विगत दुइ हप्ता सँ नेस्ले इन्डिया द्वारा निर्मित नुडल्स खाद्य गुणस्तर जाँच मे फेल भेलाक कारण बहुत पैघ विवाद मे फँसल देखा रहल अछि। उपभोक्ता काफी ठकायल अनुभूति कय रहल अछि, कारण आइ धरि विश्वास पर मैगी नुडल्स केँ सबसँ अधिक लोकप्रिय मानिकय उपभोग करैत रहल छल।
विवाद कि?
उत्तराखंड केर रुद्रपुर मे मैगी नुडल्स बनेबाक एकटा युनिट छैक, इन्डस्ट्रियल इन्टीग्रेटेड इस्टेट, पंतनगर केर हाता मे अवस्थित एहि कारखाना सँ भारतक सबसँ पैघ राज्य उत्तरप्रदेश सहित पड़ोसी अन्य राज्य केँ मैगी सप्लाइ कैल जाइछ। फूड सेफ्टी एण्ड स्टैन्डर्ड अथरिटी अफ इन्डिया यानि एफएसएसएआइ द्वारा उपभोग्य खाद्य पदार्थक नमूना जाँच करबाक आ गुणस्तर प्रमाणित करबाक नियम संग-संग निर्माता द्वारा पूर्व अनुमति लेब जरुरी होइत छैक। एखन धरिक जाँच, परिणाम आ कार्रबाई केर ब्योरा देखला सँ पता चलैत छैक जे पहिने उत्तराखंड मे, फेर उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, मध्य प्रदेश, केरल, गोआ आ क्रमश: सब राज्य मे मैगीक सैम्पल चेक कैल जाइत छैक आ एक्कहि प्रकारक समस्या सब ठाम अभरैत छैक – “शीशाक मात्रा बेसी आ मोनो सोडियम ग्लुटामेट यानि अजीनोमोटो केर प्रयोग बिना कोनो लेबल घोषणा केनहिये मैगी मे पाओल गेलैक” जे मानव स्वास्थ्य लेल अत्यन्त हानिकारक छैक आ ताहि कारण मैगीक उपभोग पर प्रतिबंध लगायल गेलैक अछि।
नुडल्स या पैकेज्ड फूड केर मूल कि?
रेडी टु इट यानी खेबा लेल तैयार – रेडी फर कन्जम्पसन यानि उपभोग लेल तैयार – एहि दुइ वर्ग मे पैकेज्ड फूड्स केर अनेको प्रकार आजुक बाजार मे सर्वत्र उपलब्ध छैक। पारंपरिक खाद्य परिकार केर उपयोग वर्तमान व्यस्त नारी-पुरुष केर समाज केँ किचन केर झंझैट सँ मुक्ति दैत किछु बेसिये लोकप्रिय हाल मे भेलैक अछि। कामकाजी महिला सेहो दुइ मिनट मे काज निबटाबय लेल नुडल्स केर उपयोग बच्चा वा आन लेल नास्ताक रूप मे बेसी करैत अछि। बस पैकेट फाड़ू, गरम पानि मे मिलाउ आ ऊपर सँ मसाला मिलबैत २ मिनट गरम केला पर तैयार भऽ गेल, प्लेट मे लगाउ आ खाउ। यैह थिकैक नुडल्स!
शीशाक मात्रा या एमएसजी केर प्रयोग नुडल्स मे कोना?
हरेक पैकेज्ड फूड्स केँ बनेबाक लेल विभिन्न प्रकारक कच्चा पदार्थ जेना नुडल्स मे मैदा, तेल, मसाला आदि केर प्रयोग कैल जाइछ। रासायनिक प्रतिक्रिया सँ ओहि तैयार खाद्य पदार्थ मे स्वस्फूर्त निर्माण होवयवला एकटा दोषपूर्ण उपस्थिति शीशा केर होइत छैक। ई कच्चा पदार्थ मे कीटनाशक आ केमिकल आदिक प्रयोग सँ होइत छैक, संगहि प्लास्टिक पैकिंग मेटेरियल सँ प्रतिक्रियाक फलस्वरूप सेहो ई भऽ सकैत छैक से फूड कन्टामिनेशन केर थ्योरी सँ स्पष्ट छैक। एहेन आरो किछु कन्टामिनेन्ट्स (अशुद्धि) रासायनिक प्रतिक्रियाक परिणाम सँ बनैत छैक। दोसर बात ई जे पैकेज्ड फूड्स केर सेल्फ लाइफ (जीवनावधि) बढेबाक लेल विभिन्न प्रकारक केमिकल प्रिजर्वेटिव्स (परिरक्षक/संरक्षक) केर प्रयोग कैल जाइछ, तहिना फ्लेवर्स (स्वाद) आ एडेड एट्रीब्युट्स (अतिरिक्त विशेषता) लेल सेहो वर्तमान वैज्ञानिक युग मे अन्तर्राष्ट्रीय मापदंड संग प्रशोधित आ प्रमाणित रसायन आदि मिलायल जाइत छैक। एहि तरहें आपसी प्रतिक्रियाक परिणाम सँ निर्मित खाद्य-दोष सँ शीशा आदि बनैत छैक। एकरा सबकेँ नियंत्रित करबाक लेल एकटा निश्चित प्रक्रिया आ समुचित मापदंड निर्धारित कैल जाइत छैक। मोनो सोडियम ग्लुटामेट केर प्रयोग मसाला मे वा फ्लेवर संग कैल जाइछ, एकरा टेस्ट इन्हान्सर – स्वाद वर्धनकर्ताक रूप मे प्रयोग कैल जाइछ। अन्तर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य संगठन द्वारा तैयार खाद्य पदार्थ मे एकर प्रयोगक मात्रा मानव पाचन सीमा मे करबाक नियम छैक। कुल मात्राक १% धरि मोनो सोडियम ग्लुटामेट केर प्रयोग मानव स्वास्थ्य केर प्रतिकूल नहि हेबाक सिद्धान्त निर्धारित छैक।
खाद्य मिलावट रोकथाम अधिनियम – Prevention of Food Adulteration Act
भारत सहित लगभग हरेक राष्ट्र मे मानवीय खाद्य पदार्थ मे कोनो तरहक मिलावट केँ रोकथाम करबाक लेल कानून बनल छैक। एहि कानून द्वारा निर्धारित लैबरेट्रीज – खाद्य प्रयोगशाला मे हरेक खाद्य पदार्थ लेल समुचित मापदंड मुताबिक जाँच करबाक नियम छैक। एहि लेल खाद्य निरीक्षक केर नियुक्ति कैल गेल छैक जे उपभोक्ताक हित केर रक्षा लेल बाजार सँ सेहो नमूना संकलन करैत जाँच कय सकैत अछि। समुचित मापदंड पर ठाढ नहि भेल उत्पादन केँ बिक्री-वितरण वा निर्माण कार्य नहि कैल जा सकैत अछि। हाल भारत मे एहि लेल FSSAI जिम्मेवार संस्था थिकैक।
मैगीक निर्माता नेस्ले केर दावी
मैगी एक बहुराष्ट्रीय कंपनी नेस्ले द्वारा उत्पादित वस्तु थिकैक। भारत सहित आरो-आरो देश मे मैगी केर उत्पादन कैल जाइत छैक। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त प्रविधि अनुसार एकर निर्माण कैल जाइछ। भारत मे देखा रहल समस्या ‘अंजान संदेह’ केर आधार कहैत कंपनीक ग्लोबल सीइओ बुल्के द्वारा संपूर्ण भारतीय बाजार सँ मैगी फिर्ता लेल जा रहलैक अछि जाहि सँ उपभोक्ता मे बनि रहल अविश्वास केँ समाधान केलाक बाद पुन: बाजार मे उतारबाक बात कहल गेलैक अछि। कंपनी द्वारा शीशाक मात्रा सीमा मे सब उत्पादन मे भेट सकैत छैक, जे मापदंड अनुसार मान्य छैक, सेहो कहल गेलैक अछि। तहिना मोनो सोडियम ग्लुटामेट – एमएसजी उपयोग नहि कैल जेबाक लेबल घोषणाक बावजूद भेटब एकटा अतिश्योक्ति बुझाइत छैक। एहि लेल कंपनी अपन उत्पादन प्रक्रिया आ जाँच प्रक्रिया दुनू वास्ते सरकारी संस्था संग सहयोग करबाक लेल तैयार छी से कहलक अछि। कंपनी इहो घोषणा केलक जे भविष्य मे एहेन घोषणा नहि करब, कारण एमएसजी नेचुरल रियेक्सन सँ सेहो बनि सकैत छैक। मैदा मे ग्लुटेन होइत छैक, नमक केर प्रयोग केला उपरान्त एमएसजी बनबाक संभावना रहैत छैक।
मैगीक असर सँ नुडल्स मार्केट प्रभावित
भारत मे कुल ४००० करोड़ केर बाजार नुडल्स केर हेबाक तथ्य सोझाँ आयल अछि। एहि मे मैगीक अतिरिक्त यिप्पी, टौप रेमन, आदि अनेको ब्रान्ड सँ भारतीय बाजार मे बिक्री-वितरण कैल जाइछ। नेपाल सँ वाइ वाइ जे आब भारतो मे निर्माण कैल जाइछ आ रमपम सहित किछु आरो ब्रान्डक बाजार भारत मे बढियां छैक। हलांकि नेपाली नुडल्स जेकरा तैयारी चाउचाउ केर नाम देल गेल छैक नेपाल मे ताहि मे एमएसजी केर प्रयोगक घोषणा लेबल पर कैल जाइत छैक, एकर मात्रा WHO Standard केर मुताबिक नियंत्रित होइत छैक। संगहि एमएसजी केर प्रयोग करबाक कारणे ‘वैधानिक चेतावनी: १ वर्ष सँ निचाँक बच्चा केँ नहि खुआयल जा सकैत छैक’ सेहो लिखल रहैत छैक। भारत मे आयातिक नुडल्स केर प्रयोगशाला मे जाँच भेलाक बादे एन्ट्री देल जाइत छैक। तथापि वर्तमान संदेह आ विरोधाभासी लहर मे सब नुडल्स पर प्रभाव पड़ब स्वाभाविके छैक।
उपभोक्ताक हित मे संदेहास्पद माहौल सँ ऊबरनाय आवश्यक
देखल गेलैक अछि जे एक राज्य मे मैगीक नमूना जाँचलाक बाद सही पाओल गेलैक अछि तऽ दोसर राज्य मे गड़बड़ – सन्देह इहो छैक जे विदेशी कंपनी आ भारतीय संस्कृतिक विरुद्ध खाद्य शैली केँ निरुत्साहित करबाक लेल एहि प्रकारक माहौल जानि-बुझि बनायल गेलैक अछि। कतहु सँ ई आवाज सेहो अबैत छैक जे भारतीय निर्माता कंपनी द्वारा एहि मुद्दा केँ हवा देल गेलैक अछि आ जाँच प्रक्रिया सब ठाम एक रंग नहि छैक ताहि सँ भिन्न-भिन्न निर्णय स्पष्ट छैक। कोनो राज्य मे प्रतिबंध, कोनो राज्य मे बिक्री-वितरण पर कोनो रोक नहि लगायल गेलैक अछि। राज्य केर सब सरोकारवाला संस्था एहि मे एकाएक सक्रिय भऽ गेलैक अछि। मामिला हाइ कोर्ट मे सेहो चलि गेलैक। खाद्य प्रयोगशालाक कतेको मत हाल धरि सोझाँ आबि गेलैक अछि। लेकिन जरुरत छैक जे एहि अफरातफरीक माहौल केँ अन्त कय उपभोक्ता केँ सही बात सँ अवगत करबैत निर्माण प्रक्रिया केँ आरो पारदर्शी बनबैत बिक्री-वितरण जारी राखल जाय। जाहि तरहक हवा पसारल जा रहलैक अछि से वास्तविकता सँ कतहु न कतहु दूर अवश्य देखाइत छैक।