कि मधुबनी जिला सर्वाधिक ‘दहेज मुक्त मिथिला’ अछि?
(सर्वे और बहस)
काल्हि ‘दहेज मुक्त मिथिला सर्वे-२०२०’ केर पहिल तथ्यांक जारी कयल, जाहि मे दहेज प्रथाक विरूद्ध सब सँ अधिक जागरुकता ‘मधुबनी’ जिलाक लोक मे देखल गेल कहि सकैत छी। तथ्यांक सँ स्पष्ट अछि जे सब सँ अधिक लोक मधुबनी सँ सक्रियता देखौलनि। ईहो स्पष्ट अछि जे मधुबनी मे सौराठ सभागाछी सँ २०११ मे आरम्भ कयल ‘दहेज मुक्त मिथिला’ अभियान बहुत जल्दी घर-घर मे चर्चाक विषय बनि गेल छल। मीडिया मे सेहो एकर चर्चा खूब जोर पर चलल।
प्राचीन समय सँ एकटा कहावतो देखल-सुनल दरभंगाक गाम-घर मे जे उत्तर भरक लोक मे काफी बेसी संस्कार होइत छैक। ओ सब आडम्बरी नहि होइत अछि। दक्षिण भरक लोक मे ‘खानपीन’ आ ‘तिलक’ आदिक नाम पर बेटीवला सँ बेटावला खूब बर्तन-बासन, कीमती उपहार, सोनाक चेन्ह-अंगूठी, घरक लोक लेल कपड़ा-लत्ता आ गोर-लगाय आदिक लोभे चूर रहैत अछि, लेकिन उत्तर भरक लोक मे ई सब प्रक्रिया एकदम नहि होइत छैक। ओ सब साफ-स्वच्छ व्यवहार मे केवल ‘फलदान’ (फल लय केँ दूल्हाक हथधड़ी) करैत छथि।
एतबा नहि, ईहो सुनल जाइछ जे उत्तर भरक लोक मे कुलीनता आ शालीनता सेहो बेसी होइत छन्हि। दहेजक आकर्षण अत्यल्प होइत छन्हि। खानदानी आ उच्चकोटिक लोक सब होइत छथि। उत्तर भरक कन्याक दक्षिण भरक घर मे बहुत बेसी सम्मान होइत छन्हि। एखनहुँ धरि बहुतो ब्राह्मण परिवार मे धर्म-कर्म-अध्यात्म बेसी अछि। सन्ध्या-बन्धन सेहो बेसी परिवार मे होइत अछि। आदि।
त फेर, विमर्श आ सवाल दुनू अछि – कि मधुबनी सर्वाधिक ‘दहेज मुक्त मिथिला’ अछि?
हरिः हरः!!