जनभावना मे बढि रहल अछि मैथिली-मिथिलाः भारतीय पोलिटिकल डिस्कोर्स पर एक नजरि

भारतीय पोलिटिकल डिस्कोर्स मे मैथिली-मिथिला
 
मैथिली-मिथिला लेल एकरा ‘अच्छे दिन’ कहि सकैत छी जे सिर्फ राष्ट्रवादी विचारधारा मे मौलिक संस्कृतिक आधार पर समर्थन दैत आबि रहल दल विशेष मात्र नहि, बल्कि आब एकरा लेल लगभग सर्वदलीय समर्थन जुटि रहल अछि। एकर श्रेय निश्चित रूप सँ युवा सहभागिता मे अपन भाषा आ अपन संस्कृति संग अत्यन्त समृद्ध आ प्राचीन सभ्यता ‘मिथिला’ प्रति जनजागरणक बढैत स्तर केँ देल जा सकैत अछि। विगत एक दशक सँ जाहि तरहें युवा, महिला, विद्यार्थी, आदि मे अपन मौलिक पहिचान प्रति आकर्षण बढि रहल अछि, एकरे सुखद परिणाम बुझू मैथिली-मिथिला प्रति राजनीतिक समर्थन। एहि सँ पूर्व धरि ‘मैथिली-मिथिला’ केँ एक खास वर्ग आ अक्सर ‘एलिट्स’ लेल आरक्षित कहल जाइत रहल छल। लेकिन सामाजिक संजाल जेहेन सहज पटल पर भाषा-साहित्य, कलाकर्म, फिल्म, रंगकर्म, विकास बोर्ड, राज्यक मांग, एयरपोर्ट, मिथिलाक्षर, महिला उत्थान, सुच्चा मैथिल सँ पिछड़ा-दलित आ ब्राह्मणेत्तर समाजक सहभागिता आदि अनेकों डिस्कोर्स पर जमिकय चर्चा-वर्चा सब भेल, आइ तेकरे देन कहि सकैत छी पोलिटिकल स्ट्रीम मे ‘मैथिली-मिथिला’।
 
एहि पोस्ट संग संलग्न पोस्टर देखला सँ अवगत होइत छी जे भारत देशक सर्वथा प्राचीन आ सर्वाधिक समय सत्ता संचालन करयवला राजनीतिक दल ‘भारतीय कांग्रेस पार्टी’ द्वारा ‘मैथिली-मिथिलाक समृद्धि आ विकास’ केर मुद्दा केँ पोलिटिकल डिस्कोर्स मे शामिल कयलक अछि। जदयू आ विशेष रूप सँ जल संसाधन विभागक मंत्री संजय झा द्वारा अक्सर #मिथिला केँ संवर्धन-प्रवर्धन तथा भविष्यक कतेको विकास सम्बन्धी योजना मे सेहो ‘मिथिला’ शब्दक प्रयोग एहि डिस्कोर्स केँ एन्डौर्समेन्ट (समर्थन) करैत अछि। राष्ट्रीय जनता दल केर उभरैत युवा नेता आ कि लालू यादव जीक उत्तराधिकारीक रूप मे पार्टीक सर्वेसर्वा नेता तेजस्वी यादव संग पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवीक खुल्ला समर्थन मे सेहो मैथिली-मिथिला स्पष्ट तौर पर देखाइत रहल अछि। कहबाक तात्पर्य ई भेल जे लोकतंत्र मे जनमत जेहेन अमूल्य सम्पदा संग हमर-अहाँक मौलिक पहिचान जुड़ि गेल अछि। एतय हम फजली आयोग (भारत मे १९५३ केर आसपास गठित राज्य पुनर्गठन आयोग) केर ओहि महत्वपूर्ण टिप्पणी केँ मोन पाड़य चाहब जाहि मे कहल गेल छल कि ‘जनभावना में मिथिला राज्यक मांग’ नहि अछि, केवल एलिट्स द्वारा एहि तरहक मांग कयल गेल अछि। मो. फजली अपन स्वयं केर बिहार मे न्यायाधीश बनिकय काज करबाक अनुभव आ स्थानीय बुद्धिजीवी सभक संग बातचीत केर जिकिर सेहो कएने छथि आयोगक प्रतिवेदन मे। ओ स्थिति आइ करीब ६५ वर्षक बाद २०२० मे आबिकय बदलल बुझाइत कहि सकैत छी। मैथिली केँ बोली सँ भाषा बनय मे सेहो १९३० सँ २००३ धरिक संघर्षक वर्ष जोड़ला सँ करीब ७३ वर्षक हिसाब बैसैत अछि।
 
एम्हर मैथिल समाज रहिकाक प्रमुख व्यक्तित्व सह कांग्रेसक एक पुरान नेता शितलाम्बर झा ‘ग्लोबल मैथिल’ समूह केँ सूचित करैत कहैत छथि –
 
“एकटा खुशीक बात अछि जे बिहार कांग्रेस कार्यसमिति सँ फैसला लेलक जे मैथिलीक पढ़ाई प्राइमरी स्कूल में हो आ मैथिली शिक्षक केँ बहाली हेबाक अगिला विधानसभा चुनाव के घोषणा पत्र में शामिल करत। कांग्रेसनीत सरकार बनैत एहि पर तुरंत फैसला होयत। हम दोसरो दल सँ निवेदन करब जे ओहो लोकनि एहि तरहक फैसला करथि।”
 
समूहक एक मूल्यवान् सदस्य आलोचनाक शब्द कहैत शितलाम्बर झाक उपरोक्त घोषणा पर कांग्रेस लेल एकटा ठोकल कथन दागि देलखिन –
 
“जखन करबाक छलैन, त उर्दू के द्वितीय राजभाषा बनौलनि। आर्यावर्त, मिथिला मिहिर, अप्पन अहम मे बंद करौलनि। आब राधा केँ नै नौ मोन घी हेतैन, नै राधा नचती। मैथिल छी, कियो किछ कहलक त विश्वास केलौंह।”
 
बात सम्हारैत हमर प्रवेश एहि वार्ता मे किछु एहि तरहें भेल –
 
“बहुत सुन्दर निर्णय। शितलाम्बर बाबू केँ प्रणाम! प्रेमचन्द्र मिश्र जी द्वारा ट्विट पर सेहो देखने रही। बधाई मैथिलीभाषी।”
 
संगहि राजेश बाबूक आलोचना ऊपर हमर कथन छल –
 
“सर हतोत्साहित हेबाक जरूरत नहि। नीक केँ नीक कहू। बीतल समय घुरत नहि। मुदा आगू समय अबिते रहत। बीतल पर कानू जुनि। नीक भविष्यक लेल हम सब जिबैत छी।”
 
चूँकि मिथिला मे सेहो कांग्रेस पार्टीक जड़ि सब दिन मजबूते रहलैक, ललित नारायण मिश्र सँ लैत कय गोट महत्वपूर्ण नेता राष्ट्रीय स्तर धरि अपन लोकप्रिय छवि सेहो बनौलनि। शितलाम्बर बाबू समान कइएक लोकप्रिय समाजसेवी लोकनि आइ धरि एहि पार्टीक लोयल कार्यकर्ता बनिकय जीवन बढा रहला अछि। हमरा मत मे कांग्रेस केर स्थिति पर निम्न बात सेहो कहलियनि –
 
कांग्रेस पार्टी, कार्यकर्ता, समर्पित कांग्रेसी नेता – देश पर स्वतंत्रता पूर्व आ स्वतंत्रता उपरान्त बहुल्य समय सक्रिय राजनीति मे रहला अछि। वर्तमान समय जाहि तरहक संकट सँ गुजरि रहल अछि तेकर एकमात्र कारण छैक ‘गांधी-नेहरु परिवार’ पर अनावश्यक रूप सँ निर्भरता। एहि तरहक निर्भरता सँ आइ एकटा राजनीतिक दलक भविष्य अधर मे अछि। लेकिन एहि विन्दु पर पार्टीक सांगठनिक संरचना व विधान अन्तर्गत चिन्तन हेबाक चाही। संगहि, कांग्रेसी नेता अधिकांश समय सत्ताक स्वाद चखलनि आ अनेकों एहेन कार्य कयलनि जे लोकक मन-मस्तिष्क पर गलत छवि निर्माण कय रहलैक अछि। ऊपर जाहि तरहें राजेश बाबू सवाल उठौलनि, विगत केर कमजोरी दरसेलनि, एहि सब पर मंथन करैत भविष्य लेल एकटा नीक रणनीति सहित जनता मे नया भरोसा कायम करैत मात्र सत्ता मे वापसी कय सकत, एना हमरो लगैत अछि।
 
से बहुदलीय प्रजातंत्र मे सब दल केर अपन सम्मान छैक, सभक नजरि मैथिली-मिथिला प्रति सदिखन सकारात्मक रहैक, यैह शुभकामना!
 
हरिः हरः!!