२४ अगस्त २०२० । मैथिली जिन्दाबाद!!
आब मैथिलीक पोथी आनलाइन कीनि आ पढि सकैत छी – नवारम्भ प्रकाशनक नया उपाय
मैथिली भाषा-साहित्य केँ नव प्राणदान देबाक काज नवारम्भ प्रकाशन मधुबनी कय रहल अछि। काल्हि कुमार पद्मनाभ केर रचित उपन्यास ‘पपुआ ढपुआ सनपटुआ’ पर आयोजित एक वेबिनार समीक्षा मे लाखों दर्शकक यैह प्रतिक्रिया छल। गुन्जन श्री केर संचालन मे आयोजित एहि वेबिनार मे विभिन्न वक्ता लोकनि उपरोक्त उपन्यासक साहित्यिक पक्ष आ समाजोपयोगी पुस्तकक रूप मे मैथिल जनमानस मे प्रवासी जीवनशैलीक संग विभिन्न पक्ष पर केन्द्रित बात-विचार सब आयल छल।
विदित हो जे नवारम्भ प्रकाशन मैथिलीक ५०० सँ बेसी पुस्तकक प्रकाशन एखन धरि कय चुकल अछि। संचालक अजित आजाद जानकारी देलनि जे आब मैथिलीक पाठक केँ पोथी सब ताकय लेल समस्या नहि हेतनि, करीब ५०० महत्वपूर्ण पोथी आनलाइन उपलब्ध करेबाक कार्य नवारम्भ द्वारा कयल जायत। नवारम्भ केर वेबसाइट www.navarambh.com मार्फत पीडीएफ फौरमेट मे एतेक वृहत संख्याक स्तरीय व पठनीय मैथिली पोथी उपलब्ध करायल जायत। स्वयं नवारम्भ द्वारा प्रकाशित पोथीक आनलाइन अर्डर बुक करैत १ सप्ताह केर भीतर डिलीवरी देबाक गारन्टी सेहो कयलनि अछि। संगहि ओ कहलनि जे आब यदि कियो डिजिटल मोड मे पीडीएफ कीनत तऽ आधा दाम मे डाउनलोड फेसिलिटी उपलब्ध करेबाक व्यवस्था कयल गेल अछि। संगहि, मात्र पढबाक लेल सेहो तकनीकी तौर पर नाममात्र केर मूल्य जे पेटीएम मार्फत भुगतान कयल जा सकैत अछि सेहो सुविधा उपलब्ध होयत। खुशखबरी ईहो अछि जे देश-विदेश मे पसरल करोड़ों मैथिलीभाषी आब एमेजन डट कम पर परचेजिंग करबाक संग-संग नवारम्भ प्रकाशन सँ सेहो आनलाइन पुस्तक लगभग डेली बेसिस पर कीनि रहला अछि। मैथिलीक ‘अच्छे दिन’ कहि सकैत छी एकरा।
मैथिली जिन्दाबाद केर सम्पादक प्रवीण नारायण चौधरी संग टेलिफोन मे वार्ताक क्रम मे श्री आजाद नवारम्भ केर कय गोट क्रान्तिकारी सोच पर सेहो प्रकाश देलनि। ईहो बुझल बात अछि जे मैथिली लेल कहियो बिना पारितोषिक देने किनको समय नहि लेल गेल अछि, काल्हिक वेबिनार मे जे सब समीक्षक समय देलनि तिनको सभ केँ आनलाइन २०० टका केर नाममात्र लेकिन सम्मानक संग गौरवबोध लेल पारितोषिक भुगतान कयल गेलनि। हालांकि समीक्षक लोकनि ई ग्रहण करय सँ नकारबाक प्रयत्न सेहो कयलनि, परञ्च श्री आजाद केर अनुरोध पर ओ पारितोषिक सब केँ ग्रहण करय पड़लनि, भले ओ लोकनि वापसी नवारम्भ सँ ओतेक मूल्यक कोनो पोथी कीनि प्रकाशक एवं मैथिली लेखक सब केँ सहयोग करता सेहो सहमति बनल। बुझल बात अछि जे विगत समय मे जे कोनो पत्र-पत्रिका केर प्रकाशन नवारम्भ द्वारा कयल गेल, आर ताहि मे जे कियो लेखक-स्रष्टा अपन रचना पठौलनि, हुनका सब केँ उचित पारितोषिक देल गेलनि। मैथिलीक काज निःशुल्क आ कि मुफ्तहि मे होइत छैक ई बिल्ला हंटेनाय बहुत जरूरी अछि, श्री आजाद अपन भावना मे व्यक्त कयलाह।
एक दोसर प्रसंग मे श्री आजाद कहलथि जे आगाँ सेहो मैथिलीक कतेको अचर्चित मुदा महत्वपूर्ण योगदान देनिहार साहित्यकार लोकनिक पोथी पर समीक्षा निरन्तरता मे रहत। हरेक मास कि हरेक सप्ताह एहि दिशा मे नवारम्भ उचित प्रयास करय जा रहल अछि। एकर शुभारम्भ काल्हि रवि दिन २३ अगस्त सँ डा. कुमार पद्मनाभ केर उपन्यास सँ कयल गेल अछि। आर एहि सब समीक्षा विशेषता ई रहत जे समीक्षाक कार्य कोनो पुरान-अनुभवी साहित्यकर्मी केँ नहि, बल्कि छेहा नवतुरिया – युवा पीढीक समीक्षक सब सँ समीक्षा करायल जायत। एकर पाछाँक उद्देश्य सेहो काफी पवित्र छन्हि कारण मैथिली साहित्य पढल नहि जा रहल अछि, नव पीढी मे रुचि नहि छन्हि, आदि कलंक सेहो मैथिली भाषा-साहित्य पर लगैत रहलैक अछि, आर एहि ग्रहण सँ मैथिली केँ मुक्त करेबाक लेल नवारम्भ प्रतिबद्ध अछि।
नवारम्भ प्रकाशनक संचालक अजित आजाद केँ हरफनमौला व्यक्तित्व मानल जाइत अछि। हुनकर विजन आ एक्शन कइएक मामिला मे अनेकन माइल-स्टोन ठाढ कएने अछि। आइ करीब एक दशक सँ मैथिली केँ ओ अपन जीवन दान कय देने देखाइत छथि। मैथिली संचारकर्म केँ मजबूती देबाक लेल डा. चन्द्र मोहन झा केर उपक्रम ‘मिथिला आवाज’ दैनिक पत्रिकाक प्रकाशन सँ लैत अन्ततः निजी प्रकाशन ‘नवारम्भ’ केँ मधुबनी शिफ्ट कय निरन्तर आ उल्लेख्य मात्रा मे प्रकाशन कार्य कय रहला अछि। नेपाल व भारत दुनू दिशक लेखक लोकनिक सैकड़ों पोथीक प्रकाशन एखन धरि संभव भेल अछि। मैथिली मे लेखन कार्य हजारों-लाखों युवा कय रहला अछि, लेकिन संपादनक अभाव मे प्रकाशन नहि करा पबैत छलाह। श्री आजाद अपन सम्पूर्ण समय एहेन नव आगन्तुक लेखक सब केँ दैत हुनक लिखल कथा-वस्तु-सामग्री सभ केँ समुचित सम्पादित करैत प्रकाशित कयलनि अछि। एहि सँ नवतुरक लेखक सब मे बहुत पैघ सम्बल भेटल अछि। नवारम्भ केर ई क्रान्ति निश्चित मैथिली भाषाक संरक्षण, संवर्धन आ प्रवर्धन मे बड पैघ भूमिका अदा कय रहल अछि।