लेख
– कौशल गोपालवंशी
मैथिली भाषाभाषी समाजमे शिक्षाके बर्तमान अबस्था
महान मिथिलादेश, जे अङ्ग्रेजके पालामे बिभाजित भ के मिथिलाके सिर (राजधानी जनकपुर सहित) नेपालमे और धर भारतमे बिलिन भ गेल। बिलिन भेलाके बादो मिथिलावासी सब अपना-आपके मैथिली नै कहाबेमे मन पड़बैत अछि। एक समयमे समृद्ध राष्ट्र रहल मिथिला बर्तमान अवस्थामे नेपाल और भारत दुनू देशमे मिथिलावासी बहुत पिछड़ल अछि। भौतिक, शारीरिक और मानवीय बिकासके अनेक संभावनाके धनी ई मिथिला नगरी किया अतेक पीछा अछि एकर खोज-तलाश बहुत आवश्यक अछि। एहि विषयक नजदीक रहैत हम नेपालक मिथिलामे शिक्षाके बर्तमान अवस्थाके बारेमे कुछ अध्ययनके अधारमे वर्णन करैत छी। (अध्ययनक मुख्य स्रोतः सामाजिक संजाल )
नेपालके संविधान सन २०१५ सेक्सन ३ आर्टिकल ३१ के अनुसार शिक्षाके मौलिक अधिकार भीतर रखलाके बावजुद मिथिलाके ग्रामीण क्षेत्रमे ७०% बच्चा मात्र बिद्यालय जाइत अछि । ई तथ्याङ्कमे से २७% कक्षामे अनुपस्थित मे ७५% लड़कीके अनुपस्थिति देखल गेल अछि।
मिथिला क्षेत्रमे जम्मा विद्यालय जाइ बला बच्चा मध्ये १०% के पढाई शिशु कक्षा तक सीमित, ६% सामान्य लेख-पढ तक सीमित, ११% पाँचमी कक्षा तक सीमित, २०% आठ कक्षा तक सीमित, २६% S.L.C. तक सीमित, १७% +2/PCL तक मात्र, ८% स्नातक (Bachelor Level) तक सीमित, ३% मात्र स्नात्तोकतर (Master Level) पूरा क रहल अबस्था अछि । एहि अध्यनके आधारमे १००० विद्यार्थी मध्ये २१ स्नात्तोक्तर डिग्री और ५६ स्नातक डिग्री पुरा करैत अछि।
शिक्षाके अबस्था जानबाक लेल ग्रामीण समुदायके स्कूलके अबस्था बुझबाक जरूरत अछि। तथ्याङ्क अनुसार मिथिलाके ३५% स्कूलमे क्रियाशील व्यवस्थापन समिति, ४३% स्कूलमे सिर्फ नामके लेल और २२% स्कूलमे समिति नवीकरण नहि भेल देखल गेल अछि। तहिना २२% जनता व्यवस्थापन समितिके बारे नइ कुछ मालुम, ३५% जनता व्यवस्थापन समितिके बारे कनिक जानकारी और ४३% जनता व्यवस्थापन समितिके बारे जानकारी रहल देखल गेल अछि।
शिक्षाके प्रभावकारी बनाबेके लेल नेपाल सरकार मार्फत संचालित अभिभावक-शिक्षक परिषद (PTA) सम्बन्धी मात्र १९% जनताके जानकारी, बाकी ८१% जनताके PTA सम्बन्धित कुछ जानकारी नइ रहल देखलगेल अछि। तहिना ५४% स्कूलमे PTA नइ रहल देखलगेल अछि।
तथ्याङ्क अनुसार, स्कूलके स्तर-उन्नति कार्यक्रममे ४३% जनताके मात्र सहभगिता देखलगेल त ५७% के सहभागिता नइ रहल देखलगेल। ५०% जनता मात्र अभिभावक बैठकमे उपस्थित होइत अछि।
स्कूलके बर्षौनी बजेटके बारेमे ६४% जनताके बजेटके बारेमे जानकरी नइ रहल, ३२% मे जानकारी छल लेकिन ४% के स्कून बर्षौनि बजेटके अर्थ नइ मालुम देखल गेल अछि।
मिथिलामे शौक्षिक संस्थाके अवस्थाः
मिथिलानगरीमे शौक्षिक संस्थाके बहुत अभाव देखल गेल अछि। नेपालमे दोसर स्थानमे रहल मैथिली भाषासे जुड़ल कोनो कलेज/विश्वविद्यालय नहि अछि। जबकि लोप भ रहल संस्कृत भाषाके लेल नेपाल सरकार संस्कृत विश्वविद्यालयके स्थापना भेल अछि। करीब ४० लाखके जनसंख्या रहल मिथिलामे
- विश्वविद्यालय – १
- सरकारी मेडिकल कलेज – Nil
- सरकारी इन्जीनियरिङ्ग कलेज – Nil
- सरकारी एग्रीकल्चर कलेज – २
- एगृ-ल्याव – Nil
- A-level कलेज – Nil
मिथिलामे बिद्यार्थी/शैक्षिक संस्थाके पठनपाठनके अवस्थाः
मिथिलाके ग्रामीण क्षेत्रके अधिकांश विद्यालयके पाठ्यक्रम समयमे नै पूरा होइ य। गणित, विज्ञान जैसन महत्वपूर्ण विषय सबके पाठ्यक्रम समयमे पूरा नहि होइत अछि।जहाँ तक हमरा लगैय कि SEE के परीक्षा दिएबला बिद्यार्थीसब अलग-अलग विषयक ट्युशन पढिके तैयारी करैय मुदा स्कूलमे समयमे पाठ्यक्रम पुरा नइ होइत अछि। दुखद बात ई अछि कि कोनो अभिभावक एहि विषयपर ध्यान नइ दैत अछि, बल्कि उल्टे वैह शिक्षकके पैसा द के ट्युशन पढबाके अपना-आपके जागरुक अभिभावक कहबैत छथिन। वैह शिक्षक ट्युशन पर पाठ्यक्रम समयमे पूरा करैय मुदा स्कूलमे नइ क पबैय, किया? आब जिनका पास पैसा नै अछि वो केनाके पढत? एहि सब कारण सँ गरीब परिवारके बच्चा सब अगाडि नै बढि सकैय। जे ट्युशन पढैय वो सब परीक्षा पास करैय मुदा जिनका पैसा नै अछि ओ सब स्कूलके भरपर रहलाके कारणसे असफल होइय। आब त गरीबके बच्चा दोसर समस्याके चपेटामे पड़ैय, एक स्कूलके कारणसे असफल भेल, दोसरमे गरीब भेलाके कारणसे हुनकर घरमे कियो नै शिक्षाके महत्व बुझैय, आब घरमे “तूँ पढेबला नै छें, तूँ बार-बार फेल होइछें, पढाई तोरा वशके बात नै छौ” जेहेन किसिमके नकारात्मक बिचारके कारण स वो विद्यार्थी पढाई छोड़े ल विवश भ जाइय। ई त भेल न्युनवर्गीय गरीब बच्चाके कहानी।
मध्यम वर्गके परिवारमे बेटा-बेटी मे बहुत भेदभाव अछि। ई वर्गके परिवारमे बेटीके बोझके रूपमे बुझैय। यहाँ बच्चा से ही बेटी त बेटी छै, ई बातक शिक्षा दैत अछि, यहाँ शुरूसे ही बेटाके बेटीसे विशेष सुबिधा सहितके शिक्षा दैत अछि। ई वर्गमे बेटाके जागिर खाय क लेल और बेटी विवाह करबा के लेल पढबैय। जब ई बेटा जवान होइय त खेत बेचके उच्च शिक्षा पढाबक लेल पैसा दैइ य मुदा जखन बेटी जवान होइय त खेत बेचके दहेज देके विवाह सम्पन्न करैय, और अभिभावकके कर्तव्य पुरा करै य। आब बहुत गम्भीर समस्या आइब गेल कि यहाँ दोषी के छथि, जे यहाँ त दोषी मैथिली समाजक दहेज प्रथा छथि। दहेज प्रथा बर्षौनि लाखौं-लाख बेटीके भविष्य अन्धकारमे राइख रहल अछि। मध्यम वर्गके परिवारमे शिक्षाके बाधकके रूपमे दहेज प्रथा अछि। जखन तक दहेज नामक भाइरस सबहक मन-मस्तिष्कसे नै हटत ताबे तक मध्यम वर्गमे शिक्षाक उन्नति होयत ई परिकल्पना नै करू।
सम्पन्न वर्गमे गरीब और मध्यम वर्ग जैसन समस्या नै अछि, यहाँ सबके समान तरीकासे शिक्षा लेबाक मौका मिलै य। मुदा ई परिवारसे मिथिला-मैथिलीके कोनो फाइदा नै अछि। सम्पन्न परिवार भेलाके कारणसे ई व्यक्ति सब अपन मिथिला-मैथिलीक संस्कृति और परम्परा सब भुला दैइ य। हिनकर बच्चा सब मैथिली नइ बोलत, पहुँचबला जगह पर गेलाक बावजुद भी वो सब मिथिलाके समस्याके बारेमे कभी भी नइ बोलत, कोनो आंदोलनमे नइ देखायत, जे खाली नजरि पड़त जखन मधेस/मिथिलाके नाम पर सरकारसे दिएवाला सुख-सुविधाके उपभोग करेके समयमे। ई सब पिछड़ल वर्गके नाममे सुविधा लेके मिथिला-मैथिलीके लोप करेबला भाषा और संस्कृतिके प्रचार-प्रसार करता।
मिथिलाके शौक्षिक संस्था सबहक परीक्षा-फलः
एक समयमे मिथिलाके शौक्षिक संस्थाके परीक्षा-फल काठमाण्डौ से नीक अबैत रहल मुदा बर्तमान अबस्थामे मिथिलाके परीक्षाफल नेपालमे सबसे कमजोर अछि। मधेश आंदोलनके बाद मिथिला/मधेशके परीक्षा प्रणालीमे बहुत अन्तर आइब गेल अछि। दिन पर दिन परीक्षा प्रणाली खराब भ रहल अछि, SLC/SEE जेहन महत्वपूर्ण परीक्षामे चोरीके प्रबृत्ति बढलाके कारणसे बिद्यार्थीके क्वालिटी पहिले से बहुत गिरल अछि। भीषण मधेश आंदोलन जेहन आंदोलनमे आर्मी बल प्रयोग करके आंदोलन सखाप पाड़ेबला नेपाल सरकार, एकटा परीक्षा प्रणालीके नइ सुधार सकलाके कारणसे आबेबला दिनमे मिथिलाके बिद्यार्थीके क्वालिटी झन खराब होबाक सम्भावना प्रबल अछि।
मिथिलाके शान रहल “जानकी मेडिकल कलेज”, शुरुवातमे नीक रहे लेकिन बर्तमान अवस्थामे यी कलेजके अबस्था नाजुक अछि। तेहने मिथिलाके दोसर शान रहल “जनकपुर ईन्जिनियरिङ्ग कलेज” जनकपुरमे नइ चलाबे सकलाके कारणसे बादमे काठमाण्डौ सारलक। आखिर किया एहेन सुन्दर सन शौक्षिक संस्था सब जनकपुर मिथिलामे नीक प्रदर्शन नइ करय सकैय। ई विषय पर अनुसन्धान करबाक जरूरी अछि। तहिना जनकपुरक प्रसिद्ध आर.आर.एम. क्याम्पस के अबस्था सेहो नाजुके अछि। जनकपुर बिकासके लागि “मणिपाल टिचिङ्ग कलेज” के सम्पूर्ण संरचना बनलाके बादो अभीतक संचालन नइ भेल अछि।
निष्कर्षः
मिथिला क्षेत्रके शिक्षाके अबस्था कोनो दृष्टिकोणसे संतोषजनक नहि देखल गेल अछि। समयमे सरोकारबला, नगरिक समाज सक्रिय होइ त आबेबला दिनमे यहाँके शिक्षाक अबस्था सुधारयमे ज्यादा समय नइ लागत।
(The above maintained data is from www.sfcg.org/www.unicef.org/ )
लेखकः
कौशल गोपालवंशी (Mob:-९८५१२३८७०८, Email:[email protected])