दूधक कर्ज (मैथिली कथा)

दहेज मुक्त मिथिला पर साहित्यिक सृजनक संग वैवाहिक परिचयक आयोजन होइत अछि - संचालिका वन्दना चौधरी

मैथिली कथा

– वन्दना चौधरी, विराटनगर

दूध के कर्ज 

आय हवेली घर में खूब भोज भात भ रहल छल। पूरा गाम में सब जाना निमंत्रण छल। खूब चहल पहल चारू दिस मचल छल, सभक चेहरा पर खुशी के झलक ओहिना देखाइत छल, और देखेबो केना नै करतैक, एतेक बरखक बाद गामक मुखिया चौधरी साहब के पोता जे भेल रहैन। आय ओकरे नामकरण संस्कार छलैक। लेकिन मुखिया जी के पुतहु स्वाति के चेहरा पर जेना कतौ ने कतौ उदासी छेलैन्ह। तेकर कारण छल जे जखन हुनकर पुत्र जन्म लेने रहथिन त हुनका रधिया नामक एकटा चमैन जे कि प्रसव सेहो करेने रहैन, वैह बच्चा के अपन पहिल दूध पिएने छल। लेकिन आय अहि खुशी के अवसर पर ओकरा अहि भोज में नहि देखि हुनक मोन विह्वल छेलैन्ह। सासु के कहलखिन्ह त ओ कहलखिन्ह जे आयल हेतै रधिया बाहर में दलान दिस, और भोज खा क गेल हेतैक।

लेकिन स्वाति के लगलैन जे आय आशीर्वाद देबय वाला लोक सब में अगर रधिया नै एतय त हमर बेटा के आशीर्वाद पूर्ण नै होयत, और ओ सासु लग अपन इच्छा प्रकट कएलखिन्ह। सासु कहलखिन्ह अहाँ पागल भ गेल छी की, अहि बीच में ओकरा कोना क बजेबय, हमर सब सगा सम्बंधी जे गाम गाम स आयल छैथ ओ सब कि कहथिन जे एकटा चमैन के हाथे आशीर्वाद दियाबय छेथिन, एतेक गणमान्य लोक सब के रहैत। एहेन बात निकालू दिमाग स आ बच्चा पर ध्यान दियौ, से कहि क ओ स्वाति के कमरा स बाहर चैल गेली, पाहुन सब के देखय लेल।

इम्हर स्वाति के मन छटपटा रहल छेलैन। ओ अपन कमरा स चुपचाप बाहर निकलि, मुंह झपने रधिया के ताकै लेल निकैल गेली दलान दिस, और घरक नोकर के सहायता स ओ भेट गेलनि, दलान पर। ओकरा कनि कात में बजा क कहलखिन जे अहाँ हमर बेटा के माथ पर हाथ राखि ओकरा अपन आशीर्वाद दियौक। रधिया डराकय पाछू हंटि गेल जे मैलकैन ई कि कहैत छी, ई त बौवा मालिक छेथिन, आ हम एकटा चमैन छी अहि गामक। हमर स्पर्श त कि हमर छांहो नै हिनका पर पड़य देबनि हम। लेकिन स्वाति नै मानलखिन, जिद पकैड़ लेलखिन्ह जे पहिल दूध अहीँ एकरा पीएलियै, ओहि हिसाब स एकर पहिल माय अहीँ छियै। आय हम अहाँ स एकरा लेल अपन आँचर पसारि अहाँ सँ आशीर्वाद मांगय छी।

रधिया के आँखि स दहो बहो नोर बहै लगलै और भैर पाँज बच्चा के कोरा में उठा, अपन छाती स लगा क जी भैर क आशीर्वाद देबय लागल, और कहलक मैलकैन अहाँ धन्य छी जे आय अहाँ हमरा अहि योग्य बुझलौं। त स्वाति कहलखिन्ह जे दूध के कर्ज आय तक कोनो बच्चा नै चुका सकल अपन माय के त हम और हमर बच्चा कतय स चुकबय सकब। और स्वाति बच्चा के कोरा में लेने अपन आँखि पोछैत झटकैर क अपन कोठली दिस क भगली जे कियो देख नै लिए। एम्हर रधिया सेहो अपन आँगन दिस क विदा भेल एकटा अद्भुत सम्मान के संग जे आय तक ओकरा कियो नै देने छल अहि स पहिने।