। मुदा धीरे-धीरे राजकुमार बाबूक वजन हल्लूक होइत चलि गेलनि। ओ एक दिन एहेन अवस्था मे पहुँचि गेलाह जे साइकिल केर चेन्ह मे पैजामा फँसि गेलनि आ ताहि दिन कतबू चिचियेला जे दौड़य जाउ यौ दोस सब, कनी पैजामा चेन्ह सँ निकालि दिअ… सब हुनकर बात केँ हल्का मे लेलक आ घुरियोकय कियो नहि तकलकनि। अन्त मे लेने‍धेने खसि पड़लाह, अपने तर साइकिल ऊपर आ चिचियाइत-कनैत रहि गेलाह ता धरि जा धरि कियो बटोही ओहि देने जाइत हुनका सहयोग कय चेन्ह मे सँ पायजामा निकालि साइकिल उठाकय समस्या सँ आजाद नहि कयलकनि।
 
अंग्रेजी मे कहल जाइत छैक ‘क्रेडिबिलिटी’। Credibility comprises the objective and subjective components of the believability of a source or message. राजकुमार बाबू सँ जखन लोक तंग आबि गेल तखन हुनकर क्रेडिबिलिटी खत्म भऽ गेल छलन्हि, आर जाहि दिन यथार्थ मे लोकक सहयोग चाहैत छलन्हि त हुनकर समस्या केँ लोक विश्वास नहि कय अपन-अपन काज मे लागल रहल। महान दार्शनिक अरस्तु वाकपटुता केँ विभिन्न परिस्थिति अनुसार लोक केँ अपन बात मानबाक लेल वर्णन कयलनि। मनेबाक तीन विधि केर वर्णन कयलनि – Ethos (the source’s credibility), Pathos (the emotional or motivational appeals), आर Logos (the logic used to support a claim), एहि तीन विन्दु अनुसार केकरो ऊपर (कोनो बात-विषय-विचार ऊपर) लोक बुझबाक काज करैत अछि। अरस्तु केर मुताबिक “Ethos” वक्ताक चरित्र केँ प्रस्तुत करैत अछि। वक्ता हमेशा विश्वसनीय होयबाक यत्न करैत अछि। ‘दर्शक-श्रोता मे वक्तव्य प्रति विश्वास लेल प्रेरणा’ हरेक वक्ता-प्रस्तोताक भावना मे निहित रहैत छैक। तहिना विश्वसनीयता लेल दुइ गोट आधारविन्दु – भरोसा आ विज्ञता जाहि मे उद्देश्य आ विषय निहित रहैत छैक। कोन व्यक्ति (वक्ता) द्वारा केहेन उद्देश्य सँ कोन विषय पर वक्तव्य (घोषणा) आदि राखल जा रहल अछि – एहि सब विन्दु पर उपयुक्त विचार कयलाक बादे संसार मे ‘विश्वसनीयता’ केर निर्माण होइत अछि।
 
अहाँ (कर्त्तापुरुष) एहि बात सँ अवगत छी जे निर्माण कार्य करब बहुत कठिन छैक मुदा विनाश (तोड़फोड़) करब तुलनात्मक रूप मे आसान छैक। एकटा मकान निर्माण लेल ईंटा, बालू, सिमेन्ट, लोहा, गिट्टी, खिड़की, चौखटि, आदि अनेकन वस्तुक आवश्यकता पड़ैत छैक, फेर मिस्त्री आ रेजा सभक उपयोग सँ जोड़ाई, प्लास्टर, रंग, पेन्ट आदि कयलाक बाद मकान निर्माण पूरा होइत छैक। मुदा मकान तोड़य मे कतेक समय लागत? आइ-काल्हि त तीव्रगतिक संसार, बुलडोजर लगाउ आ क्षण भरि मे ध्वस्त…. डाइनामाइट सँ त बड़का-बड़का इमारत केँ ध्वस्त कय देल जाइत छैक। कहबाक तात्पर्य यैह अछि जे विश्वसनीय बननाय कठिन छैक, विश्वसनीयता केँ गमेनाइ त क्षण भरि केर काज होइत छैक। राजकुमार बाबूक उदाहरण एकटा प्रतिनिधि मात्र भेल। हम-अहाँ जाहि तरहें अपन नाम आ प्रतिष्ठा लेल आजीवन संघर्ष कय केँ एकटा विश्वास निर्माण करैत छी से क्षणहि भरि मे ध्वस्त कय दैत छियैक अपन गोटेक गतिविधि आ क्रियाकलाप सँ। एहि सँ बचनाय बहुत जरूरी छैक। ध्वस्त करबाके रहैत अछि त फेर निर्माण लेल बेहाली कियैक!
 
आजुक समाज मे मनुष्यक विश्वास केँ सब सँ जल्दी ध्वस्त करैत छैक ओकरा भीतर रहल दम्भ, अभिमान आ झूठक भान। ई सब डाइनामाइट जेकाँ केकरो बनल-बनायल विश्वासक मकान केँ खट् आवाज मे फिनिश कय दैछ। विवेकशील मानव केँ एहि तरहें अपन विश्वसनीयता केँ सब सँ पैघ आ अनमोल सम्पत्ति बुझि एकर प्रवर्धन आ विकास लेल सोचबाक चाही। अस्तु!
 
हरिः हरः!!