उकट्ठी छौंड़ा कोना मैथिली छोड़ि आन भाषा मे प्रवेश केलक – व्यंग्य प्रसंग

उकट्ठी मैथिल
– प्रवीण नारायण चौधरी
 
विद्यालय मे ओकर तुलना तेज विद्यार्थी मे होइक, परन्तु ओकरा भीतर एहेन कोन कमजोरी छलैक जे कनिको टा बात ओ नहि पचा पाबय, प्रतिक्रियास्वरूप ओ तरे-तरे दोसर सँ ईर्ष्या आ डाह मे मग्न भऽ कोनो न कोनो उकट्ठ काज करय दिस उन्मुख भऽ जायल करय। एहि तरहें ओ दोस्त कम आ दुश्मन बेसी बनबैत जा रहल छल, लेकिन ओकरा अपना ई भान कहियो नहि भेलैक जे हमर खुराफाती स्वभावक कारण लोक हमरा दहोंदिस दूसि रहल अछि, सिनेह आ भ्रातृत्व जे दैत अछि सेहो सबटा छद्म, क्षुद्र आ देखाबा लेल मात्र।
 
कहबी कोनो बेजा नहि छैक। चाइल, प्रकृति आ बेमाय – तीनू संगहि जाय! कालान्तर मे ओहि मैथिल मे सामाजिक आ राजनीतिक परिवर्तन लेल किछु कार्य करबाक जीजिविषा जागृत भेलैक। देशक राजनीतिक परिवर्तनक दशकों लम्बा संघर्ष ओना त बेसी लोक मे राजनीतिक समझ स्वस्फुर्त भरि देने छलैक, लेकिन ओकर तेज दिमाग आ खुराफातक बाल्यकालक स्वभाव आब मैच्योर्ड भऽ कय ओकरा मे सकारात्मक परिवर्तन लेल किछु कार्य करबाक प्रेरणा भरि देलकैक। ओ सामाजिक संजाल पर परिवर्तन आ विकास केर राजनीतिक संघर्ष केँ आवाज देनाय आरम्भ कय देलक।
 
सामाजिक संजाल पर प्रत्यक्ष भेंट-घांट करनिहारक समर्थन कम आ आभासी समर्थक बेसी भेटैत छैक। ओहि उकट्ठी मैथिल केर चलायल आन्दोलन मे येन-केन-प्रकारेण लाखों लोक जुड़ि जाइत अछि। मुदा ओकरा अचानक लाखों समर्थक भेटि जेबाक अनुभूति भेटिते ओकर भीतरका उकट्ठी फेर कोना न कोना जागि जाइत छैक। ओकर पुरान स्वभाव मे जिद्द आ उकठपनीक कारण कतेको विषय पर अपनहि समझ दोसर पर लादि देबाक किरदानी देखिते किछु सम्भ्रान्त लोक ओकर समर्थन छोड़ि स्वतंत्र रूप सँ अलगे संगठन निर्माण करैत अछि।
 
एहि तरहें अपना सँ कटैत देखि ओ उकट्ठी मैथिल ओहि कटल लोक सभक समर्थित भाषा आ निजता सँ अपना केँ आजाद करब आरम्भ कय दैत अछि। जबरदस्ती सही, अपन भाषा छोड़ि ओ कथित सम्पर्क भाषा मे अपन अधिकांश पोस्ट सब लिखनाय शुरू कय दैत अछि। ओकरो संग वैह दुर्घटना घटित होइत छैक जे ओहि कौआ संग भेलैक जे अपन स्वजाति केँ दुत्कारिकय मयुर संग मिलय गेल, बाद मे मयुरो सब मारिकय भगा देलकैक त आइ कतहु भऽ कय नहि अछि। लेकिन उकट्ठी मैथिल केँ ई अनुभव होइ मे सेहो समय लगतैक।
 
(उकट्ठी मैथिल एकटा प्रतिनिधि पात्र मात्र अछि, एहेन उकठपनी फेसबुक पर जहिं-तहिं देखय मे भेटि जायत।)
 
हरिः हरः!!