नकल सँ आगू बढब असंभवः हाल-ए-मिथिलावाद
ओना त एखन कोरोनाक भयावहताक बीच भँवर सँ हम मिथिलावासी संसारक आन भागक वासी सब जेकाँ कोहुना-कोहुना सुरक्षाक ध्यान रखैत जीवन बचेबाक प्रयत्न कय रहल छी, लेकिन संसार भरि मे जेना एखुनका समय बेस मात्रा मे राजनीतिक खेल-वेल सब देखाइत अछि ताहि मे सेहो हम सब केकरो सँ पाछू नहि छी। नेतागिरी चमकेबाक लेल हमहुँ सब अपना-अपना हिसाबे सोशल मीडिया मे स्टेटस लिखैत छी, अपन-अपन ग्रुप पर कय रंगक आयोजन राखि पब्लिक जुटेबाक आ फेर ओहि पब्लिक केँ अपन एजेन्डा सँ जोड़बाक अथक चेष्टा करैत रहैत छी। ऊपर सँ कनी दिन बाद बिहार मे चुनाव सेहो हेबाक छैक, कतेको लोकक माथ मे राजनीतिक भविष्यक कय गोट योजना सब अछि। कियो विधायकक उम्मीदवार छी, किनको रणनीतिकार बनबाक इच्छा अछि, कियो जातीय अस्मिता केँ बचेबाक लेल अपन संकल्प केँ दृढ बना रहल छी, यानि कि सभक पास किछु न किछु योजना अछि।
हरेक योजना केँ लागू करबाक लेल योग्यता संग तत्पर भऽ क्रियान्वयन लेल उचित कर्म करब आवश्यके टा नहि अनिवार्य होइत छैक। लगनशीलता आ जुझारूपन सहित हमरा-अहाँ मे जतेक सकारात्मक गुण-धर्म रहत ताहि अनुसारे सफलता सेहो प्राप्त करब। मुदा बेसीकाल देखय मे अबैत अछि जे हमरा लोकनि दोसर एना केलक त एना जीतल तेकर नकल मे लागि जाइत छी। उदाहरण केजरीवालजी आ आम आदमी पार्टी! अन्नाक आन्दोलन सँ करप्शन विरूद्ध पूर्व युपीए सरकारक विरोध करैत ‘मैं भी अन्ना’ केर टोपी पहिरि लोक ‘इंडिया अगेन्स्ट करप्शन’ अभियान चलौलक। केजरीवाल, सिसोदिया, विश्वास, आदि अनेकों लोक ओहि आन्दोलन सँ निकलिकय बढला आ आइ दिल्ली जेहेन राज्य केर लगातार दोसर टर्म शासनाधिकार प्राप्त कयलनि। अन्ना हेरा गेला, भ्रष्टाचार ओतय के ओत्तहि अछि, लेकिन राजनीतिक सफलता हासिल करयवला समूह बढि गेल।
मिथिलावाद केर नारा सेहो २०१२ सँ युवा बीच प्रवेश करेबाक कतेको आख्यान हमरा ओहिना मोन पड़ैत अछि। जनजागरण करबाक नियार आ मिथिला राज्य निर्माण केर स्थापना सेहो २०१३ केर अप्रैल मे विश्व मैथिल संघ केर बुराड़ी कार्यालय मे बैसार ओहिना याद अछि। जिला-जिला होइत रथयात्रा, पैदल यात्रा, जनजागरण केर उद्देश्य सँ आरम्भ भऽ कतेक दूर धरि गेल से देखबे कयलहुँ – धरि व्यक्तिगत महात्वाकांक्षा आ आपसी प्रतिस्पर्धा व वर्चस्वक संघर्ष केर अवस्था केहेन भेल तेकर बेहतरीन उदाहरण पर सम्पूर्ण थेसिस लिखल जा सकैत अछि। आइ ७ वर्ष मे उपलब्धि ओतबे जतेक पहिने छल।
एहि बीच हम सब नकल मारिकय खरखाँही लूटय सँ सफलताक दर्शन करय लागल छी। आपस मे पहिनहुँ से बेसी विभाजित मानसिकता संग ‘मिथिलावाद’ प्रति अपन-अपन योगदान करैत बढि रहल छी। उपलब्धि केर मामिला मे एकटा बड़का ‘जीरो’ छोड़ि दोसर एतबा जे मुद्दा जहिना पहिने १९४० ई. सँ जिबैत २०१३ धरि आयल छल, ओ आइ २०२० तक सेहो जीबि रहल अछि। जनभावना आ लोकमत मे मिथिलावाद केँ स्थापित करबाक मौलिक यात्रा, जनसम्पर्क, संगठन निर्माण, आपसी गठबंधन, राजनीतिक गठबंधन, वृहत् विमर्श, पेशाकर्मी आ कर्मचारी बीच मिथिलाक निजत्वक आधार पर युनियन निर्माण… ई सब बात आइ छहोंछित अवस्था मे अछि। धरि, अपन-अपन डफली अपन-अपन राग केर अलाप-विलाप पूरजोर देखि सकैत छी। पहिने २ गोटे छलाह, आइ २० गोटे छी! हास्यास्पद स्थिति नकल मारबाक कारण बनल अछि। स्थापित सिद्धान्त केँ कात कय सिर्फ खरखाँही लूटबाक गोटेक व्यक्तिक छलिया प्रवृत्ति मे बर्बाद भेल मिथिला आन्दोलनक गति, ईहो कहब त अतिश्योक्ति नहि होयत। जाहि बुनियाद पर सब पक्ष केँ जोड़िकय – संयुक्त अभियानक संचालन शुरू भेल छल, तेकरा डिरेल कयलक ओ किछु छद्म व्यक्ति। विजन समाप्त – अभियान समाप्त! नकल मारिकय मौलिकताक पृष्ठपोषण कदापि नहि कयल जा सकैत अछि। २०२० केर टारगेट फेल भेल। आब २०२५ लेल सपना देखि सकैत छी। आवश्यकता छैक मर्दक बेटा केर – नेतृत्व लेल निरपेक्ष तत्त्व जा धरि आगू नहि रहत, खोखला सपना टा देखैत रहू।
हरिः हरः!!