१५ जुलाई २०२० । मैथिली जिन्दाबाद!!
विगत किछु समय सँ मैथिली-मिथिलाक सर्वथा चर्चित विषय पर समाचार-सार-संछेप मे!
अपने ई सब देखलहुँ कि नहि!
१. कोरोना

मिथिलावादी राजनीति केर नव गठबन्धन लेल आपसी बैसार तेज
कोरोनाकाल मे किछु दिन त लोक खूब सैनिटाइजर लगौलक, साबुन सँ हाथ रगड़ि-रगड़िकय साफ कयलक, नाक-मुंह-आँखि आदि केँ नीक सँ सुरक्षा कयलक, लौकडाउन मे घरहि मे सुरक्षित रहल, लोक सब सँ सोशल डिस्टैन्सिंग आदिक सब नव जीवनशैली आ मर्यादा केँ निभेलक – विश्वस्तर पर मजबूत नेता मोदीजीक अनुरोध पर दीप जरबय सँ लैत घड़ी-घन्टा-शंख-थारी आदि सेहो बजौलक, मोबाईल केर फ्लैशलाइट्स आदि जराकय कहियो डाक्टर्स आ सुरक्षाकर्मी सभक हौसला बढेलक – आर ताहि समय मे १, १०, ५०, ५००, १००० केर संख्या मे कोरोना महामारीक चपेट मे छलय। आब अकेले भारत मे ५ लाख ५५ हजार केर आसपास कोरोना महामारीक चपेट मे भारतक लोक अछि; नेपालहु मे ई संख्या बड़ी तेजी सँ १७ हजार केर आसपास पहुँचि गेल अछि। मरनिहारोक संख्या उल्लेख्य रूप सँ बढैत जा रहल अछि। लेकिन ओ सारा सावधानी आ सुरक्षा दिन-ब-दिन घटैत चलि गेल। मानव अपन आदति मुताबिक महामारी मे सेहो जीवन जीबय के बाट ताकि रहल देखाइत अछि।
२. नेपालक प्रधानमंत्री ओलीजी केर चर्चा
कोरोना महामारी सँ निपटबाक लेल विश्व भरिक कतेको राष्ट्रनेता दिन-राति एक कएने छथि, एहि बीच एकटा छोट लेकिन अत्यधिक सुन्दर हिमालयन देश ‘नेपाल’ केर प्रधानमंत्री अपन ‘उखान-टुक्का’ शैलीक बात लेल प्रसिद्ध रहैत कतेको एहेन बयान देलनि जेकर चर्चा विश्वस्तर पर भऽ रहल अछि। ओना त एहि बीच हुनकर एतेक रास बयान आबि गेल जे हमरा लेल सभक सूची जारी करब कठिनाह अछि, लेकिन काल्हि ओ भारतक अयोध्या केँ नकली कहैत भारत पर आरोप लगा देलनि जे नेपालक असली अयोध्या वीरगंज केर ठोरी मे रहबाक बात पर भारत द्वारा सांस्कृतिक अतिक्रमण कयल गेल अछि। एहि सँ पहिने भारत द्वारा कालापानी क्षेत्र मे सीमा विवादक नाम पर भारत द्वारा नेपाली जमीन अतिक्रमणक आरोप लगबैत बहुत पैघ परिवर्तनकारी डेग उठबैक प्रधानमंत्री ओलीक नेतृत्वक नेपाल सरकार नव नक्शा जारी कयलक, फेर संविधान मे ‘निशान छाप’ केर नक्शा केँ तदनुकूल सुधार करैत संविधानक दोसर संशोधन सेहो ‘सर्वसम्मति’ सँ पास केलक… एकटा टन्ना संसद जे एहि तरहक संशोधन सँ विमति रखलीह, यानि सरिता गिरि, ताहि बेचारी पर तरह-तरह केर लांछणा लगबैत आइ हुनका संसद आ पार्टीक प्राथमिक सदस्यता सँ पर्यन्त बाहर कय देल गेलनि। फेर ओ तेहेन बात बाजि देलखिन जे आइ धरि कियो नहि बाजल छल – भारत हुनका पद सँ हंटेबाक लेल व्यूह रचि रहल अछि…! एम्हर हुनकर अपनहि पार्टीक आन नेता हुनकर प्रदर्शन सँ असन्तुष्ट भऽ पार्टी अध्यक्ष एवं प्रधानमंत्री पद सँ इस्तीफा मांगि रहल छल… ओहो सब शन्ट भऽ गेल जे आब यदि इस्तीफा मांगब त भारतीय दलाल कहायब, ओलीजी द्वारा स्थगित सदनक समय पार्टी फेर सँ एमाले-माओवादी मे दू फाँक कय देल जायत आर भऽ सकैत छैक जे मध्यावधि चुनाव केर घोषणा कय केँ एखन राष्ट्रवादक आँधी मे फूल्ली चार्ज्ड जनता फेर ओलीजी केँ चुनि लेत, बाकी लोकक राजनीति दाँव पर चलि जायत। कोरोना सँ बचबाक लेल हरैद मिलायल पानि सेवन करबाक संग हाछ्यू (छींकक नेपाली नाम) करैत उड़ा देबाक बयान संसद मे देनिहार प्रधानमंत्री केपी ओली एखन सब सँ बेसी चर्चा मे बनल छथि, आर डेली बेसिस पर हिनकर नव-नव बयान अबैत अछि जे देश-विदेश सब ठाम चर्चा भऽ रहल अछि।
३. दिल्ली मे मैथिली केन्द्रित बीमार विमर्श
ओम्हर दिल्ली जतय ४०-५० लाख मिथिलावासी प्रवास मे रहैत वोटर सेहो बनि गेल छथि, हुनका सब केँ राजनीतिक दल केर विभिन्न मैथिली बंचर राजनीतिज्ञ सभ द्वारा भाषाक नाम पर गोलिएबाक लेल अनेकों तरहक जाल बिछबैत देखा रहला अछि। कियो पूर्वाञ्चली आ बिहार जनपदों की बोलीक नाम पर मैथिली केँ खंड-पखंड कय अपन क्षुद्र राजनीतिक स्वार्थ पूरा करय लेल आतुर छथि, त कियो साहित्य अकादमी मे मैथिलीक प्रतिनिधित्व आइ एतेक वर्ष मे केवल एक्के जातिक लोक कियैक बनि रहला अछि ताहि लेल तूफान मचौने छथि। अकादमीक अध्यक्षता लेल वा परामर्शदाता समितिक सदस्यता लेल वर्णित विधान अथवा भाषाहित केर विभिन्न कार्यक दायरा खूब नीक सँ विधान-वर्णित रहितो ओ लोकनि अपन-अपन फेसबुक सँ जहर पीबि-पीबिकय ताण्डव-शैलीक सवाल उठा रहला अछि, आर ताहि पर फुर्सत मे रहल बहुल्यजन मैथिल भरपूर मजा लैत खूब जवाब-तलब कय रहला अछि। मैथिली भोजपुरी अकादमीक उपाध्यक्ष नीरज पाठक त तैयो सम्हैर जाइत छथि, धरि कमल सन्देश (भाजपाक मुखपत्र) केर सह-संपादक आ मैथिली-मिथिलाक एक सुझबुझ भरल चिन्तक संजीव मिथिलाकिङ्कर अपन सहयोगी रामबाबू सिंह सहित दिन भरि मे १० गो सवाल कम सँ कम उठबैत छथि जाहि मे सिर्फ आ सिर्फ ‘ब्राह्मण’ समुदाय पर बिख उगलबाक नीयत रहैत छन्हि आर ताहि पर ब्राह्मण समुदायक कइएक मुंहपुरुख लोकनि हुनका सब केँ नीक सँ गोलियेने रहैत छथि। हमरो मौका भेटैत अछि त बीच-बीच मे अपन जातिक सम्मान लेल टोनि देल करैत छियनि। आब जखन जातिये के नाम पर खेल होयत त कहू हम केकरो सँ कमजोर छी की? बस भिड़ाकय नस्तर मारि दैत छियनि। खूब चलि रहल अछि खेलवेल! लागल रहू सब कियो।
४. पटना विद्वान् कौकस केर सक्रियता
दोरमा (सहरसा) केर मन्दिर मे दुर्गा जीक मूर्ति विष्णु भगवानक थिक, कमलादित्य स्थानक मूर्ति भगवान् बुद्ध केर थिकन्हि, विदेश्वरस्थान मे सेहो भगवान् बुद्ध केर मूर्ति रहय जे गायब भ’ गेल… फल्लाँ गाम मे जेसीबी देव केर कृपा सँ १४ फीट के फल्लाँ मूर्ति प्राप्त भेल, ग्रामीण सब पूजा करब आरम्भ कय देलनि, जखन कि ओ मूर्ति संग्रहालय मे पहुँचबाक चाही। – ई सब चिन्ता विद्वान् शिव कुमार मिश्र एवं भैरवलाल दास करैत छथि। पुरातात्विक विषय पर तकनीकी पक्ष केर बात सब पेपर-कटिंग सहित फील्ड फोर्सक टीम संग बहुत रास बात-कथा सोझाँ अनैत छथि। विमर्श एहि सब पर सेहो जमिकय होइत अछि। हमरा सनक भावुक लोक लेल एतहु जखन जातीय अस्मिता पर गैर-वाजिब सवाल देखि लैत अछि तखन लगैत अछि तांडव शैली मे नृत्य करैत भगताय खेलाय…! भगताय देखि हमरा सभक बड़-बुजुर्ग विजयचन्द्र झा ‘बाबा’ केँ फोन पर झाड़फूँक करय पड़ि जाइत छन्हि। हमरो पर भूताह आवेश कम पड़ैत अछि तखन दिशा बदलैत छी। लेकिन कोनो विन्दु पर जखन विवाद जानि-बुझिकय ठाढ कयल जाइत छैक तखन हमरा सनक उपद्रवी लोकक उपद्रव बढिये जाइत छैक, कि कहू… अपनो बड नीक लोक त नहि न छी! खैर! पटना विद्वान् समूह केँ निजी विद्वत् विमर्श पर शालीनतापूर्वक अपन बात-विचार राखक चाहियनि, नहि कि कैथीक आविष्कार कायस्थ कयलनि, धर्मक ठीकेदारी ब्राह्मण करैत माँस आ दान-दक्षिणा लेल व्यूर रचलनि… ई सब तरहक विद्वता देखेबाक हुअय त शास्त्रार्थक मंच सौराठ सभागाछी मे सजाउ मंच आ आबय जाउ। चेतना समिति आ उमेश बाबूक प्रस्ताव अछिये एहि सम्बन्ध मे! आउ न! भेटैत छी। ओतय त ओपन मंच रहतैक। लोको सब जुटतैक। मास्क पहिरिकय अपने सोशल डिस्टैन्सिंग केर सारा मोदी-नियम केर पालन करैत भेटैत छी। डीएम साहेब सेहो रहता। मंत्रीजी सब सेहो रहता। जमिकय विद्वान्-विद्वान् खेल खेलायब! हरिः हरः!!
५. सौराठ सभागाछी आ दहेज प्रथा
मिथिला मे दहेज प्रथाक आरम्भ सभागाछी सँ भेलैक… मैथिली ठाकुर केर एक वीडियो ब्लौग सँ उठल विवाद आब सौराठ सभागाछीक कमजोर विन्दु पर कुचर्चा मे परिणति पाबि गेल अछि। हालांकि सौराठ सभागाछीक मजबूत पक्ष केर जानकार, पंजी प्रबन्धक महत्व, अधिकार निर्णय मे पैतृक पक्षक ७ पीढी एवं मातृक पक्ष केर ५ पीढी दुनू वर आ कन्याक परिवार मे मिलेलाक बाद कोनो प्रत्यक्ष रक्त सम्बन्ध नहि रहलापर मात्र मैथिल ब्राह्मण दुइ विषमगोत्री परिवार मे विवाह सम्बन्धक अधिकार बनत, ततेक कठिन आ चुनौतीपूर्ण वैज्ञानिक परम्पराक निर्वहन लेल सभागाछी समान उन्नत परम्पराक नीक पक्ष पर चर्चा नहि कय १९८० सँ १९९० केर बीचक कइएक कमजोर पक्ष पर केन्द्रित विमर्श सँ समग्रता पर सवाल ठाढ करब – अधजल गगरी छलकत जाय कहबी केँ सिद्ध करब समान अछि। एहि लेल सेहो शास्त्रार्थ परम्परा सँ निर्णयक दिशा मे हम सब बढब ई उचित होयत। दहेज प्रथा त विदेहक सन्तान यानि मैथिल समुदाय (सब जाति-धर्म) केर लोक मे आडम्बर, भौतिकतावादक प्रसार आ भिन्न-भिन्न लोभ-लालच सँ घर-घर केर बीमारी बनि गेल अछि। यैह दहेज केर लेनदेन जे सौराठ सभागाछी मे नहि कयल जाय ताहि लेल त ओ सभा मृत्यु केँ वरण कयलक। एखनहुँ हमरा सहित कतेको लोक ओकर पुनर्उत्थान लेल प्रतिबद्ध छथि। आउ, जुड़ू आ काज करू। गप मारू मुरारी सब मिलिजुलि के… बरु मिथिला मरय देखू तिलि-तिलि के… एहि सँ ऊपर उठय पड़त।
६. नवका मिथिलावादी राजनीतिक सूत्र
मिथिला अस्मिता – मैथिली भाषा आ परिचितिक संग समग्र विकास लेल ‘मिथिलावाद’ केर प्रचार-प्रसार नव शैली मे अत्यन्त जोर-शोर सँ भऽ रहल अछि। जेना-जेना चुनाव नजदीक आबि रहल अछि तेना-तेना मिथिलावादक कइएक मुद्दा पर मिथिलावादी राजनीतिज्ञ आ युवा नेता सब गम्भीरतापूर्वक कार्य कय रहला अछि। बहुत जल्दी एकटा मिथिला यात्रा होयत। दरभंगा सँ बेगूसरायक सिमरिया धरिक एहि पैदल यात्रा मे लोक केँ अपन मुद्दा पर आधारित रहिकय राजनीतिक अधिकार प्राप्ति लेल मतदान आ जनप्रतिनिधिक चयन करबाक प्रेरणा देबाक महत्वपूर्ण कार्य कयल जायत। प्रखर मिथिलावादी नेता राजेश्वर केर सक्रिय प्रयास मे यात्रा पूर्व समस्त मिथिलाक्षेत्रक ऊर्जावान आ परिवर्तनकारी-अग्रगामी शक्ति सब संग भेंटघांट आ राजनीतिक ध्रुवीकरणक प्रयास तेजी सँ चलायल जा रहल अछि। कहल जाइत छैक जे अर्जुन दृष्टि जेकाँ टार्गेट पर निशाना सधनिहार लेल सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर बनब कठिन नहि होइत छैक, मिथिला मे जाहि तरहें मिथिलाक विषय लेल नेतृत्वक कमी छल तेकरा पूरा करबाक लेल काफी गम्भीर-गहींर प्रयास तेज अछि। एहि बीच मे ‘सोशल मीडिया’ पर अनेरउ के मुद्दा सब उठला सँ लोकक ध्यान मूल मुद्दा सँ बाहर जेबाक विन्दु पर नेता राजेश्वर ध्यानाकर्षण करबैत कहलनि जे मिथिला पहिने सँ बहुत पाछू छूटल अछि, आबो यदि हमरा सब मुख्य मुद्दा सब पर ध्यान केन्द्रित नहि करब त आबयवला चुनाव धरि जे उपलब्धि हासिल करबाक टार्गेट लेल गेल अछि ओहि मे नुक्सान भेटत। एक जिज्ञासा केर जवाब मे ओ कहलनि जे आगामी चुनाव विगत केर कतेको त्रुटि, असन्तोष आ सामाजिक विखंडन करैत सत्तारोहणक खेलावेला केँ बदलयवला होयत। हरेक राजनीतिक दल केँ मिथिला केँ केन्द्र मे राखिकय काज करय पड़तनि। जे दल अपन चुनावी घोषणापत्र मे मैथिली-मिथिला केँ समुचित ढंग सँ सम्बोधित नहि करत त ओकरा लेल मिथिला मे कोनो स्थान नहि रहतैक, एहेन प्रयास मे ‘मिथिलावादी राजनीति’ लागल अछि। एकटा मजबूत गठबन्धन सेहो बनि रहल अछि। देखा चाही जे हिनका सभक लगन आ मनोयोगपूर्वक कयल जायवला प्रयास कतेक सफल भऽ पबैत अछि!!
७. मिथिला मखान – राष्ट्रीय सम्मान सँ सम्मानित मैथिली फिल्म रिलीज करबाक घोषणा
निर्माता नीतू चन्द्रा आ निर्देशक नितीन चन्द्रा द्वारा बनायल गेल फिल्म ‘मिथिला मखान’ जाहि मे क्रान्ति प्रकाश व अनुरिता सहित कय गोट चर्चित कलाकार केर अभिनय अछि, जाहि फिल्म केँ भारतक राष्ट्रीय पुरस्कार सँ तत्कालिक राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी द्वारा सम्मानित सेहो कयल गेल अछि, जे आइ कतेको वर्ष सँ विभिन्न बहन्ना मे आम दर्शक तक नहि पहुँचि सकल अछि, रिलीज नहि कयल जेबाक विन्दु पर सोशल मीडिया सँ लैत आम समाज मे कय रंगक चर्चा सर्वविदिते अछि – से फिल्म आब रिलीज होयत एहि तरहक बात-विचार निर्माता नीतू चन्द्रा द्वारा ट्विट कयल गेल अछि। हालांकि रिलीज लेल उपलब्ध नया डिजिटल प्लेटफार्म केर कोनो नामी-गिरामी मंच मैथिली फिल्म केँ रिलीज करबाक लेल तैयार नहि भेल, लेकिन ई लोकनि एहि लेल कोनो साधारण अथवा बिहार केर अपन अलग प्लेटफार्म तैयार कय केँ ‘मिथिला मखान’ केँ रिलीज करबाक बात कहि रहली अछि। संगहि, आगामी समय मे सेहो बिहारक कलाकार सब सँ एकजुट भऽ बिहारक भाषा, संस्कृति आ समाज पर आधारित फिल्म केर निर्माण करैत आगू बढबाक सेहो निरन्तर अपील ओ अपन ट्विटर मार्फत करैत आबि रहल छथि। एहि सँ पहिने फिल्म रिलीज लेल प्रायोजक आदिक खोजी करबाक, समुचित पूँजी प्रबन्धन आ बाजार उपलब्ध करेबाक आवश्यक तैयारीक नाम पर फिल्म रिलीज मे विलम्ब होइत रहल अछि। हाल एक नवका पोस्टर सेहो जारी कयल गेल अछि जे काफी आकर्षक ढंग सँ फिल्मक प्रचार करैत बुझायल। आगू देखी जे रिलीज आ दर्शक केर प्रतिक्रिया एहि फिल्म प्रति केहेन होइत अछि।
८. विद्यापति पुरस्कार वितरण सम्पन्न

विद्यापति पुरस्कार २०७६ कर पुरस्कृत स्रष्टा
नेपाल मे पूर्व प्रधानमंत्री डा. बाबूराम भट्टराई केर कार्यकाल मे स्थापित मैथिली भाषा संरक्षण-संवर्धन केर अक्षय कोष सँ प्रत्येक वर्ष ५ गोट पुरस्कार देबाक कार्य २०७६ विक्रम संवत साल लेल वितरण कय देल गेल अछि। ११ जुलाई २०२० शनि दिन जनकपुर मे आयोजित समारोह द्वारा ई पुरस्कार पुरस्कृत स्रष्टा लोकनि केँ हस्तान्तरण कयल गेल अछि। विद्यापति पुरस्कार कोष द्वारा २०७६ सालक पुरस्कृत व्यक्ति ओ विधाक सम्बन्ध मे पूर्वहि मे घोषणा कय देल गेल छल। वैह पुरस्कार जनकपुरधाममे वितरण भेल अछि। पुरस्कृत व्यक्तित्व लोकनि मे चन्द्रशेखर उपाध्याय (भाषा-साहित्य), लक्ष्मण मंडल (कला-संस्कृति), शिव नारायण पंडित (अनुवाद), दिनेश यादव (अनुसंधान), उपेंद्र भगत नागवंशी (पांडुलिपि) छथि। नेपालक प्रदेश २ केर प्रदेश प्रमुख तिलक परियार केर प्रमुख आतिथ्य, कोषक अध्यक्ष डा.रामसागर पंडित केर अध्यक्षता तथा सचिव नवीन मिश्र केर संचालन मे पुरस्कार वितरण कार्यक्रम सम्पन्न भेल। मैथिली भाषा-साहित्यक वास्ते यैह पुरस्कार सर्वोच्च अछि। निश्चित एहि पुरस्कार केर बल पर मैथिलीक नया प्राण-दान भेटैत छैक। हालांकि आलोचकक कहब सेहो ध्यान दय योग्य छैक जे मैथिलीक विभिन्न विधा मे कयल जा रहल कार्य केर लाभ जमीनी स्तर पर मैथिली भाषाभाषी केँ कोन तरहें भेटैत छैक, ताहि दिशा मे सेहो समुचित प्रयासक जरूरत अछि। सम्मानित स्रष्टाक कार्य सँ जमीनक लोक सेहो जुड़थि, बुझथि – तेकर सकारात्मकता सँ मैथिली भाषा-साहित्यक बेसी हित हेतैक। केवल तुष्टिकरण लेल पुरस्कार वितरण सँ व्यक्तिक प्रसन्नता संभव छैक, धरि एकर सार्थक उपयोगिता पर सवाल बनले रहतैक, एहि विन्दु पर सेहो पुरस्कार वितरण लेल गठित कार्यसमिति आ बौद्धिक समाज केँ ध्यान देबाक चाहियनि।
अन्त मे एकटा महत्वपूर्ण विचार –
भाषा आ व्याकरण केर अन्तर्सम्बन्ध एक आम आदमी केँ कम बुझल रहैत छैक, लेकिन जे भाषाक शिक्षा ग्रहण कएने रहैछ ओकरा मे बहुत रास वैयाकरणिक विचार संग भाषा केर परिष्करण – शुद्धीकरण आदिक चिन्तन अवश्य रहैत छैक।
भाषाक सेवा मे लेखनकार्य कयनिहारक जाति देखबाक कार्य राजनीतिक चरित्रक व्यक्ति करैत रहल अछि, लेकिन वैह राजनीतिक व्यक्ति सँ जखन शिक्षा मे भाषाक सवाल करब त निरीहता छोड़ि ओकरा पास दोसर कोनो विकल्प नहि रहैत छैक।
किछु मित्रगण केर चिन्तन मे भाषा-साहित्य सँ नाम कमेबाक एकटा होड़ देखैत छी। परञ्च भाषा-साहित्य मे बेहतरी कोना कयल जा सकैत अछि, ताहि पर छूछ राजनीति देखैत छी। हमर अनुरोध एतबे रहत जे यदि समाजक सही मे हित चाहि रहल छी तँ शिक्षा मे भाषाक महत्व पर बेसी काज करू। अन्यथा जीवन भरि कूथिकय मरि जायब, जेना नेहरूजीक समय सँ भारत मे गरीबी केवल राजनीतिक शिगूफा रहल, किछु तहिना मैथिली भाषा मे सर्वहाराक सहभागिता अहाँक सपना रहत।
हरिः हरः!!