चौरचन केर साहित्यिक प्रसाद

चौठचंद्र पर मलकोका फूलक विधान

२३ अगस्त २०२० । मैथिली जिन्दाबाद!!

काल्हि मिथिलाक लोक-पाबनि चौरचन सम्पन्न भेल। एहि अवसर पर सामाजिक संजाल केर विभिन्न स्रोत सँ संकलित चौरचन विशेष साहित्यिक प्रसाद एतय राखि रहल छी। लेखकक नाम जाहि मे नहि पता चलि सकल अछि, ताहि लेल नहि लिखि रहल छी। बाकी जे कियो असल लेखक होइथ, हुनका नमन करैत हुनका लोकनिक एहि सुन्दर आ मननीय रचना केँ एतय वृहत् पाठ्य बनेबाक उद्देश्य सँ प्रकाशित कय रहल छी।

१. चौरचन

छूटि गेलै गाम – घर,
बिसरा गेलै अरिपन |
चौठीक चान संग,
हेरा गेलै चौरचन।

नञि ओ चंगेरा, नञि ओ मटकुरी,
भेटय ने डाली, नञि ओ दैलपुरी ।

सभटा दहा गेलै,
बदलल आब रंगढ़ंग,
चौठीक चान संग,
हेरा गेलै चौरचन ।

मोन पड़य मैंयाक साँझक ओ हड़बर,
हरियर पुरैन-पात, भांगैत ओ मअड़र ।

अंगना में पसरल,
सनेस पूरे पचपन,
चौठीक चान संग,
हेरा गेलै चौरचन ।

धिया – पुता पूछय, ई कोन छई पाबैन,
लजा जाईथ चुप्पे, जबाव नञि भेटैन्ह ।

शहरक चकाचौंध में,
भटकि गेलै जीवन,
चौठीक चान संग,
हेरा गेलै चौरचन ।

(स्रोतः दहेज मुक्त मिथिला केर मुम्बई व्हाट्सअप ग्रुप)

२.

चौठचंद्र पावनिक बहुत – बहुत शुभकामना , बधाई आ हार्दिक शुभकामना । अपनेकें परिवार सहित *चतुर्थी चन्द्र* प्रसन्न राखैथ आ सब कष्ट दूर करैथ ।
प्रणाम मंत्र-
नम: शुभ्रांशवे तुभ्यं द्विजराजाय ते नमः ।
रोहिणीपतये तुभ्यं लक्ष्मीभ्रात्रे नमोऽस्तु ते । ।
प्रस्तुत कविता – भेटाय छल पुआ पकवान – चौठीचंद्रकें आ पूरा गामकें समर्पित अछि । आशा करैत छी जे अहूंसबकें हमर ई कविता पसिन आयल होयत ।
भेटाय छल पुआ पकवान
कोना क ‘ बिसरब ,
हम चौरचनकें ।
सबटा अछि हमरा ,
एनाहिते इयाद ।
गाम सं भलेहि बड़ ,
दूर छी एक्खन ।
बुझा रहल यै जेना ,
काल्हियेकें बात ।।१।।
भोरे सं निपाय छल ,
आंगन – द्वारि सब ।
चिक्कन चुनमुन बुझु ,
लगैय छल सब ओर ।
खजूरी – पिड़िकियाकें ,
सुगंध सं सचमुच हम्मर ।
भूख लगैत छल हमरा ,
मुदा करैत छलहूं सब्र ।।२।।
पचमेरक लेबाक ड्यूटी ,
रहैत छल हमरे ।
धकजरी जा किनैत रही ,
बेरू पहर हम ।
इएह सब करैत – करैत ,
भ ‘ जाय छल सांझ ।
चान उगिते पूजा होय छल ,
भेंटैय छल पुआ – पकवान ।।३।।
– प्रभाकर झा ” नवटोलिया “
गुवाहाटी ।
तारीख – २१/०८/२०२०
३. सुधा मिश्रा जनकपुर केर रचना
हमरा अँगनामे उतरथिन भगवन चौठीचान हे
अरिपन दय पुरहर सजा करबै सब विधान हे
दही फलफुल लक देखि हुनका मँगबै आशिष
खीर पुरी पुवा पुरिकिया पकेबै सब पकवान हे
चँहुदिस फैलल चौरचनक पुजा
उगह चान कि लपकब पुवा
आँगन सजल गहना सँ अरिपन
कलशक प्रह्लाद सँ शोभित पुरहर
सजेलियै अपनहु पहिर लाल नुवा
उगह चान कि लपकब पुवा
खीर पुरी दही खजुरिया ओकरी
मकै टाब नेबो सँग ओलक चटनी
पुरिकिया बनेलियै भरिक खुवा
उगह चान कि लपकब पुवा
सिथमे सिन्दुर हाथमे लहठी रहे
जगमगायल कोखिक इजोत रहे
हे चौठीचान एतबे मँगैछी दुवा
उगह चान कि लपकब पुवा