साहित्यक नव कृतिक परिचय
– डा. पंकज कुमार एवं डा. निक्की प्रियदर्शिनी
पोथीक नाम- आरण्यक
मूल लेखक – श्री विभूतिभूषण वंद्योपाध्याय
अनुवादक – प्रो. (डॉ.) केष्कर ठाकुर
प्रकाशन वर्ष – २०२०
मैथिली साहित्यमे उपन्यासक परम्परापर विचार करब त’ स्पष्ट होएत जे मैथिलीक उपन्यास साहित्यपर बंगलाक प्रभाव पड़ल अछि। मैथिलीमे अनूदित उपन्यासक परम्परा समृद्धशाली रहल अछि। विप्रदास, रूसक चिठ्ठी, तुरस्यक कथा, कोशी प्रांगनक चिठ्ठी, अकारथ जीवन, गोरा, आरोग्य निकेतन, विनोदिनी, छओ बीघा आठ कठ्ठा आदि कतेको अनूदित उपन्यास अछि, जकरा पढ़लाक बाद मैथिली आ बंगलाक निकटताक परिचय पाठककेँ स्वत: भेटि जायत। एकटा एहने सद्य: प्रकाशित अनूदित उपन्यास हमरा लोकनिक बीच आयल अछि, जकर नाम थिक – आरण्यक।
‘आरण्यक’ बंगलाक प्रसिद्ध उपन्यासकार श्री विभूतिभूषण वंद्योपाध्यायक कालजयी कृति अछि। जाहिमे उपन्यासकार प्रकृति प्रदत्त वन सम्पदामे मानवीय संवेदनाक घटित घटनाक अनुभवक आधारपर मनुष्यक लेल एक टा एहन कथानकक निर्माण कयलनि अछि, जाहिसँ जीवन जगतक सत्यता बहुत लगसँ देखल गेल अछि। एहि उपन्यासक विशेषता ई अछि जे एकर कथानक मिथिलाक तात्कालीन सामाजिक जीवनक कथा कहैत अछि। एहिमे उपन्यासकार पूर्णिया सँ नारायणपुर (नवगछिया) धरिक तात्कालीन सामाजिक परिवेशक वर्णन सांगोपांग रूपें कयने छथि। लेखक स्वयं लिखैत छथि जे – “संसार मे जाहि रस्ता पर सभ्य मनुष्यक आवाजाही कम छैक, ओहि रस्ता सँ नहि जानि कतेको अद्भुत जीवन प्रवाह बिनु बुझल सूझल पाथरक कोर होइत चुपचाप बहैत चलि गेल…..इएह सभ खिस्सा हमरा कहबाक अछि”।
एकर मैथिली अनुवाद आदरणीय प्रो (डॉ) केष्कर ठाकुर द्वारा कएल गेल अछि। ई अनूदित पुस्तक साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित भेल अछि । जहिना ई पुरस्कृत उपन्यास उत्कृष्ट अछि तदनुरूप एकर अनुवाद सेहो उत्कृष्ट भेल अछि। अनुवाद करबाक जे सिद्धान्त छैक तकरा ध्यानमे राखि ई अनुवाद कयल गेल अछि। अनुवाद-सिद्धान्तक अंतर्गत अनुवादककेँ स्रोतभाषा आ लक्ष्य भाषाक संगहि ओकर भाव, ओकर संस्कृति, जाहि परिवेशकेँ केंद्रमे राखि उपन्यास लिखल गेल अछि, आदिक पूर्ण जानकारी रहब आवश्यक अछि… तखने सुंदर आ सटीक अनुवाद भ’ सकत। से एहि पोथीक विज्ञ अनुवादककेँ अनुवादक सम्पूर्ण सिद्धान्त बुझल छनि। हुनका बंगला अबैत छनि, मैथिलीक तँ ख्यातिनाम अध्यापक छथिए। उल्लेखनीय बात इहो जे उपन्यासमे चित्रित मिथिलामे व्याप्त वन-संपदा, चर-चांचर, मिथिलाक पूर्वी क्षेत्र नारायणपुर, पूर्णियाँ, अररिया आदि क्षेत्रक सामाजिक-सांस्कृतिक परिवेशसँ पूर्णरूपेण परिचित छथि।
तेँ ई अनुवाद अवश्य पढबाक चाही जाहिसँ अहाँकेँ नीक अनुवादक स्वाद भेटत। संगहि एकटा सफल अनुवादसँ परिचय सेहो भ’ सकत।
अपन परम आदरणीय गुरुदेव (प्रो केष्कर ठाकुर सर)केँ एहि पोथीक लेल बहुत-बहुत बधाई आ प्रणाम। गुरुदेवक कलम अनुवादक क्षेत्रमे सेहो चलल ताहि लेल आह्लादित छी।