रोचक आ प्रेरणादायक रचना – भाग २

१६ सितम्बर २०२० । मैथिली जिन्दाबाद!!

१. नीलम झा केर लेख ‘बेटी केँ शिक्षा कतेक जरूरी’

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आइ हम अहाँ सब सँ बेटी के शिक्षा पर बात करब। और ओहि मे हुनकर माय-बाप के कतेक योगदान के जरूरी छन्हि सेहो। ओना त शिक्षा बेटा और बेटी दुनू लेल जरूरी य, मगर हम बेटी के शिक्षा पर आइ बात करब।

बेटी क शिक्षा सबसे बेसी जरूरी छै। एहि लेल हुनकर माय-बाप के पूर्ण कोशिश रहबाक चाही जे कष्टो काटिकय अपन बेटी केँ शिक्षित करथि जाहि सँ हुनकर बेटी किनको पर डिपेन्ड (निर्भर) नय रहत, जकर फायदा दहेजक लालची सब नय उठा सकनि, एहि लेल हमर प्रार्थना अय सब माँ-बाप सँ जे अपन बेटी के शिक्षित करू। 🙏🙏

बेटी मे शिक्षाक अनिवार्यताक किछु विन्दु पर ध्यान देब आवश्यक अछिः

१. बेटी क शिक्षा सबसँ बेसी जरूरी य हुनका स्वाबलम्बी बनेबाक लेल।

२. हुनकर जिन्दगी मे जे जीवनसाथी एथिन हुनका समझय के, आर हुनकर साथ तालमेल बैसाकय अपन गृहस्थी चलाबय लेल।

३. ओ विवाहक बाद जे नबका घर मे प्रवेश करती हुनका आगाँ नबका-नबका लोक, नबका माहौल, हुनकर बात-विचार, व्यवहार समझय के हुनका पास ज्ञान होइन्ह।

हम सब चाहय छी जे हमर बाल-बच्चा सब शिक्षित रहथि कि हुनका किछु समझय मे दिक्कत नहि रहनि। नीक-बेजा हर परिस्थिति केँ सम्हारय लेल हुनका मे क्षमता रहनि। ओ केकरो पर निर्भर नहि रहथि। संयोग सँ अगर जिन्दगी मे कखनहुँ हुनका खराबो परिस्थिति क सामना करय पड़नि त ओ सक्षम रहथि, नीक-बेजा सोचय के हुनका मे ज्ञान रहनि। जखन हुनकर विवाह हेतनि त नया लोक सब सँ हुनकर सामना हेतनि और ओ हुनका लोकनि केँ बढियाँ जेकाँ समझथि, ओ सासुरक सब सदस्य के गुण-अवगुण क अपना मानथि, ओ सासुर परिवार क अपन नैहरे जेकाँ सम्हारथि। एक बढियाँ जीवनसाथी बनि कय ओ रहथि और एक कुशल गृहिणी जेकाँ अपन वैवाहिक जीवन, अपन मान-मर्यादा, नैहर के मान-मार्यादा और सासुर के मान-मर्यादा राखथि। जय माँ जानकी!!😊

२. हमर प्रिय भजन (प्रवीण नारायण चौधरी)

१.
अपना किशोरी जी के टहल बजेबय
हे मिथिले मे रहबय
हमरा न चाही चारू धाम
हे मिथिले मे रहबय
साग पात खोंटि खोंटि दिवस गमेबय
दिवस गमेबय राम दिवस गमेबय
दिवस गमेबय
हे मिथिले मे रहबय
हमरा न चाही सुख-आराम
हे मिथिले मे रहबय
अपना किशोरी जी केँ टहल बजेबय
हे मिथिले मे रहबय
जाहि विधि रखती सिया ताहि विधि रहबय
ताहि विधि रहबय राम ताहि विधि रहबय
ताहि विधि रहबय
हे मिथिला मे रहबय
सिया धिया रटबय आठो याम
हे मिथिले मे रहबय
अपना किशोरी जी केँ टहल बजेबय
हे मिथिले मे रहबय
हमरा न चाही चारू धाम
हे मिथिले मे रहबय
२.
जेहने किशोरी मोरी तेहने किशोर हे
विधना लगावल जोड़ी केहेन बेजोड़ हे!
श्यामल बदन घुमर घटा घनघोर हे
एम्हर किशोरी मोरी पूनम इजोर हे
विधना लगावल जोड़ी…..
जेहने किशोरी मोरी…..
जिनका ल जोगी-मुनि केलनि जोग हे
से मोरा पाहुन श्री राम चित्तचोर हे
विधना लगावल जोड़ी…
जेहने किशोरी मोरी…..
सरिसो के कली सिया ज्योति बेजोड़ हे
तीसी के फूल रंग नवल किशोर हे
विधना लगावल जोड़ी
जेहने किशोरी मोरी…
जिनका के पाबि भेल धन्यभाग मोर हे
सरस सिनेह मन रेशम के डोर हे
विधना लगावल जोड़ी
जेहने किशोरी मोरी तेहने किशोर हे-२
विधना लगावल जोड़ी-२ केहेन बेजोड़ हे-२
३.
मंगल आजु जनकपुर
अति मनभावन हे
आहे मंगल दूलहा-दूलहिन
परम सोहावन हे
मंगल आजु जनकपुर…..
मंगल बाजन बाजय
संगी सब मंगल हे
आहे गाबथि मंगल गीत
घर घर मंगल हे
आहे मंगल दुलहा-दूलहिन
परम सोहावन हे
देवगण फूल बरसाबथि
सुर सब मंगल हे
आहे सिया जी के आजु छन्हि ब्याह
जनक घर मंगल हे
आहे मंगल दूलहा-दूलहिन
परम सोहावन हे
मंगल श्रीराम दूलहा
सिया भेली दूलहिन हे
आहे मिथिला आजु सुमंगल
सभक घर मंगल हे
आहे मंगल दूलहा दूलहिन
परम सोहावन हे
मंगल आजु जनकपुर
अति मनभावन हे
आहे मंगल दूलहा दूलहिन
परम सोहावन हे
हरिः हरः!!

३. त्रिपुरा झा केर एक रचना 

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हृदय के मर्म सँ निकलल, बेटी के भाव सँ जुड़ल एक कविता हम अपने सब के सेवा में समर्पित कय रहल छी। साथे क्षमा सेहो माँगैत छी, कारण ई कविता हमर हिन्दी मे रचना भऽ चुकल अछि। आशा नहि, पूर्ण विश्वास अछि जे माँफ कय देब।
समझती है बेटियाँ
सिने के दर्द को समझती है पस्लियाँ ,
बाप के गरीबी को समझती है बेटियाँ,
है चेहरा उदास होंठो पे फिकी सी मुस्कुराहटें
शादी के वक्त बाप के परेशानियों को समझती है बेटियाँ,
है ताज्जुब की हर एक घर में बहू की तलाश है
फिर क्यों वो दहेज माँगना समझते हैं हस्तियाँ,
माँ बाप का हाल देख के रोती है बेटियाँ ,
पानी से बिछड़ने का गम समझती है मछलियाँ।

४. सीए रंजीत झा केर एक और काव्य रचना

हमरा करा दिय विआह, यौ बाबूजी हमरा करा दिय विआह
हमर संगी-तुरिया के धियापुता भ गेलै
दहेजक लोभ एतैक कत सँ कनिया एतै
हमरा त देलिये बुरहाऽ
हमरा करा दिय विआह, यौ बाबूजी हमरा करा दिय विआह
घटक आबिते अहाँ मुँह फारैत छी
एतबो त ज्ञान नहि कि पर मंगैत छी
अनपढ़ के दै छिये ग्रेजुएट बताअ
हमरा करा दिय विआह, यौ बाबूजी हमरा करा दिय विआह
संगी के बेटा-बेटी सभ हमरा खौजाबेत
ओकर कानिया कहे बिलाई के सिनुरा लैथ
दादा के कहतै अहाँके
हमरा करा दिय विआह, यौ बाबूजी हमरा करा दिय विआह
कि करियो बौआ हम समय के नहि चिन्हलियो ?
चालिस के भऽ गेलै घटको आब ने अबैत छौ
अखबारो में देलियो छपवाऽ
हमरा करा दिय विआह, यौ बाबूजी हमरा करा दिय विआह
इंजीनियर डॉक्टर सीए के विआह नहि होयेत छै
लड़की अपन जोगरक वर खूद तकैत छै
तऽ तोरा कोना हेतउ विआह
हमरा करा दिय विआह, यौ बाबूजी हमरा करा दिय विआह

५. ममता झा, डालटेनगंज द्वारा हिन्दी दिवस पर लिखल एक हिन्दी रचना

हम आइ पहिल पोस्ट हिन्दी में द रहल छी कारण आइ हिन्दी दिवस अइ। आज विश्व हिन्दी दिवस पर आप सभी को हार्दिक शुभकामना। हिन्दी हमारी शान है। मैं हिन्दी पर कविता लिखने की कोशिश कर रही हूँ ।
🌹हिन्दी🌹
हिन्दी मेरे हृदय में समाई,
सबसे सुंदर भाषा है।
सरित लेखनी से बही हिन्दी,
हिन्दी राष्ट्र की भाषा है।
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सरल सुबोध पर है भारी,
अंग्रेजी से जंग है जारी।
सम्मान की ये है अधिकारी,
जन जन की है ये दुलारी।
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हर दिन हर पल करते हैं हम,
अपनी राष्ट्रभाषा का सम्मान।
रोज मनाओ हिन्दी दिवस,
बनाओ इसे अपना अभिमान।
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हिन्दी से है हिन्दुस्तान की पहचान,
सब कहते हैं सीना तान।
संस्कृत से संस्कृति है हमारी,
विश्व में आज है अपनी पहचान।
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दी सीख जिन्होंने धर्म की हमको,
तुलसी, कबीर संत महान।
जन्म हुआ मानवता का हिन्दी से,
हिन्दू मुस्लिम सीख ईसाई समान।
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सभी कवियों ने हिन्दी अपनाई,
हिन्दी का महत्व है भाई।
हिन्दी में सीखे पढना हम,
अ से अज्ञान से ज्ञ से ज्ञानी।
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सीखो अन्य भाषाओं को भी,
पर अपनाओ अपनी भाषा।
दुनियाँ में बतलाओ सबको,
हिन्दी हमारी है राष्ट्रभाषा।
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