भारतक सीएए कानून आ संयुक्त राष्ट्रसंघ मानवाधिकार संगठन द्वारा सुप्रीम कोर्ट सँ दखल लेल याचिका

समीना (Samina Ahmad) हमर धर्म बहिन छी। हम हिन्दू, ओ मुसलमान, लेकिन समीना हमर धर्म बहिन छी आ से सहोदर बहिनक तुलना मे पर्यन्त ओ कम नहि अछि।
 
उच्च-शिक्षित, अंग्रेजी, मैथिली, भोजपुरी, हिन्दी आदि कइएक भाषाक जानकार – कानून, संविधान, राजनीति आदि विद्यमान दर्शन केँ बुझनिहार – समीना यथार्थ मे काफी संवेदनशील आ जागरूक महिला नागरिक केर रूप मे देखाइत रहल अछि।
 
समाज सँ अशिक्षा, पिछड़ापन, गन्दगी, कूरीति आदि दूर करबाक कइएक विमर्श मे समय-समय पर अपन नीक-नीक विचार दैत आबि रहल अछि। दहेज मुक्त मिथिला अभियान मे आइ सँ बहुतो वर्ष पूर्व सोशल मीडिया सँ जुड़ल रहय, आर एक छोट बहिन जेकाँ सदैव जेठ भाइक रूप मे आदर-सम्मान दैत रहल अछि।
 
भारत मे लागू नव कानून “सीएए” पर ओकरो मन-मस्तिष्क मे समस्या देखय मे आयल अछि। हालांकि ओ खुलिकय विमर्श करितो ई नहि कहि सकल अछि जे आखिर एहि नव कानून सीएए मे ओकरा अथवा भारतक अन्य मुसलमान समुदाय केँ केहेन अहित हेबाक संभावना बुझा रहल छैक।
 
समीना असगरे नहि, करोड़ों मुसलमान केर मन-मस्तिष्क मे भ्रम बनायल गेल छैक। ११ दिसम्बर २०१९ केँ पास कयल गेल सीएए कानून देश मे लागू भेला ३ मास बीतल। एकर प्रभाव जमीन पर कतेक पड़ल, नहि पड़ल, ताहि सब सँ इतर केवल आ केवल वर्तमान भारत सरकार आ सत्ताधारी गठबन्धन, विशेष रूप सँ हिन्दूत्व एजेन्डा पर कार्य करैत आबि रहल राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टीक नीति आ विचारधाराक विरोध मे देशक छवि पर्यन्त धुमिल करबाक हिसाब सँ विपक्ष द्वारा चलायल गेल हवाक शिकार बनि गेल बुझाइत अछि ई समस्त भ्रमित-आन्दोलित मुसलमान व आन।
 
आइ समीना बहिन संयुक्त राष्ट्रसंघ केर मानवाधिकार संगठन (UNHRC) द्वारा भारतीय मिशन केँ देल गेल जानकारी जे भारत द्वारा बनायल गेल एहि सीएए कानून केर विषय मे सुप्रीम कोर्ट सँ हस्तक्षेप करबाक याचिका देल गेल कहलक अछि ताहि सम्बन्ध मे एकटा स्टेटस लगेलक। बहिनक चिन्ता आ संयुक्त राष्ट्र सँ आशाक दृष्टि पर ओकरा सान्त्वना देल। आर, ईहो स्पष्ट कहल जे बहिन, एहि भारत मे शान्ति आ सद्भावना सिर्फ आ सिर्फ आपसी वार्ता व एकता सँ संभव छौक। दिल्लीक उदाहरण देल। जतय हिन्दू-मुस्लिम समुदाय एकतापूर्ण समाज बनाकय रहल, ओतय बाहरी दंगाई केर एकहु सूत्र नहि चलि सकल। दुनू समुदाय सुरक्षित अछि। आर जतय ताहिर समान कुचक्री आ अंकित शर्मा समान आईबी अधिकारी सहितक मतभिन्नतापूर्ण समाज रहल, ओतय केना एकटा घर मे पेट्रोल बम सँ लैत एसिड अटैक, पाथर, गुलेती संग सैकड़ों दंगाई अभरल… से केकरो सँ छुपल नहि अछि। बहिन ई बात बुझैत अछि। वार्ताक क्रम मे ओकरा कहलियैक –
 
“बहिन, तोहर भाइजी सेहो रूलिंग पार्टीक पक्षधर छियौक। हमर बात मे कतहु-कतहु तोरा ताहि द्वारे ‘पक्षपात’ नजरि आबि जाइत हेतौक। ओना, हम ईश्वर केर शपथ लैत – अल्लाह दि अलमाइटीक सौगन्ध लैत तोरा एक बातक विश्वास कि दियाबय चाहैत छियौक जे जाहि तरहें मुस्लिम समुदाय केँ स्वाधीन भारत मे पाकिस्तान बनलाक बादो राखल गेलैक आर कालान्तर मे राजनीतिक दुरुपयोग कयल गेलैक, ताहि सँ बहुत नीक तोरा एनडीए रूल मे व्यवस्थापन हेतौक, भऽ रहल छौक। शिक्षा, स्वास्थ्य, बीमा, कृषि, स्वरोजगार, उद्यमिता विकास, हरेक क्षेत्र मे आगू बढेबाक लेल मोदी सरकार प्रतिबद्ध छौक। सिर्फ धर्मक नाम पर जे शरिया कानून लेल विशेष प्रावधान, धारा ३७० आदि पूर्वक सरकार रखलकौक, से ई सरकार नहि मानतौक। जेना ३-तलाक फिनिश बहिन, तहिना आरो सबटा विशेष प्रावधान आ माथ पर चढाकय मुस्लिम तुष्टिकरणक कांग्रेसी नीति ध्वस्त।
 
हाल जे समस्या देखि रहल छिहीन तेकर जड़ि मे जो। सरकार त वार्ता लेल बजेबे केलकौक। सुप्रीम कोर्ट मे केस विचाराधीन छहिये। फेर एतेक उपद्रवी प्रदर्शन आ धर्मक नाम पर स्वयं सँ लोक केँ दूर करबाक असदुद्दीन-अकबरुद्दीन-वारिसपाठान शैलीक हो-हल्ला आ विरोध केर राजनीति सँ कि हासिल हेतैक? कहे त!”
 
एक त समूचा भारत मे केवल मुसलमान धर्मावलम्बी आ तेकर समर्थन मे गोटेक अन्य जाति-वर्ग विशेषक प्रतिनिधित्व कय रहल राजनीतिक समूह महीनों सँ एहि मांग पर अड़ल अछि, दोसर विदेश मे भारतक छवि केँ बदनाम करेबाक कइएक भ्रमपूर्ण समाचार (खासकय युरोपियन यूनियनक प्रायोजित मीडिया) द्वारा दुष्प्रचार, हर तरहें भारतीय दर्शन आ धर्म केर समग्र रूप हिन्दू-हिन्दूत्व प्रति विश्व असहिष्णुता केँ खुलेआम प्रदर्शन कय रहल अछि। आर आब यूएन मिशन द्वारा भारतक न्याय प्रणाली सँ भारतीय संवैधानिक व्यवस्था मे हस्तक्षेप करबाक ई कौल्हका समाचार, जेकर जबाब बड़ा करारा ढंग सँ भारतीय विदेश मंत्रालयक प्रवक्ता रविश कुमार देलनि अछि, ओ स्पष्ट कयलनि अछि जे भारतक संविधान द्वारा देल गेल सारा व्यवस्था केँ नीक सँ खंघारिकय ई “सीएए कानून” बनायल गेल अछि, मामला सुप्रीम कोर्ट मे अवश्य विचाराधीन छैक आर विश्वास कयल जा रहल छैक जे सुप्रीम कोर्ट सेहो एकर पक्ष केँ बुझिकय रूलिंग देत। संगहि भारतक आन्तरिक मामिला मे बाहरी हस्तक्षेपक कोनो भूमिका नहि रहत, कारण एक सम्प्रभुतासम्पन्न राष्ट्र अपन स्थापित मान्यता पर कोना चलत, ताहि लेल स्वायत्त अधिकार ओकरहि पास छैक।
 
अन्त मे, निष्कर्षक तौर पर हमर कहब एतबे अछि जे भारतक हिन्दू आ मुसलमान समुदाय मे आपसी एकता बनल रहय, सद्भावना बनल रहय, कानून स्वस्फूर्त अपन नीति पर टिकल रहत। एहि सन्दर्भ मे कहल गेल ई पंक्ति बहुत स्पष्ट आ उचित लागल – विदेश मंत्रालयक प्रवक्ता रविश कुमार केर शब्द मे –
 
“हमरा लोकनि एहि बात पर पूर्ण विश्वास रखैत छी जे भारत केर सम्प्रभुता सँ जुड़ल कोनो मामिला मे विदेशी पक्ष केँ दखल देबाक कोनो हक नहि छैक। भारत ईहो बात केँ लय कय पूर्ण रूप सँ स्पष्ट अछि जे सीएए वैध कानून थिक आर ई भारतीय संविधानक समस्त मूल्य केँ ध्यान मे राखिकय बनायल गेल अछि। ई विभाजन केर त्रासदी उपरान्त बनल मानवाधिकार संबंधी समस्या केँ सुलझेबाक लेल हमरा सभक प्रतिबद्धता सँ जुड़ल कानून थिक। भारत लोकतांत्रिक देश अछि। एतय कानून केर राज छैक। हमरा सब केँ अपन स्वतंत्र न्यायपालिका मे पूरा विश्वास अछि। हमरा सब केँ विश्वास अछि जे हमरा सभक कानूनी पक्ष केँ सुप्रीम कोर्ट द्वारा सही ठहरायल जायत।”
 
हरिः हरः!!