सावनक संस्मरण – लेखनीक धार प्रतियोगिता मे प्रथम चयनित लेख ‘आत्मसंतुष्टि’

बाबा बैद्यनाथ केर शुभ दर्शन
#संस्मरण #दहेज_मुक्त_मिथिला
#सावनक_संस्मरण
– अंजू झा
 
अपन संस्मरण साझा करै स पहिने हम अहाँ सबसँ माफी चाहब जे एहि पोस्ट सँ हम किनको धार्मिक भावना केँ चोट नै पहुँचाबय चाहैत छी। ई हमर अपन निजी अनुभव आ विचार थिक तेँ पुनः क्षमा माँगैत हम अपन संस्मरण साझा कय रहल छी।
 

आत्मसंतुष्टि

 
बात 2002 केर अइ। हमर पतिदेव ईलाहाबाद मे पोस्टेड छलाह। #सावन के पहिल सोमवारी रहैक। कहलियैन जे मंदिर जायब। ओ तैयार भ’ गेला। पूजाक सब सामग्री ल लेलौं त पतिदेव कहला दूध ल’ लिय’। हम एक पैकेट दूध सेहो ल लेलौं। मंदिर पहूँचलौं। अहाँ सबमे सँ जे प्रयागराज गेल होयब से यमुना तट पर बाबा भोलेनाथ केर मनकामेश्वर मंदिर मे जरूर दर्शन केने होयब। ओही मंदिर गेल रही। भीड़ बड रहैक। पुलिस केर तैनाती रहैत छैक त्योहारक समय में। कहुना क बाबा केर लिंग लग पूजा लेल बैसलौं, लेकिन पूजा सामग्री निकालब आ पूजा करब ओहि सँ पहिने धक्का-मुक्की के बीच नै किछु त कम सँ कम 5 लिटर दूध आ पूजाक फल-फूल-जल-अक्षत हमरहि टा नहि बल्कि ओतय जतेक श्रद्धालू बैसल रहथि सभक ऊपर पड़ल। कतेक मुश्किल सँ पूजा केलहुँ लेकिन दूध जे ल’ गेल रही ओ बाहर पतिदेव लग रहि गेल। आब कि करू? हल्ला एतेक जे बगलो मे कियो नै सुनत। बाबा केँ गोर लगैत माफी मंगैत भिजल-तितल बाहर एलहुँ। पतिदेव सब माजरा बुझि गेलाह, आब फेर सऽ भीतर जा कय बाबा केँ दूध चढाबय के हिम्मत नहि भेल, तेँ वापस आबय लगलहुँ। सरकारी क्वार्टर मंदिर केर लगे मे छल त सोचलौं सांझ मे आयब आ चढा देबैन। लेकिन जखन बाहर निकललौं त एक जरूरतमंद माय केँ ओकर दूधपीबा संतान लेल भोजन मांगैत देखलौं। हम पति-पत्नी एक दोसर केँ देखलहुँ आर ओ दूधक पैकेट अनायास हम ओहि औरत केर कोरा मे दऽ देलियैक। ताहि समय ओहि औरतक आँखि मे जे हम खुशी देखलहुँ ओ हमरा आइयो धरि याद अइ। हम अपन घर एलहुँ, दूध सँ भिजल कपड़ा बदललहुँ। फेर दोसर सोमवारी आयल फेर मंदिर गेलहुँ। दूधो लय गेलहुँ। पछिला बेरुक धक्का-मुक्की केर कारण सकाले गेलहुँ, नीक सँ पूजा केलहुँ लेकिन जखन दूध चढाबय लगलहुँ तँ अपन पैछला हालत आ ओ औरत दुनू याद आबि गेल आर हम बाबा सँ माफी मांगैत सिर्फ़ एक बुंद दूध चढाकय बाहर आबि गेलहुँ। बाहर ओ औरत त नहि भेटल लेकिन दोसर एक वृद्धा केँ ओ दूधक पैकेट दय देलहुँ। ओहो वृद्धा हमरा बहुत रास आशीर्वाद देलैन। हमरा ओकर बाद जे आत्मसंतुष्टि भेटल तकर वर्णन नहि कय सकैत छी। तहिया सँ आइ धरि हम बस बाबा केँ पंचामृत चढबैत छी नहि कि लिटर भरि दूध। हमरा ओतेक शास्त्र केर ज्ञान त नहि अछि लेकिन पूजा-पाठ बच्चे सँ बड श्रद्धापूर्वक करैत एलहुँ हँ। मिथिला केर बेटी छी तैं भोलेनाथ केर पूजा के विशेष महत्व सेहो पता अइ। हमर सभक ओ अराध्य देव छैथ। एहि पोस्ट केर माध्यम सँ हम अहाँ सबसँ पूछय चाहैत छी जे बाबा केर पूजा मे कतहु दूधक धार बहाबय के कोनो विधान छैक की? हमरा जहाँ तक बुझल अइ कि बाबा केर पूजा मे जलाभिषेक होइत छन्हि, नहि कि दूग्धाभिषेक। हाँ पंचामृत केर विधान छैक त ओ एक अर्घा दुध-दही सँ सेहो भऽ सकैत छैक। बाकी अहाँ प्रबुद्धजन जे कही, हमर बात किछू गलत हुए त फेर स हम क्षमा चाहब।