कोरोनाक त्रासक बीच नेपाल-भारत सम्बन्ध बिगड़बाक भयावह त्रास
एहि कोरोनाकाल मे राजनीतिक उथल-पुथल सेहो कय तरहक करोट फेरि रहल अछि। विश्व भरि मे कतेको ठाम आपसी प्रतिस्पर्धा आ द्वंद्व केर कारण विवादक माहौल बनल देखल जाइछ त कतेको ठाम युद्ध समान स्थिति सेहो बनल देखि सकैत छी। एहेन अवस्था मे भारतीय उपमहाद्वीप मे भारत-चीन, भारत-पाकिस्तान केर विभिन्न विवाद संग आब भारत-नेपाल केर विवाद सेहो लिस्ट मे जुड़ि गेल अछि। हालांकि भारत-नेपाल विवाद केर स्थिति अन्य दुइ देश सँ भिन्न अछि, लेकिन नेपाल द्वारा निरन्तर जाहि तरहक भारत विरोधी वातावरण बनि रहल अछि तेकर संकेत साफ अछि जे सर्वश्रेष्ठ हितैषीक मित्रराष्ट्र कम सँ कम भारत मात्र नहि रहत आ आब नेपालक सत्ताधारी दल या अन्य राजनीतिक दल केर नजरि मे भारत केँ बेसी भाव-बट्टा देल जेबाक पूर्वकालिक समर्पण नीति नहि रहत।
हालक कइएक विवादपूर्ण बात-विचारक कारण दुनू देश मे रहि रहल नागरिक सब सँ बेसी त्रसित अछि। लाखों नेपाली भारत मे, लाखों भारतीय नेपाल मे – दुइ राष्ट्रक बीच बिगड़ैत सम्बन्धक कारण एक-दोसर केर देश मे रहिकय रोजी-रोटी कमेबाक विन्दु पर अनिश्चितताक तलवार लटकैत देखल जा रहल अछि। नेपाल सँ हजारों के संख्या मे छात्र सब भारतीय स्कौलरशीप पाबि उच्च शिक्षा प्राप्त करबाक लेल भारत जाइत अछि – तहिना भारतक हरेक महानगर मे नेपाली कामदार केँ सब सँ बेसी ईमानदार आ मेहनती मानिकय रोजगार भेटैत छैक – लेकिन वर्तमान विवादपूर्ण अवस्थाक असर एहि निर्दोष लोक पर बेसी पड़तैक एकरा नकारल नहि जा सकैत अछि। एतबा नहि, आपसी विश्वास मे कमजोरी एला सँ आर्थिक अवस्था पर सेहो नकारात्मक असर पड़तैक, आपस मे वैवाहिक सम्बन्ध बनेबाक स्थिति आगू बिगड़ैत चलि जेतैक, एहि सब विन्दु पर सोचला सँ कोरोना महामारीक त्रासक बीच एकटा भयावह त्रास दुइ मित्रराष्ट्र बीचक सम्बन्ध बिगड़बाक कारण बनि रहल छैक एहि मे दुइ मत नहि। दुनू राष्ट्रक भविष्यक चिन्ता कयनिहार एहि सब विन्दु पर उचित ढंग सँ सोचथि, एहि लेख केर यैह अभिप्राय अछि।
८ मई २०२० केँ भारतीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह द्वारा दार्चुला सँ कैलाश मानसरोवर जायवला साविक केर पैदल मार्ग केँ मोटरेबल रोड बनबैत लगभग ८० किलोमीटर सड़कखंडक उद्घाटन सँ नेपाल मे पैघ प्रतिक्रिया अनलक। नेपाल व भारत बीच पहिनहि सँ सूचीकृत सीमा विवाद मे कालापानी क्षेत्रक विवाद पर आपसी बातचीत करबाक बुंदा लम्बित रहितो, चीन संग लिपुलेख पास होइत भारत-चीन व्यापार-व्यवसाय लेल मार्ग निर्माणक द्विपक्षीय समझौताक लेल नेपाल द्वारा समुचित विरोध करबाक ५ वर्ष बितलाक बादो, पैछला साल नवम्बर महीना मे जम्मू-काश्मीर-लद्दाख केर संवैधानिक स्थिति मे परिवर्तन उपरान्त नव नक्शा जारी कयलाक बादो ओहि नक्शा मे कालापानी केँ भारतीय नक्शा मे देखेबाक निउं पर नेपाल मे काफी तेज विरोध भेलाक बादो, फेर सँ लिपुलेख होइत दार्चुला-मानसरोवर मार्ग बनेबाक एकपक्षीय कार्रबाई केर विरोध नेपाल केर जनता एवं सरकार द्वारा कयल गेल अछि, संग-संग नेपाल सेहो अपन नव नक्शा जारी कय केँ काली नदीक पूबक हिस्सा सुगौली सन्धि १८१६ अनुसार स्वयं केर हेबाक बुन्दाक आधार पर काली नदीक असल मुहान ‘लिम्पियाधुरा’ केँ मानैत हाल भारतीय क्षेत्र मे रहल लिम्पियाधुरा, लिपुलेख सहित कालापानी केँ अपन देशक हिस्सा मानलक। संगहि एहि नव नक्शा सहितक नेपालक राष्ट्रीय निशान छाप केर पूर्वस्थिति मे सुधार अनबाक लेल संविधानक दोसर संशोधन विधेयक सेहो सर्वसम्मति सँ दुनू सदन एवं राष्ट्रपति सँ अनुमोदन सेहो करा लेलक।
नेपालक प्रधानमंत्री ओली द्वारा एहि बीच भारतक मादे बहुत कड़ा शब्द सभक प्रयोग कयल गेल। चीन सँ खतरनाक वायरस भारत केर होयबाक टिप्पणी सदन मे नेपाली प्रधानमंत्री ओली देलनि। संगहि नव नक्शा निर्माण आ संविधान संशोधनक सदन मे चर्चाक दौड़ान सेहो विवादित जमीन भारत सँ कोनो हाल मे वापस लेबाक कड़ा सन्देश सेहो राष्ट्र केँ ओ देलनि। आर, एहि बीच सत्ताधारी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टीक स्थायी समितिक बैसार मे बहुल्य सदस्य द्वारा प्रधानमंत्री ओलीक नेतृत्व महत्वपूर्ण मुद्दा यथा कोरोना महामारी सँ उपजल स्थिति सँ देशक जनताक रक्षा आ आर्थिक स्थितिक व्यवस्थापन आदि मे असफलताक संग विभिन्न अन्य मुद्दा मे असफलताक निउं मे राजीनामा केर मांग उठबाक विन्दु पर प्रधानमंत्री ओली द्वारा सार्वजनिक तौर पर भारत केर सह पर हुनका पद सँ अपदस्थ करबाक षड्यन्त्र कयल जेबाक टिप्पणी सेहो देल गेलैक। एखन स्थिति ई छैक जे सत्ताधारी पार्टी एहि सब मामिला मे स्वयं अन्तर्द्वंद्व मे फँसि गेल देखा रहल अछि। प्रधानमंत्री ओली द्वारा भारतक सहपर स्वयं केँ पद सँ हंटेबाक मुद्दा उठेबाक कारण स्थायी समितिक अन्य वरिष्ठ नेता पर सेहो आरोप लागल जे ओ लोकनि भारत सँ मिलिकय एहि तरहक वातावरण बना रहल छथि। अतः प्रतिक्रियास्वरूप पार्टीक सह-अध्यक्ष सेहो पार्टी केर निर्णय, ओलीजीक इस्तीफा अपन मांग हेबाक बात सब बजलाह आर विवाद एखन धरि चरम पर अछिये। हालांकि देशक अवस्था आ पार्टीक दोसर तहक नेता लोकनिक हिसाब सँ एहि आन्तरिक विवाद केँ एहि कुबेर मे उठब उचित नहि कहि प्रधानमंत्री ओली केँ पद पर बरकरार रखबाक आ आपस मे अन्य तरहक समझौता कय आगू बढबाक मत रखैत एखन धरि आपसी मतभेद केँ हंटेबाक प्रयास जारिये अछि।
एहि बीच एकटा आर बड़ा चर्चित घटनाक्रम चलि रहल अछि – चीनक राजदूत हाउ यान्की द्वारा नेपालक एहि राजनीतिक विवाद केँ साम्य करबाक लेल ओ खुलिकय नेपालक प्रमुख सत्तापक्ष-प्रतिपक्ष आदिक नेता संग मैराथन भेंटघांट कय रहली अछि। एहि सन्दर्भ मे सामाजिक संजाल सँ लैत मीडिया एवं नेता लोकनिक बीच खूब वाद-विवाद उठि रहल अछि जे आखिर एक सम्प्रभुतासम्पन्न राष्ट्र केर राजनीतिक विवाद केँ शान्त-साम्य बनेबाक लेल विदेशी राजदूत कोना एतेक सक्रिय भऽ काज कय सकैत छथि, एहि सँ नेपालक छवि अन्तर्राष्ट्रीय समुदायक नजरि मे केहेन बनि रहल अछि, एकर आगामी प्रभाव केहेन पड़त, आदि विन्दु पर खूब चर्चा देखल जा रहल अछि। स्वयं चाइनीज दूतावास द्वारा एहि सम्बन्ध मे दूतावासक सम्बन्ध आ गतिविधि मे ई सब भेंटघांट सामान्य रहबाक बात स्पष्ट कयल गेल अछि। नेपाल मे राजनीतिक कलह केँ साम्य पाड़बाक लेल एहि तरहक प्रयत्न भऽ रहल अछि सेहो कहल जा रहल छैक। एक तरफ प्रधानमंत्री ओलीजीक ई बयान जे भारत केर सह पर हुनका अपदस्थ करबाक प्रयास भऽ रहल अछि, राष्ट्रपति पर महाभियोग अनबाक योजना सेहो बनि चुकल अछि, आर दोसर तरफ चीनक राजदूत केर ई सब आन्तरिक विवाद केँ साम्य पाड़बाक अभियान – कुल मिलाकय नेपाल मे राजनीतिक नियंत्रण विदेशी आका लोकनिक हाथ मे अछि एहि तरहक स्पष्ट सन्देश भेटि रहल अछि।
एम्हर भारतीय मीडिया केर विभिन्न चैनल चीनक राजदूत केर सक्रिय गतिविधि आदिक आधार पर अत्यन्त रहस्यपूर्ण आ लांछणायुक्त समाचार प्रकाशित करैत स्थिति केँ आर विचित्र बना देने अछि। बकौल भारतीय मीडिया नेपालक प्रधानमंत्री आ चीनक राजदूत हाउ यान्कीक बीच गोप्य सम्बन्ध दिश इशारा करैत नेपाल केर राजनीति पर चीन कियैक हावी भऽ रहल अछि ताहि दृष्टिकोण सँ निरन्तर समाचार सम्प्रेषित कयल जा रहल अछि। एकर विरोध मे काल्हि सँ केबल आपरेटर लोकनि भारतीय न्यूज चैनल केँ देखेनाय बन्द कय देलक नेपाल मे। नेपाल सरकार केर मंत्री सेहो एहि सम्बन्ध मे संवरण राखि स्वच्छ आ स्वस्थ संचारकर्म लेल अपील कयलनि अछि। लेकिन कतहु-कतहु एकर विपरीत प्रतिक्रिया सेहो आबि रहल अछि। लोकक दिमाग मे ई प्रश्न बेर-बेर आबि रहलैक अछि जे यदि भारतीय मीडियाक कथन गलत छैक, लांछणायुक्त छैक, त फेर ई चीनक राजदूत आवश्यकता सँ बेसी एहि कुबेर मे राजनीतिक नेता सब सँ एहि तरहें बेतहाशा भेंटघांट मे कथी लेल व्यस्त छथि, नेपालक मीडिया एहि भेंटघांट पर कतेक सही, सटीक आ समुचित संचारकर्म कय रहल अछि, ई सब सवाल उचिते उठि रहल छैक। नेपालक मीडिया कतेक गम्भीर आ निरपेक्ष समाचार सम्प्रेषण कय रहल छैक से अहु बात सँ स्पष्ट होइत छैक जे भारत द्वारा नक्शा प्रकरण पर २४ जून केँ पठायल कूटनीतिक नोट केर सम्बन्ध मे काल्हि ९ जुलाई केँ समाचार प्रकाशित भेलैक, सेहो पूरे विस्तार सँ नहि बल्कि नाममात्र। चीनक राजदूत संग राजनीतिक नेता लोकनिक भेंटवार्ताक सम्बन्ध मे विदेश मंत्रालय केँ जे सूचना हेबाक चाही, जे औपचारिकता पूरा करबाक चाही, ताहि सभ पर सेहो समाचार अंधकारहि मे बेसी छैक। एहेन सन अवस्था मे भारतीय मीडियाक मसाला समाचार आ फिल्मी शैली मे सन्देहपूर्ण-रहस्यपूर्ण बात-विचार केर प्रसार करब पब्लिक मन-मस्तिष्क केँ बेसी प्रभावित करब स्वाभाविक छैक। लेकिन हाल लेल ई भारतीय न्यूज चैनल सब नेपाल मे बन्द कय देल गेलैक अछि। आब देखा चाही जे एहि सब बातक समग्र मे कि असर पड़तैक!
बीच मे अंगीकृत नागरिकता – यानि विदेशी महिला जाहि मे भारतीय महिला सेहो पड़ैत अछि, तिनका संग विवाह कयला उत्तर नेपाल मे ७ वर्षक बाद अंगीकृत नागरिकता देल जेबाक सुझाव सत्ताधारी दल द्वारा कयल गेलैक आर एहि पर सदन मे चर्चा निरन्तरता मे रहैक। लेकिन ता धरि स्थायी समितिक बैसार आ प्रधानमंत्री ओली जी सँ पार्टी अध्यक्ष एवं प्रधानमंत्री दुनू पद सँ इस्तीफाक मांग व उपरोक्त वर्णित अति-राजनीति सँ मामला दोसरे दिश मुड़ि गेलाक कारण हाल लेल प्रधानमंत्री ओलीक निर्देश पर सदन केँ स्थगित कय देल गेलैक जेकरा राष्ट्रपति विद्यादेवी भंडारी सेहो स्वीकृति दय देलखिन। एहि विषय पर सेहो राजनीतिक तापक्रम काफी हाई छैक नेपाल मे। विश्लेषक लोकनिक अनुसार ई स्थगन कोनो अध्यादेश आनि पार्टी विभाजन कय सत्ता अपना हाथ मे रखबाक उपक्रम लेल कयल गेलैक अछि।
आब बुझि सकैत छी जे एहि २०२० ई. केर आरम्भहि सँ महामारी ‘कोरोना कोविड-१९’ केर मारि सँ जन-जन मे त्रास अछि, लेकिन एहि त्रास मे हालक विद्यमान राजनीतिक वाद-विवाद आ खेलावेला आर बेसी भयावहताक स्थिति बना रहल अछि। भारत आ नेपाल बीच जाहि तरहक विशिष्ट सम्बन्ध छैक, नेपालक जेहेन भौगोलिक अवस्था आ आर्थिक परनिर्भरता छैक, ताहि सब स्थिति मे एना आपसी सम्बन्ध केँ अति-राजनीति केर ताप पर उसनब कतहु सँ उचित नहि बुझाइत अछि। एहि पर देशक नियंता लोकनि निश्चित ध्यान देता। हम त भारतहु सँ अपेक्षा करैत छी जे एहि विचित्र वाद-विवाद केँ अन्त करबाक लेल अपन इग्नोर करबाक नीति केँ छोड़ि नेपालक सम्बन्धित पक्ष सँ तुरन्त वार्ता आरम्भ कय देबाक चाही। ओना भारत ई कहने छैक जे वार्ता लेल माहौल बनेबाक भार नेपालक राजनीतिक वातावरण पर निर्भर अछि, लेकिन एक पैघ अर्थतंत्र लेल आ संगहि नेपालक अर्थतंत्र केर जिम्मेदारी सेहो स्वयं पर हेबाक असलियत केँ बुझैत उचित वार्ताक प्रयास आरम्भ भेला सँ त्रास आ अनिश्चितता कम हेतैक।
हरिः हरः!!