लेख – गुरु पुर्णिमा
– विन्देश्वर ठाकुर, दोहा, कतार
आजु अखार महिनाक २१ गते २०७७ साल पुर्णिमा तिथि। तदनुसार २०२० साल जुलाई महिनाक ५ तारिक रवि दिन। आजुए दिन हरेक बर्ष गुरु पुर्णिमा एवं व्यास ज्यन्ती मनाओल जाइत अछि। आजुक दिन मनाएल जाइ बला एहि गुरु पुर्णिमाक विशेष महत्व रहल अछि। सनातन धर्ममे गुरु परम्परा अदौ सँ चलैत आबि रहल अछि। एहि सम्बन्धमे श्रीराम भक्त हनुमान जी जखन अपन मात-पिता केशरी आ अंजनीक अज्ञा सँ सूर्य भगवान संग ज्ञान लेबाक लेल गेलनि आ अनेकानेक ज्ञान प्राप्त केलनि से कथा सेहो प्रचलित अछि। तें आजुक दिनमे सूर्यदेव के साथ साथ हनुमानजीक सेहो आराधना कएल जाइत अछि।
तहिना बेद व्यास जीक जन्म सेहो आइके दिन भेलाक कारणे व्यास ज्यन्तीक रुपमे सेहो आजुक दिनके पैघ महत्व रहल अछि। परासर मुनीक पुत्र वेदव्यास जी हिन्दु धर्मक चारिटा वेद, १८ गोट पुराण, पौराणिक धर्मग्रन्थ महाभारत तथा कृष्णभक्तिक मोक्षप्राप्त हेतु अति सुगम काव्य श्रीमद् भागवत गीताक रचयिता छथि। मान्यता अछि जे श्रीमदभागवत गीता प्रभु श्रीकृष्ण स्वयं ब्रम्हाके सुनौलनि। ब्रम्हा जी नारदमुनीके आ नारदमुनी जी वेदव्यासके सुनौलनि। एहि तरहे एहि धर्मग्रन्थके उत्पति भेल। हमरालोकनिक जिनगीक हरेक पथपर एहि धर्मग्रन्थ सँ शिक्षा-दीक्षा लैत छी आ अपन जीवन सार्थक बनबैत छी। तें वेद व्यास जी हमरासबहक लेल प्रेरणाक स्रोत भेलनि। गुरु भेलनि।
तेसर प्रसंग अछि गुरु द्रोणाचार्य आ एकलब्यके कथा। एहिमे एकलब्य द्रोणाचार्य जीक प्रतिमा बनाक’ नित दिन अपन मेहनते आ निष्ठा सँ धनुष विद्यामे पारंगत भेल बात उल्लेख अछि। धनुष विद्यामे पारंगत भेल एकलब्य जखन अपन तालीम करैत काल अर्जुन आ द्रोणाचार्यक पुत्र अश्वत्थामा द्वारा लाओल गेल स्वाङ सँ ध्यानभंग होइत अछि आ ओकर मुंहमे वाण ध’ मुंह बन्द कऽ दैत अछि तहन अर्जुन अपनाके विश्वके सर्वश्रेष्ठ धनुर्धारी नै रहल आशंका व्यक्त करैत अछि आ तुरन्त गुरु द्रोणाचार्यके लग पहुँचैत अछि। सब बात सुनला उपरान्त गुरु द्रोणाचार्यके अपन वचन याद अबैत अछि जे कोन तरहे राजा द्रुपद ओकरा अपमानित केने रहथि आ ओएह बदला लेब लेल अर्जुनके लगनशीलता देखि सर्वश्रेष्ठ धनुर्धारी बनेबाक वचन देने रहथि। अपन वचन पूर्ण करए हेतु गुरु द्रोणाचार्य गुरु दक्षिणा स्वरुप एकलब्यके दहिना औंठा मंगैत अछि आ एकलब्य बिना कोनो हिचकिचाहटके खुशी-खुशी अपन अंगुठा दान कऽ दैत अछि।
जिनगीमे सबगोटेके कियो ने कियो गुरु होइत अछि। जन्म देनिहार माए-बाबुजी बच्चाक लेल सब सँ पहिल गुरु होइत अछि। तत्पश्चात बढैत उमेर आ परिस्थितिके हिसाबे एक एक डेगपर एक-एक गुरु होइत अछि। विद्यालयमे पढैत कालके गुरु, कलेजमे पढैत कालके गुरु, कार्यक्षेत्रमे काज सिखौनिहार गुरु, संस्कार सिखौनिहार, असल-खराबके फरक देखौनिहार ई सब गुरु अछि। जिनगीक सब सँ पैघ गुरु होइत छै प्रकृति आ समय। समय अपने आपमे अतेक शक्तिशाली होइत छै जे अहाँके स्वयं सब पाठ सिखा दैत छै।
एकगोट नीक विद्वान कहने छथि जे विद्यालयके परीक्षा आ जिनगीक परीक्षामे पैघ अन्तर छै किएकी विद्यालयमे पहिने सिखबैछै आ तहन परीक्षा लेल जाइछै मुदा जिनगी पहिने परीक्षा लैत छै तहन सिखबैत छै। प्रकृति सेहो मनुखके बहुत किछु सिखा दैत छै। तें जीवनमे समय आ परिस्थिति हिसाबे अपनाके बदलैत रहब आ सकारात्मक बाटमे चलैत रहब बेस जरुरी होइत छै।
संस्कृतमे एकटा श्लोक छै –
“गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णु, गुरुदेवो महेश्वर,
गुरु साक्षात् परम ब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नम:॥”
अर्थात्, “गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णु आ गुरुए भगवान शंकर छथिन, गुरुए छथिन् साक्षात् परमं ब्रह्म, अत: गुरुजीके प्रणाम करैत छियनि!”
आजु एहि गुरु पुर्णिमाक पावनि अवसर पर हमर पहिल गुरु मात-पिता (श्री सूर्यनारायण ठाकुर-श्रीमती तुलफी देवी), तहिना जिनगीक सभ्य संस्कार, धैर्य-विश्वास सिखौनिहार हमर आदरणीय गुरु स्वर्गीय बाबा लक्ष्मी ठाकुर आ दाइ देवसुनर देवी, हमर कुलगुरु आदरणीय राम अधार जी, हमरा लिख’ पढ’ लाएक बना देनिहार हमर विद्यालयके गुरु श्री पवन मण्डल, हमर साहित्यिक गुरु आदरणीय धीरेन्द्र प्रेमर्षि जी, साहित्यिक बाटमे सल्लाह-सुझाब देनिहार आदरणीय गुरु प्रवीण नारायण चौधरी जी लगायत जिनगीक हरेक डेगपर असल आ सार्थक ज्ञान देनिहार अपने सम्पूर्ण गुरुजनप्रति हृदय सँ नमन करैत छी। संगे अपनेसबहक आशीर्वाद-दुलार सदैव अहिना भेटैत रहत से आस करैत छी।
अन्तमे अपने सबगोटेक जीवन सफल, सुखद आ सार्थक रहए। जिनगीक हरेक क्षेत्रमे सफलता भेटए। सभ्य आ नीक गुरु सँ उपयोगी ज्ञान भेटए सएह आकांक्षा संग गुरु पुर्णिमाक हार्दिक बधाई तथा मंगलमय शुभकामना व्यक्त करैत छी!