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प्रवीणक डायरी २०१३ – भाग ३

६ फरवरी २०२०. मैथिली जिन्दाबाद!!

मैथिली-मिथिलाक गतिविधि केँ सर्वाधिक उत्कर्ष पर पहुँचबाक वर्ष छल २०१३ – एहि सँ पूर्व केर दुइ भाग मे दिसम्बर आ नवम्बर केर सारा गतिविधि, बात-विचार आ लेख-रचना सब शेयर कय चुकल छी। आउ आइ अक्टूबर २०१३ केर यात्रा करीः

३१ अक्टूबर २०१३

एह…… मैथिली आ हम? (व्यंग प्रसंग)

चलू! चलू!! अहाँ हमरा सिखायब तँ मैथिली सिखब से बात नहि छैक। हमरा खूब अबैत अछि। लेकिन ई भाषा हमरा लेल बहुत मूल्यवान अछि जेकर उपयोगिता हम सरेआम नहि करब। मात्र अपन घरमे पर्दाक पाछू मम्मी आ पापा संगे टा करब। अहाँ बुझैत छियैक? सबटामे अहाँक दखलंदाजी चलत? हमर पापा जे एतेक पाइ खर्च कऽ के इन्जिनियरिंग पढेलखिन से अही लेल जे हम नहि अंग्रेजी तऽ हिन्दियो नहि बाजी? चलू! छोडू अपन फेसबुकिया कोचिंग सेन्टर – सात दिन कि, हम सात मिनटमे अहाँ सँ बेसी नीक लिख सकैत छी। लेकिन लोक बुझत जे इन्जिनियरिंग पढि ई मैथिलिये लिखैत छथि। हमरा एतेक गिरल नहि बुझू। हम फल्लाँ बाबु तहसीलदार साहेब पोता छी आ हमर नानाजी पटना हाइ कोर्टकेर बैरिस्टर छलाह। हम मैथिली बाजब? सेहो अहाँ जेकाँ सरेआम? घरवाली संग सेहो मैथिलीमे बजनाय पाप थिकैक, कारण गर्भमे जे सन्तान आओत ओकरोपर मैथिलीक छाप पडि जेतैक। मैथिलक गुण हमरा एकोटा नीक लागल कहियो? खाली टांग घिचा-घिचीमे माहिर। आर कि? हमरा अहाँ वा कियो कहि कय थाकि जायत तखनहु हम मैथिली नहि बाजब। हमरा पापा एतेक जे पब्लिक स्कूलमे पढेलखिन आ एतेक पाप खर्च करैत ईन्जिनियरिंग आ फेर बैंक मैनेजरक पढल-लिखल कनियाँ सँ जे एतेक दहेज लऽ के बियाह करेलखिन से अही लेल जे हम मैथिलीमे बाजू? जे मुँहमे अंग्रेजी रहबाक छल ताहिमे हिन्दी अछि से भाग मानू… अंग्रेजी बजबाक पूरा तैयारी छलैन हमर पापा-मम्मीक… आ हम आब हिन्दी छोडि मैथिली बाजू? चलू! चलू!!

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हैप्पी दिवाली!!

समस्त मित, अनुज, जेठ, प्रेमी, परिचित मिथिलावासी सहित भारत, नेपाल एवं विश्व समुदायमे हम दुनू प्राणीक तरफसँ दीपावलीक ढेरोरास शुभकामना। फटक्का सावधानीपूर्वक फोरब आ उकाबाती जरुर उपलब्ध करबैत अज्ञानता-अविवेकरूपी अन्हरियाकेँ भगायब, संगहि माटिक दीवारीमे करुतेल आ रुइयाक बाती जरबैत दिया जरुर जरायब। बच्चा सबकेँ छुडछुडी आ चुकिया अनार लेकिन सबटा सावधानीपूर्वक प्रयोग करबापर ध्यान देबैक। कनियैनकेँ जँ फटक्का फोडबाक इच्छा होइन तँ हाइड्रो या चकलेट बम तक फोडि सकैत छी, नेपालमे लेकिन ई सबटा प्रतिबन्धित अछि, बस बेला बहुतो वर्षक बाद घूमेबाक लेल सोचि रहल छी कारण अपन नंगटइ कने-मने विकासशील नुनू-बच्चा सबमे आबैक से जोश एखनहु अछि।

विशेष शुभ! शुभ दीपावली। धनलक्ष्मीक संग मिथिला गामक विकास लेल त्यागपूर्ण कीर्ति बनेबाक प्रेरणाक संचरण हो से कामना करैत छी।

हरि: हर:!!

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हमें विश्वास है कि आज मिथिलाके मुसलमानोंमें सन्देहका प्रसार करके एक भ्रम की स्थिति बनाया जा रहा है… पर अब आप चिन्ता न करें। जिस दरभंगा से मो. अली अशरफ फातमीको एमपी बनाया जा सकता है, मो. एम जे वारसी जैसा भाषा वैज्ञानिक खडा करके अमेरिका के महत्त्वपूर्ण विश्वविद्यालयसे दुनियाको शिक्षाके क्षेत्रमें कुछ नया देने के लिये पैदा किया जा सकता है, जिस दरभंगा से बिहारको भी विपक्षमें वर्षोंतक नेतृत्व प्रदान करने और विभिन्न मंत्रालयों और राजनैतिक सांगठनिक जिम्मेदारियोंको निर्वाह करनेके लिये अब्दुल बारी सिद्दिकी जैसा नेता दिया जा सकता है तो आप खुद विचारें कि हमारे मिथिलाके मुसलमानोंमें मिथिला राज्य संचालन करते हुए धर्म निरपेक्ष राष्ट्र भारतमें कितना अधिकार सम्पन्नताका एहसास स्वराज्यके सिद्धान्तोंसे मिलेगा।

यही कारण है कि अब मिथिलके लिये अन्तिम संघर्षमें जुडे एकता के साथ सारे लोगोंको जोडते हुए बैद्यनाथ चौधरी बैजु और राम नारायण झा सरीखे नेतृत्वकर्ताओंके द्वारा अल्पसंख्यक प्रकोष्ठके अध्यक्ष मो. रियाज खान सहित गाँव-गाँवके संगठनमें मुसलमानों, पिछडों, गैर-सवर्णोंके साथ जो मिथिला राज्यका स्वराज्यसे भारतीय गणतंत्रको मजबूती प्रदान किया जायेगा उससे क्या बेहतर मिलने वाला है। आप छद्म अपराधी और धर्म के नामपर उन्माद फैलानेवालोंसे दरभंगा मोड्युलकी बातें तभी तक सोचें जबतक इन समुदायोंमें अधिकारसम्पन्नताकी बातें आम नहीं हो जाता।

निजात पाना है तो बस एक से – वो है बिहारी उपनिवेशवाद और जिससे पिछडे मुसलमानोंमें गलत संवाद जा रहा है और वो रातोंरात पैसे कमानेके लोभमें बम-बारुद बिछाते हुए विदेशी आतंकवादके हाथोंका खिलौना बन रहे हैं। आज भी सारे मुसलमान सहित पिछडे तवके सहित सारे मिथिलावासी एक हैं और वो बस अपना स्वराज्यके लिये लडेंगे ऐसा मेरा आत्मविश्वास और जमीनपर देख रहे सच्चाईका आवाज बार-बार बोल रहा है। शान्ति था, है और रहेगा।

हरि: हरः!!

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३० अक्टूबर २०१३

नेपालमे मिथिला राज्य आ चुनावी घोषणापत्र:

नेपालक विद्यमान संविधान सभा चुनाव द्वारा प्रमुख राष्ट्रीय दल केर चुनावी घोषणाक अनुरूप:

नेपाल कम्युनिष्ट पार्टी (एकीकृत मार्क्सवादी लेनिनवादी): मिथिला प्रदेश निर्माण लेल स्पष्ट विचारधारा – कुल ७ प्रान्त गठन करैत मुख्य कार्यकारी प्रधानमंत्री आ राष्ट्रीय अध्यक्ष राष्ट्रपति (सेरेमोनियल) बनेबाक विचार स्पष्ट।

नेपाली काँग्रेस बिना कोनो प्रदेशक नाम लेने आ सीमापर कोनो टिप्पणी देने ७ प्रान्त आ १३ राज्य गठन करबाक विचार – तहिना संसद द्वारा चुनल प्रधानमंत्री मुख्य कार्यकारीक रूपमे आ नामलेल राष्ट्रीय अध्यक्ष राष्ट्रपति द्वारा सरकार चलेबाक विचार स्पष्ट।

नेपाल कम्युनिष्ट पार्टी (एकीकृत माओवादी): ११ प्रान्त (वगैर मिथिलाक नाम उल्लेखक) बनेबाक विचार, राष्ट्रपतिक अधिकारसम्पन्नता दैत सीधा चुनाव।

अन्य दल तथा सामान्य विचारधारा मे प्रदेश निर्धारण लेल अलग-अलग विचारधारा – ethnic groups/communities, language, culture, geography and regional continuity – केर मानदंडपर राज्य निर्धारण करबाक आ प्रजातांत्रिक मूल्यक संरक्षण करबाक मुख्य राष्ट्रीय दल नेपाली काँग्रेसक प्रतिबद्धता।

हरि: हर:!!

पुनश्च: ई बात तय अछि जे राज्य गठनक समस्त आधारपर मिथिलाक दावा आर कोनो अन्य भाषाभाषी, संस्कृति, भूगोल, ऐतिहासिकता, आदिसँ बहुत बेसी महत्त्वपूर्ण छैक। नेपालमे स्थायीपन आ शान्तिक स्थापना लेल मिथिला राज्य आ मैथिलक पहिचान जोगायब सब सरोकारवाला राजनैतिकदल केर मुख्य जिम्मेवारी थिकैक।

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नेपाल जाहि संक्रमणकालक भुमरीमे फँसल अछि ताहिसँ निकलब जरुरी अछि आ एहि लेल एतय पुन: दोसर बेर संविधान सभा वास्ते चुनाव 19 नवंबर के होमय जा रहल अछि। विराटनगरमे चुनावी प्रोपेगन्डा या नेता लोकनिक थोड-बहुत गतिविधि देखितो रही लेकिन जनतामे अजीब चुप्पी अछि आ कोनो खास चाव-लगन या उत्साह जाहिसँ केकरो पक्ष या विपक्षमे माहौल बनैत बुझाइत छल से एकदम अस्पष्ट अछि। कारण बहुतो तरहक भऽ सकैत छैक:

*पूर्वमे चुनल प्रतिनिधि द्वारा विकासपर कोनो ध्यान नहि देनाय।
*संविधान सभाक पहिले २ वर्ष, फेर ६-६ महीनाक समय आ अन्तमे १ वर्षक समय बढबितो संविधान बनेबामे असफलता आ संक्रमण अवधि बढबाक बोझमे जनताकेँ त्रस्त केनाय।
*आपसी सहमतिक विभिन्न महत्त्वपूर्ण मुद्दा यथा: गणतंत्रमे प्रदेश निर्धारणमे मतभिन्नता, राष्ट्रीय कामकाजी भाषा सहित अन्य भाषाक मान्यता, सरकारक प्रमुख राष्ट्रपति वा प्रधानमंत्री एवं अधिकार आदिक निर्णय… आ अहिना कुछेक विन्दुपर राष्ट्रीय सहमति नहि बना सकबाक राजनैतिक शक्तिक असमर्थता।
*नेपालक एक खास पहिचान छलैक ‘हिन्दू राष्ट्र’ रूपमे विश्वमे परिचित छल – लेकिन वर्तमान परिवर्तन एहि विशेष पहिचानकेँ वगैर जनताक मत लेने ध्वस्त करबाक कार्यसँ जनता विचलित।
*नेपालक इतिहासमे राजा सेहो एक स्थापित शक्ति बनलैक जे प्रजातंत्रक समर्थक रहलैक… हलाँकि समय-समयपर किछु तानाशाही प्रवृत्तिसँ डर आ त्रास देखेनाय सेहो राजाक प्रकृतिमे रहलैक… तथापि नेपालक अस्मिता-अखण्डतामे एहि शक्तिकेन्द्रक मान्यता जाहि तरहक निर्णय सँ समाप्त कैल गेलैक ताहिपर जनमानसमे एक आशंका विद्यमान भेनाय।
*समस्त राजनीतिक शक्ति केवल शान्ति कायम करबाक बात करैत अछि, लेकिन व्यवहारमे बेर-बेर बेईमानी-बदनियतिसँ जनताकेँ विश्वास जितयवाला कोनो काज नहि केनाय।

एहि तरहे आरो कतेको रास विन्दु छैक जे वर्तमान चुनावमे जनताक उत्साहित नहि कय रहल छैक। सबसऽ गंभीर बात यैह जे फेर चुनाव टा हेतैक आ उपरोक्त विन्दुपर आपसी सहमति बनबे नहि करतैक… तखन फेर सऽ संविधान नहि बनि सकबाक खतरा कायम रहतैक। तथापि चुनाव समयसँ भऽ रहल छैक आ जनताक मजबूरी थिकैक जे केकरो न केकरो चुनबाके छैक। देखू! तखन कि होइत छैक। काल्हि काठमाण्डु अयलहुँ आ एतय सेहो किछु तेहने सन सन्नाटा अछि। जनताक उत्साह टूटल बुझाइत अछि। तैयो प्रजातंत्र प्रेमी दलकेर वर्चस्व बनत से बुझना जा रहल अछि।

हरि: हर:!!

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२९ अक्टूबर २०१३

मिथिलावासी संसारमे सबसँ अधिक बुद्धिजीवी रहबाक बात सोझाँ अबैत रहल अछि, लेकिन आब संस्कारहीनता आ आत्महीनताक बोधसँ आइ अपन पहिचानविहीनताक अवस्थामे छथि….

जे सक्षम छथि ओ मात्र अपन विकास आ अपन धियापुता लेल शहरमे जमीन-जथा-भौतिकताक निर्माण मात्र संसारक लक्ष्य मानि मिथिलाक आत्मापर प्रहार करबासँ नहि हिचकिचाइत छथि…..

जे मध्यमवर्गीय मिथिलाक धरतीपर कृषि वा अन्य व्यवसाय करैत अपन गुजारा कय रहल छथि ओ सब किछु देखैत चुप रहबामे मात्र अपन कल्याण मानैत छथि आ स्वयं करबाक साहस नहि होइत छन्हि जाहिसँ अजीब चुप्पी चारूकात पसरल नजरि आबि रहल अछि… तदापि जे किछु भऽ रहल अछि से यैह वर्ग आपसी एकतासँ जेना-तेना कय रहल छथि आ मिथिला हुकहुकाइत जीबि रहल अछि….

रहल बात निम्न तवकाक विशाल जनसंख्या…. ओ सब हेरायल, भोथियायल, आपसमे अशिक्षाक मारल बँटल-बँटायल अपन अधिकार आ स्वराज्यक मान सँ पूर्णरूपेण अनभिज्ञ बस दिन कटबाक अपन मजबूरीमे रत… लेकिन आब जन-जागृतिक असरसँ सब अपन अधिकार प्रति सजगता पाबि रहल छथि। यदि परिवर्तन एतैक तऽ यैह वर्ग द्वारा एतैक।

आध्यात्मिक भूमि मिथिलामे भौतिकताक प्रसार आ मानवता-धर्मक विरुद्ध जाति-पातिमे खण्डित जनता-जनार्दन किछु अजीब परिस्थितिक सिर्जन केने देखा रहल अछि। युवा जाग्रत होयत, सब समस्याक समाधान निकलत। निकम्मा-ढोंगीसँ धरि सावधान!

हरि: हर:!!

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सौराठ चलू!

चलू सौराठ!!

वर पक्ष या कनिया पक्ष?

ताकू किनको भेटता नहि,
सिवा गाछ-वृछ चाह दोकान!
जमीन सबटा हडपा गेल,
सौराठक सब दानी इनसान!!

कतहु एक-दू लोक छथि आयल,
अहीं जेकाँ ओहो टौआइथ,
कतहु पाँच-दस गोलमे बैसल,
पहुँचि जाउ अहुँ बौआइत!!

नहि ओ अंगना नहि ओ बाट,
नहि ओ बगिया नहि ओ घाट,
लोक चिकैर भोकैरकऽ बाजय,
आबू-आबू यैह थीक सौराठ!!

सौराठ चलू – चलू सौराठ!!

हरि: हर:!!

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मिथिलामे सेहो लव-सब चरम पर पहुँचय लागल अछि, पहिले (हमरा सबहक समयमे) जँ केकरो दिशि कनेक तकबो करी तँ “टटीबा, टाटीपर पहुँचा देबौ।” … “फौतिबा! आँखिमे अर्गासन ढारि देबौ।”…. आ जे बड सज्जन से चिकैर उठैत छल “यौ भैया! देखय छियै अय आवारा के!” 

आ आब…. मोबाइल पर लव-यू – लव-यू होवय लागल अछि। करतय कि? दहेजक चाप, छौंडा सबहक विवाह लेल घटक नहि, बेटी-बहिन सबकेँ पढाइ आ आत्मविश्वास हेतु स्वाबलंबन केर नया दौर मिथिलामे प्रवेश पौने छैक। तखन?

हरि: हर:!!

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अक्सरहाँ सडाँठ विचारधारा मैथिली-मिथिलाकेँ उच्चवर्गक आरक्षित भाषा-संस्कृति कहैत अछि…. आ हम स्वयं रंगकर्म आ कलाक्षेत्रसँ जुडल मात्र जनसाधारण टा सँ आ सेहो बिना कोनो जातीय भावनाक अभिप्रेरण संग सहकर्मी व दर्शक केर संगत प्राप्त केने छी। आइयो यदि किछु लिखैत छी तऽ पाठक फल्लाँ झा या फल्लाँ मिश्र हेता सेहो बात नहि…. भाइ! प्रकृति कतहु अपनाकेँ संकुचित रखलक अछि जे कोनो संस्कृति संकुचित होइत केकरो लेल आरक्षित वर्गमे सीमित होयत? निकालू एहि भीडमे सँ के कि थिकाह।

हरि: हर:!!

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बेटी अहाँ विद्यालय जाउ!

भले जे हेतै बाद में देखबै – एखन अहाँ विद्यालय जाउ!
शिक्षा के शक्ति जगके जननी – अहुँ अपन अस्मिता बनाउ!
जुनि पिछड़ू कोनो विधामें पाछू – अस्तित्वक रक्षा-किला बनाउ!
बेटी अहाँ विद्यालय जाउ!

देखू आइ संसार में नारी – अग्रपाँति नेत्री बनि चलैथ!
जतय दहेजक चाप आ मारि – सैह समाज पिछड़ल छैथ!
शिक्षाके पूँजी सभसऽ बड़का – दहेज-दान के त्याग कराउ!
बेटी अहाँ विद्यालय जाउ!

भारतमें नारी छथि आगू – मिथिला बेसी पिछड़ल अछि!
बीति गेल देखू कते जमाना – गार्गी – भारती पड़ल अछि!
पुनः प्रीतिके रीति सऽ सभके – अपन दिव्य शक्तिके देखाउ!
बेटी अहाँ विद्यालय जाउ!

हरिः हरः!

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विद्वानलोकनिक चर्चा आदरणीय रामनारायण बाबुक एक खुलाशा जे मिथिला क्षेत्रमे हरेक वर्ष ६८००० हजार करोड रुपयाक जलजीव – माछ, डोका, सितुआ, कछुआ, सिंगहार, मखान, जुट, आदि हेबाक बात सर्वेक्षण द्वारा सिद्ध भेल छैक, पनबिजली, जलपरिवहन, पर्यटन, चिडै सुरक्षागाह, आ भारी जल-स्रोतक नीक रख-रखाव सँ आरो कतेको तरहक राजस्व मिथिला संग देशक निर्माणमे सहायक छैक। हरि: हर:!!

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अधजल गगरी छलकत जाय!

सातो अन्हराके दुबारा एक दिन फेर हाथीके छुआबैत पूछल गेलैक तऽ फेर सभ अलग-अलग तरहें हाथीके चिन्हैत पैर छूबैत खंभा, पेट छूबैत बडका ढोल तऽ कि – कि कहैत रहल मुदा लास्टवाला अन्हरा अपन आइ-क्यु सऽ सही-सही कहि देलकैक सेहो बिन छूनहि!! आब तऽ समूचा चैनपुरमें हल्ला भऽ गेल जे बाप-रे-बाप ई अन्हरा साधारण लोक नहि, आदि-इत्यादि आ लोक सभ ओकरा फूल-माला सँ लादि देलकैक! सहरसा के जिलाधीश आ दरभंगाके जिलाधीश सभ सेहो सुनैते ओकरा पुरस्कृत करबाक सिफारिश बिहार सरकार लग कय देलकैक। दिल्ली, जम्मु, हैदराबाद आ कलकत्ताके मैनेजमेन्ट कंपनी सभ सेहो अपन विशेष टोली पठा देलकैक जे आखिर देखियैक कि ओ आन्हर कोना ई चमत्कार कय देलकैक। लास्टमें अन्हरा परेशान भऽ के कहलकैक जे एतेक करय जाय गेलह लेकिन हमरा आँखि कियो नहि बना देलक। ओ तऽ पैछला बेरक अनुभव सऽ हम कहि देलियऽ जे पैछलो बेर सातो गोटे अलग-अलग छूबलियै से अलग-अलग कहैत छलियैक आ अहू बेर सभ कियो अलग-अलग कहय लगलैक तऽ हम बिन छूनहिये कहि देलियैक जे हाथी थिकैक। हमर गागर अधा नहि जे हम अनेरौ के छलकब!

हरि: हर:!

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हमर लिखबाक उद्देश्य अछि:

अनावश्यक टिप्पणीसँ बचबाक प्रयास करी।

कोनो अभियानक सार्थकता बुझबाक प्रयास करी।

अपन कर्तब्य निर्धारण करी।

अपन योगदान देबाक सोच अवश्य बनाबी।

मात्र चुगलखोरी आ नकारात्मकताक प्रसारसँ बची।

करनिहारक दर्दकेँ बुझी।

करनिहारक वर्गमे अपनो पडी।

इत्यादि।

आ जे कय रहल छथि तिनका एहेन घरदूसना सबहक बात पर अपनाकेँ हतोत्साहित नहि कय बस करबाक जे लक्ष्य छैक ताहि दिशामे अग्रसर रहबाक लेल प्रेरणाक संचरण लेल ई समालोचना “जे भोज नहि करय से दाइल बड पीबय” लिखल गेल अछि।

हरि: हर:!!

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ओ कहलकैक जे सर अहाँक लेख पूरा नहि पढि पबैत छी कारण बड लंबा होइत अछि….

बचपन आ बाप!!

रौ हरासंख…. लंबा पढबाक लेल लंबा दिमागक दरकार होइत छैक। दिमाग लंबा करे, अपनहि लंबा आ चौडा सब लेख पढबाक कूबत आबि जेतौक।

कक्षामे ४० गो विद्यार्थी रहैत छल, ५ गो मात्र फर्स्ट डिविजन अनैत छल…. मास्टर साहेब वैह, किताब वैह, पढाइ सेहो एक्के…. बुझैत छिहिन वा नहि? ५ गो फर्स्ट डिविजन जे पास करैत छैक ओकरा हिसाबे सेहो न किछु लिखय पडैत छैक आ ओकरे पढाबयमे निको लगैत छैक। गोबराहा! दिमागमे सँ भूसा निकाल आ ध्यान दे पढबापर!

आइ-काल्हिके धियापुताकेँ छडी तक नहि मारि सकैत छी, जमाना बदैल गेलैक अछि। लेकिन हम अपने माइरे बले बुझू जे पढाइ कय सकलहुँ। आ बाप!! आरे राम!! २-२ किमी भगबैत आ छौंकीसँ पिटाइ होइत छल… पोखैरमे कूइद जाइत रही आ पाछू सऽ बापो…. हौ बाबु!! छान गुरकुनिया आ ओम्हर डरे कनबो करे….!! हाय रे बदमस्ती आ सेहो बचपन के!! वैह बाप बादमे अपन छातीसँ अलग तक नहि होवय देबाक लेल तैयार!! आइ स्टील लव यू बाप!!

हरि: हर:!!

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भाषा सबहक सेवामे हम १९९० सँ लागल छी, १९९५ सँ भाषा (अंग्रेजी) केर रोटी तोडि रहल छी, २००९ के बाद अपन मैथिलीक अवस्था दयनीय देखि झुकाव बनल आ एहि बीच पाठक मात्र नहि बल्कि अभियानी आ सेहो एक सऽ एक समर्पित ठाड्ह करबाक लेल लेखनीक दायित्व बुझैत आयल छी, बुझैत रहब। ताहि हेतु मैथिली मे लेखनी मात्र मिथिला राज्यकेर निर्माणक बाट खोलत से आत्मविश्वास कहि रहल अछि। समाजिक संजालक सहयोग एहिमे बहुत महत्त्वपूर्ण अछि। हरि: हर:!!

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गजब लिखैत अछि रंजित, बहुत नीक लगैत अछि हमरा। मैथिलीक स्वरूप सनातन हो। हम सब रही नहि रही, मैथिली धरि जिन्दाबाद रहत से विश्वास अछि। विद्वान् लोक सदिखन नव-नव बात केर अपन शब्द-सिल्पमे आमजनक बीच रखैत छथि। काल्हिसँ मैथिली किछु बेसिये चर्चामे अछि… रहबो किऐक नहि करत…. आखिर भारतक प्रधानमंत्री पदकेर दावेदार आ राष्ट्रीय दलमे एक प्रमुख भारतीय जनता पार्टी जे वास्तवमे मैथिलीकेँ संविधान आठम अनुसूचीमे स्थान दियाबय के क्रेडिट लेने अछि तेकर प्रखर आ तेजस्वी नेता नरेन्द्र मोदी सेहो लोककेँ इशारा करैत जे हमरा पता अछि आब अहाँ सब कि सुनय लेल चाहैत छी आ मिथिलांचल केर गूढ समस्या बाढि जे अंग्रेज वायसराय वैभेल केर समयसँ आइ धरि समस्ये बनल रहि गेल समाधान नहि भेल ताहिपर किछु बात बजलैन आ कहलैन जे हम आबयवाला समयमे यदि अहाँ सबहक चुनल नेता बनैत छी तँ जरुर समाधान निकलतैक, ५० हजार करोड के सपना सेहो हाथोहाथ देखा देलैन…. कहबाक तात्पर्यजे विशेष राज्य बिहार बनत आ मिथिलाक कल्याण सेहो होयत…. ओना हमरा तऽ पूरा उम्मीद अछि जे छोट राज्यक समर्थक भाजपा केन्द्रमे अबिते मिथिलाकेँ राज्यरूपमे मान्यता देबाक पहल जरुर उठायत कारण ओकरा भारतक संस्कृतिक रक्षा करबाक आ स्वदेशक मूल्यकेँ संरक्षित रखबाक जायज चिन्तन छैक जेना पूर्वमे सेहो लागल। ताहि लगत्ते हमरा मिथिलाक विद्वान श्री एम जे वारसी साहेब केर ओ आलेख जाहिमे ओ मैथिलीक एक नव बोली ‘मिथिला उर्दु’ जेकरा कहियो ‘जोलहा मैथिली’ कहि अंग्रेज विद्वान् सर जार्ज अब्राहम ग्रियर्सन सेहो शायद संबोधित केने छलाह…. हलाँकि वारसी साहेबक अनुसार विद्यमान अवस्थामे मात्र जोलहा टा मिथिलामे नहि बसैत अछि, कुजरा, धुनिया, सेख, मुजीब, अन्य कतेको तरहक मुसलमानी जातिक बास मिथिलामे छैक आ भाषा नि:सन्देह ‘मिथिला उर्दु’ बजैत छथि ओ सब… ताहिपर भाषाशास्त्री एम जे वारसी द्वारा आलेखक लिंक आ कापी-पेस्ट सेहो राखि रहल छी… एहि पर ध्यान दियौक आ जेना पंकज भाइ कहलैन कि अंगिका आ बज्जिका सेहो मैथिलीक बोली थीक आ तहिना चन्दनजी एहि मादे किछु आलेख-अंश पोस्ट केने छथि – ताहि सबकेँ समग्रतामे समेटैत मिथिला राज्यक अनुशंसा करनिहार सँ हमर निवेदन जे आगामी ज्ञापनमे भाषाक विकास लेल सबकेँ समानरूपसँ समेटैत आ विद्वत् कार्य करबाक लेल सेहो सबहक भाषिकाकेँ भाषारूपमे परिणतिक उपाय करैत साहित्य विकाससँ मिथिलाक संस्कृतिकेँ मजबूती लेल जरुर काज करैथ।

हरि: हर:!!

New dialect identified in Mithilanchal
Faizan Ahmad, TNN Jan 2, 2013, 04.07AM IST

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Washington University|Mithilanchal Muslims|Maithili

PATNA: The minority community in some districts of Bihar like Darbhanga, Madhubani, Samastipur, Begusarai and Muzaffarpur speak a dialect that has no written record or name. The main language for communication in that region is Maithili. When Muslims speak among themselves, they speak a dialect that is different from Maithili, Hindi, and Urdu. This dialect does not have its own script or literature. This might be the reason this dialect went unnoticed to linguists so far.

Linguist M J Warsi did a comparative study of this new dialect with Hindi, Urdu and Maithili and found that to some extent sentence structure was different. For example, Hindi sentence – Hum jaa rahain hai – is spoken as ‘Hum jaay rahal chhii’ in Maithili. But in the different dialect spoken by Mithilanchal Muslims, it is spoken as ‘Hum jaa rahaliya hae’.

A native of Darbhanga, Warsi, who teaches linguistics and Indian languages at the Washington University in St. Louis, USA, said, “Since I spent my childhood and completed my school education in this region, I was always thinking about this spoken language. Fortunately, I completed my higher education in linguistics and got an opportunity to look at this dialect more closely. Living in the US for many years, I was always thinking about the grammar, structure, and existence of this spoken dialect.” He has given the nomenclature of ‘Mithila Urdu’ to this dialect.

Realizing the importance of linguistic pluralism of the country, the Union government recently initiated a nationwide linguistic survey. Welcoming the move, Warsi said, “I would like to emphasize that this dialect must be included in the ongoing linguistic survey of India. Being linguists, we are more responsible for preserving and propagating our linguistic heritage.”

He said scholars, policymakers, educationists and linguists should come together and formulate a policy for the development of ‘Mithila Urdu’. Warsi also urged the state as well as Union government to provide necessary support so as this new dialect may get recognized as a language of communication for the people of Mithilanchal. “It might be difficult to recognize Mithila Urdu, but if we work together, we will be able to protect our linguistic and cultural heritage,” he added.

उपरोक्त आर्टिकलमे कोन तरहें एक भाषाशास्त्री अपन मत राखैत छथि आ कोन तरहक संस्कारसहित अपन दावी प्रस्तुत करैत छथि से बड अनुकरणीय अछि, ताहि हेतु हम समस्त बात रखने छी, जहिना के तहिना। एकर लिंक: http://articles.timesofindia.indiatimes.com/2013-01-02/patna/36111070_1_linguistic-survey-dialect-maithili

यैह पैटर्नपर सदिखन अपन सुन्दर सोच-विचार आ विद्वतापूर्ण कार्य हमरा लोकनि बढबैत सबहक भाषा व बोली संग न्याय करबाक प्रण करी। ई मिथिला थीक, मिथिला भाषामे मैथिली सहित ओ सब बोली अबैत अछि आ एकरा नेपालमे भेल मैथिली महासम्मेलन सँ नारा सहित कहल गेल अछि: “जे बजैत छी सएह मैथिली”।

हरि: हर:!!

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पंकज भाइ, अहाँक ध्येय आ सोच दुनू महत्त्वपूर्ण अछि। आ एहि लेल हरेक मैथिल अभियानीसँ हमर खास निवेदन रहत जे अहाँक देल सुझाव पर तकनीकीरूपसँ कार्य करैथ। रतिनाथजीक सुझाव लाख टका केर अछि। एहि पर मैथिली अकादमीकेँ बढि-चढि कार्य करबाक चाही। कारण मैथिलीक बोली अंगिका आ बज्जिका पर बहुत काज करबाक आवश्यकता अछि आ एकर भार ओ संस्था जरुर उठाबय।

भाइ, एहि लेल पहिले हमरे लोकनिकेँ कार्य करय पडत जे उपभाषाक दायरा तय करय पडत। किछु लिख लेनाय आ ओकरा अंगिका कहि देनाय…. बज्जिका कहि देनाय शायद गैर-सरोकारवाला (गैर बज्जिका-अंगिका भाषाभाषी) दोसरकेँ बुझब कठिन होयत। ताहि लेल ई जरुरी अछि जे आवश्यक व्याकरण, शब्दकोष, शास्त्र, अनुवाद, काव्य, कथा आदिक विभिन्न रूप पहिले तैयार करैत तखन भाषारूप वा भाषिकारूपपर शोध पर्यन्त करैत शोधपत्रक संग साहित्य अकादमीमे अपन वाजिब अधिकार प्राप्त करब।

मैथिली परिपूर्ण रहितो बहुत बेलना बेललक तखन जाय एकरा भाषारूपमे १९५९ मे साहित्य अकादमी आ २००२ मे भारतीय संविधान मान्यता प्रदान केलक। धन्यवाद जे मैथिली लेल नहि सिर्फ मैथिल बल्कि सगरो हिन्दुस्तान आ बेलायत सहित अन्य मुलुककेर विद्वान कार्य केलनि आ शोधपत्र प्रस्तुत केलनि। पुरान शिलालेख, आलेख, हस्तलेख, ताम्रपत्र, तारक पातलेख आदि सेहो भेटल आ ऐतिहासिक प्रमाणरूपमे कार्य केलक।

हरि: हर:!!

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एकटा बात कहय लेल चाहब, विशेषत: समस्त मिथिला राज्य अभियानी सँ…. अहाँ भले भाजपा समर्थक होइ, काँग्रेस समर्थक होइ, आप समर्थक होइ, जदयू-राजद-भाकपा-माकपा-सपा-बसपा-लोजपा आ कोनोपा के समर्थक होइ; बुझबाक जरुरत अछि निम्न बात:

* स्वराज्य आ मिथिला राज्य

* सभ्यता आ संस्कृतिक संग भूगोल-इतिहास-भाषा-साहित्य-लिपि-समाजिकता आदिसँ बनल पहचानक विशिष्टता आ ताहि लेल संवैधानिक सम्मान (जेना हम सब मैथिल छी, बिहारी नहि।)

* शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, कृषि, उद्योग, भौतिक निर्माण कार्य आ समग्र विकास

* जातिवादिताँ ऊपर समान नागरिक अधिकार आ सामाजिक समरसता

* मिथिलाक विशेष पर्यटन विकास

* जलकृषि, सिंचाई, पनबिजली, जलपरिवहन, झील संरक्षण, तालाब-पोखरि-इनार संरक्षण आ मत्स्य पालन, मखान, पान, आ वनारोपण-संरक्षण, फलयुक्त कलम-गाछीक सहकारिता तर्जपर दोहन, आदि।

हरि: हर:!!

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जाग तों जगतौ संसार
माँग तों मिलतौ स्वराज
लाग तों लगतौ संसार
बुझ तों कि थीक स्वराज!!

खुद भाग नहि
बरु जाग मैथिल
खुद मार नहि
बरु मिल मैथिल!!

पढि लेमे बनि जेमें सहाब
खेलमे-धुमपमे बनमे खराब
अपन मोल अपने बुझे
दोसर सेहो देतौ अनुकूल जबाब!

हरि: हर:!!

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The political rivalries on height – despite culprit caught by Bihar Police and found a very clear link of terrorists behind the Patna serial blasts, Ranchi, Saudi Arab, Afghanistan and several more countries call records caught by both UP Police and Bihar Police>>> still the Indian politicians and their biases speak ill of one another. These things show the weaknesses of our constitutional arrangements. The legislative peoples have today become such a mean and start using politics as tool of earning bad money and prestige – the judiciary, administration and media must hit on such people who without proper investigation make such a prejudiced ugly statements and try to affect their vote banks, divide the nations on the name of religion, castes, classes, creeds, colors and their biases. All such politicians must be punished for such pre-matured statements and mudslinging.

Harih Harah!!

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मिथिला राज्य निर्माण आ राजनीतिक दल

मिथिला राज्य निर्माण लेल मिथिला काँग्रेस सहित भाजपा, जदयु, राजद, भाकपा, माकपा, सपा, लोजपा सब दल तैयार अछि आ तैयार होवय पडतैक। कारण छैक मिथिला राज्यक अर्थ आब नहि केवल अगडा जाति-समुदाय बल्कि पिछडा आ दलित समुदाय सेहो बुझय लागल छैक आ स्वराज्य सब के चाही। बिहारमे १०० वर्ष आबद्ध रहैत अपनहि संस्कृति मेटेबाक आ पहिचानक विशिष्टता समाप्त होयबाक बात आब लगभग सबकेँ स्पष्ट भऽ गेल छैक। पटनामे सत्ता ठाड्ह करबाक एकमात्र सूत्र जे लोक-समाजकेँ जातिक नामपर, धर्मक नामपर तोडू… आ राज चलाउ। राज्य निर्माणक महत्त्व केवल विद्वान् बुझलनि लेकिन वोट-बैंक पोलिटिक्स केर बुनियादवाला बिहार नाम्ना राज्य बस किछु खास लोकके रखैल बनैत आमजन सब दिन शोषित आ शासित रहय तेकर षड्यन्त्र आब सबके स्पष्ट भऽ गेल छैक। यैह कारण छैक जे आइयो ओहेन किछु पुरान मानसिकता बिहार नाम्ना माला जप करबाक इच्छूक रहैत “मिथिला राज्यक औचित्य नहि” जेहेन तुच्छ अभिव्यक्ति दैत छैक, आ यदि ओकरा सऽ १०० वर्ष तऽ छोडू, स्वतंत्रताक मात्र ६६ वर्षक विकासकेर हिसाब माँगब तऽ बस अगल-बगल देखय के अलावा बाकी किछु नहि…. सामन्ती प्रथापर प्रहार करैत आइसँ १०० वर्ष पहिनेक जमीन्दारी प्रथापर आक्रमण के अलावे आ जाति-पातिमे लडाइ लगेबाक अलावे बाकी विकास हेतु कोनो सोच नहि, कोनो प्रयास नहि, कोनो मनसा नहि…. बस अपन पेट धरि भरय, करोडों रुपया चुनावमे लूटेबाक लेल आ अनपढ-पिछडल जनगणकेँ मनसामे बीमारी उत्पन्न करबाक लेल आगू सेहो लूटप्रथासँ देश बर्बाद हुअय… ओकरा किछु फर्क नहि पडैत छैक। लेकिन एहेन-एहेन सामाजिक अपराधी जे आइ नेता बनि सफेदी आ खद्दर के सफेद खद्दरपोश बनि इज्जत लूटि रहल छैक तेकर सब खेल आमजन बुइझ गेल छैक, बुइझ रहल छैक। बस जन-जागृतिमूलक कार्य सदिखन एकताक संग करैत धरि रहू।

मोदीजी केर मैथिलीमे बजबाक बात ओही दिन तय छल जखन हुँकार रैलीक एक व्यवस्थापक आ भाजपा सांसद कीर्ति झा आजाद हुनका संग भेंट करबाक लेल अहमदाबाद गेल छलाह, बिहारक वस्तुस्थिति, मिथिला राज्यक माँग के विषयमे आ बिहारक समस्या आदिसँ हुनका बखूबी अवगत करबैत भविष्यक राजनीतिक दिशा तय करबाक महत्त्वपूर्ण भूमिका निर्वाह केने छलाह। जेकर जिक्र हरेक समाचारपत्रमे सेहो कैल गेल छल। इहो कहल गेल अछि जे मोदी आगामी यात्रा दरभंगाक करता। ताहि हेतु मिथिला निर्माण चाहनिहार मोदी, कीर्ति वा किनको एहि लेल जरुर धन्यवाद करी जे ओ सब लागल छथि। ओ सब मिथिला लेल संघर्ष करनिहार अभामिरासंस सहित मिरासंस, मिरानिसे, आ आब मिरासंसंस आदि सबहक प्रयाससँ काफी प्रसन्न छथि आ जरुर मिथिला राज्य निर्माण करबाक लेल प्रतिबद्ध छथि। ताहि हेतु कृपया चर्चामे सार्थकता लाउ। सब कियो नरेन्द्र मोदी जी केर २२ अक्टुबरके अनुरोध जे चुनावी घोषणापत्रमे कि सब चाही ताहिपर अपन राय लिखय जाउ। हम लिखि चुकल छी आ एकर अपडेट अपन प्रोफाइल पेज द्वारा सेहो हुनक मैथिलीमे बजबाक बातक वादा संग लिखि चुकल छी।

हरि: हर:!!

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२८ अक्टूबर २०१३

मिथिलावासी, एहि बात पर ध्यान देब। जे अपन राष्ट्रवादिता आ राष्ट्रक अखण्डताक आवाज रंगमंचसँ लगबैत गणतंत्रक असल मर्म अनुरूप नेपालमे मिथिला राज्यकेर स्थापनाक माँग हेतु जनकपुरक रामानन्द चौकपर शान्तिपूर्ण अनशनपर बैसल अभियानीमे सहभागी छलीह…. ताहिठाम छद्म नेतागिरी करनिहार आ देशकेँ लूटनिहार शक्ति बम बिस्फोट कराय हिनका सहित झगरू, सुरेश, विमल आ दीपेन्द्र केँ शहादत आ दर्जनोंकेँ घायल-अपाहिज बनबैत जिन्दा शहीद बनेलक…. आब फेर चुनाव केर बेर थीक आ एहेन लोकक हाथमे गुण्डागिरीक लाइसेन्स कदापि नहि देब से अपील अछि।

हरि: हर:!!

Parmeshwar Kapari Kishor GuruSk Shah Sujit Jha Sunil Kumar MallickAjay Sah ShiwaliShyamsundar ShashiKumar BhaskarBhogendra Raj SahJaynath Sah

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चेतू चेतू यौ सरकार, ई थीक मिथिलाकेर धार!!

किछु लोफर-दि-ग्रेट छौंडा सब नहिये पढत, नहिये गुनत – बस अगबे बाजत…. कि? अहाँ सब बिहार के तोडि रहल छी… मिथिलाक यैह खराबी जे घरे-घर नेता आ बुद्धिजीवी जन्म लैत छथिन…. पहिले बिहारक विकास करू, मिथिलाक विकास स्वत: भऽ जेतैक… फल्लाँ बाबु मुख्यमंत्रीकेर हाथ मजबूत करू… किछुए दिनसँ विकासक हवा चलय लागल अछि… आ ततबामे अहाँ सब आब अपन गोटी लाल करय लेल नेतागिरी करय लागल छी… फेसबुकसँ मिथिला राज्य बनेबाक दिशामे बेहाल छी… खास समुदाय केर माँग थीक…. एकरा जनसमर्थन नहि अछि…. चन्दाक धन्धा थीक…. एहिमे स्वार्थ अहि…. मिथिला राज्य एखन बनत तऽ दरिद्र भऽ जायत… एकरा पास संसाधनक बड पैघ कमी अछि…. आ कतेको तरहक पाकल-परोर पाँडित्य दर्शन सब झाडैत रहैत अछि।

हमर दावी अछि, नहि तऽ ओ भारत देशकेर प्रकृति बुझि रहल अछि, नहिये ओकरा गणराज्य आ राज्यक असलियत पता छैक आ नहिये बिहार निर्माणपर पूर्ण ज्ञान छैक….. बस अपन बजबाक आदतिकेँ नहि रोकि पबैत ओ किछु बाजि दैत अछि जेकरा मैथिलीमे ‘अनढनक बात’ कहल जाइत छैक।

अहाँ बिहारी कोना बनि गेलहुँ?

भारत सदा-सनातन कालसँ विभिन्न राज्यक एक समुच्चय सम्राज्य रहलैक, जतय अनेको राजा रहितो एक सम्राट रहलैक। बुझैत छियैक, राजा आ सम्राट?

मिथिला सेहो देश कहाइत छलैक। बारहम शताब्दीमे विदेशी मुसलमान आक्रमण केलकैक आ अखण्ड राज्य टूइट गेलैक। बादमे ब्रिटिश एलैक, ओ राज्य आ रियासत सब जोडि अपन ब्रिटिश शासन कायम केलकैक। ब्रिटिशके समय मात्र १७ गो प्रान्त आ ५०० सऽ ऊपर रियासत यानि छोट-छोट राज्य आ राजा रहलैक। सब राजाक प्रदेशमे राजाक हुकुमत जे रहल हो, ब्रिटिश राज कायम भऽ गेलैक।

मुसलमानी आक्रमणकालसँ कतेको राजा सब सेहो त्राहिमाम करय लागल। कतेको राजा अपन बहु-बेटी-परिवारक इज्जत बचेबा लेल भागल, एहने एक राजा नेपालक राज परिवार सेहो थीक। नेपाल मूलत: जंगल-पहाड आ नदीसँ भरल देश रहल। लेकिन मुसलमान आ ब्रिटिश शासनसँ जान बचेबाक लेल जे सम्भ्रान्त परिवार, राज परिवार आदि पलायन केलक आ पहाडमे शरण लेलक से पहाडी कहाइत अछि। एकर अतिरिक्त किछु जनजातीय समूहक प्रजाति सेहो एतय रहैत आयल अछि, जेना शाक्य वंशीय राजा परिवार, जेकर संतान बुद्ध भेल छथि।

तहिना मिथिला राजपरिवार सेहो जखन भागल तखन सिम्रौनगढमे अपन राजधानी, बनौलीमे अपन राजधानी, आदि निर्माण केलक। विद्यापति सेहो गुप्तवास आजुक नेपाल ताहि दिनक मिथिलाक उत्तरी भागमे गुप्त वास केने छलाह। रानी लखिमा देवी सहित ओ पूरा राज परिवारकेर जान बचेबाक लेल सिरहा, धनुषा, बारा केर विभिन्न भागमे रहलाह। मैथिली साहित्यमे पहिले जतेक नीक काज भेल सेहो सब आजुक नेपाल ताहि दिनक मिथिला आ नेवा राज्यक राजा प्रताप मल्ल आदिक पालामे सुरक्षित रहल। ताहि दिनक नेपालक राजभाषा मैथिली रहल। नेपालक राजा पृथ्वी नारायण शाह कतेको छोट राज्यकेँ विश्वास आ बलसँ जितैत नेपालक वर्तमान स्वरूपसँ बादमे जखन ब्रिटिश राज रहल तखन जमीन्दारी प्रथासँ मिथिलामे सामन्ती व्यवस्था प्रश्रय पौलक आ किछु जमीन्दार द्वारा आमजनपर अत्याचार करैत हुकुमत चलायल गेल। बहुत बादमे १९१२ मे ओहने जमीन्दार राजा सब संग मिलिकय बिहार बनायल गेल। आ तहिया सँ अहाँ बिहारी बनि गेलहुँ। आ बिहारी बनि अहाँ आब अपन अस्मिता बिसैर रहल छी। कारण १०० वर्षक उपनिवेशवादी शासन अहाँक संस्कृतिसँ दूर केने जा रहल अछि।मिथिला कि थीक से आइ बुझेनाय बड कठिन छैक, उपनिवेशवादके कारण जेना नेपालमे पहाडी छोडि बाकी सबकेँ दोसर दर्जाक नागरिक मानल जेबाक शासक वर्गक भूल कैल गेलैक आ आब गणतांत्रिक नेपालक घोषणाक बावजूद आपसी सहमति नहि बनि पेलाक कारणे संविधान सभा १ केर लाइफ एक्सपायर भेलाक बाद संविधान सभा २ केर चुनाव आबि गेल छैक…. तदापि एकर गारंटी नहि छैक जे समाधान आगामी समयमे कोन अलादीनक लैम्प द्वारा हेतैक से नहि जाइन। अत: सब संस्कृति, इतिहास, भूगोल, भाषा आ भेषकेर संवैधानिक सम्मान बहाल करैत सबहक पहिचानकेर सम्मान देबाक प्राकृतिक न्याय लेल आम-जागृति जरुरी छैक, राज्य ताहि लेल चाही नहि कि बिहार या मधेश तोडबाक लेल। ई बुझू!

हरि: हर:!!

तस्वीरमे: भारतमे प्रस्तावित बिहार व झारखंडक ३० जिलाक मिथिला राज्य आ नेपालमे राज्य पुनर्गठन आयोग द्वारा सिफारिश कैल प्रस्तावित ११ जिलाक मिथिला राज्यकेर नक्शामे पीरा भाग।

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२७ अक्टूबर २०१३

मिथिला राज्य संयुक्त संघर्ष समिति अभियान

आइ विद्यापति महाप्रयाण भूमि विद्यापतिनगर, समस्तीपुरमे २ बजेसँ जनसभा कैल जा रहल अछि। आदरणीय बैद्यनाथ चौधरी बैजुकेर अध्यक्षतामे संयोजक श्री राम नारायण बाबु, उदय शंकर बाबु सहित समस्त प्रकोष्ठ अल्पसंख्यक, पिछडा, युवा आदिक संयोजक मो. रियाज भाइ, दिनेश्वर प्र. यादवजी, मिथिलेश पासवानजी आइ एहि सभामे अपन गरिमामय उपस्थितिसँ जनगणकेँ अपन अखण्ड मिथिला संस्कृतिक विषयपर आ बिना राज्य कोन तरहें हमरा लोकनिक उपेक्षा भऽ रहल अछि ताहिपर संबोधन करता। संगहि एहि महाप्रयाण भूमिक संरक्षक श्री गणेश गिरि केर सम्मान समारोह एवं महाकविक जीवन-चरित्र व वर्तमान पीढी सहित भविष्यक पीढीलेल हुनक देन ऊपर चर्चा कैल जायत।

हरि: हर:!!

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मोदीजी प्रति आभार प्रकट करैत समस्त मिथिलावासीकेँ अपन सम्मान – अपन भाषा, लिपि, संस्कृति, इतिहास आ भूगोलमे देखबाक अनुरोध करैत छी। विश्वास अछि जे आगामी सरकार केन्द्रमे जरुर मिथिला प्रति अपन लचीला रुखि स्पष्ट करत। हरि: हर:!!

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मिथिलाक यंग ब्लड

फेसबुक पेजसँ छोला-भटुराक प्रचार…. मातृभूमि अपन अस्मिता लेल कानि रहल अछि आ यंग ब्लड अपने मनक मस्तीमे डूबल झूमि रहल अछि। मैथिलीकेँ परित्याग कय हिन्दी आ अंग्रेजीमे राक-डान्स गाबि रहल अछि। एहि मिथिलाकेँ मृत्यु नहि तँ आर कि होयत?

समूचा भारतमे सबसँ पुरान संस्कृति, सबसँ मीठ भाषा, सबसँ पुरान लिपि, सबसँ गहिंर बौद्धिक धरा-आवोहवा… ताहि मिथिलाक यंग ब्लडकेर हाल जनि पुछू यौ भाइ… किछु कहलो पर ओ उलट बुझाबय लगैत छथि जे १३ गो पार्टी बना जनताकेँ लूटय के काज कय रहल छी… ठग छी… बेईमान छी…. बेवकूफ छी…. आ कि – कि! फेर गंभीरतासँ यदि ई पूछब जे औ जी! कोन-कोन १३ गो पार्टी छैक तँ फेर ज्ञानक अभावमे ओ मुँह बाबि बस अपना लेल झूठक गान-सम्मान खोजैत पराइत छथि आ लौटैत छथि तऽ लाइक आ कमेन्टक भूख संग छोला-भटुराक फोटो संग….

मैथिल तऽ खुद्दीक रोटी, सरिसवक साग, नुन-तेल-पियौज-अँचारक जलखै करैत छैक। ओकरा माछ, डोका, कछुआ आ विभिन्न जलचर-जीवक भोजन पसिन पडैत छैक। कबकब ओल, अरिकोंच संग खम्हरुआ, फरुआ, अरुवी चाही। पिरार, परोर केर भुजिया चाही। झुंगनी, घेरा, सजमैन, कदिमा, कुम्हर आ कतेको प्रकारक रसदार भुजिया चाही। डालना चाही, अदौरी, बरी, पापड, साग, अँचार, चटनी चहटदार चाही। यंग ब्लड!! अपन संस्कृतिसँ दूर जनि भागू। धोबीक कुकूर जेकाँ नहिये घरक रहब, नहिये घाटक होयब। चेतू यंग ब्लड, चेतू! नहि तँ पहिचान मेटि जायत।

जय मैथिली! जय मिथिला!!

हरि: हर:!!

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Ponder for a while!!

How can we forget this history duly depicted on the name-plate (board) in Qutubminar of Delhi? What does it say? Hindu temples and Jain temples were demolished and then the remnants were used to make this ancient mosque for Muslims then. Today India is majorly having Hindus and such black spots are still abusing them aggressively. However, the constitution of India has granted justification to not touch further to these monumental heritages by scope of secularism here. Does secularism justify abusing the sentiments? Will it pacify the burns inside? Will this ever give the true feelings of brotherhood among Hindus and Muslims? If not, why then keep such black spots on the name of heritage really? Or, why not the re-modelling be done to remove those anomalies? Why not Rama’s temple instead of an imposed Babari mosque at that holy shrine where Lord Rama believes to have born? Why such false appeasement by misinterpretation of our holy constitution? And, still, if there is any kind of communal unbalances, why then blame to a particular group of people who simply talk in favor of the major religion of India? The older India could get split into pieces and several Islamic republics were formed, do Hindus have no wish at all to keep one nation Bharat for themselves? Time to ponder on all these questions! Talking in favor of Hindus do not mean anyway opposing Muslims, of course the followers of all the religions must be given proper shelter by virtue of same secular constitution, but not the way minorities are appeased by some of the political parties and rape to the sentiments of the majority of people in India. All the people will develop the sense of brotherhood and harmony of love only when proper justices are granted to the real inhabitants of Bharat. Bharat Mata Ki Jay!!

Harih Harah!!

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२६ अक्टूबर २०१३

वर बाबु सब दिना बंगलौर मे रहला – घरमे यदा-कदा मम्मी-डैडी संग टूटल-फूटल मैथिली बजला… लेकिन आब जखन कनियैन हेथिन गामघरक आ दुनू प्राणीमे भाषाक विभेदक कारणे मन नहि मिलतैन तखन वर बाबु एक दिश आ कनियैन… बुझि सकैत छी।

चिन्ता नहि करू वर बाबु! मैथिली सिखेबाक प्रयास हमरा लोकनि कय रहल छी। बस अहाँ अपन जीवनसँ जुडल ६० गो वाक्य जेहि भाषामे सहज हो ताहिमे लिखू आ तेकरा मैथिली अनुवाद करबैत – करैत आबो प्रैक्टिस करू। बस ७ दिन मे अहाँ मैथिली सीखि सकैत छी।

आ जे मैथिलीभाषी छी, से अंग्रेजी सिखि सकैत छी। मेहनत कनेक करय पडत। शब्दकोष, वाक्य संरचना आ बाजबाक अभ्यास! जी!!

हरि: हर:!!

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हम एहि ग्रुप चैट केर उद्देश्य फेर रिपिट कय रहल छी:

१. मिथिला लेल कैल जा रहल हर आन्दोलनकेँ आरो सशक्त बनेबा लेल एकताक आवश्यकता अछि।
२. हर व्यक्तिकेँ अपन कर्तब्य निर्धारण करब जरुरी अछि।
३. कोनो तरहक विभेद, आशंका वा आपसी मतभेद-मनभेदकेँ दूर करबाक लेल एक समन्वय समितिकेर गठन सेहो आवश्यक अछि।
४. हरेक संस्था लेल एक काज आ ताहिमे सबहक सहयोग भेटय तेहेन वातावरण बनेनाय जरुरी अछि।
५. आन्दोलन लेल कोष छाता संगठन उपलब्ध करायत आ आन्दोलनक प्रारूप हरेक संस्था स्वयं तैयार करैत छाता संगठनसँ स्वीकृति लैत संघर्ष आगू बढायत तऽ प्रभावी होयत।

हरि: हर:!!

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Appeal:

कि अहाँ सहीमें अपन मातृभूमि प्रति समर्पणके भावना रखैत छी?

कि अहाँ सचमें अपन जीवनक किछु घडी मिथिला-मैथिलीक सेवामें लगाबय चाहैत छी?

कि अहाँ मिथिलाक खसैत सांस्कृतिक अस्मिताक कारण राजनैतिक उपेक्षा मानैत छी?

कि मैथिली समान सुन्दर मधुरतम भाषा सहित लिपिकेर संरक्षण चाहैत छी?

कि मिथिलामें रहनिहार सभकेँ मैथिल बुझि एकसमान सम्मान दैत छी?

कि मिथिलाक प्रथम संपत्ति शिक्षाक प्राप्ति जीवनक पहिल लक्ष्य मानैत छी?

कि अहाँ लैंगिक विभेद सऽ दूर समान भावनाकेर पोषक छी?

कि अहाँ अपन माटि-पानि सऽ जुडल रहयवाला लोक छी?

कि अहाँ भारत व नेपालमें अलग-अलग मिथिला राज्यक स्थापना हो तेकर पक्षधर छी?

कि अहाँ अपन कथनी आ करनी दुनूमें समानता हर परिस्थितिमें एक राखि सकैत छी?

यदि उपरोक्त समस्त प्रश्नक उत्तर हाँ में हो तखनहि टा अहाँ सच्चा मैथिल अभियानी युवा भऽ सकैत छी आ एक अभियानीक रूपमें मिथिला राज्य सहित समाज-सुधारक विभिन्न आन्दोलन संग जुडी आ अपन जीवनक अनमोल सेवा सँ मातृभूमिकेर रक्षा करी।

फेसबुकसँ अपनाकेँ सदैव जोडि रखबाक लेल किछु महत्त्वपूर्ण लिंक एतय राखि रहल छी:

१. मिथिला राज्य निर्माण सेना – युवा मैथिल केर पहिल च्वाइश – मिथिला सेना व सेनानीकेर समूह – https://www.facebook.com/groups/147796152091063/

२. मिथिला दलित संघ – मिथिलाक सर्वहारावर्ग केर जुडाव लेल समर्पित – https://www.facebook.com/groups/616308758392363/

३. दहेज मुक्त मिथिला – दहेजक कूरीतिसँ लडबाक लेल आ ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, भाषिक, आकृतिक… हर तरहक धरोहरक संरक्षणार्थ – समस्त मैथिल लेल आवश्यक विचार-शोध केन्द्र – https://www.facebook.com/groups/dahejmuktmithila/

एकर अतिरिक्त आरो बहुत रास मैथिल अभियानी लोकनि द्वारा विभिन्न समूह संचालित अछि, आग्रह जे ओहि समस्त समूहकेर लिंक आ संछिप्त विशेषता/वर्णन सहित कमेन्टमे जरुर राखी आ एहि पोस्टकेँ हर मैथिल संग जरुर शेयर करी। एहि ग्रुप सबहकक माध्यम सँ बौद्धिक स्तरके जानकारी पाबी/पठाबी। सदस्यता प्राप्त केला उपरान्त ई अहाँक कर्तब्य होयत जे अपन आसपास आयोजित मैथिली-मिथिलाक कोनो कार्यक्रम ओ चाहे कोनो भी आयोजक के द्वारा आयोजित हो, लेकिन ओहिमें अहाँ सहभागी बनैत मिथिलाक एक सच्चा स्वयंसेवक समान अपन निजी योगदान येन-केन-प्रकारेण जरुर देबैक।

हरि: हर:!!

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मुझे मालूम है कि हमारे नेता श्री राम नारायण झा एक स्टांच काँग्रेसी हैं, और उनका समर्पण एक राष्ट्रीय पार्टीके प्रति कम से कम मेरे लिये काँग्रेस विरोधी होते हुए भी इतना आदर योग्य है कि मैं शब्दोंमें आपसे इसका वर्णन नहीं कर सकता…. लेकिन जब-जब मैंने इनका पब्लिक एड्रेस सुना है, बस मैं न केवल छुब्ध रह गया यह देखकर कि ऐसे समर्पित पुत्र हमारे मिथिलामें नेतृत्व देनेके लिये ४ दशक तक अपना जीवन केवल इन्तजारमें ध्वस्त कर दिया बल्कि मेरे जेहनमें यह भी आया कि भारतका दुर्भाग्य है कि मिथिला का अपना अस्तित्व नहीं होने से ऐसे महान् हस्तीवाले समर्पित लोग अभीतक किसी नदीके किनारे अपनेको बस भक्तिमें छोड रखा है….. काश! यदि हमारा मिथिला राज्य होता और भारतीय दलोंमें वो सामर्थ्य होता कि ऐसे पुत्रोंको नेतृत्वके लिये वगैर किसी तरहकी दलाली लिये मौका भर दे देते तो भारतका भविष्य अलग होता…..

खैर! आपको मालूम हो न हो पर हम जानते हैं कि हमारे नेताओंमें मिथिला यानि मातृभूमिके लिये समर्पण प्रथम है और ये बार-बार हमारे लिये इस पृथ्वीपर आना पसन्द करेंगे। हमें ही अपना नेतृत्व प्रदान करेंगे और हम आज या कल जरुर जीत हासिल करेंगे।

अब जरुरत है तो आपको समझने की…. कि आप इनके काँग्रेस भक्तिपर खुद को पागल बनायेंगे या फिर इनके भीतरके मर्मको समझेंगे। आखिर हम मिथिलाके सन्तान क्यों किसी से पीछे हैं, इसमें हमारी खुद की क्या कमजोरी है, हमारे नेताओंमें हम बल कैसे प्रदान कर सकेंगे…. ये सारी बातें हमारे लिये सोचनीय है, हमारे त्यागी नेताओंके लिये नहीं। समय आ रहा है कि इन नेताओंको हम चुनेंगे और ये ही हमारे लिये विधानसभा और संसदमें आवाज लगायेंगे।

जय मिथिला! जय जय मिथिला!! हरि: हर:!!

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२५ अक्टूबर २०१३

हलाँकि हम मिथिला राज्य निर्माण सेनाक मादे कोनो आधिकारिक टिप्पणी करबाक सामर्थ्यमे नहि छी, परन्तु एहि मे कतहु दू मत नहि जे युवावर्ग जाहि तरहक हिम्मत, मेहनत, लगन, योग्यता आ व्यवस्थापनसँ एतेक कम दिनमे एना मिथिला लेल कोनो समूहकेँ ठाड्ह कय देलाह से कम भारी बात नहि भेलैक। जखन कि मिथिला एक शापित जगह छैक, एतय लोक समूह निर्माण ओहिना नहि कय सकैत अछि जेना सिंह केर झुन्ड… तदापि युवाजन एहि बातकेँ बेर-बेर प्रमाणित कयलन्हि जे जरुरत केर समय हम सब सदैव एक छी, एक छलहुँ, एके रहब। लेकिन अहं केर लडाई छैक, छलैक आ रहबो करतैक। तखनहु मिथिलाक लेल लडनाइ कम नहि हेतैक। हम कहि देने छी, जाबत एक मंच पर अपन-अपन संस्थाक लेल खास जिम्मेवारी तय करैत आगू नहि बढब, समय, धन आ क्षमता सबहक बेकारी मात्र होयत। ताहि लेल हमर बात पर हमर इगो नहि बल्कि अनुभककेँ सम्मान दैत अहाँ सब ध्यान देब आ “मिथिला राज्य संयुक्त संघर्ष समिति” केर एक छाता अन्तर्गत संघर्ष केँ अग्रसारित करब। देखियौक जे २०१५ तकमे अहाँक मिथिला राज्य केर स्थापना कतय पहुँचि जाइत अछि। धन्यवाद! हरि: हर:!!

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करू दान

दियौ दान बनियौ महान
करब दान तँ नहि घटत अहाँक मान
नहिये अहाँक कोठीक धान

करू दान

ई तँ नहि छी कोनो एहेन
धन वा सम्पत्तिकेर दान
या कि विवाहक कन्यादान
नहि तँ कोनो गोदान
ई तँ छी केवल
जीवनदान
रक्तदान

करू दान, बनू महान
रक्तदान, बचाबू जान!!

– बिजय मण्डल, यूथ फर ब्लड

बहुत सुन्दर रचनाक संग एहेन आह्वान जाहिमे छूपल अछि प्राणी मात्रक कल्याण, बेहतरीन नाराक संग!

हरि: हर:!!

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ई ओकर आइ के नहि बल्कि बहुत पुरान आदति रहि आयल छैक आ भऽ सकैत अछि जे जन्म-जन्मान्तरक हो…. ओ हमर निन्दा करबे करत आ कतेको तरहें हमरा बदनाम करय लेल कूचेष्टा करबे करत…. एहि सबसँ नहि तऽ हमर कार्य करबाक क्षमता घटल अछि आ नहिये कोनो तरहक उत्साह। जे छी से सबहक सोझाँ मे आ सेहो सत्यक धरातलपर छी, मात्र फेसबुक सँ फूस्टिक छोडब हमर काज नहि थीक। निश्चिन्त रहू। एखन धरि ओ ६०% पगलायल अछि, शीघ्र १००% पहुँचतैक – कारण ओकर जन्म अही तरहें बितयवाला छैक।  बहुतो तरहें प्रयास करैत अछि, मुदा ओकरा पर सऽ ब्लाक केर बंधन हम मुक्त नहि कय रहल छी, कारण बताह लेल फेसबुक सबसऽ नीक वैह कोचिला बनेने छैक।

हरि: हर:!!

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एहेन बात नहि छैक जे केकर कि कमजोरी छैक से लोक कोनो बुझैत नहि छैक। लोक ईश्वरक ओहेन रूप होइत छैक जे सबहक नस पकडने रहैत छैक। लेकिन तंत्र तेहेन विकास कैल गेल छैक जे लोकक बुझने कि आ लोकक प्रतिक्रियासँ हेतैक कि वला सोच आइ विकास कय रहल छैक आ अहिना मे तानाशाही प्रवृत्तिसँ लोक पर थोपुआ विचारक शासन चलि रहल छैक। सब के होइत छैक हमहीं बड चालू, बाकी बेवकूफ। लेकिन अपनाकेँ बेवकूफ मानैतो यदि ओ अपन कर्तब्यनिर्वहन टा ढंग सऽ कय रहल अछि तऽ सबसऽ बेसी जरुरतवाला लोक वैह होइत अछि। समाजमे ओकरे आवश्यकता छैक। केवल चिनन-चूपड आ नील-टिनोपाल झाडनिहारके सीमित पूछ होइत छैक। समाजक हर जाति व वर्ग लेल सिनेही वैह टा बनैत अछि जे समदरसी होइत अछि। अत: हे मिथिला राज्य अभियानी! अहाँ ई कखनहु नहि सोचब जे अहीं टा के होशियारी अहि आ बाकी गडबड घोटाला…. नोप! एक बात आरो कहब, तरघुस्की करब छोडू। दोसरक भाँग-गाँजा-अफीम-चरसपर कम ध्यान दियौक आ जन-कल्याणकारी सोचक संग आगू बढू। असगर कतबू फेफियायब तऽ होयत कि? जीरो!! दोसरकेँ एजेन्ट आ नेपालसँ भारततक दौड लगाबयमे देखयके बदला यदि कनेक योग अपन साधब तँ एक काज भऽ जेतैक। जेना रथयात्रा – ३ मिरानिसे द्वारा कतेक सफलतापूर्वक सम्पन्न भेलैक, बस हम अपनाकेँ कात कयलहुँ कारण हमर उपस्थितिसँ अहाँ कतेको गोटा बहुतो तरहें आहत होइत रही। एना बुझाइत छल जे एकटा प्रवीण के कारण कतेको लोककेर कार्यक्षमता ठमकल अछि…. आ तहिना भेबो कैल। कहबाक तात्पर्य जे अनेरौ लेल बेहाल नहि भऽ नेतृत्वक मौका सबकेँ देल करू। कैप्टेनशीप सौरव गाँगुलीसँ हँटल लेकिन ओ अपन खेल-भावनाकेँ आहत नहि केलक। मिथिला केर सेवामे हम लागल छी। एकता हमर लक्ष्य अछि। जरुर नेपालमे रहैत छी। दूर छी अहाँ सबसँ। लेकिन हृदयसँ मिथिला लेल जखन जे करय पडत तैयार रहैत छी। कोनो मान नहि, कोनो दंभ नहि, कियो हमरे सँ सिखैत अछि आ हमरे गरियाबैत अछि। हमरा तेकरो लेल कोनो चिन्ता नहि होइत अछि आ नहिये कोनो तरहक दु:ख जे फल्लाँ मिश्र या ठाकुर या शर्मा या कियो हमरा भावनाकेँ दु:खी केलक। याद रहय! काज वैह सार्थक होयत जे किछु योगक्षेम लेल प्रभुकेँ प्रसन्न कय सकत। बेईमानी भावना कहियो सफल नहि भेल आ नहिये होयत। दुनिया सुन्दर छैक, लेकिन दानव सेहो एतहि छैक। बस! जय मिथिला! जय जय मिथिला!!

हरि: हर:!!

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२४ अक्टूबर २०१३

दहेज मुक्त मिथिला जो पूरे भारतवर्षमे मैथिलोंके हितके लिये समाजिक ऐन, १८६० के अन्तर्गत पंजीकृत है, इसे बेहतर समझने के लिये मैं इसके विधानोंका हिन्दी और मैथिली अनुवाद क्रमश: हर पन्नेके साथ रखने जा रहा हूँ। मित्रों! यह एक ऐसी संस्था है जिसका लक्ष्य पूर्णतया समर्पित समाजसेवा है और बाकी के संगठनोंकी तरह कतइ पब्लिक फंडका दुरुपयोग करनेके लिये या दिखावे के लिये नहीं, बस जरुरत है कि हम-आप समर्पित भावना के साथ अपने समाजके बेहतरीके लिये इससे जुडें। किसी भी तरहका सन्देह या अस्पष्टता के लिये आप सभी बेहिचक सम्पर्क कर सकते हैं।

तो आइये शुरु करें संस्थाके विधानको समझना:

संस्थाका नाम: दहेज मुक्त मिथिला

पंजीकृत कार्यालय: ई-७५, नन्हे पार्क, ई ब्लाक, मटियाला, नयी दिल्ली – ११० ०५९

कार्यक्षेत्र: भारत गणराज्य

संस्थाका लक्ष्य और उद्देश्य:
१. समाज के लोगों और सदस्योंके बीच भाइचारा, सहयोग, सौहार्द्र, नैतिकता और स्नेह बनाना।
२. समाजमें ऐसा सोच विकास करना जिससे मैथिलोंके हरेक वर्ग और जातिमें दहेज प्रथाको समेटा जा सके और समाज का उत्थान हो इसके लिये विभिन्न तरहका सामुदायिक विकासका कार्ययोजना/कार्यक्रम करना।
३. संस्थासे जुडे सदस्यों या आमजनोंका दहेज से सम्बन्धित समस्याओंका निदानके लिये प्रभावशाली, औचित्यपूर्ण और वैधानिक कदम उठाना, जरुरतमें समुचित न्यायालयमें सदस्योंके हितरक्षा करना।
४. संस्थाके विकास हेतु हर तरहका अनुदान-दान-सहयोग चल या अचल सम्पत्तिको ग्रहण करना।
५. समाज व संस्थाके लोगोंका जीवनस्तर में प्रगति लाने, युवाओंको स्वाबलंबी बनाने एवं जिससे संस्थाका हितसाधन करने, इन सभी बातोंके लिये जमीन, मकान व अन्य प्रकारकी संस्थानों जैसे बारात घर, सामुदायिक भवन, धर्मशाला, सभागार आदि बनाना/हासिल करना।
६. दहेज मुक्त समाज प्रवर्धन एवं सन्दर्भसे जुडे मसलोंपर समाजमें विचार-गोष्ठी, बहस, नुक्कडका आयोजन करना – साथ ही वर और कन्याओंके लिये परिचय सभाका आयोजन करना जिससे शादी के लिये आपसी जुडाव हो सके।
७. दहेज मुक्त समाज निर्माण हेतु दहेज सम्बन्धित अनेकों पहलुओंपर विभिन्न अधिकारियों व विभागोंके समक्ष पंचायत, प्रखण्ड, जिला, राज्य और राष्ट्र स्तरपर प्रतिनिधित्व प्रदान करना।
८. संस्थासे जुडे सदस्यों व समाजके बच्चोंमें शिक्षाके हर रूपका प्रसार करना।
९. दहेज प्रथाके उन्मुलन हेतु समाजिक कल्याणकारी कार्यों तथा योजनाओंके लिये धन संग्रह करना तथा समुचित सहयोग प्रदान करना।
१०. दहेज प्रथा उन्मुलन के लिये विभिन्न प्रकारका लेख, समाचार, कार्यपत्र आदि प्रकाशित कराना।
११. दहेज उन्मुलनके लिये हर गतिविधि करना (दहेजकी परिभाषा शादीके अवसरपर, पहले या बादमे प्रत्यक्ष – अप्रत्यक्ष किसी भी तरहके लेनदेन, खुद पक्ष या सम्बन्धियोंके द्वारा लेनदेन, आदि)।
१२. हर तरहकी मिथिला सहित भारतका आध्यात्मिक, भाषिक व आकृतिक धरोहरोंका सुरक्षण, व्यवस्थापन तथा स्थापना करना।
१३. संस्थाका समस्त सकल लाभ केवल संस्थाके हितोंके लिये लगाना।

क्रमश:…… https://www.facebook.com/groups/dahejmuktmithila/

हरि: हर:!!

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तोरा पढहे टा पडतौक

(नीतिकथा)

माय बच्चाक बदमाशी देखि बेर-बेर छुब्ध होइत बजैत छलीह – “देख बौआ! जे नहि पढैत अछि तेकर कोनो पूछो नहि होइत छैक। तों हमर एकलौता लाडला बेटा थिकेँ। तों नहि पढमें तऽ कह हमर भाग्य केहेन होयत? तोरा पढहे टा पडतौक।”

छौंडा जतेक अपन मायके मिनती सुनय ओकरा ततेक भीतरसँ फूइट कय हँसी लगैक आ ओ ओतबी बेसी छिडियाइत मायकेँ देखबैत आरो बेसी उछल-कूद करैत छल। माय जतेक खिसियाथिन ओ छौंडा ओतबी हुनका खौंझबय के आदी बनि गेल छल। बच्चाक मनोविज्ञान किछु एहि प्रकृतिक होइत छैक जेना संस्कृतमे नीतिगान छैक “उपदेशोऽहि मूर्खाणां प्रकोपाय न शान्तये”। कहबय एम्हर, करत ओम्हर।

बाप कतहु विद्यालयमे शिक्षक छलखिन आ बेटा लेल ओतेक समय नहि दऽ पबैत छलखिन। जखन-जखन गाम आबैथ, मायके शिकायत सुनलोपर बेटाकेँ दुलार देबामे सुइध सऽ उतैर जाइन जे पत्नीक चिन्ता दूर करबाक अछि, जखन कि पत्नी बेर-बेर कहथिन आ अपने हँसैत बातकेँ टाइर दैत छलाह जे कि दू दिनक छूट्टीमे बच्चाकेँ किछु कही। आइ लेकिन पत्नी सोइच लेली जे बिना पढबेने नहि मानब। ओ बच्चाक संग मुँग लगबाक आदी बनि चुकल छलीह आ मानू जेना दू सहपाठी एक-दोसरकेँ खौंझाबयवाला कोनो खेल खेला रहल हो, माय बच्चाकेँ कहथिन आ बच्चा ओतबी नहि टेरैत मायकेर मुँह दूसैत छल। माय कहलखिन – “आबय दे आइ बपहिया के! आइ तोरा बिना पढबेने नहि छोडबौक।” बेटा सेहो तोतरैत मुँह दूसैत जबाब दैन – “आबऽ ते आइ पपहियाके – तोला बिना पदबेने नञि छोब्बौक।” माय-बेटा एना मुँह दूसा-दूसी खेला रहल छल ताबत बपहिया सेहो आबि जाइत छथि आ एहि खेलकेँ देखि बहुत गंभीर बनैत छथि। सोचैत छथि जे किछु उपाय निकालब जरुरी अछि।

शोर पारैत छथि बौआ के आ अपने ओछाइन पर पडल सूतबा सँ पूर्व कहैत छथि जे बौआ एगो कहानी सुनमे, बच्चाकेँ कहानी सुनबाक लालसा सदिखन रहैत छैक… कहैत छैक हाँ बाबुजी, किऐक नहि! सुनाउ कहानी। कहय लगलखिन जे एक दिन घरमे दैत्य आबि गेलैक आ माय-बाप बच्चा सबकेँ लऽ के कोठीमे नुका रहल। चक्कू सँ भूर कयकेँ गुजुर-गुजुर दैत्यक आवागमन देखि रहल छल। दैत्य बेर-बेर बाजय – मनुखगंध! मनुखगंध!! मुदा कतहु कियो नहि देखाइक तऽ घूइर बाहर आ घूइर भीतर करय। बाप माय आ बच्चा सबकेँ मुँहपर हाथ धेने बस दैत्यक गतिविधि पर नजरि जमेने छल। बाद मे दैत्यकेँ आवाज सुनेलैक – एक खाँउ! दुइ खाँउ!! कि तिनू खा जाँउ!! ई आवाज बाप तेना भरियाय तीन रोटी देखि बजलकैक जे दैत्यके भेलैक हमरो सऽ पैघ दैत्य एहि घरमे पहिले प्रवेश पाबि गेल अछि आ ओ पक्का तीन गो शिकार दबोचने अछि। सोचैत-सोचैत ओ कोठीक नजदीक ठाढ्ह भेल आ कि बाप मौका देखि ओकरा चक्कूसऽ टाँगमे घोंपलकैक आ दैत्य डरक मारे भाइग गेल। एना माय-बाप-बच्चाक जान बचि गेल। बुझलिही? बच्चा कहलकैक जे बाबु, जौँ अपना घरमे दैत्य आबि गेल तखन? ‘तही द्वारे तऽ तोरा ई कथा सुनेलियौक, जे बाप पढल-लिखल भेला सऽ ज्ञानी होइत छैक आ सब बाट निकालयमे सक्षम होइत छैक। हम तऽ मास्टर छी बेटा! चिन्ता नहि करे। लेकिन एक वादा करे। मायके बात नहि कटमे। कारण मायके बात काटनिहार बच्चाके बचाबयवाला कियो नहि होइत छैक। हमर बुद्धि दैत्य अपना वशमे कय लेत। तऽ कह तोरा के बचेतौक?” कहैत बाप उदास भऽ गेलाह आ कानय सनके मोन बना लेलाह। बच्चा बापक आँखि पोंछैत बाजल – “नहि बाबु! अहाँ जुनि कानू। हम आब मायक बात कहियो नहि काटब।” तेकर बाद बच्चा माय के कहबा सँ पहिने किताब लऽ के पढय लेल बैसि जाइत छल, माय ई देखि प्रसन्न भऽ गेलीह। बादमे ओ बच्चा बड बहादुर आ दिलेर निकलल।

हरि: हर:!!

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२३ अक्टूबर २०१३

दहेज लेल सेहो कर्मकाण्ड कठोर नहि छैक, कूव्याख्या एकरा कठोर बनबैत छैक। सामाजिक आडंबर जेकर चर्चा अहाँ केने छी से एकरा कठोर आ कुरूप बनबैत छैक। आँटाके लोइयामे किछु गहना नुका कय देबाक शास्त्रीय वैवाहिक पद्धति बता रहल छैक। अर्थात् स्त्रीधन जे गुप्त होइत छैक आ मात्र स्त्रीक अधिकार ओहि धन पर रहैत छैक। यौ जी! सौराठ जिबैत उदाहरण छैक जतय सऽ १९८० तक दहेज मुक्त विवाह आ कन्यापक्ष द्वारा स्वस्फूर्त दान दैत वर चुनबाक परंपरा… लेकिन एकहि वर पर सत्रह कन्यापक्षक टूटब आ वरक दाम निर्धारित करैत बोली लगायब… सौराठ सभामे विकृति अनलक, सजगता हँटल आ दुर्घटना घटल। चारूकात मिडियासँ लैत हिन्दी फिल्म तक एकर भर्त्सना करय लागल। सभा टूइट गेल। कतेको मेहनत कैल जा रहल अछि लेकिन आब फेर ओ विशुद्ध परंपराकेर निर्वहन एहि ठाम होयत से संभव नहि देखा रहल अछि। लेकिन ईश्वर कतहु हेरा नहि गेल छथि, यदि यैह सौराठ सभाक विशुद्ध सुच्चा-पवित्र परंपराकेँ लोक फेर चाहय तऽ जरुर रिवाइव कय सकैत अछि। गाम-गाम आ शहर-डगरपर एकरा आयोजन करैत स्वच्छ आचार-विचारकेर प्रोत्साहन देल जा सकैत छैक। हरि: हर:!!

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दोस्तों!

मिथिला राज्य निर्माणके लिये सारे लोगोंमें एक सपना तो है पर तरीकामें ऐक्यता नहीं है। गये दिन हमारे आपसी मतभेद सभीके सामने आते रहते हैं। बिहार जिस बुनियादपर बना था – मिश्रित संस्कृति, मिश्रित भाषा, मिश्रित धर्म, मिश्रित प्रकृति, मिश्रित आवोहवा और मिश्रण भी ऐसा मानो राष्ट्रके लिये समर्पित। तभी भारतीय स्वाधीनताके संग्राममें यहाँके बांकुरेने अंग्रेजोंके छक्के छुडाये, गाँधीको सत्याग्रह के लिये आकर्षित किया, राम मनोहर लोहिया और जय प्रकाश नारायण, सूरज नारायण, कर्पुरी जैसे प्रखर समाजवादी पुत्र देशको सौंपा, एक से एक विद्वान् – एक से बढकर एक कलाकार और क्या नहीं…. यहाँ तक कि अंग्रेजोंको भी यहाँकी संस्कृति, भाषा, भूगोल और दर्शनपर शोधके लिये आकृष्ट किया।

लेकिन अब जब इसके १०० वर्ष पूरे हो गये और यहाँकी प्राकृतिक हवाकी रुखको ही छद्म राष्ट्रवादिताके चक्करमे दम घूटनेके लिये छोड दिया गया… यहाँकी अपनी लिपि, भाषा, इतिहास, संस्कार सबकुछमें वर्णसंकर उत्पन्न करके मैथिली कहावतका वही बंदर जैसा बना दिया कि बुद्धि बढ जानेपर बाँसमें फाँदने जाना और फिर अंडकोष चिपानेसे खुद प्राण-त्याग करना… बस कुछ यही बन गया है बिहार औेर यही कारण है कि मैथिली, भोजपुरी, मगही लगायत बिहारके सारे भाषाओंका देशभरमें सम्मान है, पर बिहारीका कहीं नहीं। जरा सोचो! तो मेरा स्पष्ट मानना है कि या तो बिहारके बुनियादी सोचको ईमानदारी से स्थापित करके मिथिला सहित सारे क्षेत्रोंका प्राकृतिक सम्मान बहाल करो या फिर नौटंकी बन्द करके स्वराज्य स्थापित करनेका अधिकार सौंप दो। मिथिला राज्य सहित भोजपुर और मगधका स्थापना करो। अब मेरे ऐसे सोचने का मतलब ये कतइ नहीं है कि सारे मिथिलावादी लोग मेरे ही जैसा सोचने लगें। बस इसे मेरा व्यक्तिगत सोच मानकर चलना औेर अपनी स्वाभिमानको बरकरार रखनेके लिये पहचानकी विशिष्टताको भारतीय संविधान द्वारा सम्मानित करानेके लिये खुद मंथन करना – यही अनुरोध है।

हरि: हर:!!

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प्रिय मैथिलीभाषी आ मिथिला अभियानी दिल्ली-प्रवासी!

सुप्रसिद्ध गायिका आ विदुषी डा. शारदा सिन्हा द्वारा आइ-एच‍-सी, दिल्लीमे २६ अक्टुबर १२ बजेसँ भोजपुरी भाषामे लोकपरंपरा आ उत्सवधर्मिता विषयपर गोष्ठी राखल गेल अछि। भाषा व साहित्यकेर विकास लेल एहेन कार्यक्रम सबहक बड पैघ महत्त्व होइत छैक। एकर छाप हमरा लोकनिक मस्तिष्क पर गहिंराईमे पडैत अछि आ तदनुरूप अपन मातृभाषाक सेवामे रत होइत छी। हमर मानब अछि जे मैथिली सबसँ बेसी प्राचिन भाषा हेबाक कारणे अवधी, ब्रजभाषा आदिसँ संयोग बनबैत क्रमश: भोजपुरीमे परिणति पौलक। लगभग ९०% समानता छैक एहि दुहो भाषामे, अन्तर एतबी जे बाजबाक शैली आ सहायक क्रियाबोधक शब्द संरचना मैथिलीसँ भिन्न; यथा ‘कि हाल अछि’ केर भोजपुरीमे ‘का हाल बा’।

विषय महत्त्वपूर्ण छैक आ संस्कृतिक आपसी नजदीकी छैक, ताहि हेतु भाषा-साहित्य लेल कार्य करनिहार हेतु एहि कार्यक्रममे सहभागी बननाय बहुत जरुरी अछि। विशेषत: जखन कोनो विद्वानक कार्यपत्र प्रस्तुति कैल जा रहल हो, अहाँ सबहक उपस्थितिसँ नहि केवल भोजपुरीक कल्याण हेतैक बल्कि आबयवाला समयमे मातृभाषा मैथिलीक सेहो प्रवर्धन हेतैक। जेना कि विदित अछि, आइ बिहार सरकार हिन्दी आ उर्दू लेल समर्पित रहैत बिहारक बेसी जनसंख्या द्वारा बाजय जायवाला भाषा यानि मैथिली आ भोजपुरी सहित मगही लेल कोनो खास योजना नहि बना रहल छैक आ केवल पटनाक गद्दीसँ ‘बिहार-बिहारी शैली’मे शासन चला रहल छैक, ताहिसँ जिम्मेवारी स्वस्फूर्त सेवा सँ भाषा बचेबाक हमरे-अहाँक बनैत अछि। अत: एहि कार्यक्रममे सहभागी बनबाक लेल जरुर जाउ।

एहि लेल सम्पर्क करू:

श्री जयकान्त मिश्रा – ९८११९७२३११

ओना, हुनको हम किछु व्यक्तित्वक नाम व फोन नंबर उपलब्ध करा देने छी, यथा शेफालिका वर्मा, अमरेन्द्र झा, शिशिर पाठक, अरविन्द पाठक, समरेन्द्र प्रताप पाठक, हितेन्द्र गुप्ता, मदन ठाकुर, हेमन्त झा, कृपानन्द झा, संतोष चौधरी, आदि। जिनका सँ सम्पर्क करैथ, कृपया सहयोग जरुर करियौन। मैथिली भाषा आ भोजपुरी भाषाक बीच सहकार्य लेल दिल्लीमे कोनो तरहक सहयोग के आपसी लेन-देन लेल सम्बन्ध प्रगाढ करब बहुत जरुरी अछि। भविष्यमे भोजपुर राज्य मिथिलाक पडोसी मित्र राज्य बनय यैह कल्पनाक संग आयोजककेँ पुन: साधुवाद।

हरि: हर:!!

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यह जानकर खुश हुए कि शारदा सिन्हा जी द्वारा “भोजपुरी: लोकपरम्परा और उत्सवधर्मिताका साहित्य” नामक गोष्ठी आइ-एच-सी दिल्लीमे आनेवाले शनिवार १२ बजे से आयोजित किया जायेगा। मेरे मैथिल मित्र जो दिल्लीमें उपलब्ध हैं उनसे भी निवेदन है कि वो इस आयोजनमें सहभागी बनें और गौर करें कि भोजपुरी लोकपरम्परा और उत्सवधर्मिता किस तरह से मिथिलाकी संस्कृतिसे प्रभावित है और कितना समानता है। मुझे याद है श्रीमती मृदुला सिन्हा जी के वो वचन जिसमें उन्होंने काफी बारिकीसे विवेचना की थीं और शायद उन्होंने कुछ पुस्तकें भी अपने शोधोंके आधारपर लिखी हैं। मिथिलाकी लोकगीत जीवनशैली और प्रकृतिके बीचकी सामीप्यताको किस तरहसे उकेरता है। ज्यादा जानकारी के लिये शेयर्ड लिंकपर जायें। हरि: हर:!!

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हमर भांग-गाँजा-चरेस-अफीम आदि देखनिहारकेँ हमरा संग मित्रता रखबाक कोनो औचित्य नहि अछि, ग्रहण हमर नीक चरित्र, यदि कोनो नजरि पडत तेकरे टा करब। योग सिखलाक बाद स्वयं दुष्चरित्र देखबैत हमरे पाठ सिखायब ततेक कच्चा हमर अध्ययन नहि अछि विद्यार्थी! क्षमा करब, हमर मित्रता योग्य अहाँकेँ नहि बुझैत अपना सँ दूर केलहुँ। आरटीआइ एक्सपर्टकेर संज्ञा देने रही, लेकिन झगडा लगाबय टा लेल आरटीआइ एक्सपर्टिज्म छल सेहो देख लेलहुँ आ सार्थक प्रश्नक उत्तर अहाँ एहेन छद्म व्यक्तित्वसँ शायद एहि जीवनमे ऊपर करब संभव नहि हो!

हरि: हर:!!

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२२ अक्टूबर २०१३

दहेज मुक्त मिथिला एक गैर-सरकारी संगठन रूपमे भारतक हरेक राज्यमे कार्य कय सकैत अछि। जेना कि एकर नामसँ स्पष्ट अछि, ई समस्त मिथिला सहित राष्ट्रकेर प्रत्येक राज्यमे दहेज उन्मुलन करबाक लेल आवश्यक जन-जागृति पसारबाक कार्य कय सकैत अछि। एहि संस्था द्वारा बेटा-व-बेटी दुनूक शिक्षा समानरूप सँ कैल जा रहल अछि वा नहि, यदि नहि तँ कि कारण छैक आ ओकर समाधान कोना हेतैक, ताहि लेल सेहो कार्य कय सकैत अछि। तहिना सदस्यता प्राप्त व्यक्ति लेल दहेज-जनित कोनो समस्याक कानूनी निदान तकबाक लेल सेहो ई संस्था समुचित पहल कय सकैत अछि। गाम-गाम आ शहर-शहर एकर अभियान संचालन करैत आवश्यक जनजागृति हेतु एहि संस्था द्वारा रोजगारक अवसर सेहो उपलब्ध करायल जा सकैत अछि। संगहि एहि संस्थाक एक विलक्षण दृष्टिकोण ई अछि जे गाम-गाम पसरल धरोहरक संरक्षण लेल स्वयंमेव विकास आ सरकारी योगदान हेतु आवश्यक पहल करबैत काज आगू बढा सकैत अछि। युवावर्ग पुरुष वा महिलासँ अनुरोध जे एहि संस्थामे अपने जुडू आ गाम-गाम एक कार्यसमिति गठन करबाक लेल आवश्यक संयोजन कार्यभार सम्हारू। बहुत शीघ्र हमरा लोकनि अभियानकेँ सघनता देबय लेल जा रहल छी, चाहे भारत सरकारक अधीन कोनो योजना हो वा बिहार वा गुजरात वा कोनो राज्य – एहि लेल समुचित अधिकार अहाँकेँ भेटत जे जमीनपर एहि लेल काज करी आ करबाबी। विशेष लेल सम्पर्कमे बनल रहू। फेसबुकपर एकर आधिकारिक पेज: https://www.facebook.com/groups/dahejmuktmithila/

हरि: हर:!!

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महोदय! अंग्रेजी हिन्दीक अफीमसँ बेसी नीक एहि लेल अछि जे आइ प्रवासी मैथिल लेल सबसँ बेसी कारगर आ काजक बनि रहल अछि। जखन मैथिलक भविष्य परदेशक नोकरिये अछि तखन हिन्दीमे कि राखल अछि? अंग्रेजी कम सऽ कम रोटीक जोगार दऽ रहल अछि। ताहि हेतु हमरा सँ जुडल प्रत्येक युवाजन लेल ई नियम छैक जे पहिले मातृभाषा आ दोसर आंग्ल-भाषा आ तेसर भारतीय राजकाजी भाषा यानि हिन्दी आ संगहि मिथिला क्षेत्रक पडोसीक भाषा भोजपुरी, बंगाली, आसामी, मणिपुरी, ओडिसी, अवधी, गढवाली, नेपाली, आदि जतेक सीखब ततेक नीक। विद्वताक गंभीर पोषक मिथिलाक माटि-पानिसँ अपने लोकनि छी आ तेकर प्रमाण तँ मात्र विद्याबल टा दऽ सकैत छैक, धन-सम्पत्ति वा भौतिकतामे ओ सामर्थ्य कहाँ! हरि: हर:!!

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दहेज मुक्त मिथिला: गाममे बैनर द्वारा प्रचार

कुर्सों दुर्गास्थान – १

अलीनगर चौक – १

सिद्धपीठ, गलमा – १

लक्ष्मण कुटी, गलमा – १

कसरर ज्वालामुखी स्थान – १

कोर्थु चौक – १

पाली बाजार – १

घनश्यामपुर प्रखण्ड कार्यालय – १

महुली सार्वजनिक विद्यालय – १

सुसारी दुर्गास्थान – १

फूलपरास चौक – १

कुशेश्वरस्थान – १

भवानीपुर दुर्गास्थान – १

दरभंगा शहर व अन्य लेल – ८

अहुँके गाममे ‘दहेज मुक्त मिथिला’केर बैनर लगेबाक हो तऽ जरुर अपन सम्पर्क नंबर सहित पता बताबी।

हरि: हर:!!

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सब कियो अपन विचार रखबा लेल स्वतंत्र छी, लेकिन हम जाहि मुहिमकेर संग आगू बढि रहल छी ताहिमे क्रान्तिकारी परिवर्तन लेल कठोर बंधनक आवश्यकता प्रत्यक्ष देखि रहल छी। यैह सामर्थ्य आइ प्रदर्शनकारी बनि समाजकेँ दीवार बनि चाइट रहल अछि। जाहि स्तम्भपर मिथिला निर्माण भेल छल ताहि ठाम आडंबरी आ कूव्याख्या सहित कर्मकाण्डक नामपर हमरा लोकनिक पूँजीस्राव कय रहल अछि। मैथिलक मजबूरी जे श्राद्धक भोज दुइ संध्या हेबाके चाही…. दुनू संध्यामे मृत-नामधारी-शरीरक आत्माक तृप्ति लक्ष्य छैक आ भोजन गाम भरि – सौजनी – अठगामा – बरहवर्णा आदि अनेको तरहक होइत छैक। पहिले जे भोज ड्योढि-दरबार द्वारा कैल जाइत छल से आब समाजमे नजिर बनि पैसावाला कहेनिहार लेल समाजिक आदेशरूपमे कैल जा रहल छैक। कहबाक तात्पर्य जे देखाबामे हमरा लोकनि महाराजा-कैटेगरीमे प्रवेश पाबि रहल छी, कर्म रखैत छी ओतबा क्षुद्र जे व्यक्तिवादी विकास सँ ऊपर समुदायवादी विकास लेल एको छदाम खर्च करबाक मनसा नहि, इच्छा नहि, तत्परता नहि…. गाम बनल तैयो एक लाख, बिगडल तैयो एक लाख…. एहेन मानसिकता सँ यदि भोज करैत अपन माता-पिता-पितामह आदिक आत्माक तृप्ति चाहैत छी तऽ राम बेहतर जानैथ जे केहेन तृप्ति हुनका भेटतन्हि…. मुदा अपन वैह मृतात्मा लेल यदि स्थायी तौरपर कोनो नीक कीर्तिमान स्थापित कैल जाय आ कर्मकाण्डक बाध्यताकेँ न्युनतम खर्चक सीमामे बान्हि (जेना भैर गाम भोजे करबाक अछि तऽ एक संध्या करू) केला सँ बचतक मात्र ५०% समाजक विकासमे लगेनाय हर वर्ष हरेक गामकेर कायापलट लेल रामवाणकेर कार्य जरुर करत। हरि: हर:!!

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Respected NM Jee,

As required, I would like to submit my suggestion to incorporate in BJP’s manifesto as following:

Must address regarding formation of Mithila State in India, since Mithila is the part of eternal India and is still existing, it must be protected by granting statehood to it. On basis of sweetness and that a great amount of literary work, Maithili is agreed to become the national language of 8th schedule of Indian constitution, BJP led NDA must be thanked, RSS must be thanked and every nationalist must be thanked for this favor to Mithila, further and as promised by BJP President Rajnath Singh also, the statehood to several newer states must be accepted and if needed a new SRC be formed to look into these matters. Let BJP put a clear note regarding formation of Mithila state.

Also, I have come to know from our MP Keerti Azad regarding your schedule to Darbhanga, the heartland of Mithila in near future after Hunkaar Rally at Gandhi Maidan, Patna where you want to address the people in Maithili – it is a great information for us and it will really give a fresh energy to the activists to work ahead and help BJP become a ruling party in India under your able leadership as a would be PM of India.

Harih Harah!!

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आउ करी चर्चा ग्रामीण यात्रा – ३ केर!

पहिले सँ निर्धारित समयसँ देरी होयब हमरा लोकनिक आदति अछि, हलाँकि एहिसँ कार्यक्रमकेर सुन्दरता आरो बढैत छैक आ महत्त्वपूर्ण व्यक्तित्व लोकनिकेँ समेटल जा सकैत छैक। पिछडा प्रकोष्ठक राष्ट्रीय संयोजक श्री दिनेश्वर प्रसाद यादवजीकेँ समेटैत आदरणीय राम नारायण बाबु, उदयशंकर सर, रियाज भाइ, मिथिलेश पासवान भाइ आ बुढा भाइ दनदनाइत दरभंगासँ सीधे अलीनगर पहुँचि गेलाह।

एहि सँ पहिने प्रिय अनुज आ मित्र रंजित कुमारजी मुंबईसँ गाम सुसारी आयल छलाह ओ अपन सखा राघवजी संग एकदम सही समय यानि ९ बजे भिन्सरे पकडी (मिलकी) चौकपर पहुँचे गेल छलाह आ हमर फोन पर समयसँ जानकारी दऽ देने छलाह। बादमे कार्यक्रम जेना-जेना बनि रहल छल ताहि अनुसारे हुनको लोकनिकेँ अलीनगर चौकपर एकत्रित होयबा लेल कहि लगभग साढे एगारह बजे हमरा लोकनि एकत्रित भऽ पान खाय जतरा बना रहल छलहुँ आ अलीनगरमे मो. फाहिम साहेब (जिनकर दबाइ दोकान छन्हि) केर देखरेखमे “दहेज मुक्त मिथिला”क बैनर लगा चुकल छलहुँ। फाहिमजीकेँ एहि संस्थाक सुन्दर उद्देश्य सब कहि आगामी समयमे फैल सऽ गप करबाक आश्वासन दय आदरणीय अरुण कुमार मिश्र (माँगैनजी), गलमाकेँ जानकारी दय यात्रा प्रारंभ कयलहुँ।

सबसँ पहिने पहुँचलहुँ “सिद्धपीठ – तारापीठ – गलमा”! एहि स्थलक सुन्दरता एहने मानू चारूकात सुन्दर प्राकृतिक वन-उपवन आ बीच निर्जन स्थलमे मात्र आ मात्र स्वयं हन-हनाइत काता सहित घन-घनाइत घुघुर कटि (डाँड्ह)मे बन्हने जगत् केर सृष्टि केनिहाइर महाकाली विराजित छलीह – दसो देवीक विलक्षण मूर्तिसँ आबद्ध आ बगलेमे महाशिव अपन बारहो ज्योतिर्लिंङ्गस्वरूपमे एकहि ठाम मौजूद छथि। आश्रम मात्र साधक टा लेल छैक आ समूचा गामकेर शिव (पुरुष) आ शक्ति (स्त्री) लेल जेना नव-प्राणकेर संचार कय रहल छैक। पर्यटक दिनमे एक्का-दुक्का आयब एहि स्थानक महत्त्वकेर मौन-गान करैत छैक। स्थापनाकर्ता कोनो साधारण मस्तिष्क वा साधक नहि वरन् एक महान विचारक छथि जे समूचा हिन्दुस्तानमे अपन परचम लहरौने छथि – पंडित जीवेश्वर मिश्र! एक विद्वान् आ आस्थावान् ईश्वर प्रति समर्पित आ मिथिला तंत्रभूमिक महत्त्वकेँ आत्मसात केने हिनकर निर्माणक उपरोक्त स्वरूप जाहिमे आदिशक्ति जगदम्बा संग शक्तिक दसोरूप आ स्वयंभु महादेवक द्वादश ज्योतिर्लिंङ्गरूपकेर एक स्थलपर स्थापना…. आब विचार करैत रहू जे ओ महान् विचारककेर मानसपटल कतेक गंभीर साधनामे निरंतर रत अछि। हम एखन ओहि सुन्दर स्थलकेँ अपन स्मृतिक आधारपर वर्णन करैत रोमाँचित भऽ रहल छी आ मानू जेना स्वयं माय हमर आंगूरसबकेँ कीबोर्ड पर नचा रहल छथि। बेर-बेर प्रणाम ओहि पावन धरतीकेँ, परिकल्पनाकेँ, स्थापनाकेँ, आस्थावानकेँ आ संरक्षणमे रत दयाकान्त मिश्र सहित पुजेगरीगण व समस्त भक्तजनकेँ। अही पावन भूमिसँ माताकेँ प्रणाम करैत शुरु कैल गेल “मिथिला ग्रामीण जागरण यात्रा – ३”!

एहि निर्जन भूमिपर मात्र आस्थावान साधककेर उपस्थितिसँ वरिष्ठ अभियानीकेर मनोबल यदि कतहु आशंकित भेल हेतनि तैयो ओहि स्थलक गरिमा आ आध्यात्मसँ सब कियो प्रभावित छलाह आ तुरन्त ओतय रामविलास यादवजी आ रामकुमार मण्डलजी द्वारा तबला आ हारमोनियमकेर युगलबन्दी आ मैयाक सुमिरन स्वयं विद्यापतिक रचना जय-जय भैरवि, कनक भूधर शिखरवासिनी सहित महादेवकेर स्तुतिगान कैल गेल। प्रो. उदयशंकर मिश्र सहित अन्य अभियानी द्वारा संछिप्त संबोधन कार्यक्रम – अध्यक्षता आदरणीय राम नारायण बाबु कय रहल छलाह, जनगणकेँ यात्राक उद्देश्य आ आगामी चुनाव मे अपन स्थिति सुधार करबाक लेल सटीक साधना करबा लेल अनुरोध कैल गेल। पहिले मिथिला, तखनहि कोनो दल वा राजनीति! बिना मिथिला अन्य किछु मंजूर नहि!

दोसर स्थल जतय आदरणीय अरुण (माँगैन) बाबु समस्त ग्रामीणकेँ बजौने छलाह तेकर नाम छल लक्ष्मण कुटी। गामक सबसँ बेसी पुरान आध्यात्मिक केन्द्र, बीचमे एक ‘गोल भवन’ मडवारूपमे विद्यममान आ चारूकात गाछ-वृक्षक छायाक शीतलता, सुन्दर शैलीमे निर्माण कार्य स्वयं ग्रामीण जागरुकता द्वारा कैल गेल अछि। बारहो मास एहि मडवापर चिडै-चुनमुनीक संग मानवीय उपस्थिति इहि सुन्दर स्थलक मर्यादा गान कय रहल छल। वरिष्ठ महन्थ द्वारा प्रवचन निरंतरतामे रहैत, एक पुरान माइक्रोफोन आ बैट्रीक वैकल्पिक उर्जा सहित उपलब्ध एहि मंचपर हमरा लोकनिकेँ स्वागत कैल गेल। फोनपर माँगैनजी अपनहि उम्रक बुझाइत रहला, मुदा वास्तविकतामे एक उमरगर व्यक्ति रहितो अपन निजी सक्रियतासँ एकदम युवा समान छलाह। परिचय उपरान्त यात्राक उद्देश्य आ विषय-वस्तुकेर हमर प्रस्तुति उपरान्त वरिष्ठ अभियानी लोकनिकेर संबोधन… भावुक दृश्य…. कतय हमरा लोकनि मात्र आधा घंटा समय खर्च करैत अभियानमे आगू बढैत चलि जायब… से संभव नहि छल…. कारण मिथिलाक चर्चा ओहिना महत्त्वपूर्ण छैक मानू कोनो आध्यात्मिक प्रवचनमे लोक डूबि जाइत अछि। एक-एक बातकेँ सुनला उपरान्त कतेको मुँह सँ आह आ वाह केर स्वस्फूर्त प्रवाह आ बेर-बेर थोपरी…. एहि मंचपर पूरे अढाइ घंटा लंबा कार्यक्रम चलल। बीचमे जखन रामविलासजीक स्वरमे मैथिलीक उत्कृष्ट रचना जाहिमे विद्यापति आ उगनाक वृतान्त सहित एक-सऽ-एक विभुतिक पदार्पण व रमणीय चरितकेर प्रस्तुति छल से मन मोहि लेलक… जोशपर हमरो एक मिथिला महिमा गीत – चारू दूलहा कि जय, चारू दूलहिन कि जय, बोलू मिथिला नगरिया कि जय जय जय – आदि भेल। तेकर बाद समय बितैत देखि अन्तिम क्षणमे सरस्वतीक आह्वानपर अभियानीगणकेर दिशिसँ किछु कार्य शेयर करैत करबाक लेल गौंआँसँ निवेदन कैल आ स्वयं माँगैनजीकेर संयोजन आ मुखियाजी सहित समस्त गामक संरक्षणमे लगभग १५ गाम-पंचायतमे मिथिला राज्य संयुक्त संघर्ष समिति तथा दहेज मुक्त मिथिलाक लेल पंचायत समिति गठन करबाक जिम्मेवारी लेलनि। नजदीक हरद्वारमे कार्यक्रम के डाइवर्ट करैत कसरर भगवतीस्थान दिशि विदाह करैत स्वयं माँगैनजी ओहि ठामक मुखियाजीकेँ सम्पर्क करैत, अपनो ओतय तक अबैत दोसर कार्यक्रम संचालन करौलाह। लेकिन जेना मेला-ठेलापर कोनो गंभीर विषय चर्चा संभव नहि होइत छैक ताहि हेतु हमरा लोकनि दोसर बेर फेर जनसभा करबाक आश्वासन दय पत्रकार (घनश्यामपुर), हिन्दुस्तान केँ यात्राक विवरण दैत आगू कोर्थु लेल प्रस्थान कैल।

क्रमश:….

हरि: हर:!!

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मिथिलामे विकास: आँखि सऽ देखल वृतान्त

मिथिलाक ग्रामीण क्षेत्र बदैल रहल अछि। आब सडकपर बहुत कम्मे लोक कल वा अन्य घरायसी काजक पाइन बहबैत अपन गल्ली/सडककेँ अपनहिसँ खराब, प्रदूषित आ घृणास्पद बनबैत छथि। बहुत रास गामक लोक आब सडक किनारमे पैखाना फिरि अपन गामक नाम बदनाम नहि करय चाहि रहल अछि। चौक-चौराहा वा सार्वजनिक दोकान आदिमे एकहि गिलासमे सब कियो पाइन पीबि जातीय सौहार्द्रताक नीक परिचय दऽ रहल अछि। धिया-पुताकेँ सरकारी विद्यालय कमो लोक लेकिन पठन-पाठनक महत्त्व सब कियो एना बुझय लागल अछि जे आधुनिक संसारमे यदि अपन परिवारक संस्कारकेँ विकसित बनेबाक अछि तऽ केवल रोजी-रोटी टा नहि अपितु शिक्षाक संग सुन्दर संस्कारकेर स्थापना बड जरुरी अछि। आपसी मेल-मिलापसँ बेइमान लोककेँ सेहो ठीकाना लगायल जा सकैत छैक आ गलतकेर विरोध करब जरुरी छैक। अचानक जे वातावरणमे एतेक रास रोग यथा डेंगु, टीवी, कैन्सर आदि जानलेवा बनि रहल छैक तेकर मूल कारण छैक खाद्य वस्तुक स्तरहीनता आ बिना खाद-रसायन आजुक उत्पादन लाभदायक नहि छैक से सोचि बेसी-सऽ-बेसी खाद-रसायनक उपयोगिता बढेबाक मजबूरीमे हमरा लोकनि बीमारीकेँ अपनेसँ निमंत्रण दैत छी आ अपन अभिन्न अंग व अपन समेत जान जोखिममे दैत छी। पर्यावरणक सुरक्षा बड जरुरी अछि, वृक्षारोपण सेहो एहिमे बड पैघ सहयोग दैत अछि। गामक चारूकात जे माहौल छैक तेकरामे निज-जागरणसँ पोषण संभव छैक। एहि तरहें गाम सकारात्मकता अपनेबाक लेल तैयार भऽ रहल अछि आ खास कय के आजुक युवा पीढी एहि दिशामे नीक डेग उठाबय लेल तत्पर अछि। कियो अनावश्यक टांग-खिचाइ खेलमे महारत हासिल करबाक लेल नहि सोचैत अछि, जे एहेन सोच रखैत अछि ओ सदिखन समाजक नजैरमे ओछ व्यक्तित्व बनल रहैत अछि आ सभक आँखिक कीडी बनि ओ अवहेलनाक शिकार बनैत अछि।

कि अहाँक गाममे एहि तरहक सार्थक सोचकेर विकास एखन धरि भेल अछि?

कि अहाँ नहि चाहब जे हमरो गामक नक्शा मिथिलाक प्रमुख गाममे गानल जाय?

जरुर! आ एहि सभ लेल आब अहाँकेँ बस एकटा जागरुक समिति बनेबाक अछि आ आपसी जोडसँ हमरा लोकनि बहुत हद तक सब समस्या स्वयं मे निबटा सकैत छी।

हरि: हर:!!

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२१ अक्टूबर २०१३

Just home friends!!

It was a very important tour to several villages of Mithila – for making people aware for what we were and what we are left with without our own statehood. How we have polluted our own societies by welcoming the devils of dowries and several ill-shaped conventional and traditional rites and rituals. Instead of developing ourselves, we are simply wasting our wealth, time and guts in various types of social backwardness. The caste feelings, touch-ability and discrimination of any type have though lessened these days, but self-styled fashions and improper education are still killing our Mithila. We must be aware to protect it. We have to wake immediately or further it is going to be late and there will no chance to revive Mithila’s great culture, language, scripts and overall civilizations. Harih Harah!!

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११ अक्टूबर २०१३

मिथिला ग्रामीण जागरण यात्रा

Yatra ke prarambh: sang me Dineshwar Pd. Yadav, Peechhra Prakoshth Sanyojak. Riyaj Ali Khan, Alpasankhyak Prakoshth Sanyojak, Mithilesh Paswan, Yuwa Prakoshth Sanyojak… Prof. U. S. Mishra, Budha Bhai, Ram Narayan Jha (Adhyaksh), M. N. Chy. Arun kr. Chy. Ram Vilash Yadav (radio artist), Ram kr. Mandal (tabalavaadak), Ranjit Jha aa Bauwajee. Harih Harah!

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१० अक्टूबर २०१३

फेसबुकिया परिवार

(आइ-काल्हि फेसबुक जाहि तरहें मैथिल समाज में अपन स्थान बनेने जा रहल अछि तेकरा ध्यान में रखैत किछु मनोरंजनात्मक लेकिन सच कथा हम लिखय जा रहल छी – मातृभाषा पत्रिका लेल जे मैथिली ई-पाक्षिक के रूपमें आइ संध्याकाल सँ हमरा सभक सोझाँ अयबाक बात व्यवस्थापक रोशन कुमार झा कहलनि अछि।)

बाबु: हे रौ! नुनुआं! जहिया सऽ तूँ ई 2G-3G मोबाइल फोन पठौलें आ फेसबुक पर जोड़लें तहिया सऽ बुझ जे ई मोबाइल हरदम च्यों-च्यों करैत रहैत छौक।

नुनु: से कि बाबु? फंक्शन सभ तऽ सबटा बता देने रही ने? किछु दिक्कत भऽ रहल अछि तऽ फेर बुझा दी।

बाबु: अपन बचपनवाला बात आ किछु रास फोटो सभ जहाँ अपलोड करैत छियैक आ कि तोरा तड़ातड़ लोक सभके लाइक आ कमेन्टक बौछार भऽ जाइत अछि आ ततबा बेर मोबाइल चिचियैत अछि जेना बुझ जे हमर मुइलहा बाबा ऊपर सऽ शोर कऽ रहल होइथ… हे रौ नागे… हे रौ हरवाह खेत पर गेलौ कि नहि से गेबो केलही देखय लेल… मान जे वैह आवाज हमरा काम में पड़ैत रहैछ।

नुनु: देखियौ बाबु! अहाँ सभ दिन रहलहुँ मिथिला के माटि-पानि में आ हम सभ बनि गेलहुँ परदेशी… तखन तऽ जतय रहत धिया-पुता ओतहि नऽ अहुँ के रहय पड़त… ई घुमा-फिरा कऽ हमरा जे अहाँ गामक प्रलाप सुना रहल छी से हम सभ बात बुझैत छी। १० दिन नहि एना भेल अछि दिल्ली आ लगलहुँ बाबा के बात मोंन पारय।

बाबु: (खिखियैत) छौंड़ा… आखिर बेटा केकर छी… धियेपुता सऽ हमर मास्टर सभ कहने छल जे नागधर… तोहर संतान सेहो बड़ होशियार हेतौक… उड़ैत चिड़िया के पकैड़ लेतौक! से सही में! ई नुनुआ हमर भितरका बात चट दिन बुइझ जाइत अछि। (जोर सऽ हाक पाड़ैत) हेगै मुन्नी! ला दू कप गरमागरम चाह… ओना तऽ दिल्ली में ततेक गर्मी पड़ैत छौक जे बाहर-भितर दुनू आइग फुकने रहैत छौक… लेकिन जहाँ चाह के गर्मी देबैक आ कि बुझ जे गर्मी – गर्मी के कटतैक।

नुनु: (बाप के हंसीमें संग दैत दाँत खिसोरैत) आ… आब कि दिल्ली आन छी… ईहो तऽ मिथिले न छी? हस्तिनापुर आ मिथिला के कतेक पटरी खाइत छैक से नहि देखैत छियैक?

(दुनू बाप-बेटा दाँत खिसोरैत हंसैत छथि… ताबत मुन्नी चाय लऽ के अबैत छैक… आ कि ओकरो मोबाइल में नोटिफिकेशन ट्युन बाजि उठैत छैक)

बाबु: बुच्ची! बुझाइत अछि तोरो कोनो सूचना छह… देखहक… कहीं हमर होइवाला जमाय तऽ नहि फोटो पर लाइक या कमेन्ट पठेला छथि?

मुन्नी: (लजाइत) बाबु! अहुँ के मजाक करऽ के आदैत नहि छूटत… भैया के सोझां में हमरा संगे मजाक कऽ के खिसियाबैत छी… लेकिन सच तऽ यैह छैक जे अहाँ के होइवाला जमाय के बुझू तऽ आर किछु काजे नहि रहैन – भैर दिन हमर फोटो सभ ताकि – ताकि के लाइक आ कमेन्ट पठबैत रहैत छैथ। सभटा खत्म भऽ जाइत छैक तऽ कहैत छैथ जे नवका-नवका पोजवाला फोटो अपलोड करू नहि तऽ हम पापा लग दहेज माँग करऽ के सिफारिश कय देबैन.. बिसैर जायब जे हम दहेज मुक्त मिथिला के तरफ सऽ शपथ खेने दूलहा विवाह लेल हामी भरलहुँ अछि। से बाबु, अहाँ हुनकर वाल पर पोस्ट कय दियौन जे बेसी ऊचक्का जेकां मैसेज आ पोस्ट सभ नहि करैथ… मजबूरन हमरा ब्लॅक करय पड़त।

नुनु: देखिहऽ तऽ ध्यान दिहक… आइ-काल्हि के युवा सभ के ई फोटो लाइक करनाइ – फ्रेण्ड रिक्वेश्ट पठेनाइ आ शेरो-शायरी… बूझा रहल अछि जे सभ केओ कवि आ मशहूर शायर बनि जायत… एतय तक जे आइ-काल्हिक लड़कियो सभ अपन फोटो तेहेन-तेहेन लगबैत अछि जे बाबु के उमेर वला लोक सभ सेहो पहुँचि जाइत छथि हाइ-हुंइ करय लेल।

बाबु: रे चुप! बेटीके सोझां में तों एना कहबें। (बेटा के डपटैत)

मुन्नी: भैया! से जों हेतैन तऽ चैन पर खापैर फोड़ि देबैन… पहिले वर्च्युअल मिटींग सऽ रियल मिटींग तऽ होमय दियऽ।

नुनुः गाम-वाला काका के बेटा कुमर सेहो फोन केने छल… पूछि रहल छल जे लड़का के गाम जा के घर-परिवार देखनाइ सेहो जरुरी अछि। फेसबुक पर तऽ लोक गाड़ी संग फोटो खिचा लेलक आ कहि देलक जे दिस इज माइ न्यु कार… १० गो अपनहि नजदिकी लफुआ मित्र सभ सऽ कांग्रेच्युलेशन लिखबा लेलक… से सभ भाइ ध्यान राखब आ एक बेर ओकर गाम के स्टेटस चेक करब बहुत जरुरी छैक। फेसबुक पर ओकर गाम के पेज देखलहुँ… मरल सन के बुझाइत छैक… नहि कोनो धरोहर न खास कोनो इतिहास आ ने बेसी मेम्बरे।

मुन्नी: आब जेहेन छैक… लेकिन हमर छैक… फोकटिया कमेन्ट के हम कहियो केयर नहि केलियैक अछि। बस! एक बेर पति के रूपमें स्वीकार कय लेने छियैक आ आब हमरा ओही लड़का सऽ विवाह करबाक अछि। ई लव बेर-बेर नहि कैल जाइत छैक… भले इन्टरनेट किऐक नहि हो। हमरो भारतीय नारी होयबाक गर्व अछि।

बाबु: वाह, वाह! बेटी! आखिर बेटी केकर छियें! मास्टर हमरा बच्चे में कहने छलाह जे नागधर तोहर संतानो तोरे जेकां आदर्शवान हेतह। गर्व अछि तोरा सभ पर।

मुन्नी: (नाक फूलबैत) बाबु! काल्हि हुनकर एगो पोस्ट आयल छैक, ताहि पर नहियो किछु तऽ २५० लाइक आ ५०० सऽ ऊपर कमेन्ट अयलैक अछि। कहू तऽ ओ मामूली लोक भऽ सकैत छथि? बुद्धिक परावार नहि छन्हि।

नुनु: कुमर के कहब सऽ हम सहमत छी… ई विवाह तखनहि करेबौ जखन ओकर गाम जाय सभ किछु नीक जेकां पता लगायब।

मुन्नी: भैया! दहेज मुक्त मिथिला पर जे जुड़ल छैक से केओ फोकटिया नहि भऽ सकैत अछि। कारण ओहिठाम लोक के बड़ हिसाब-किताब सऽ जोड़ल जाइत छैक। एकोटा इन्फोर्मेशन गलत नहि भऽ सकैत अछि।

नुनु: तखन ओकर गामक पेज कियैक मरहन्ना जेना छैक?

बाबु: भऽ सकैत छैक जे गाम में खाली जमाय बाबु के परिवार कनेक मुँहगर-कनगर हो आ मोबाइल पर फेसबुक आ सोशियल मिडिया के उपयोग बुझि सकल हो… पेज देखि के गाम नीक बेजाय निर्णय नहि कैल जा सकैत छैक। हम सहमत छी जे कुमर के ओहि गाम के पूरा पता लगेबाक चाही… आ हम तऽ कहबऽ जे अहू काजे हमरे जाय दऽ तू सब। खाली गामहि नहि, कुल-मूल-पाँजि आर बहुत तरहक बात होइत छैक जेकर अनुसारे निर्णय करबाक एक पौराणिक परंपरा रहलैक अछि।

मुन्नी: लेकिन बाबु… आब ई सभ बात प्रथम नहि बादक भऽ गेल… हमर विचारे लड़का के विचार आ पुरुषार्थ अन्तिम भेल जेकरा हम वरण करब।

नुनु, बाबु आ मुन्नी सभ एक दोसर के मुँह तकैत मुस्कुराइत एहि बात के सहमति दैत छथि आ आजुक युग में प्राथमिकता लड़का-लड़की के कैरियर मात्र होइछ… बहुत तरहक दुनियादारी सऽ कोनो सरोकार नहि… यदि इन्टरनेट सऽ विवाह ठीक होय तऽ बस एक करार यैह जे लड़का आ लड़की विवाहोपरान्त अपन स्वतंत्र कैरियर के संग राष्ट्र लेल सेहो योगदान देत, ई नहि जे झूठ के पारिवारिक शान के चक्कर में केओ केकरो ऊपर हावी बनत।

जय मैथिल समाज! जय मैथिली! जय मिथिला!

हरिः हरः!

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एकरा अन्यथा नहि लेब, फेर किछु बिहारी मैथिल मिथिला अभियानीक ध्यान औल्ट-फौल्टमे ओझरा रहल अछि आ अन्हरबौक जेकाँ सत-अन्हरा समान हाथीक हाथ-पैर छुअबैत सत-रंगा बात करबाक किछु षड्यन्त्र कैल जा रहल अछि – तिनका सबहक आँखिपर सँ पर्दा हँटेबाक लेल ई लेख आइना देखाबयके काज करत। हम समय केँ बलवान मनैत छी आ बीतल बातसँ सीख लैत आगुक सुइध लेबाक सिद्धान्त माननिहार लोक छी, ताहि हेतु अपन समस्त मैथिल भाइ-बँधु आ खास कऽ जे अभियानसँ जुडल लोक छी तिनका स्पष्ट करय लेल चाहब जे एहेन षड्यन्त्रसँ बची।

हरि: हर:!!

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सवाल मिथिला का है! काम मिथिला का है! नाम मिथिला का है!

जगना जन – जन को है! अपना अधिकार के लिये और अपनी सही पहचान के लिये!

बनकर बिहारी १०० वर्ष देखा है हमने, कैसे खत्म किया गया हमारी भाषाको, लिपि, साहित्य और सारे संस्कारको – लिया सब कुछ, दिया कुछ भी नहीं…. उलटे बना दिये गये हम मैथिलोंको उपनिवेशी। हमारे यहाँसे शास्त्र और संस्कृतिका निर्माण हुआ और ढेर बुधियारीमें हमे फँसाकर हमारी सांस्कृतिक हत्या करनेका भरपुर प्रयास किया जा रहा है। अब यदि हम चुप रहते हैं तो मानकर चलें कि हम अपनी संस्कृतिको मरते देखना चाहते हैं। आओ मिलकर संकल्प लें और मिथिलाका निर्माण करें, फिर से वही ऊँचे मूल्योंका ऋषि-मुनिका भूमि बनानेके लिये संघर्ष करें।

पग-पग पोखैर माछ मखान
मधुर बोल मुस्की मुख पान

हमारे यहाँ पोखरोंका अम्बार क्यों था, अब क्यों नहीं है….???

माछ – मखान – पान सब कुछ कैसे विलुप्त हुए जा रहा है….???

कौन सा ग्रहण लग गया कि ये सारा खेला-वेला बस भारतकी आजादी के कुछ ही वर्षोंमें हम झेलने लगे?

जब हम घरपर रोजी-रोटी नहीं पा सकते तो पोखर, माछ, मखान, पान को कौन पूछता है…. क्या सोच है हमारे पहचान मिटानेका… कौन है वो जो चाहता है कि पूर्ण ऐतिहासिक और सांस्कृतिक भूमि मिथिलाका नामोनिशान न रहे…. क्यों सबसे ज्यादा कलुषित विचार हमारे यहाँ फल-फूल रहा है और हम मुँह ताकने के अलावे और कुछ भी नहीं कर सकते…. क्यों?

मिथिला ग्रामीण जागरण यात्रा से हमें मौका मिलेगा एक-दूसरेको समझनेका और फिर ऐसी जागृति पानेका जिससे हमें और हमारी संस्कृतिको कोई मार नहीं सकेगा और हम अपनी पहचानको बरकरार रखनेके लिये संघर्ष करेंगे, जितेंगे।

हरि: हर:!!

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९ अक्टूबर २०१३

मिथिला ग्रामीण जागरण यात्रा – ३

विदित हो जे एहि बेरुक यात्राकेँ मिथिलाक वरिष्ठ अभियानीलोकनि द्वारा अपार समर्थन आ संग देबाक प्रतिबद्धता जाहिर कैल जा चुकल अछि। एहि विषयमे आइ श्री अरुण कुमार मिश्र – गलमा जे प्रिय प्रवीण मिश्र द्वारा संयोजन करैत उपलब्ध भेलाह छथि से पूर्ण तैयारी लेल धरातलीय संयोजन हेतु जिम्मा गछलाह। एहिसँ पूर्व यात्राक प्रारंभ करबाक लेल गलमाक अभिभावक श्री दयाकान्त बाबु आ मुखियाजी सेहो अपन सहमति दऽ चुकल छथि। तहिना सिद्धपीठ – गलमासँ ई यात्राक शुभारंभ सदाक भाँति देवाधिदेव महादेव आ स्वयं प्रभुजी सीताराम केँ साक्षी मानि हम करैत रहल छी तहिना अहु बेर करब आ स्वयं शक्तिदात्री माता भवानीक पूजाक सप्तमी तिथिसँ नवमी तिथि नित्य चलयवाला यात्रा मे निम्न महत्त्वपूर्ण निर्णय कैल गेल अछि:

*यात्राक पडाव मिथिलाक दलित समाजक बीच हो

*यात्रामे जन-जनके योगदान स्वीकार कैल जाय

*यात्रा जतय-जतयसँ निकलय ताहि ठामक सब जातिय समूहक मुखिया सहित गाम-पंचायतक मुखिया, पूर्व मुखिया/मुखियाइन सहित ५ संरक्षकवर्गक लोक जुडैत संकल्प ली जे जाबत मिथिला राज्य नहि बनि जायत, चैनसँ साँस नहि लेब आ नहिये संघर्षकेँ कदापि रोकब

*हरेक पंचायतमे भोज-भात आ अन्य समाजिक व्यवहारमे आबि रहल विकृतिसँ पूँजी-बहावकेँ नियंत्रण करबाक आदर्श स्थापना आ गामक धरोहरकेर संरक्षण लेल ‘दहेज मुक्त मिथिला’क परिकल्पना पर संकल्प आ गाममे आदर्श स्थापना

*यात्राक समय १० बजेसँ निर्धारित स्थल पर पहुँचैत नित्य लगभग १५-२० पंचायतक दौरा करब सुनिश्चित

बाकी ईश्वर कृपा आ आराधनासँ कोनो सफलता-असफलता भेटैत छैक। मिथिला लेल जागि रहल समस्त मैथिलकेँ फेर सूचना दी जे वगैर एकजुटता आ बिना काज करबाक एक निश्चित नियंत्रित दृष्टिकोण किछु उपलब्धि करब असंभव अछि, ताहि लेल कियो ई नहि जिद्द पकडी आ नहिये केकरो ऊपर चारित्रिक लांछणा लगबैत मन-माफिक नियम बनाबी जाहिसँ एकता ध्वस्त हो – आ बस मिलि-जुलि बनाबी मिथिलाक वैह पुरान ऐश्वर्य जेकर माटि-पानिमे एतेक ताकत छैक जे हमरा लोकनिकेँ आइयो कतहु विजय बनबैत अछि।

जय मैथिली! जय मिथिला!! काल्हि तक फेसबुकपर छी, परसू सँ यात्रा आरंभ अछि। आदरणीय राम नारायण बाबुकेर विशेष ध्यानाकर्षण चाहब आ समस्त समर्पित अभियानीकेर तैयारी एहि तरहें निवेदन करब। – अपनेक स्नेहसँ सम्मानित – यात्रा प्रभारी प्रवीण।

हरि: हर:!!

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कनियाँक हाक्रोश

गे माय गे माय!!
ओ कुछो बाजय हौ तऽ हमरा आगि लागि जाय हौ गै माय!
गे माय गे माय!!

ऊहो दिनमा ओकरे लागी त्याग देली गे माय!
अपने बच्चा नाहित दियर पोसि लेली गे माय!

आब तऽ उहो दियरबा हमरे माथे नाचय लगलौ गे माय!
गे माय गे माय!!

ननद हमर बच्चे छलौ जाने तहुँ गे माय!
जभिये से ऊ नन्दो एलौ दूर गेलौ गे माय!

नहि कोइ मोरा हितमे सोचय आब कियो गे माय!
गे माय गे माय!!

सास-ससूर शुरुहे दूसर लागय छथुन गे माय!
बाप माय से दूर हो गेली मारय छथुन गे माय!

आब न मोरा अत्याचार ई सहलो जाय गे माय!
गे माय गे माय!!

एक पिया मोर मुँहे ताकौ बाजय ना कुछ माय!
खन ऊ भायके खने मायके मुँहें ताकौ गे माय!

बोल मोरा के साथे रहलौ आब ई दुनिया गे माय!
गे माय गे माय!!

ला दे जहर ला दे माहुर आब ना जिबौ गे माय!
उडि जो पंछी कि तोँ ताकेँ तनमा बैसि गे माय!

गे माय गे माय!!

हरि: हर:!!

(महिलाक जीवनमे सासूर बसब एक कठिन कार्य होइछ, सबसँ बेसी भारीपन एक औरत लेल सासूरमे विभिन्न प्रकारक सम्बन्ध निर्वाह करब होइछ। उपरोक्त गाथा हरेक परिवारमे तुच्छ-बुद्धि या अति-भावुक या सहीमे हिंसाक शिकार भेल महिलाक पीडा थीक। सासूरमे एक पुतोहु लेल कतबो सिनेही सासु-ससूर भेटय, लेकिन अपन मायके अतिशय दुलार आ सिनेह ओकरा एक-न-एक दिन एहेन समय देखबैत अछि आ कोंढ फटलापर ओ कनियाँ हाक्रोश पारैत अछि।)

हरि: हर:!!

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गीत: मैथिली रौक!! 

पी मैथिल पी! हिन्दी पी कि ईङ्गलिश पी!
पी! पी! पी मैथिल पी! हिन्दी-ईङ्गलिश पी!

रहय छै – रहय छै कि हिन्दी बजै छै
पी जौँ लै छै तऽ ईङ्गलिश बजै छै!

पी मैथिल पी……

भीतर कोकनल बाहर फों-फों करै छै
माथ में मिरगी कोना नाच सजै छै!

पी मैथिल पी……

बिसरिके निकहा बानी गली हुलै छै
केकरो कि सुनत ओ कहियो लजै छै!

पी मैथिल पी……

बुझय गुण बौर फेर रसियारी जै छै
संगी धकियाबय बल निजे मजै छै!

पी मैथिल पी…..

अपने बुद्धि के हरदम दाबी रटै छै
टोकि जौं देलक केओ झट तजै छै!

पी मैथिल पी….
रहय छै – रहय छै कि हिन्दी बजै छै!
पी जौँ लै छै तऽ ईङ्गलिश बजै छै!!
पी मैथिल पी….

चियर्स!

हरिः हरः!

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८ अक्टूबर २०१३

सब गोटे सऽ सादर अनुरोध जे भाषाक चर्चा करी तँ भाषाविद् केर उल्लेख करैत कोनो तथ्य जरुर राखी। हम नेपालक प्रसिद्ध भाषा वैज्ञानिक डा. राम अवतार यादव जिनकर अन्तर्वार्ता कान्तिपुरसँ हरेक शनि राति साढे नौ बजेसँ एगारह बजेतक कैल जाइछ, जे मिथिलामे वास्तविक मैथिल आ मैथिलीभाषीक आइना समूचा संसारकेँ देखबैत आबि रहल अछि…. तहीपर सुनने रही। ओ कहने छलाह जे भाषा राजनीतिके षड्यन्त्रसँ मैथिलीपर ग्रहण लगेबाक जे कूचक्र अछि ओकरे द्वारा ई कहल जाइछ जे मैथिली यानि ब्राह्मणक भाषा…. ओ व्याख्या करैत कहने छलाह जे ब्राह्मी भाषिका जे मैथिलीक अछि से संस्कृतक बेसी शब्द आ अलंकार आदिक प्रयोग करैत रहबाक कारणे बेसी मीठास घोरैत अछि जेकरा क्षूद्र बुद्धिक लोक शुद्ध भाषा मानि अनेरौ लेल आपसी विभेद पसारैत अछि। हम पूर्णरूपसँ सहमत छी। आ जेना मैथिली महासम्मेलन राजविराजमे नारा छलैक “जे बजय छी सयह मैथिली” ताहिकेँ मनन करैत नेपालक ढेर होशियार राजनीतिज्ञ सबकेँ चेतावनी दैत ई कहय लेल चाहैत छी जे कौआ छी तऽ कौए रहू, मजुरक पाँखि लगाय नाच करब तँ शोभा नहि देत। जबरदस्ती हिन्दी बाजब तँ लोक मखौल सेहो उडायत आ राम खाती है, सीता जाता है बाजैत संविधान तँ छोडू, अहाँ अपन घरो नहि सुखीपूर्वक चला सकब। रहल बात अंग्रेजीक सहारा लैत यदि जातिवादिताक बेईमान मंशायकेँ नुकाबय लेल चाहब तऽ शरीरक पसीना गन्हायत आ १-२-३ पीढी अबैत-अबैत रहा न कुल मे रोवनहारा भऽ जायत – कारण साफ छैक, वर्णसंकर के उम्र, धर्म, निष्ठा सबटा हानि हेबे टा करैत छैक। महादेवकेँ तेसर आँखि खूइल जाइत छन्हि आ चिलि-लि-लि-चुआँट!  हरि: हर:!!

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सिद्धान्तसँ ज्ञान!

३ वर्षक उमेरसँ मनुष्य अपन परिवेशसँ किछु न किछु सिखय लगैत अछि। माय-बापक दुलार-फटकार, अपन बदमाशी आ लोकक प्रतिक्रिया, शुशू करबासँ लैत मानुषिक विभिन्न व्यवहार करबाक ज्ञान सेहो धीरे-धीरे प्रवेश करय लगैत छैक। जेना एक उगैत सूरज बढैत दिन संग बेसी तप्त होइत चरमविन्दु दुपहरियामे पहुँचैत फेर क्रमश: पश्चिम दिशा दिशि ढलकैत अन्तमे अस्त होइछ, ठीक तहिना मनुष्यक जीवन बाल्यावस्थासँ किशोरावस्था, युवावस्था, प्रौढावस्था, वृद्धावस्था आदिमे प्रवेश पबैत अन्तमे अस्त भऽ जाइत छैक। एहि बीच किछु कठोर निर्णय “संकल्प” करबाक एक चरित्र देखल जाइछ हर इन्सानमे! तेकरे कहल जाइछ सिद्धान्त। सिद्धान्त कतहु प्रशंसा लूटैत छैक, कतहु कुचिष्टा बनि जाइत छैक। मान-अपमान दुनू संभव होइत छैक। मुदा एहि दुहो सँ ऊपर केवल ईशक शरणागत बनल सब किछु ईशमात्रकेँ समर्पित करैत करनिहार योगी बनि जाइत अछि आ असल ज्ञानी सेहो वैह कहाइत अछि।

हरि: हर:!!

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आजुक संसारमे लोक बहुत व्यस्त रहैत अछि आ पठन-पाठनक समय दिन-ब-दिन घटल जा रहल छैक कारण रोजी-रोटी छोडि बाकी अन्य रुचि आ विशेषत: स्वाध्याय – लेखन – पठन-पाठन – मनन आदि लेल समय कम पडि रहल छैक। दिन भरिक काजसँ थाकल राइत परिवार संग बितायब आ सूतब टा जीवनक मूल चर्या बनि के रहि गेल छैक। लेकिन लेखनी करनिहार लेल यदि १०० में १ पाठक भेट जाय तँ बल भेटैत छैक। शेयर्ड पोस्ट “मिथिलाक महिला आ आधुनिकता” पर विशेषज्ञ प्रतिक्रिया दैत अमर नाथ जी एहि लेख केँ पूरा कयलनि अछि आ ताहि अनुसार आब लेखक सुन्दरता आम जनमानस लेल आरो बेसी लाभदायी भेल से बुझैत एकरा विभिन्न पत्र-पत्रिकामे छपेबाक निर्णय कैल। अपनो लोकनि पढू: अमर नाथ जी कि लिखैत छथि।

Amar Nath Jha

आदरणीय प्रवीण बाबु, विशेष उल्लेख करबाक हेतु हृदयसँ धन्यवाद… ई अपनेक उदार चरित होयबाक प्रमाण थीक जे हमरा सन साधारण लोककेँ अपने कोनो योग्य बुझैत छी। … अपनेक लेखनीके बर्बस प्रशंसा कयने बिना नञि रहि पबैत छी किऐक तऽ अपनेक लेखनी सँ जे तत्त्व निकलैत अछि ओ जतबे प्रासंगिक रहैछ ओतबे व्यवहारिक सेहो… अपनेक ई लेख सेहो समाजक ‘आँखि खोलयवाला’ अछि…. मिथिला महिला आ आधुनिकता पर अपने सधल विश्लेषण आजुक समयमे बड्ड बेसी प्रासंगिक अछि। …. ओना अपनेक लेख मिथिलानी सँ सम्बद्ध रहितो ओहि सऽ निकैल सम्पूर्ण नारी जातिक लेल समान रूप सँ सम्बद्ध अछि। …

जहिना गाम घरक स्त्री शहरक देखौंस करैत छथि, ई कहनाय अतिश्योक्ति नञि होयत जे शहरक स्त्री पाश्चात्य सभ्यताकेँ ओहिना अनुकरण करैत छथि। शास्त्रोक्त आ सम्भवत: सब धर्ममे स्त्रीकेँ लक्ष्मी मानल गेलैक अछि आ कदाचित यैह कारण छैक जे जेना हमरा लोकनि अपन धन-सम्पत्तिकेँ झाँपि-तोपि राखी… ओकरा देखार नञि करैत छी ओहिना स्त्रीकेँ सेहो पर्दा व्यवस्था रहल होयत।

आजुक स्त्रीक पहिनावा सेहो बदैल रहल अछि। उल्टा आँचरके फैशन आ माथ पर आँचर रखनाइ ‘आउट अफ फैशन’ भऽ गेल अछि। मम्मी आ मोम स्टेटस सिम्बल बुझैत छथि। शालीन परिधानक स्थान नव-नव फैशनेबल ड्रेस आबि गेल अछि। ओना एहिमे स्त्री टा के दोष देनाइ हमरा जनतबे उचित नहि… अपन पारंपरिक परिधान छोडबा आ पापा आ डैड्डी कहाबइवाला केर संख्या दिनानुदिन बढि रहल अछि आ कतिपय एहिमे हम पुरुषवर्ग अग्रणी रहल होयब… धोती-कुर्ता छोडि विदेशी सर्ट-पैन्ट!!

एक बात और…… हमरा विचारमे स्त्री आ पुरुषकेर तुलना आ समानता सेहो उचित नहि। दुहुक अपन अलग विशेषता आ उपयोगिता छैक। एक के बिना दोसर पूरा नहि भऽ सकैछ। सत्य तऽ ई जे स्त्रीक स्थान पुरुष सँ बड्ड बेसी ऊपर अछि। जननी, बहिन, पत्नी आ बेटी संगहि कतेको रूप छन्हि हिनकर। जन्म सँ लऽ कऽ पालन-पोषण, प्रेम, स्नेह केर साक्षात् प्रमाण!

हम जच्चा-बच्चा विभाग (obstetrics and gynaecology) केर जीवन्त operative worksop केर आयोजन करै रहैत छी। हम दावाक संग कहि सकैत छी जे, जे कियो ई live workshop देख लेता ओ अपना पूरा जीवन स्त्रीकेँ सम्मान जनरिसँ देखता आ हुनका नजरिमे स्त्रीक इज्जत निश्चितरूपे बढि जयतन्हि। त्यागके पराकाष्ठा अछि स्त्रीक मातृरूप! विलक्षण!

परन्तु आधुनिकतामे हमर शालीनता जेना हरा गेल वा ओझरा गेल हो ई बुझना जाइछ। गौर करबाक बात ई जे सब कियो जीवन – संगिनी आधुनिक परन्तु शालीन हो ई सोच रखैत छथि। ताहि हेतु ई नितान्त आवश्यक अछि जे आधुनिकता आ शालीनता दुनू मे सामन्जस्य बना कय राखल जाय। अन्तमे एकता बात… जे पश्चिमके एत्ते बेसी अनुकरण ठीक नहि। सूर्य भगवान् सेहो जखन-जखन पश्चिम गेला अछि, डूबबे केलाह अछि।

हरि: हर:!!

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७ अक्टूबर २०१३

विभिन्न कार्यक्रम आ खास कय कऽ नेपाली संविधान निर्नाण लेल घोषित संविधान सभा चुनाव केर ई दोसर बेरुक पारी लेल लगभग सब दलकेर उम्मीदवारकेँ हम मैथिलीभाषी आ मिथिलावासीकेर बेसी जरुरत बुझा रहल अछि। जरुर हम सबहक संग छी। लेकिन मिथिला लेल केकरो मुँहसँ कोनो शब्द नहि सुनि सकब हमरा लेल घृणास्पद अछि।

हरि: हर:!!

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मैथिली: मैथिली सिखबाक लेल मोडेल ६० वाक्य!

हिन्दी: मैथिली सीखने के लिये ६० मोडेल वाक्य!

अंग्रेजी: 60 Model sentences for learning Maithili!

३६. आइ काल्हि मिथिला राज्यकेर चर्चा समाचारपत्रमे खूब पढय लेल भेटि रहल अछि।

आजकल मिथिला राज्यका चर्चा समाचारपत्रमें खूब पढनेको मिल रहा है।

Nowadays, talks of Mithila state are found numerously in newspapers.

३७. राज्यक परिकल्पना कोनो संघीय राष्ट्रमे कोनो विशेष इतिहास, भूगोल, समाजिकता, संस्कृति, भाषा, लिपि, साहित्य, आदि आधारपर विशेष क्षेत्रक पहचानकेँ संरक्षित रखबाक लेल आ चौतर्फी विकास लेल होइछ।

राज्यकी परिकल्पना किसी भी संघीय राष्ट्रमें किसी विशेष इतिहास, भूगोल, समाजिकता, संस्कृति, भाषा, लिपि, साहित्य आदिके आधारपर विशेष क्षेत्रकी पहचानको संरक्षित रखनेके लिये और चौतर्फी विकासके लिये होता है।

The concept of statehood in any republican nation is based on any particular history, geography, society, culture, language, script, literatures etc. and that for conservation of these and overall development of such particular region.

३८. भारतीय गणतंत्रमे मिथिला एक पौराणिक क्षेत्र आ राज्यलेल आवश्यक हर आधारपर ठाड्ह रहितो राज्य नहि बनि सकल अछि, ताहि हेतु मिथिला राज्य पृथक करबाक माँग जोर पकडि रहल अछि।

भारतीय गणतंत्रमें मिथिला एक पौराणिक क्षेत्र और राज्यके लिये जरुरी हर आधारपर खडा रहते भी राज्य नहीं बन सका है, इसलिये मिथिला राज्य अलग करनेका माँग जोर पकडने लगा है।

Despite Mithila as an ancient region in Indian republic having all necessary factors to stand as a state could not qualify to become a state so far, that is why the demand of a separate Mithila state has been increasing.

३९. एहि राज्यक सपना पूरा होयबा लेल मिथिलाक गरिमामय पहिचानसँ अपनाकेँ सम्मानित माननिहार हर वर्गक लोककेँ एकत्रित होयब जरुर अछि।

इस राज्यका सपना पूरा होनेके लिये मिथिलाकी गरिमामय पहचानसे स्वयंको सम्मानित माननेवाले हर वर्गके लोगोंको एकत्रित होना जरुरी है।

To fulfill the dream of this state, all who feel honored with valuable identity of being from Mithila, from all classes of people, they must integrate.

४०. भारत सरकार एहि राज्यकेर मान्यता तखनहि प्रदान करत जखन एहि लेल आरो एकत्रित आ वलिष्ठ संघर्ष जनमानस द्वारा शुरु कैल जायत।

भारत सरकार इस राज्यकी मान्यता तभी प्रदान करेगी जब इसके लिये और ज्यादा एकत्रित तथा शक्तिशाली संघर्ष जनमानस द्वारा शुरु किया जायेगा।

The government of India will agree to grant this statehood only when more people integratedly start more vigorous movement.

एहिसँ पूर्वक वाक्य आ टास्क/कार्यक स्वरूप लेल निम्न लिंक पर जाउ

इससे पहलेका वाक्य और टास्क/कार्योंका स्वरूपके लिये नीचे लिंक पर जायें

To see the sentences before these (above ones) and the working structures, please follow the below link.

https://www.facebook.com/PravinakFacebukiyaMaithiliCoachingCenter

Harih Harah!!

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यथार्थक चित्रण करय छी मोदारामजी!

बिहारक १०० वर्षक उपनिवेशी बनि मिथिलाक लोक बिसैर गेल जे आखिर हमरा लोकनि कोन माटि-पानि ओ संस्कृतिक संतान छी। जाहि मिथिलामे जाति-प्रथा वर्ण व्यवस्था समान शास्त्रीय वचनक अक्षरश: पालना छल, सबहक लेल निश्चित वृत्ति आ रोजगार लेल आपसी सौहार्द्र छल, ततय पैछला किछु घटल दिनमे सामन्ती व्यवहार सँ पिछडल के शोषण, अगडोमे मात्र मालिकवर्गक उत्कर्ष आ बाकीकेँ लाठी-फरसा-गडाँस सँ युद्ध-चरित्र निर्माण आ वर्णसंकर उत्पन्न करबाक लाइसेन्स देनाय – अपन जातीय वृत्तिसँ दूर हँटैत बस घोल-फचक्का केनाय जेना कोनो ब्रह्महत्या समान कठोर पाप करेने हो आ प्रायश्चित करबाक कोनो उपाय तक नहि बचल हो ततेक अराजक अवस्था देखा रहल छैक।

वास्तवमे पिछडल वर्ग बीच एखनहु शिक्षाक अकाल छैक। नेतृत्व करबाक क्षमता – न्याय व्यवस्था बहाल रखबाक सामर्थ्य आ सामाजिक सौहार्द्रता कायम करबाक कोनो तरहक नव संस्कार तक विकास नहि केने छैक। ओम्हर सँ कियो अबैत छैक, जातिक नामपर ओकर मत लूटैत छैक, ओकरा आइयो शोषित रखैत स्वयं मैनजन-मुखिया बनैत किछु वैह पतिया-लागल जीवकेँ बेलमुण्ड बनाय – गदहापर बैसाय – मुँहमे कारी-चुन लगाय भैर गाम घूमबैत छैक; आ ओ पतित लोक तैयो नहि बुझैत छैक जे ई हमरा सबहक बेइज्जती छी, ओकरा अहुमे नीके लगैत छैक।

एम्हर अगडा कथीपर अगडाइत अछि? आब ओकर अगडाइ योग्य वृत्ति कि? पुरहिताइके सवा टाका दछिणा एखनहु मोटाइत-मोटाइत एगारह, एकावन, एक‍सयएक तक पहुँचलैक अछि। मूस मोटाय लोर्ही बनय! नहिये मलिकपना, नहिये प्रतिष्ठा, नहिये सामर्थ्य जे दस के पालन कय सकब… तखन फूइसक अगडौनी केकरो कखनहु भऽ सकैत छैक। केकरा के रोकत? हाँ! प्राकृतिक क्षमता जरुर एक उच्च संस्कार ओकरा मे देने छैक जे नेतृत्व करय योग्य रहितो संख्या-खेलमे पाछू छूटि गेलाक कारणे आइ कतहु ओकर पूछ तक नहि छैक। तखन तऽ ओकर जे भितरिया प्रकाश छैक ओ छपित नहि रहि सकैत छैक आ अप्रत्यक्षरूपमे ओ शासक बनबाक लेल खूब घूरपिच्ची खेलाइत रहैत छैक। एकरा कहल जाइत छैक ग्रामीण राजनीति! ओ ओकर टाँग घिचलक, आ ओ ओकर घिचलक। कियो मुखिया संगे पाउच पीलक, तऽ कियो सरपंच संगे शीशी! लेकिन लडखडाइत आवाजमे सही – सूर्य अस्त भेलाक बादे सही, मुदा शासन ओकर चलैत छैक। फेर भोर भेल तँ घरवाली आ बच्चाक शपथ खाइत छैक, जे आब नहि! मुदा साँझ होइते – हे भगवान्! तैयो अगडौनी छैक, हम मानैत छी मोदाजी! कौआ सब नित्य साँझ कहाँ दैन मिटींग करैत छैक – काल्हि सऽ गुँह नहि खायब। लेकिन भोर होइते टटका-ताजा विष्ठा देखैत ओकरा सबकेँ रहले नहि जाइत छैक। अहाँ आब सत्ययुगके आकाँक्षा बेकार रखैत छी। देखियौ तखन! कि होइत छैक!!

हरि: हर:!!

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६ अक्टूबर २०१३

सिर्फ २०-२५ वर्ष? सरकार अपने पत्रकार थिकहुँ आ कि….? बिहारक बुनियाद आ स्वतंत्रता उपरान्त एकर विकास सब दिन जातिवादिताक कठोर मकडजाल अपन विभिन्न रूपमे शासन केलक। पहिले अगडाक मकडजाल छल जेकरा समाजवादी सब हाइर-थाकि अन्तमे पिछडाक हाथमे लऽ गेल आ एहि तरहें विकासक असल मर्मसँ दूर बिहार बस बिहरिया बनि छूछ-शासन चलेलक। सब किछु भ्रष्ट आ ताहि हेतु एतुका हर नागरिक अपन एहि थोपुआ पहिचानसँ भैर देशमे गाइर-माइर खाइत अछि। हमर दावा अछि जे आइयो यदि अपन असल पहिचान ‘मैथिल’, ‘मगही’ आ ‘अवधी’ कहि लोक संसारक कोनो भागमें प्रस्तुत होयत तऽ ओ गाइर-माइर नहि खायत। हरि: हर:!!

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एहि लेख संग-संग भगवतीक स्मृति दर्शन सहित किछु रास कविता सब अपने लोकनि जाहि तरहे पसिन केलहुँ आ अपन शाब्दिक सराहनासँ उत्साहवर्धन केलहुँ यैह हमरा एहेन नव लेखक लेल काफी अछि।

आब ओ जमाना नहि जे केकरो एक लेख पसिन पडि जाय तऽ राजा साहेब ओकरा जीवन ताइर देथिन, वा एहनो नहि जे मैथिली लेखन करनिहार लेल कोनो तरहक सरकारी संरक्षण केर व्यवस्था अछि। तथापि नेपालमे एहि दिशामे लागल कार्य करनिहार आ भारतमे सेहो कतेको तरहक अभियान चलौनिहार जरुर सहयोग लेल तत्पर छथि से जाइन बड खुशी छी। यदि अहाँ सब आशीर्वाद देब तँ जरुर किछु रास पोथीक प्रकाशन करा सकब। जरुर भगवती दुर्गा भवानीसँ एहि लेल प्रार्थना करी, कारण यैह सब आसरासँ मैथिली जिन्दाबाद हेतैक से हमरा आत्मविश्वास कहि रहल अछि।

हरि: हर:!!

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५ अक्टूबर २०१३

महत्त्वपूर्ण सूचना:

वर्तमानमे विराटनगर सहित अन्य आसपासक क्षेत्रमे साहित्य सेवामे के सब लागल छथि, तिनका सबहक रचना – प्रकाशन – कीर्ति आदि सहित नामक सूची संकलन कैल जा रहल अछि – सम्पर्क: मैथिली सेवा समिति, मिश्रा कुञ्ज, विराटनगर-१२, मोरंग। फोन: ९८५२०२२९८१

आदरणीय धीरेन्द्र भाइजी सहित कर्ण संजयजी, सुमन भाइजी आ साहित्यसेवा तथा मैथिली सेवामे अकूत अनुभव प्राप्त कैल व्यक्तित्व सबसँ निवेदन जे एहि नामक सूची संकलनमे आवश्यक सहयोग जरुर करैथ।

हरि: हर:!!

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मैथिलके हँकार मैथिली साप्ताहिककेर संपादक कर्ण संजयजीकेर आतिथ्य हेल्लो मिथिला पर देखि आनन्दित भेलहुँ। लेकिन मैथिली प्रति लोककेर आकर्षणकेँ बिना नीक जेकाँ समय देने ऊपरे-ऊपर लोकैत नकारात्मक टिप्पणीसँ असहमत छी। अपन योगदान उत्कृष्ट होयत तँ मैथिली विराटनगरमे अपन झंडा गाडने रहत। आइ एक सऽ एक नेपाली साहित्यक हस्ताक्षरकेँ बाजय पडैत छन्हि जे “हामी भन्दा जेठो संस्कृति मिथिला र नेपाली भाषा-साहित्य भन्दा धेरै जेठो मैथिली भाषा” – एहिमे भाषाशास्त्री बालकृष्ण पोखरेल आ टंक न्योपाने होइथ वा साहित्यकार-स्तम्भकार दधिराज सुवेदी या युवाकवि सुमन पोखरेल सब कियो मैथिली भाषा-साहित्यप्रति अपन उद्गार बेर-बेर प्रकट करैत आबि रहल छथि। अफसोस जे हम सब स्वयं सक्रिय रहब नहि, मासिक एक कवि-गोष्ठी आ लेखनी प्रतियोगिता, वाद-विवाद प्रतियोगिता आदि करब-करबायब से सकब नहि… तखन ऊपरमें अल्हुआ नहि फरैत छैक आ लत्ती भले बाउलोपर फेकला सऽ लागि जाइत छैक तखन फर धरबाक लेल किछु महीना माटितरमे रहबाक मजबूरी छैक…. आब युवा-युवती सब जागि रहल छथि आ मैथिली जीतत। एना हताश जुनि होउ। हमर वादा अछि जे मैथिली जिन्दवाद हेतैक। 

हरि: हर:!!

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नेपाली यूथ: यूथ फर ब्लड

युवा शक्ति मात्र युवा उमेरको भएर प्रशंसा पाउँदैनन, युवाहरुमा युवा-उर्जा साथ कार्यक्षमता विकास गरेर समाजलाई सार्थक दिशामा लान सक्ने प्रतिबद्धता हुनु जरुरी छ। यस संस्थासंग मेरो एक वर्षको सानो संगतले यही उक्तिलाई चरितार्थ गरेको देखेको छु। लक्ष्य ठुलो, क्षमता सानो, तर प्रतिबद्धता बलियो – यूथ फर ब्लडले सधैँ केही गर्ने निर्णय मात्र न गरेर गर्ने अठोट राखेको पाएँ। यही आधार कसैलाई सागरमाथाको माथिल्लो टुप्पो सम्म पुगाउँछ भन्ने नैतिक शिक्षा व्यवहारमे परिणति भइ रहेको देखें।

आज यिनीहरुको विषयमा स्वीटजरलैन्डका इन्टर्न जर्नलिस्टले कवर गरेको काठमाण्डु पोस्टको समाचार पढ्दा आफू पनि धेरै कुराहुरु बुझ्न पाएँ। नेपालमा रेडक्रस एक्लैले पुर्याइ रहेको रगत आपुर्ति हालसम्म पनि ५०% मात्र पुगेको र दिनै पछाडि सबै अस्पतालमा भर्ना भइरहेका विभिन्न बीमारीका रोगीहरुलाई रगतको आवश्यकता भइ रहने जनसाधारणलाई पनि थाह भएकै कुरा हो। तर बाकी ५०% रोगीहरुलाई आकस्मिक आवश्यकता परेको बेला कसले सघाउने? के अवस्थामा रोगीलाई रगत चाहियेको हुन्छ र रोगीसहित साथमा हुने कुरुवा र आफन्तहरुको कस्तो अवस्था हुन्छ त्यसरी अभावको बेला रगत जुटाउन? कसले मनन गर्ने? यस संसारमा सबै आ-आफ्नै स्वार्थमा लिप्त छन भने यस्ता उच्च मानवीय मूल्यको सेवा पुर्याउने जिम्मा समाजका कुन वर्गले लिने? कतिवटा प्रश्न उठ्नु एउटा संवेदनशील प्राणीको लागि उचित नै लाग्छ र यस्तो घडी कसैले यो सुनाइ दिन्छ कि फल्लाँ संस्थाले फ्रेश ब्लड उपलब्ध गराउने गरेको छ भने त्यस आवश्यकतामा रहेको बिरामी, कुरुवा वा आफन्तलाई कस्तो नयाँ ज्यान दिन्छ अन्दाज लगाउनु कसैको लागि पनि गाह्रो छैन। तर विराटनगरका केहि जाग्रत युवा-युवतीले यस्तै अनुभूतिहरुवाट शुरु गरेको अभियान आवश्यकतामा रहेको बिरामीलाई ताजा रगत दान गराउने गरेको कार्य पक्कै पनि विश्वमा फैलिन्छ यो मेरो आत्मविश्वासले मलाई यिनीहरुसंग परिचय भएको दिन संख्या एक देखिन नै भनी रहेको छ।

यिनीहरुको यस अत्यन्त उच्च मूल्यको मानवसेवामा सबै साथ आउनु पर्छ र यस्तो संस्थाको लागि बजेटीय प्रावधानवाट सुचारू सेवा पुगोस भने मेरो भित्री चाहना छ। चाहे नगरपालिकाको बजेट होस वा जिल्ला विकास समितिको – यस्तो महत्त्वपूर्ण सेवा दिने संस्थाहरुको लागि आवश्यक बजट छुटाउनु पर्छ। स्रोत व्यक्तिलाई ब्लड बैंकसम्म पुर्याउनु, फेरि रगत दान गरेका व्यक्तिलाई प्रमाणपत्र र सार्वजनिक मंचहरुवाट सम्मानित गरी अरु मानिसहरुमा पनि प्रेरणा फैल्याउनु, रगत अभाव बारे आम जनमानसमा सचेतनामूलक कार्यक्रमहरु गर्नु, रगत कसलाई कतिखेर किन चाहिन्छ जानकारी गराउनु, रगतका विभिन्न समूहवालाको पहिचान गर्नु र डेटावाइज विवरणहरु व्यवस्थित गर्नु, सबैलाई यस्तो सेवाहरुको बारेमा पता रहोस् र लाभ लिने सबै बनुन् यो सबै कार्य गर्नका लागि सुव्यवस्थित कोष चाहिन्छ। यूथ फर ब्लडले अहिले सम्मको यात्रा केही खास सहयोगी संस्था-दाताहरु र स्वयंसेवी विद्यार्थी भाइ-बहिनीहरुका आफ्नै खल्तीको खर्चहरुवाट व्यवस्थापन गरेको देखेको छु। तर आगामी समयमा विशाल स्तरमा हस्ताक्षर अभियान चलाएर भएता पनि यस्तो जन-सरोकारका विषयलाई संरक्षण दिने पूर्ण सरकारी, अर्ध सरकारी निकायहरु समक्ष समाधानको लागि पठाउनु पर्छ भन्ने मेरो धारणा छ।

हरि: हर:!!

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स्मृति द्वारा भगवती दर्शन

ढोलिया ढोलक डिम-डिमसँ सूचना दैत छैक जे भगवतीक प्रतिमा सोझाँ पूजाक हकार अछि। सब कियो संध्या-दर्शन लेल अपना-अपना फूलडालीमे रंग-बिरंगी फूल आ माला – लंकेश्वरक अनेको रंगक फूलकेर माला, सिंगरहार फूलक माला, गुलाबक माला, अरहुल फूलकेर माला, कनेर, अपराजित, बेली, चमेली, गेंदा आ सबसँ बेसी ललकसँ संग्रह कैल जाइत अछि तिराक मौसमी फूल…. भोरे-अन्हारेसँ सब बेहाल रहैत अछि जे कतेको प्रकारक फूल आ माला तैयार करी… भोरे-भोर जे जल आ फूल भगवतीकेँ चढैत अछि ताहिसँ मानू जे वातावरण चारूकात सुगन्धित निर्मालसँ सुवासित रहैछ जे केहनो कठोर आ उद्विग्न मनकेँ सेहो शान्त-सुरम्य बना दैत अछि। एम्हर घरे-घरे गोसाउनिक सिंहासन लग बैसि तँ भगवती दुहरापर बैसि – चारूकात पाठ आ चालीसाक गानसँ भगवती जेना अपने हनहनाइत सगरो पसरल असुरादिकेँ संहार करैत रहैत छथि। असुरक दर्शन दोसरमे करब आ तेकर हत्या देखब धरि संभव नहि होइत छैक, वरन् जेहेन-जेहेन असुर निज-तन-मन-मन्दिर भीतर कुटिलतापूर्वक प्रवेश पबैत अछि तेकर हत्या प्रत्यक्षत: देखाइत छैक। संध्याकालमे हरेक घरसँ चँगेरीमे दीवारी, तेलक शीशी, टेमी आदि लेने आ फूलडालीमे माला भरने हेंज-कऽ-हेंज सखी-सहेली धियापुतासँ लैत घरक धी-बेटी-पुतोहु सभ पहुँचि जाइत छथि। चारूकात भगवतीक ओसरापर दीपक झरी लागि जाइछ। टिमटिमाइत बत्ती सब जरय लगैछ। अगरबत्ती-धूपसँ सुगन्धित मन्दिरमे लोकक प्रवेश होइते साक्षात् भगवतीक स्वयं सबकेँ आशीर्वाद देबयवाली अभय-वरदायिनी बनि जाइत छथि। प्रवेश होइते सबकेँ ध्यान लागि जाइत छन्हि। भले एक क्षण लेल किऐक नहि हो ध्यान लागि जाइत अछि, लेकिन जेना एक समर्पित भमरा जे मधुपान करबाक लेल फूलपर घुरमुराइत अछि आ ओकर नेह ओहि रसमे रहैत छैक जतय एकबेर बैसि गेलासँ शान्त आ पूर्ण मग्नता संग बस रसपान करैत अछि ताहि तरहक नेह आजुक भौतिकतावादी संसारमे नहि बनि पबैछ कारण भक्तिमे आडम्बर केर दखल सेहो बनि गेल छैक। आब ओ भक्ति कतहु विरले देखाइत अछि जेना ट्युबलाइट आ वैपरकेर लाइट सँ फतिंगाकेर होइत छैक…. भले ओकर जान चैल जाउ मुदा ओकर नेह ओहि इजोत-पूँज दिशि खींच लैत छैक…. तखन भक्ति एतेक तऽ जरुर बनैत छैक जे बस परदेशसँ गाम आयल छी आ प्रणाम करबाक लेल भगवतीक दुआइरपर पहुँचि गेल छी। दोसर दिशि मेला सेहो लागल छैक, कतेको तरहक माल सब सेहो प्रदर्शन लेल सजावट संग लटखेना दोकानपर लटकल छैक…. बहुत रास भक्तकेर ध्यान ओम्हरौ छैक। मन्दिरोमे ओ केहेन साडी पहिरि आयल छैक आ के केना केश सिटने अछि… हे भगवती! अहींक सन्तान छी सबटा, सब तरहक दर्शन भऽ रहल अछि। जेकर जेहेन भावना तेकरा तेहने फल केर माँग। युवावर्ग कियो लाइट सरियाबयमे, कियो स्वयंसेवामे, कियो कीर्तन केर इन्तजाममे, कियो माइक-साउन्ड सरियाबैत, आ कियो स्मोकिंग करय लेल चोर-नुकैया खेलाइत, मेला थिकैक भाइ, सबहक एडजस्टमेन्ट छैक। कोम्हरौ विडियो तऽ कोम्हरौ थियेटर, कोम्हरौ मिठाइ तऽ कोम्हरौ छोला-सिंघारा… आब तऽ गुलटेनमा सेहो गाम आबि गेल अछि जेकर चखना खूब फेमश छैक आ ओतय मदन भैयाक बूलेट ठाड्ह आ ओ लडखडाईत आवाजमे मेलाक आनन्द – हाय रे लाल रंगऽ ई कोना केकरो छोडेगा!! गणेशक बाबामाइसीन आ घूरनक धूआँ-धाकर मशीनक पुकपुकिया… सबहक एडजस्टमेन्ट छैक। 

चलू, सब किछु केला के बाद एगो चन्नूके चाह आ सुजिन्दर के पान धरि खा ली, अंगनामे स्त्रीगण सब खाना खुवाबय के इन्तजारमे बैसल हेथिन। हुनको सबहक समय होमय लगलैन अछि। चुडी बाजार केर बहार हुनकहि सब लऽ के छैक। जतेक अलता, टिकली, सिनूर साल भैरमे लगतैक ओ सबटा अही मेलामे भेटतैक। बहिनदाय लेल चुडी, बुचिया लेल फराक, बौआ के जुत्ता – सब किछु मेलामे भेटतैक। भगतके भक्ति, साधकके शक्ति, पेटूके रक्ति…. दुर्गा पूजा थिकैक, सबकेँ मनचाहा फल भेटतैक। चलू! हमहुँ आबि रहल छी। बिना गाम एने हमरा संसारमे कतहु नीक नहि लागि सकैत अछि, कारण सब रंगकेर दीवाना हमहुँ अही माटि-पानिसँ निकलल छी।

या देवि सर्वभूतेषु शान्तिरूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:!!

हरि: हर:!!

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Greetings Exchange Program

Thankful to Nepali Youth – Youth For Blood for inviting in the greetings exchange program called on occasion of Durga Puja, Deepawali and Chhath today in Hotel Pacific Conference Hall. It was a wonderful program – I also greeted the people and announced for organizational help required by them to regulate their best services to mankind. The volunteering services for donating the fresh blood is of great worth and everyone in society would appreciate, but how the car will run without petrol, that is the keynote we all have to realize and go for a signature campaigning to call the organizational help by budget provision by sub-metropolitan office as well as district development committee to keep them active and supportive.

Thanks Saroj Karki and his team to bring YFB at this level, I was with you, am with you and will be with you all. Love and greetings for the festival.

One poem in Maithili for all of you on this festival:

अनमोल जीवन
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जीवन धन बड मूल्यकेँ, देलनि अछि भगवान्!
सच्चरित्र शिष्टा-सुन्दर, बनियौ बस इनसान!!

हमर वृत्ति जे हमहि करी, देखबय लेल नहि धर्म!
जीवन साफल बनल ओकर, कयलक जे निज कर्म!!

देखू न आवरण देह के, पाबू निज मति दाम!
अपन-अपन स्वभावसँ, बनबू मिथिला गाम!!

रहल ई पावन देश सदा, अयला ऋषि-मुनि धाम!
कियो न बाँचल यदा-कदा, कयने बिन निज काम!!

लोभ मोह मद तीन जे, कयलक सभटा नाश!
नि:स्वार्थ बस जीव बनी, भजियौ सीताराम!!

नवरात्रापर शुभकामनाक संग, सर्वकल्याणकारी सूत्रक शुभ उपहार समेत – प्रवीण किशोर!

हरि: हर:!

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डा. सुभद्र झा समान विद्वान्
आ सम-सामयिक अन्य विद्वान् –
विद्वान् बीच अपन अहंकेर गान,
मैथिली-मिथिलाकेर खूब नोकसान,
मैथिली पढनिहारके कोनो नहि सम्मान,
मैथिली पढबकेँ दुत्कार भेटबाक भान,
खुद मैथिल रहितो मैथिलीसँ अन्जान,
आबो सेहो ५ मैथिल एहि लेल कान,
बाकी बनल रहैछ दोसरक मचान,
ओकरा नहि छैक चिन्ता हौ भगवान्,
तैयो जिबैत छथिन मीठ मैथिली शान!

जिनका कष्ट अछि आ चाहैत छी जे मैथिली बचय, बस लेखन-संस्कृतिकेँ बढाबा दियौक। जुनि कानू जे ओ एना केलक, एकोऽहम् द्वितियोनाऽस्ति बनल, दोसरक चरित्र-चित्रणपर दियौक कम ध्यान आ जोडू एक टा महत्त्वपूर्ण ईटा जाहिसँ चमकय मैथिली महान!!

हरि: हर:!!

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मिथिला राज्य संयुक्त संघर्ष समिति – अल्पसंख्यक प्रकोष्ठकेर संयोजक – मो. रियाज अली खान केर मिथिला आन्दोलनमे हृदयसँ स्वागत करैत हुनक बेर-बेर अभिनन्दन सेहो करैत छी। संयोजक आदरणीय राम नारायण बाबुकेर त्यागपूर्ण नेतृत्वकेँ सेहो प्रणाम करैत छी। आइ हुनका दिशि सँ दू टा बड नीक बात सुनय लेल भेटल। “एक, यात्रामे रहब से निश्चित जानू प्रवीण! दू, दिल्लीमे पार्टीक वरिष्ठ नेता हमर मिथिला अभियानपर “गुड जाब” केर सकारात्मक आशीर्वाद दैत हमर मिथिला मातृभूमि प्रति सेवाकेँ आरो बल देलाह ताहिसँ उत्साहित छी।” – बहुत धन्यवाद सर!

एहि सँ पूर्व मिथिला राज्य संयुक्त संघर्ष समिति – युवा प्रकोष्ठमे श्री मिथिलेश पासवानजी केर प्रवेश आ हुनका द्वारा कैल जा रहल प्रयासपर सेहो विस्तृत चर्चा भेल जे बहुत उत्साहवर्धक अछि। मोदाराम परिकल्पना सार्थक सिद्ध होयत आ मिथिलामे कोनो एक वा मात्र उच्चवर्गीय जाग्रत समाज टा नहि वरन् सभक बराबर सहयोग भेटत से तय अछि।

मो. रियाज अली खान बहुत कम उम्रमे हाजी बनि सम्माननीय मुसलमान आ मिथिलाक सच्चा-पुत्र बनि अपन स्वरुचि आ स्वस्फूर्तरूपमे मिथिला निर्माण लेल योगदान देबाक पुष्टि केलैन अछि। एतबा नहि, ओ अपन निजी अर्थदानसँ मिथिलाक गाम-गाम भ्रमण लेल सेहो प्रतिबद्ध छथि। ई थीक मिथिला निर्माण लेल सार्थक प्रयास, हम एहेन जाग्रत अल्पसंख्यक समुदाय प्रतिनिधिकेँ बेर-बेर आदाब करैत छी।

बाकी समस्त अभियानीक परिचय हमरा नहि देबय पडत आ हुनका लोकनिक योगदानसँ मिथिला सराबोर अछि, आगुओ होयत।

हरि: हर:!!

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मिथिला ग्रामीण जागरण यात्रा – ३ (अपडेट)

“धन्यवाद ज्ञापन”

एहि बेरुक मिथिला ग्रामीण जागरण यात्रामे अपन संग देबाक पुष्टि करनिहार “मिथिला राज्य संयुक्त संघर्ष समिति” केँ हृदयसँ धन्यवाद दैत छी। वरिष्ठ अभियानी आ अपन जीवनकालकेर अधिकांश समय मिथिला लेल न्योछावड करनिहार प्रो. उदय शंकर मिश्र सहित मिरासंसंस संयोजक सह वरिष्ठ काँग्रेसी नेता श्री राम नारायण झा, युवा समिति संयोजक श्री मिथिलेश पासवान, अल्पसंख्यक समिति संयोजक मो. रियाज अली खान वरिष्ठतम अभियानी लोकनि श्री सत्य नारायण महतो, श्री बुचरु पासवान, प्रो. कमरुद्दीन, व अन्य जे मिथिला राज्य लेल आजीवन संघर्ष करैत आबि रहल छथि तिनका सबहक अमूल्य समयसँ ई यात्रा पूरा कैल जायत।

सिद्ध विद्यापीठ, गलमा सँ सप्तमी दिन यानि ११ अक्टुबर, २०१३ केँ शुभारंभ करैत हरेक गाम-पंचायत जाय “मिथिला राज्य संयुक्त संघर्ष समिति” द्वारा सर्वजातीय ग्रामीण प्रकोष्ठ बनबैत यात्रा निरंतरतामे राखल जायत। अपन पहिचानक विशिष्टता बिना मिथिला राज्य निर्माण संभव नहि अछि आ जागृति जन-जनमे एहि लेल प्रवेश करायब जरुरी अछि। एकमात्र जागरण उद्देश्यसँ पूर्वमें कैल गेल यात्राक अनुभूति ग्रामीण परिवेश तक पहुँचाबैत लगभग ५० पंचायतकेर यात्रा कुशेश्वरस्थान तक कैल जायत। यात्राक समापन कुशेश्वरस्थानमे नवमी दिन यानि १३ अक्टुबर, २०१३ केँ कैल जायत।

हरि: हर:!!

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४ अक्टूबर २०१३

संविधानसभा चुनाव – २

नेपालमे पैछला कतेको वर्षसँ बदलाव केर दौर चलि रहल अछि। १९९० मे जेना बहुदल प्रजातंत्र आ संवैधानिक राजतंत्र रहल, तहिना माओवादीक जनयुद्ध, फेर जनआन्दोलन २, मधेस आन्दोलन, मुक्तिगामी कतेको छोट-मोट आन्दोलन आ आन्दोलनरत नेपालमे सामान्य जनजीवन राजनीतिसँ आक्रान्त रहल कहबामे कोनो हर्ज नहि बुझैछ। कतेको तरहक घटना-दुर्घटनाक दौरसँ देश बड गंभीर अवस्थासँ निकैल रहल देखैछ। आब नेपालमे गणतंत्र प्रवेश कय चुकल अछि, तदापि राजतंत्रक नोइस विद्यमान अछि। बहुते रास विन्दुपर आपसी सहमति नहि बनि पाबि रहल अछि आ यैह अविश्वासके कारण संविधान सभा जे २ वर्षमे देश लेल संविधान बनाओत, तेकर अवधि बढबैत ४ वर्ष बनायल गेलैक तैयो ओ असहमतिक कठोर दंशसँ देशकेँ नहि निकालल जा सकल आ जनजीवन ओहिना अशान्त आ अराजक, आर्थिक विकास ओहिना ठप्प, आधारभूत संरचनामे सेहो कोनो उपलब्धिमूलक विकास नहि…. मानू एक पीढी कोमामे समाहित भऽ गेल अछि। निश्चितता तऽ दूर-दूर तक नहि देखैत अछि आ भूत-बेतालक खेल जेकाँ चारू कात लोक अपन मनमौजी राजनीतिक विश्लेषण करैत कोहुना-कोहुना अपना केँ झूठक आशा दियबैत अचानक बिलायल शान्तिकेर एबाक प्रतीक्षा कय रहल अछि।

एकमात्र बाधा जे सब झंझटिक जैर अछि से थीक मात्र किछु अवधारणापर असहमति। सहमति नहि बनबाक एकमात्र कारण देखैछ आपसी अविश्वासकेर वातावरण। अविश्वासक जैर थीक २४० वर्षक दमनपूर्ण शासन आ विभेद। कतबो किछु भऽ जाउ, मुदा ओकरा ऊपर विश्वास नहि कैल जा सकैत छैक जे बदतर ढंगसँ बस शासनक डोरी हाथमे धेलक आ देशक नागरिकमे दू तरहक दर्जा थोपलक – उत्पीडित पक्ष जे मुक्तिगामी बनबाक अथक प्रयास कय रहल छैक ओकर एहेन मान्यता छैक। दोसर दिशि जेकरा शासकवर्गक जातिसमूह मानल जाइत छैक ओकर चरित्र प्रदर्शनमे तुष्टिकरण छैक, मुदा ईमानदारीसँ त्याग करैत उत्पीडण दूर करबाक कोनो पुष्ट कार्ययोजना केर घोर अकाल छैक। यैह माहौल केर कारण गणितीय खेल करैत देश व देशक जनताक अमूल्य समयकेँ नष्ट कय रहल छैक राजनीतिकर्मी, बस मजबूर कय रहल छैक जनताकेँ जे वोट दे, वोट बिना काज नहि चलतौक। फेर ताहि लेल संविधान सभा – २ किछु ओहि तर्ज पर होवय जा रहल छैक जेना हिन्दी-अंग्रेजी फिल्म सब धूम – १, धूम – २ तर्जपर बनैत छैक। फायदा कतहु किछु बुझैते नहि छैक, अग्रगामी निकास बस मुँहक बोली आ सूतलमे सपना देखबा समान छैक। जनता एखनहु असमंजसमे ई सब खेला-बेला मूक दर्शक मात्र बनल देखि रहल छैक। दु:खक बात इहो छैक जे जनताक हितमे करोडों-अरबों खर्च करनिहार नागरिक समाज, मानवतावाद, अन्तर्राष्ट्रीय मुलुक आ समस्त सरोकारवालामे सेहो बस मूक-दर्शन आ एहि धूरखेलमे राजनीतिकर्मीक पछुवा बनय के अलावा आर दोसर कुनो उपाय नहि देखैत छैक। नहि न्यायपालिका कोनो तरहक महत्त्वपूर्ण निर्णय बिना पुष्ट संविधान कय सकैत छैक, नहिये प्रथम पुरुष राष्ट्रपति ओतेक बलगर छैक जे किछु कय सकैत छैक, देशक सेना स्वयं एकपक्षीय स्थापीत रहलाके कारण चुप रहबाक लेल बाध्य छैक। प्रशासन – शासन एकात्मक प्रणालीसँ उबरबाक दौर एखन चलिये रहल छैक। जानि कतेक समय लगतैक। लेकिन आशा छोडि निराशासँ जीवन आरो बेकार होइत छैक, बस आशा टा बचल छैक जे शान्तिपूर्ण माहौलमे सब किछु संपन्न हेतैक आ देश विकासक दिशामे उन्मुख हेतैक।

हरि: हर:!!

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संजयजी द्वारा तैयार कैल गेल बेहतरीन बैनर जे एहि बेर मिथिलाक विभिन्न गाम-ठाममे लगभग ५० जगह लगेबाक अछि – एहिमे एक कमी जाहिपर सब कियो आंगूर ठाड्ह करत… पूछू तऽ कि? 

एतेक रास पुरुख छथि, मुदा जिनकर सहभागिता सँ दहेज प्रथा बढि रहल अछि से सब छथिये नहि! 

ठट्ठा नहि कऽ रहल छी! सच्चाई छैक जे “घरनीक भूमिकासँ गृहस्थ लोभमे पडि जाइत छथि, बौआ बियाह बेरमे माल-कमाल-रुमाल सब किछु चाही, आ बुच्ची बेरमे दरिद्रा घर आबि गेल रहैत छथि… आडम्बर ऊपरसँ ताण्डव करैत रहैत अछि…. हेन्ना बरियाती, हेन्ना साँठ… ऊफ… हाय रे मेलकानि!!”

तऽ किऐक न दहेज मुक्त मिथिला सँ जुडल हरेक विवाहित सदस्य अपन-अपन पत्नीकेँ “दहेज मुक्त मिथिला – महिला समिति” मे जोडैथ आ तेकर बाद जनहितमे प्रसार कैल जायवाला ई बैनर जरुर मूल्यवान बनि जेतैक से हमर विश्वास कहि रहल अछि।

अहाँक विचारे कि नीक हेतैक? 

हरि: हर:!!

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३ अक्टूबर २०१३

फेशके लफडा

फेशबुकपर फेशके लफड़ा
बातके रगड़ा बातके झगड़ा
लेकिन जगतौ मैथिल अहिना
से जगबैय लेल हमहुँ लबड़ा!

कियो बनै छौ बड़का मैनजन
कियो कहै छौ हमहीं ताज,
कियो करै छौ हेरा-फेरी,
अहिना चलतौ मिथिला राज!

पचहिया बिड़्हनी भोंमरा खोता
लै लूकाठी फोरय छौड़ा,
शहत लऽ घुमय बाधे-बोंने
करय शिकार आ मारे भौंड़ा!

एखनहु बचल छौ बड़का उकट्ठी
कंबल तर में पिबय छौ घी,
नस्तर चलबे चटपटिया नौआ
पकड़ि के तेकरा बान्हे जी!

हेलो! हेलो! हम लिखबौ किछु तऽ
तों ओकरा क्लीक करिहें लाइक,
बदलामें हमहुँ तोहर संग
रहबौ मनबौ तोरे नाइक!

तों जे अन्टू-शन्टू लिखबें
तेकरे हम रे मनबौ यार,
देख केओ आगु नहि निकलौ
रखिहें कत्ता तू तैयार!

जो तोरा कि कहियौ रे बुरी!
टूटल तोहर छौ पैडिल धूरी!
तों किछु करमें हेतौ नाश!
बुद्धि छौ तोहर सत्यानाश!

छौ दम तऽ तों कय के देखा,
काज करैत तों नाम कमा,
देखतौ दुनिया तखनहि सत्ता,
समय अमूल्य नहि अहिना गमा!
कहय किशोर संसार के सदिखन
समय अमूल्य नहि अहिना गमा!

हरि: हर:!!

January 27, 2012 at 4:43pm

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I am wondered to see the way Hindi movies have been using the most pious and devotional song “Raghupati Raghav Raja Ram”, instead of realizing the essence of this great devotional hymn, people have started using the title with several kinds of remixes and romanticism which are presented in quite a vulgar manner – for example Krrish 3 which I could see in some TV program, the Bollywood in its modern fashion presents the twist of short-skirt wearing girls and clearly the nudity is promoted with such a high value devotional hymn. It does not only astonish me but compel me to think whether we are going towards the extreme. 

Condemn such a big downfall in making money through films by exhibiting the nudity!! 

Sorry Bollywood!! 

Harih Harah!!

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प्रशांतजी द्वारा गाओल ई गीत:

जतय पग-पग पोखैर माछ ओ मखान यौ बटोही
चलू चलू चलू ने ओही मिथिलाधाम यौ बटोही!

वास्तवमे, मिथिलाकेँ पहिचान दियौनिहार एहि तीन मुख्य वस्तुक अवस्था पर आब गान करबाक जरुरत अछि। लोककेँ नीक लागौ वा नहि, लेकिन गान कयनिहारकेँ एहि तरहक कटु गीत गाबय पडत:

जे छल जान मिथिलाके से अंजान यौ बटोही
चलू चलू छोडू ने बीतल मिथिलाधाम यौ बटोही!

माछ बिलेलय माटिक तरमे आंध्राक माछ आब छाडल
पान सुखेलय अनदेखीमे बंगला पत्ता अछि आयल
नहिये पोखैर बचाके रखलक मिथिलाके संतान यौ बटोही
चलू चलू छोडू ने बीतल मिथिलाधाम यौ बटोही!!

संसारक जे ताज हिमालय पठबय छल गंग धारा
धरफर-धरफर बाँध बनाके पानि बिलायल सारा
कहाँ भेटत ओ भूमि जतय अवतरथिन सीता यौ बटोही
चलू चलू छोडू ने बीतल मिथिलाधाम यौ बटोही!!

…..

हरि: हर:!!

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पठन संस्कृति इतिहासकेर संरक्षण लेल रामवाणकेर कार्य करैत छैक। लेखक-रचनाकार केर सृष्टि तखनहि बचतैक जखन पाठकवर्ग समान ‘अति प्रिय माय’ केर पोषण अर्थात् पढब आ आरो लोककेँ सुनायब कैल जाय।

आब कोनो ९वीं – १४ वीं शताब्दी जेहेन समय नहि छैक जे कियो मैथिली लेखन सँ अपन रोजी धरि चला सकय, तदापि “संसार सभसँ मीठ भाषा मैथिली”मे लेखन एक प्राकृतिक प्रेम थिकैक आ पढला सँ मैथिलीक संस्कारसहित सहजता संग “संसारक सबसँ प्रबुद्ध प्रबन्धन”केर अद्भुत ज्ञान प्राप्ति तय मानल जाइत छैक।

एहि ब्रह्मज्ञानकेँ आत्मसात करैत मैथिली लेखन, पठन-पाठन आ प्रचार-प्रसारमे अपने लोकनि जरुर अपन थोड-बहुत सहभागिता दी। किछु रास महत्त्वपूर्ण लिंक राखल लेल चाहब आ कथमपि बलजोरी नहि वरन् स्वेच्छासँ एहि दिशामे डेग बढाबय लेल निवेदन करब। छूछ लाइक आ छूछ कमेन्ट नहि, वरन् पढू, बुझू आ तखन अपन हृदयक बात लिखू। धन्यवाद!

गीत

(फेसबुक प्रेरणा – भौतिकतावाद केर प्रसार)

इ लाइक-कमेन्ट केहेन जे, कुकूर जेकाँ हुलकाबइ यऽ,
घूरि-घूरि घुरियाबैत यऽ भाइ!

एहेन अहं जालिम यौ भाइ, अपन मोह में राखय आय,
ई बुझि देखी कि थीक भाइ, मोंनो लागै बड़ अगुताय,
अन्तर्द्वन्द्वके आइग में ई घी-तेल सन भड़काबइ यऽ,
घूरि-घूरि घुरियाबैत यऽ भाइ!

जेना काज करय सऽ पहिने, सफलो होइलऽ हड़बड़ाइ,
गड़बड़ होइतो देखि के हमहुँ, लागी सम्हारय यौ भाइ,
सदिखन तैयो मनमा दहोंदिसि सँ खौंझाबइ यऽ
घूरि-घूरि घुरियाबैत यऽ भाइ!

इ लाइक-कमेन्ट केहेन जे, कुकूर जेकाँ हुलकाबइ यऽ
घूरि-घूरि घुरियाबैत यऽ भाइ!

(रचना: जनवरी ३, २०१२)

महत्त्वपूर्ण लिंक सब:

www.maithili-jindabad.com (एहि लिंकपर तैयार कतेको लेख-रचना संग मिथिला राज्य केर आवश्यकता, भारतीय गणतंत्रमे एकर औचित्य, इतिहास, आदि कतेको रास आलेख संकलित अछि।)

https://www.facebook.com/PravinNarayanChoudhary?ref=hl (ई फेसबुक केर स्वतंत्र पेज थीक, महत्त्वपूर्ण समारोहकेर फोटो संग कतेको रास विचार जे मिथिला-मैथिलीक महत्त्वकेँ स्वीकार करबामे सहायक होयत।)

https://www.facebook.com/PravinakFacebukiyaMaithiliCoachingCenter?ref=hl (ई मैथिली सिखनिहार लेल एक सन्दर्भ पेज थीक। हिन्दी एवं अंग्रेजीक माध्यमसँ मैथिली सिखनाय आ उलटा मैथिली सँ हिन्दी वा अंग्रेजी सिखनाय, एहि दुनू कार्य लेल ई पेज विशिष्ट अछि।)

https://www.facebook.com/pages/%E0%A4%95%E0%A4%B0-%E0%A4%AF%E0%A4%BE-%E0%A4%AE%E0%A4%B0-Kar-ya-Mar/508759059209481?ref=hl (एहि ठाम मात्र रचना – कथा, कविता, गीत, गजल, व्यंग्य आदिक संकलन अछि।)

https://www.facebook.com/groups/dahejmuktmithila/ (समाजिक व्यवहारमे कूरीति विरुद्ध एक शोधशाला थीक ‘दहेज मुक्त मिथिला’क ई ग्रुप – एकर फाइल्स सेक्शनमे मिथिलाक समाजिक व्यवहारपर लेख, भारतीय संविधानमे दहेज विरुद्ध व्यवस्था, बिहार राज्य द्वारा महिलाक कल्याण, शिक्षा, हिंसाविरुद्ध कानून व अन्य केर संकलन, सब किछु सिलसिलेवार राखल अछि।)

https://www.facebook.com/pravin.choudhary (ई प्रोफाइल पेज थीक, मूलमे सब बात एतय भेटत।)

हरि: हर:!!

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गीत

(फेसबुक प्रेरणा – भौतिकतावाद केर प्रसार)

इ लाइक-कमेन्ट केहेन जे, कुकूर जेकाँ हुलकाबइ यऽ,
घूरि-घूरि घुरियाबैत यऽ भाइ!

एहेन अहं जालिम यौ भाइ, अपन मोह में राखय आय,
इ बुझि देखी कि थीक भाइ, मोंन लागै बड़ अगुताय,
अन्तर्द्वन्द्वके आइग में ई घी-तेल सन भड़काबइ यऽ,
घूरि-घूरि घुरियाबैत यऽ भाइ!

जेना काज करय सऽ पहिने, सफल होइ लऽ हड़बड़ाइ,
गड़बड़ होइतो देखि के हमहुँ, लागी सम्हारय यौ भाइ,
सदिखन तैयो मनमा दहोंदिसि सँ खौंझाबइ यऽ
घूरि-घूरि घुरियाबैत यऽ भाइ!

इ लाइक-कमेन्ट केहेन जे, कुकूर जेकाँ हुलकाबइ यऽ
घूरि-घूरि घुरियाबैत यऽ भाइ!

हरिः हरः!

(रचना: जनवरी ३, २०१२)

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२ अक्टूबर २०१३

दक्ष एहने कोनो तामशपर ओहि यज्ञमे महादेव (जमाय बाबु)केँ नहि आमन्त्रित केलाह… आ यज्ञ नजदीक एलापर सती (जे ताहि समय महादेवक कठोर संकल्प जे आब हुनका पत्नी नहि वरन् माँ रूपमे देखताह… ओ श्रीरामकेर परीक्षा लेबा घडी सीताक रूप पकडबाक कारणे…. ताहि सँ बड दु:खी छलीह) आकाश मार्ग सँ देवता सबहक विमान आवागमन होइत देखलापर महादेवसँ पूछैत जे ई सब कतय… आ पता चललैन जे ई सब अहींक प्रजापति (दक्ष) पिताक यज्ञस्थल दिशि… पिता हमरा नहि बजौलनि… लेकिन हमरो जाय के इच्छा भऽ रहल अछि हे महादेव… लेकिन अहाँ जायब ई हमरा उचित नहि बुझाइत अछि… कारण हमरा लोकनिकेँ आमन्त्रित नहि कैल गेल अछि… हलाँकि माय-बाप, गुरु आ दोस्तकेर घर बिन बजेनो जा सकैत छी लेकिन गेला सँ यदि किनको मोन मलिन हेतैन तऽ नहि जाउ.. तैयो सतीक जिद्द… ओके, डियर! अहाँ जाउ! कहि महादेव आदेश दैत छथिन… आ ओतय कि-भेल से बुझले अछि आ अवस्था पहुँचि गेल जे यज्ञ विध्वंस आ महादेव पहुँचि दक्षकेर सिर काटि दैत छथिन…. हौ बाबु… आब तऽ कोहराम मैच गेल…. लास्टमे एगो बकराक मूरी जोडल गेल आ हुनका प्राणदान देल गेल…. तेकर बाद जखन दक्ष होश मे अयला तऽ बकरी जेकाँ मेमियेला… ई देखि बाबाकेँ बड जोर सँ हँसी लागि गेल आ ओ प्रसन्न भेलाह… यैह कथा छैक जे आइयो लोक बाबाक सब तरहक पूजा केलाके बाद अन्तमे बकरी जेकाँ मेमियैत अछि। बम-बम-बम – बुब्द्रर्रर्र! हरि: हर:!!

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Natural Action Hypothesis:

Abhishek Bachchan projected himself as a natural actor, he never agreed to any offer made by several directors to represent the role mode of ‘angry young man’ as his father and the everlasting Superstar Amitabh Bachchan lived on screen. Aishwarya also married to Young Bachchan for his qualities and of course a good family clan attached with him, grandfather a famous Hindi poet Harivansh Rai Bachchan and many more that I am not totally aware of.

Conversion Hypothesis:

There are some groups of wise people who love to enjoy the power and crown of ruler of India have been trying to push Rahul Gandhi just against his personal qualities, nature and abilities. He can become a very good leader by experiences as his father Rajeev Gandhi did.

Compulsion Hypothesis:

There was none other than A B Vajpayee in opposition to rule, Congress and supporting allies (media) used to propagate.

Then came L K Advani, forced into controversies of becoming a secular from hardliner and again a grand win of Congress in GE 2009.

Conclusion Hypothesis:

Now, GE 2014 is on head and another grandeur of main opposition party is Modi. Congress and supporting allies (media) are trying to put Modi into several huddles, but thanks true democracy of India which has chosen a Super Mighty Personality among the general leaders of opposition party BJP and exposed him as future PM. Win or lose is different, but the demand of democracy is clear. We need change. We need equal opportunities to be given for rules that can bring nation good fortune for sure.

Harih Harah!!

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काश कि हम गाँधी के दिलाये स्वतंत्रताको और सच्ची अहिंसा जो सोच और कर्म दोनोंके आधार पर हो उसे आत्मसात कर पाते। भारतमें रहकर भारतीयता से दूर, मिथिलाका पता नहीं बिहार जैसे नामोंके साथ पहचान मिलना जो हमारे भारतका है ही नहीं और किसी विदेशी मुसलमान शासक का दिया नामसे आज हम सारे हिन्दुस्तानमें बिहारी बनकर गाली और मार यानी पूरे हिंसाके चपेटमें पडे हुए हैं। हमारे ही राज्यमें हमारी भाषाका सम्मान नहीं और हमपर विदेशी भाषाको राजनीति करनेवाले सत्तालोभी लोग द्वितीय राजभाषाका दर्जा देकर अल्पसंख्यक-बहुसंख्यक जैसा विभेदकारी राजनीतिसे हमें रुला रहे हैं, मैथिली, अवधी और मगही जैसा प्राचिन भाषाका सम्मान नहीं, भोजपुरी सहित बज्जिका, अंगिका, आदि नयी बोलियोंको भाषारूपमें परिवर्तित करनेका कोई योजना नहीं… चारों ओर राजनैतिक बेईमानी मंशायके साथ हिंसा ही हिंसा … पर २ अक्तुबर को हम गाँधीके नाम पर अपनी खोखला सोच और दृष्टिकोणसे अहिंसाका प्रचार करते दिखेंगे…. गाँधीके नामपर टोपी पहनकर लोगोंके आत्मापर हिंसक वार करेंगे…. लानत है ऐसे हिंसावादी राजनीति करनेवालोंपर और हमारे मित्रों जो अपनी खुदकी पहचानको गाली देते हुए हमें ही हिंसा-अहिंसाकी खोखली बधाइयाँ भेजते हैं उनको भी सोचना होगा कि वगैर सही पहचान आत्मसम्मान और स्वाभिमान हमें नहीं मिल सकता।

गाँधीके सच्चे बच्चे हम आपको गाँधी और शास्त्री जैसे महान “जय जवान – जय किसान” के सच्चे प्रतिपादक की सच्ची विचारोंको हृदय से स्वीकार करने के लिये आज के दिवसमें अपना शुभकामना शर्मसे झुके सिरके साथ गुलाम मैथिल के रूपमें दे रहा हूँ। अंग्रेज चले गये, पर उनकी नीति “उपनिवेशवाद” अर्थात् colonialism हमपर आज भी हावी है। गाँधी बाबा, मेरे आँसुओंका हिसाब आपकी आत्मा करे, बस!

हरि: एव हर:!!

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गीत

निकम्मा ढोंगी रे, गपके तूँ तीर नहि चला – २
नहि माने बरद मरखाहा, तोडय यऽ हलुकी बड़हा,
कह कोना बान्हल जेतौ रे – २
निकम्मा ढोंगी रे, नाथिके पशुके चरा – २
निकम्मा ढोंगी रे….

बतहा कुकुर सभ दौड़य, भौं-भौं करैते रहय,
इ चुप कोना के हेतौ रे – २
निकम्मा ढोंगी रे, कोचिलाके डोजो खुआ – २
निकम्मा ढोंगी रे….

महिसो बिसखिये गेलौ, दूधके अकाली पड़लौ,
आब सुधा-सागर उड़ै छौ रे – २
निकम्मा ढोंगी रे, शुद्धता के क्राँति जगा – २
निकम्मा ढोंगी रे…..

पोखड़ि के भाथै छँ तू, डबरा के बेचै छँ तू,
मछरी कतय तू पोसमें रे – २
निकम्मा ढोंगी रे, आन्ध्राके माछ नहि खुआ – २
निकम्मा ढोंगी रे…

मिथिलाके पानो-मखानो, जानी नुकायल कोणो,
कह तू कथी पर कूदें रे – २
निकम्मा ढोंगी रे, माटि थोडे उर्वरा बना – २
निकम्मा ढोंगी रे….

धिया-पुता रहितो – रहित तू, दिल्ली-भदोही पलित तू,
कह केना मोंन मनै छौ रे – २
निकम्मा ढोंगी रे, देश आपन सुन्दर बना – २
निकम्मा ढोंगी रे….

गप कह कते तू मारमें, कर्म कह कखन तू करमें,
अगबे शान बघाडें रे – २
निकम्मा ढोंगी रे, मिथिला के मानो बढा – २
निकम्मा ढोंगी रे…..

हरि: हर:!!

(आदरणीय सियाराम सरस द्वारा संशोधन उपरान्त).

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मुद्दइ लाख बुरा चाहे तो क्या होता है? होता वही जो मंजुरे खुदा होता है। लोगोंमें आज मोदीके प्रति यदि किसी प्रकार का सहानुभूति है तो उसका एकमात्र कारण है उनका प्रबंधन क्षमता जिसमें स्वदेशी सिद्धान्त, दर्शन, गौरव, अस्मिता, व्यवस्था, तपस्या, साधना – सारा कुछ सुच्चा भारतीय मात्र है। इसमें सारे भारतीयोंको साथ रखा गया है। हाँ! धर्मके नामपर ढकोसला करनेवाला – कभी निरपेक्ष बनकर फिर से वोटबैंक पालिसी अख्तियार करके अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक का कार्ड खेलनेवाला खेलको मोदी जैसा भारतीय शेर कभी पसन्द नहीं करता, न करेगा। जरुरत है नागरिकोंको समान अधिकार देनेका, न कि खोखला धर्मनिरपेक्षता अपनाकर फिर से किसी खास धर्मको सहलाने-फुसलानेके लिये आरक्षणका चर्चा उठाना, उनके लिये खास सब्सिडी आदि का व्यवस्था करके अपना सत्तारोहण को निश्चित करना – अधिकांश समयतक गद्दीपर विराजमान रहकर भी देशमें सांप्रदायिकता न भडके उसका इन्तजाम न कर पाना, उलट इसके मृत बाबरी मस्जिद पर राजनीति करना, प्रत्यक्षत: हिन्दुओंके भावनाको ठेस पहुँचाती बाबा विश्वनाथ मन्दिरके साथ जबरदस्ती बनाये गये मस्जिद, मथुरामें थोपे गये मस्जिद और ऐसे कितने पूर्व के तानाशाह शासकोंके कीर्तियोंको राजनीतिक संरक्षण देकर झगडाको यथावत रखनेका काम करनेवाली सरकार, न्यायतंत्र, संविधान, विधायिका, प्रशासिका – इन सारेको परिवर्तन लानेके जगह, न्याय बहाल करनेके जगह बस झगडाका जड बनाकर रखना…. ये सारा तुच्छ राजनीति नहीं तो और क्या है। मोदी जैसे शेर इन बेईमानीको शायद वर्दाश्त न करे, करना भी नहीं चाहिये और भारतको संपूर्ण भारतीयताके साथ विकास की ओर कदम बढाना चाहिये, जिसका मोडेल गुजरात ने पिछले १२ वर्षोंमें दुनियाके सामने रखा है। हरि: हर:!!

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घरक चिन्ता कयले नहि होइछौ, तों करबें मिथिलाके चिन्ता?
पेट अपन भरले नहि होइछौ, तों पोसमें मिथिलाके जनता?

बढ एखन किछु आरो दूरी, सोचि-सोचि दरिद्री के!
बनि बहिर्मुख देखे सबटा, वीर सलहेश दीनाभद्री के!!

वीरतापूर्ण कयले नहि होइछौ, तों जितमें मिथिलाके खुट्टा?
कायरता सँ गप हँकय छिहीं, तों सिखेमें मिथिलाके बेटा?

देखैत टा रह केना चलय छै, मस्त अपन चोरदिलीसँ!
कयनिहार सब केना करय छै, गस्त अपन कर्मटोलीसँ!!

नहि किछु केलें नहि किछु करमें, तों जोतमें मिथिलाके खेता?
बाबा बले फौदारी टा बस, तों बनमें बनेमें मिथिलाके नेता?

कामचोर कर्तब्यविमूख तों, बेसीकाल नुकैले रहै छेँ!
किस्मत-हिम्मत हारल तों, छूछे बीख पिबैते रहै छेँ!

कहियो न एलें रणभूमिमें, तों बनमें मिथिलाक सेना?
बुद्धि-विवेकक हीन रे भूल्ला, तों देखमें मिथिलाक सपना?

(अधिकांशत: जे चोर-निकम्मा आ बहानेबाज कर्तब्यविमूढ मैथिल होइछ ओ फेसबुक वा समाजक विभिन्न गाम-ठामपर अगबे गप आ फूइसक समीक्षा करैत नजरि अबैछ, बात एहेन करैछ जेना भगवान् ओकरा सभटा कला-कौशलसंपन्न बनौने छथि, लेकिन कोइढ एहेन जे काजक घडी ओकर कियो मैर गेल रहैछ आ कदापि अपन छोटो टा के कर्तब्य निर्वाहमें ओ सफल नहि बनैछ – ताहि तरहक कोढिया लेल ई रचना समर्पित अछि। मनन केला उपरान्त यदि राजा सलहेश, वीर दीनाभद्री आ कतेको वीर मैथिलपुत्र सँ प्रेरणा भेटय तऽ जीवनमें बस एक छोटो टा के काज जरुर करय लेल सोची, मरबा घडी गोदान करैत वैतरणी पार करयवाला सोच सेहो मिथिला के शिथिला बनेलक अछि, जरुर चिन्तन करी।)

हरि: हर:!!

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कैसे बने मिथिलाधाम?

काबिल तो हम बहुत हैं
पर होता नहीं कोई काम
मिलते हैं महफिल में
पाने बस शोहरत नाम
छलकाते हैं शब्दों से
झूठी जयकारा जाम
रो रही है माँ और जमीं
भूल बैठे निज धाम
कहने को हम तेज हैं
पर रो रहा हमारा गाम
होता गर बस कहने से
बन जाते हम भी राम!

मिलो दिल से ऐ सनम –
बस दिखाने की रीति है बुरी
जब हृदय पुकारे प्रेम से
आओ समझ मिलनेकी घड़ी!

जय मैथिली! जय मिथिला!

(मेरे सारे नेता-मित्रोंको समर्पित – नेता हो अभिनेता हो पर बनते क्यों तू निकम्मा हो!)

हरिः हरः!
Like · · Unfollow Post · Share · April 28, 2012 at 10:03am

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मिथिला पेन्टिंग: नया पीढी लेल कैरियर समान!

अंग्रेज शोधकर्ता रुडीन स्वागरमैन केर अमर-संकलन, सौ सँ ऊपर मिथिला पेन्टींगकेर संकलन, अनलाइन एलबम निम्न लिंक पर उपलब्ध अछि।

http://mithilapainting.org/album/

उम्मीद करैत छी जे हमरा लोकनि विभिन्न शहर आ नगर के गप्पी गिदड सँ ऊपर किछु डेग अपन संस्कृतिकेँ प्रवर्धन करय मे जरुर लगाबी।

गाम-घरक महिला लेल रोजगार आ हमरा-अहाँक धियापुता लेल भविष्यक एक महत्त्वपूर्ण कैरियर निर्माणक आधार थीक मिथिला पेन्टिंग। विश्व भरिमे एकर माँग होयब एक शुभ सूचक थीक। मिथिलाकेँ नाम, पहिचान आ विशिष्टताक रक्षा लेल एक पैघ सहारा थीक मिथिला पेन्टिंग। एकर वैश्विक पहचान जरुर अंग्रेज विद्वान् द्वारा शुरुवे सँ बनायल गेल, लेकिन संरक्षणक जिम्मेवारी हमरहि लोकनिक थीक से आत्मसात करब जरुरी।

हरि: हर:!!

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मिथिलाकी पौराणिक परंपराका आधुनिक जीवन शैलीमें महत्त्व

चूँकि आधुनिक संसारमें भौतिकतावाद हावी है, अत: मिथिलाकी पारंपरिक कलाओंको नये युगोंके साथ ढालनेके लिये समर्पित अभियानी काम करने लगे हैं।

१. सिक्की निर्मित किमती ग्रिटींग कार्ड

सिक्की घास से पहले मौनी और पौती बनाया जाता था, अब उसीके प्रयोगसे विभिन्न तरहका हस्तनिर्मित ग्रिटींग कार्ड बनानेमें किया जाने लगा है। विश्वास शायद नहीं हो, ऐसे ग्रिटींग्सका दाम बाजारमें दूसरे साधारण कार्ड्स से कहीं दस गुणा ज्यादा होता है और लाइफ तो १०० गुणा ज्यादा होता है। कलाकृतियाँ किसी भी तरहसे बनाया जा सकता है, इसमें मिथिला पेन्टिंग और आधुनिक पेन्टिंगसे स्केच लिया जाता है, कार्डबोर्ड पेपरपर सिक्की घासके अति सूक्ष्मतापूर्ण कटिंग करते हुए एढेसिवका इस्तेमाल करते हुए स्केचके अनुसार चिपकाया जाता है। इसमें कैलेन्डरकी मुर्तियोंसे लेकर पेन्टिंग और शब्दोंके संयोजनसे आकर्षक शुभकामना संदेश लिखा जाता है। इसकी तैयारीमें समय तो लगता ही है पर इसका माँग आधुनिक समयमें शादीके जोडोंके लिये और विभिन्न अवसरपर अति विशिष्ट कार्ड आदान-प्रदान करनेवालोंके लिये राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय बाजारोंमें काफी ज्यादा है।

२. सिक्की निर्मित उपहार बाक्स

शदियोंसे मिथिलामें वैवाहिक अवसरोंपर सोने-चाँदी-गहनोंका आदान-प्रदान सिक्कीसे बने गिफ्ट बाक्स जिसे मौनी, पौती आदि नाम दिया जाता था इसीमें किया जा रहा है। आज जबकि प्लास्टिक और फाइबरकी क्रान्ति से दुनिया बहुत ज्यादा प्रभावित है, परन्तु पर्यावरणीय खतराको भाँपते हुए दुनिया भरके वैज्ञानिकोंके द्वारा प्लास्टिक का प्रयोग कम करनेकी हिदायत से मानो मिथिलाकी पारंपरिक कलाकृतियोंका महत्त्व एक बार फिर संसारमें प्रसिद्धि पानेके लिये उद्यत हो रहा है। राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय बाजारोंमें फिर से सिक्की घासके प्रयोगसे बने हुए छोटे-छोटे नये डिजाइनोंमें निर्मित मौनी-पौती आदिका माँग काफी ज्यादा होने लगा है। अब सोने-चाँदीके दुकानोंमें आप ऐसे गिफ्ट-बाक्सकी माँग कर सकते हैं।

३. मिथिला पेन्टिंग किये हुए परिधान

टेबुल क्लोथ, रुमाल, गलेबन्द, बेडशीट, साडी, धोती, दोपटा, पाग, भेस्ट, और विभिन्न परिधानोंपर मिथिला पेन्टिंग्स का प्रिन्ट भी आज के समयमें काफी लोकप्रिय हो रहा है। खासकर के विदेशी शैलानियोंके लिये ऐसा परिधान प्राथमिकता पा रहा है। मैथिलोंके कार्यक्रममें भी ऐसे प्रयोग काफी बढने लगे हैं। मिथिलामें तंत्र पद्धति काफी लोकप्रिय रहा है, पर्यावरणके प्रति लोगोंका प्राकृतिक झुकाव रहा है और अपने घरोंके दिवालोंसे लेकर किसी भी तरहके धार्मिक अनुष्ठानोंमें ऐसे कलाकृतियोंको उकेरा जाता है जिससे न केवल यज्ञ-पूजादिका निष्पादन शान्तिपूर्ण ढंगसे होता है, बल्कि इसका दूरगामी असर लोगोंके मन-मस्तिष्कपर भी पडता है। लोग ऐसे प्रयोग अब परिधानोंमें करके व्यवसायीकरण करने लगे हैं जो संसारमें आ रहे आधुनिकताके साथ कदम मिलाकर चलने जैसा प्रतीत होता है।

४. मिथिला पेन्टिंग से तैयार वाल पेपर और इन्टेरियर डेकोरेशन

जिस तरहसे मिथिलामें पहले कोबर (नये दूल्हा-दूल्हन के लिये विशेष कक्ष) में विभिन्न प्रकारकी पेन्टिंग घरके दिवालोंपर किये जाते हैं और मान्यता यही है कि नव-विवाहित दूल्हे-दूल्हनके मन-मस्तिष्कपर इन आकृतियोंका सकारात्मक असर पडता है और घर-गृहस्थी बसाने के लिये यह काफी शुभ होता है; इसी तरह आजकल बडे-बडे सितारे होटलोंमें भी मिथिला पेन्टिंगकी आकृतियोंको वाल पेपर के तौर पर लगाया जाने लगा है। इसका असर देश-विदेश से आनेवाले पर्यटकोंके मन-मस्तिष्क पर पडता है ऐसा मानते हैं इन्टेरियर डिजाइनर्स। घर के अन्दर मिट्टीसे बनी मूर्तियाँ और उसपर प्राकृतिक रंगोंका लेपन भी काफी रोचक और आधुनिकता के साथ मिलता दिख रहा है। अभी न्युन स्तरपर प्रयोग रहते हुए भी भविष्य सुनहरा होनेका संकेत जरुर दे रहा है।

५. जनेऊ, डोराडोरि, खादी कपडा (धोती, साडी, गमछा, चादर), भागलपुरी सिल्क चादर, आदि

जिस तरह पहले घर-घर चरखा चलानेका कुटीर उद्योग फलित था, उसे दुबारा संचालन करनेके लिये लोग बाध्य हो रहे हैं। चरखेसे काता हुआ सुतसे बिना गया जनेऊ अब बहुत कम मिल पा रहा है लोगोंको, क्योंकि खादी ग्रामोद्योग भंडार समुचित रूपसे संचालित नहीं हैं, सरकारी उपेक्षासे ऐसे भंडारोंका लगभग सत्यानाश हो चुका है। मध्यकालीन मिथिलामें काफी चरमपर रहा इस उद्योगसे घरकी महिलायें, जुलाहे, धुनिया, आदि काफी सारे लोग रोजी पाते थे और आधुनिक मशीनी युगमें इनको पूरी तरह से उपेक्षित रखकर भी मिथिलाके लोगोंको पलायन करनेके लिये मानो मजबूर किया गया है। हलाँकि अब जब सारी दुनिया पर्यावरणीय खतरोंका शिकार होने लगा है और लोगोंमें फिरसे प्राकृतिक उपाय ही सर्वथा उचित है ऐसा मान्यता स्थापित होने लगा है तो उम्मीद कर सकते हैं कि इन मिथिला-विशिष्ट सामानोंका समुचित बाजारीकरण संभव हो।

मिथिला क्षेत्रमें प्रचलित ऐसे विभिन्न बातोंका काफी सकारात्मक महत्त्व है। पर्यावरण, तंत्र, भक्ति, अतिथि पूजा और अनेकों प्रकारके गृहस्थी व्यवहार पूरी तरहसे वैदिक जीवन प्रणालीको बखूबी प्रस्तुत करते हैं मिथिला में, जरुरत है कि ऐसे और भी बहुत नये प्रयोग निरन्तर किये जायें और दुनियाको पूर्ववत् मिथिलासे नया प्राण मिलता रहे। वगैर राजनीतिक संरक्षण नये विकास के जगह पौराणिक विकासका मृत्यु दुखद है। प्रवासपर रह रहे अधिकांश मैथिल अपनी मूल्यवान् संस्कृतिसे दूर किये जा रहे हैं और अब तो उनके खुदकी आवश्यकता भी पूरा करनेके लिये उन्हें दूसरे संस्कृतिके साथ ढलना मजबूरी बनने लगा है।

हरि: हर:!!

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१ अक्टूबर २०१३

मिथिला राज्य के लिये आन्दोलन – जनआन्दोलन बनने की ओर!

(संछिप्त समीक्षा)

विगत कई वर्षोंसे किया जा रहा मिथिला राज्यकी माँगमें सुप्रसिद्ध नारा “भीख नहि अधिकार चाही – हमरा मिथिला राज्य चाही” अब जन-जनकी माँग बनकर सामने आने लगा है। मिथिलाकी माँग केवल ऊँचे जातियों के लोगोंका और विद्वानोंका माँग कहकर ठुकरानेवाले अब खुदकी जात मिथिलाकी जनताको दिखाकर गंगा उत्तर विकास नगण्य रख लोगोंको सिर्फ जाति-पातिमें बाँटकर अपनी खिचडी पकानेका मंशा स्पष्ट कर दिया है। अब पीछडे जाति-समुदायके लोगोंमें अपनी मिथिला राज्य और स्वराज्यका महत्त्व स्पष्टत: दिखने लगा है और इनकी सहभागिता तथा मिथिला के लिये संघर्षमे अपनी प्राणोंको आहूति देनेकी बातोंसे लग रहा है कि अगले आम चुनावतक सारे राजनीतिक दलोंको बिहार से अलग मिथिला राज्यके लिये अपना नीति स्पष्ट करना पडेगा नहीं तो मिथिलामें दाल गलनेका संभावना न्यून ही बनेगा। मिथिला राज्य संयुक्त संघर्ष समिति द्वारा निरन्तर जिस प्रकार से जनसभाएं की जा रही हैं और इसमें जिस तरह से लोगोंका सहभागिता होने लगा है इससे मिथिला राज्यकी माँगको काफी बल मिला है।

जागरणमें प्रकाशित समाचार जो निम्न है:

राजनगर (मधुबनी), निप्र : प्रखंडाधीन रामपट्टी बाजार स्थित दुर्गास्थान परिसर में रविवार को मिथिला राज्य के गठन के समर्थन में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। सरपंच रामसुंदर महतो की अध्क्षता में आयोजित कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए समिति के अध्यक्ष डा. बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने मिथिला राज्य के गठन को समय की मांग बताया। मिथिला राज्य के गठन के औचित्य पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि यदि तेलंगाना, छत्तीसगढ़ राज्य गठन हो सकता है तो मिथिला राज्य का गठन क्यों नहीं हो सकता। उपस्थित लोगों की चेतना को झकझोरते हुए डा. चौधरी ने कहा कि अब मिथिलावासियों को अपने अधिकार की प्राप्ति के वास्ते सड़क से संसद तक संघर्ष व आंदोलन करना होगा। भारत का लोकतांत्रिक इतिहास साक्षी है कि बिना जनांदोलन के लोगों को वाजिब हक नहीं मिलता । कई कि आर्थिक आजादी, भाषायी आजादी, उद्योग के क्षेत्र में बाढ़, सुखाड़ आदि समस्याओं को स्थायी निदान मिथिला राज्य के गठन से ही संभव है। डा. चौधरी ने कहा कि मैथिली भाषा को संविधान की अष्टम सूची में शामिल होने से आंदोलन का पड़ाव पार कर लिया गया है। परंतु मिथिला राज्य का गठन है जिसकी पूर्ति होने तक आंदोलन अनवरत जारी रहेगा। मुखिया रामउदगार यादव ने मिथिला राज्य के निर्माण के वास्ते चल रहे आंदोलन को पूर्ण समर्थन दिये जाने की घोषाणा की सभा को मुखिया अरूण चौधरी, विश्वनाथ यादव, डा. इंद्रमोहन झा, संतोष कुमार मिश्र चुन्नू, प्रो. चन्द्रशेखर झा, विनोद कुमार झा, शंकर झा, मो. नुरूल, संजय महतो, प्रो. इंद्रकांत झा, बोधनारायण सिंह, नेवी लाल आदि ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया।

इससे स्पष्ट हो रहा है कि लोगोंमें अपने स्वराज्य प्राप्तिके लिये कितना उत्कंठा बढ गया है। आन्दोलनमें आम लोगोंकी सहभागिता बढानेके उद्देश्य से मैथिलीकी मिठास सांस्कृतिक कार्यक्रमके मार्फत रखना और जनसाधारणवर्ग से मैथिलीमें रचनाशीलता दिखानेवालोंको भी मौका देना इस आन्दोलनके लिये नया प्राणाधारके जैसा है।

हरि: हर:!!

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सुटही बिलैर (एकांकी नाटक)

“मियाँउ! मियाँउ!!”

“भाग जरलाही! जखन देखू ई हरासंखिनी खाइये बेरमे चलि अबैत अछि।” कहैत खिसियेलखिन ठाढीवाली काकी।

बिलैर बेचारी मेमियाइतो बहुत प्रयाससँ मानवीय बोली बजैत जबाब देबय लगलैन। “हमरा किऐक खिसियाइत छी काकी! हमरा तऽ माछक गंध लागल तही द्वारे आबि गेल छी। एहिमे हमर कोन दोख। भगवान् जन्म देलैन बिलैरक योनिमे, हम कि करू, गंध लाइग जाइत अछि आ….!”

ठाढीवाली काकी बीचेमे कटैत बजलखिन – “आगे दाय गे दाय!! कहू तऽ ई जरलाही तऽ हमरा जबाबो दैत अछि। सेहो लोके सब सन बोली बाइज के! देखू तऽ एकर सपरतीब!”

बिलैर फेर अपन आदति सँ लाचार होयबाक बात कहय लगलैन – “काकी! हम अहाँके पहिलुके जन्मसँ चिन्हैत छी।”

काकीके कान ठाड्ह भेलैन, बिलैरक बात सुनिके विश्वास नहि भऽ रहल छलन्हि जे ई सही मे बिलैर बाजि रहल अछि आ कि….! ओ तुरन्त नवकी कनिया कमलीकेँ सोर पारलीह। “यै कमली बहुरिया! दौडू-दौडू! देखू तऽ ई जरलाही बिलैर एक तऽ खयबा घडी आबि गेल अछि आ तय पर सऽ कोन-कोन बोली निकैल रहल अछि। देखू तऽ एकर सपरतीब कनी!”

कमली दौडलि आबि गेली ठाढीवाली काकीके सोर कयलापर आ देखली जे एगो ठेसगर बिलैर काकी दिशि आँखि गुराडिकेँ देखि रहल छल आ काकी सकपकायल ओकरा सऽ जेना डेरा रहल छलीह। बिलैर फेरो बाजल – “कमली बहुरिया! पूर्व जनममे ई काकी आ हम दुनू गोटे मिथिला राज्य निर्माण मे संगे छलहुँ आन्दोलनपर। नेता विन्देसर आ मो. करिलूठ के करबला मैदानवला झगडामे शहीद भऽ गेल रही। हमर पहिलो आदति सुटियाइते सब काज करबाक छल से हम बिलैर बनि गेलहुँ आ काकी सब दिना केला-धेलापर मार पसबैत छलीह से आइ काकी बनि गेल छथि। आब काकी हमरा नहि चिन्हि रहल छथि। लेकिन हम हिनका नीक जेकाँ चिन्हि रहल छियनि। असगरे माछ खा रहल छथि से रहल नहि गेल तऽ टोकि देलियैन। हम ओना अहुँकेँ चिन्हैत छी कमली दाय।”

कमली सेहो पूर्व जन्मक बहुत कथा जानैत छली। ओकरा स्मृतिमे आबि गेलैक जे हो न हो ई वैह थीक जे काकी केर पार्टीमे रहल छल आ हमहुँ जरुर काकीके दलकेँ रही तैँ आइ सब गोटा एकठाम भेल छी। ततबामे रेडियो पर समाचार आबय लागल जे कैबिनेट ने भारतमे नये राज्य तेलंगानाके गठनको मंजूरी दे दी। कमली सोचय लगली जे “हाय राम! ई मिथिलामे तऽ आइयो लोक एक सौ ठाम बँटल बस भीख नहि अधिकार चाही, हमरा मिथिला राज चाही के नारा टा लगा रहल छैक।” कमलीकेँ बड दया लगलैक, कहलकैक जे “काकी! हमरा सबटा याद आबि गेल। ई वैह छी जे अपनेक कहल सब बात करैत छल आ हमहुँ अहींक दलमे रही। देखियौ, रेडियो पर एखनहि बाजल जे तेलंगाना बनि जायत, मुदा मिथिला…. हाय राम! आर गप छोडू काकी, एकरा अपन थारीमेँ सँ २ पीस माछ धरि खुवाउ। हाय राम! नहि जानि मिथिला कहिया धरि बनत!” ओम्हर सँ कौशल काका छडी धेने प्रवेश करैत छथि आ सबहक बात जेना बडी काल सँ सुनि रहल छलाह से जबाब दैत सबकेँ बुझबैत छथि – “धैर्य राखू, काज भऽ रहल छैक! जतबी उर्जा माछ खाय संचित कय रहल छी ततबी उर्जासँ धैर्य राखबाक आवश्यकता छैक। हम तऽ मिथिला राज्य संघर्ष समितिक लेल २०११ ई. मे जे भारत सरकारकेँ ज्ञापनपत्र सौंपने रही तहिया सऽ लऽ के आइ आब २०६० ई. धरि अपन समर्पण सँ मिथिलाक सेवामे लागल छी। चारूकात जागृति पसाइर रहल छी। गुरुकृपाजी जेना-जेना बतौने छलाह तेना-तेना कय रहल छी, धरि धैर्यक आवश्यकता अहाँ सबमे जरुरी अछि।”

(धैर्यके संग – मिथिला राज्य आन्दोलनक किछु खास पहलू)

पर्दा खसैत अछि।

हरि: हर:!!

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धैर्य राखू, काज भऽ रहल छैक!

(धैर्यके संग – मिथिला राज्य आन्दोलनक किछु खास पहलू)

हमर नाम किऐक नहि छपल एहि समाचारमे? काज करू हम सब आ नाम फल्लाँ बाबु के? जो सार!! काल्हि सऽ हिनका द्वारा बजायल गेल धरना मे जेबे नहि करब। बडका चलला अछि एकता करय!! केहेन-केहेन गेलय तऽ मोछवाला एलय!! देखैत छी जे केना एकता ओकरा केने बनैत छैक। फूलपेन्ट पहिरत लोक दिल्लीमे आ धोती पहिरि पगलेट जेकाँ बरबरेनिहार अपना मोने एकता आनि देत। हमरा नहि मान्य अछि एहेन एकता। धैर्य राखू, काज भऽ रहल छैक। हमर संगठन फाइनल अछि। एहिमे एखन धरि ९ गो संस्था जुडि गेल छैक आ बाकी ११८ गो सऽ वार्ता चैल रहल छैक। ३२७ गो के पत्र देल जा चुकल छैक। ९९९ गो लग दलाल सेहो लागल छैक। मिथिला राज्य बनबे करतैक। ओकरा के पूछैत छैक? सार चमकय लेल आबि रहल अछि, ओकरा बायकाट कऽ दियौक। कियो गोटे बजबे नहि करू। धैर्य सऽ काज करू, उर्जा बचा कऽ राखू। मिथिला राज्य बनबे करतैक।

हरि: हर:!!

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बड पैघ उपलब्धि हासिल

अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली परिषद् केर केन्द्रीय अध्यक्ष डा. कमल कान्त झा द्वारा पुस्तक “मिथिला राज्य आन्दोलन ओ अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली परिषद्” जेकर विमोचन मिथिला राज्य निर्माण समितिक राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. धनाकर ठाकुर द्वारा काल्हि पचही (मधेपुर) केर सभामे कैल गेल, एहि सँ नव पीढीमे बहुत रास बात बुझबाक – जनबाक अवसर भेटत आ नीक जेकाँ बुझलाक बाद मिथिला राज्य सबकेँ प्रियगर लगैत छैक से जनसंघर्षक तैयारीमे सहायक होयत।

ओना एक विस्मयकारी समाचार अछि – मिथिलाक नाम मिथिलांचल नहि हो तेकर प्रचारकर्ता स्वयं डा. ठाकुर केर नाम सँ एना समाचार प्रकाशन काफी अचरजमे राखि देलक; लेकिन फेर सोचलहुँ जे १०० रुपैया लैत न्युज छपनिहार मैथिल पत्रकार लग फुर्सत कहाँ छैक जे कोनो समाचार ढंग सऽ छापत, ओकरा तऽ अपन कमाइसँ मतलब बेसी छैक, जेना सबकेँ छैक, ओकरो बाल-बच्चा छैक ने, बेचारा सब उडैते समाचार छपैय लेल पठा दैत छैक।

जय मैथिली! जय मिथिला!!

हरि: हर:!!

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३० सितम्बर २०१३

मिथिलाकी कामकाजी महिलायें

मिथिलाकी पावन धरतीपर कुछेक बडे घरोंकी सुकुमारी महिलावर्गको छोडकर बाकी सारे लोग कामकाजी होती हैं। इनमे मिथिलाके पानीका असर बखूबी देखा जा सकता है। चाहे पात खररनेवाली महिलायें हों, धान बोती या काटती या खेतोंमें काम करती महिलायें हों या फिर घरके अन्दर मुरही, लाय, झिल्ली, कचरी बनाकर हाटोंपर बेचती महिलायें हों, आजकर गृहस्थी चलानेके लिये महिलाओं ने खुदको काफी आगे ले आयी हैं। बडी दुकानें चलाना, शहरसे तरकारी आदि कीनकर गाँवोंमें बेचनेका छोटा-मोटा ब्यापार भी इनके द्वारा चलाया जा रहा है। मिथिलाकी पौराणिक कलाकृति बनानेमें भी ये माहिर हैं। इनके द्वारा जनेउ, पाग, मौर, मौनी, पौती, आदि बनाकर देश-विदेशमें बेचे जाते हैं। आजकल मिथिला पेन्टिंग भी बाजारोंसे अच्छा दाम असूल करनेमें सहायक सिद्ध हो रहा है और यही कारण है कि मिथिलाकी महिलायें आत्मनिर्भरता पाने के लिये खुद को असहाय नहीं मानती। अपने पुरुषोंके साथ – पूरे परिवार मिलकर पटुआ से सोन निकालनेका काम से लेकर सब्जी उगाने और अन्य नकदी फसल लगाकर आज स्वाबलंबी बननेके लिये खुलेआम निकम्मे-ढोंगियोंको चुनौती देती नजर आती हैं मिथिलाकी महिलायें। बडे घरोंकी बहुओंपर जो पारिवारिक अंकुश है उसके कारण उनमें उनमुक्त होकर अपनी कार्य-दक्षतासे दुनियाको कुछ देने का काम लेकिन नहीं हो पाता, ऐसा दिखता है। जबकि वे पढी-लिखी होती हैं, पर पुरुषवादी समाजमें उनको बाँधकर पारिवारिक हाताके अन्दर केवल घरेलू कामकाज करनेकी आजादी दिया जाता है। यही कारण है कि इन वर्गोंमें उन्मुक्ति पानेके छुपे मंशासे लोग गाँव छोडकर बाहर शहरी जीवन ज्यादा पसन्द करने लगे हैं और शहरोंमें ये खुलकर काम करनेके लिये पतियों पर दबाव बनाने लगी हैं। हर तरह से मिथिलाकी महिलाओंका सामर्थ्य कम आँकना किसी भी संस्कृतिके लोगोंका भूल ही होगा। अब जबकि सूत बनाने चरखा काटनेका प्रचलन लगभग समाप्त हो गया है, लेकिन एक समय यही काम कितने परिवारोंका सहारा होता था। घरैया लूरि से विभूषित मिथिलाकी महिलावर्ग इसीलिये अच्छे-सच्चे बच्चे भी पैदा करती हैं जो देशके किसी कोनेमें रहकर अपनी कर्मठता साबित कर सकनेमें सक्षम होता है। मिथिलाकी धरतीसे शायद सीताने भी यही स्वच्छंदता देखकर अवतरित हुई थीं, ऐसा मेरा मानना है।

हरि: हर:!!

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२९ सितम्बर २०१३

अफसोस कि एक बीबीसी संवाददाताका इतना पूर्वाग्रही विश्लेषण पहली बार पढनेको मिला। जरा गौर करें:

शुरुआती चरण में उनका ध्यान उन राज्यों पर ज़्यादा है जहाँ विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. धीरे-धीरे वे एक राज्य के मुख्यमंत्री से देश के बड़े नेता के रूप में सामने आ रहे हैं. रविवार को वे दिल्ली में अपनी पहली बड़ी राजनीतिक रैली में भाषण देने वाले हैं. नरेंद्र मोदी की रैली के लिए एक हाईटैक स्टेज बनाया गया है. बताया जा रहा है कि 30 से ज़्यादा देशों के राजनयिक भी मोदी की इस रैली में शामिल होंगे. उनकी इस रैली में मीडिया की भी गहरी दिलचस्पी है.
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सटीक शब्दोंमें मोदीको संछिप्त लेकिन पूर्णरूप से रखा गया है। बहुत धन्यवाद। आगे बढें।
अफसोस कि एक बीबीसी संवाददाताका इतना पूर्वाग्रही विश्लेषण पहली बार पढनेको मिला। जरा गौर करें:

शुरुआती चरण में उनका ध्यान उन राज्यों पर ज़्यादा है जहाँ विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. धीरे-धीरे वे एक राज्य के मुख्यमंत्री से देश के बड़े नेता के रूप में सामने आ रहे हैं. रविवार को वे दिल्ली में अपनी पहली बड़ी राजनीतिक रैली में भाषण देने वाले हैं. नरेंद्र मोदी की रैली के लिए एक हाईटैक स्टेज बनाया गया है. बताया जा रहा है कि 30 से ज़्यादा देशों के राजनयिक भी मोदी की इस रैली में शामिल होंगे. उनकी इस रैली में मीडिया की भी गहरी दिलचस्पी है.
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सटीक शब्दोंमें मोदीको संछिप्त लेकिन पूर्णरूप से रखा गया है। बहुत धन्यवाद। आगे बढें।

व्यक्ति पर निशाना

नरेंद्र मोदी ने अब तक कई बड़ी-बड़ी रैलियों में भाषण दिया है. उनके भाषण का केंद्र हमेशा नकारात्मक रहा है. जब वे किसी नीति या योजना पर भी टिप्पणी करते हैं तो उनके निशाने पर नीतियों या योजनाओं के बजाए व्यक्ति होता है. मोदी नीतियों से ज्यादा ध्यान नेताओं के व्यक्तित्व पर केंद्रित करते हैं. शुरुआती दिनों में वे अपने हर भाषण में गाँधी परिवार पर निशाना साधते थे. वे सोनिया गाँधी के इतालवी होने पर अक्सर नस्ली और व्यक्तिगत व्यंग किया करते थे. कांग्रेस पार्टी ही आज़ादी के बाद के ज़्यादातर सत्ता में रही है. देश की एक बड़ी आबादी न केवल एक बेहतर विकल्प के लिए उत्सुक रही है बल्कि शुरू से ही बहुत से ऐसे लोग हैं जो कांग्रेस के विचारों से सहमत नहीं थे. मतभेद लोकतंत्र का बुनयादी पहलू है लेकिन कांग्रेस से मोदी की नफ़रत लोकतंत्र की हदों को पार कर गई है. वे चुनावों में कांग्रेस और उसकी विचारधारा को हराने की बात नहीं करते बल्कि वो कांग्रेस को ही ख़त्म करने की बात कर रहे हैं. मोदी अपने समर्थकों से एक ऐसे भारत के निर्माण की बात कर रहे हैं जिस में कांग्रेस का अस्तित्व ही नहीं होगा. कांग्रेस के अस्तित्व को ही ख़त्म करना उनका सबसे बड़ा राजनीतिक नारा है.
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ऐसा लग रहा है कि पत्रकारिता धर्म से ऊपर जाकर मोदीके चरित्र और शैलीका समीक्षा वर्तमान विश्लेषक कर रहे हैं। आज जिस किस्म से समूचे देशमें छद्म धर्मनिरपेक्षताके नाम पर और विरोधियोंको कभी न पनपने देनेके लिये हर हथकंडे अपनानेवाली काँग्रेस की चरित्र पर चुप रहकर मोदी जैसे उग्र क्रान्तिकारी नेताओंकी वाणी को ‘नकारात्मक’ कहना कितना उचित है? एक पत्रकार और विश्लेषक इसको नकारात्मक कैसे करार दे सकता है?

मोदी की नीतियां

राजनीतिक पार्टियाँ अपनी-अपनी योजनाओं और नीतियों की बुनियाद पर सत्ता में आने के लिए चुनाव लड़ती हैं किसी राजनीतिक दल को तबाह करने के लिए नहीं. आने वाले दिनों में मोदी निश्चित रूप से अपनी नीतियां और योजनाएँ जनता के सामने पेश करेंगे लेकिन अभी तक उनकी सोच नकारात्मक रही है. और नकारात्मक राजनीति से बहुत ज़्यादा दिन तक जनता का समर्थन हासिल नहीं किया जा सकता. लोकतंत्र में विचारधारा को हराने की बात की जाती है, राजनीतिक दलों को तबाह करने की नहीं. भारत के चुनावी इतिहास में ये पहला मौका है जब कोई राजनीतिक पार्टी अपनी विरोधी पार्टी को ख़त्म करने के नारे के साथ मैदान में उतरी है. नरेंद्र मोदी को ये बात भी समझ लेनी चाहिए की राजनीतिक पार्टियाँ किसी के ख़त्म करने से ख़त्म नहीं होती बल्कि वे अपने पुराने और नकारात्मक नज़रिए के कारण ख़त्म होती हैं. मोदी को लोकप्रियता उनके विकास और उनके प्रबंधन के कारण मिल रही है. उनकी नकारात्मक राजनीति ही उनकी राह में सबसे बड़ी बाधा है.
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यहाँ तो विश्लेषक महोदय स्पष्टत: मोदीके स्वरसे घबराये हुए उन्हें नीतिवचनसे उपदेश करते दिख रहे हैं। एक पाठक के रूपमें जब हम विश्लेषण पढते हैं तो दोनों पक्षोंकी बातें ज्यादा, नीति, सिद्धान्त, कार्यशैली और अपेक्षा अनुकूल भविष्यका निर्धारणमें व्यक्तित्व-नेतृत्वका योगदान पर ज्या रोशनी चाहते हैं। इस तरह से किसी नेताके चरित्रपर अपना राय रख देना, अपनी समझ रख देना – इसे विश्लेषणका दर्जा बीबीसी जैसे सम्माननीय न्युज एजेन्सीके लिये सचमूच हास्यास्पद और तुच्छ लगा।

मोदी अपने प्रशासनिक मामलों में भले ही एक प्रतिभाशाली प्रबंधक रहे हों, लेकिन राजनीति में चाहे वह उनकी अपनी पार्टी रही हो या अन्य पार्टियाँ, उनकी सोच हमेशा नकारात्मक रही है. यह दौर नकारात्मक राजनीति का नहीं बल्कि सकारात्मक राजनीति का है. पार्टियाँ अपने प्रदर्शन, नेताओं के व्यक्तित्व और प्रोग्रामों के आधार पर जाँची जाएंगी. मोदी को कामयाब होने के लिए लोकतंत्र का ये गुर जल्द सीखना होगा वरना वो खुद ही अपनी नकारात्मक राजनीति का शिकार हो जाएंगे.
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आदरणीय विश्लेषक महोदय से मेरा अनुरोध है कि कुछ जिम्मेवारियाँ देशकी सक्रिय राजनीतिमें वो खुद भी निर्वाह करें और व्यवहार के आधारपर देखें कि एक जूझते विरोधी नेता मोदी के स्वरमें क्रान्तिका आवाज है न कि नकारात्मकता का। देश के लिये सोचनेवाले बहुत तरह से पहले भी सोचे हैं। परन्तु सच्चाई यही है कि भारत आज भारत कम और विदेशी शासकों द्वारा अप्रत्यक्ष परतंत्रतामें ज्यादा दिखाई दे रहा है। ये मेरा व्यक्तिगत सोच है।

हरि: हर:!!

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सफलताक रहस्य

कोनो कार्य हृदयसँ करू, ओ ईश्वरकेँ मंजूर होइत छन्हि।

ध्यान देबैक जे हरेक कार्यमे विघ्न यानि परीक्षा होइत छैक।

यदि भीतर ईश्वर अतिरिक्त कोनो प्रकारक स्वार्थ, लोभ, लालच, काम, क्रोध, मोह, आदि छूपल रहत तऽ अहाँक असफलता आ हार निश्चित अछि।

जनताकेँ जनार्दन मानल जाइत छैक, यदि जनता संग कतहु धोखेबाजी आ ठगी करबाक नियति सँ आइ-काल्हिक राजनेता समान मात्र अपन क्षूद्र भावनाक संतुष्टि (sense gratification) लेल आतूर रहब तँ नहि सिर्फ हारब, बल्कि सजायके भागी सेहो बनब।

ताहि हेतु:

जे बाजू से करबे टा करू!

सत्य आ ईमान सँ कथमपि नहि डिगू!

आपसी प्रेम आ सौहार्द्र सदिखन बनल रहय!

तुच्छता कहियो नहि अपनाउ आ कर्मसँ महान बनि देखाउ!

सब किछु ईश्वरकेँ समर्पित करैत हुनके मे आस्था रखैत करू, जोड-घटाव-गुणा-भाग सब हुनकहि लेल छोडू!

हरि: हर:!!

एक सऽ सदैव बचू: जेकर कथनी आ करणीमे फरक हो!!

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मैथिली: मैथिली सिखबाक लेल मोडेल ६० वाक्य!

हिन्दी: मैथिली सीखने के लिये ६० मोडेल वाक्य!

अंग्रेजी: 60 Model sentences for learning Maithili!

३१. “माँ! हमर विद्यालयमे मैथिली या हिन्दीमे बात केनाय प्रतिबंधित अछि, किऐक तऽ ई एक अंग्रेजी माध्यममे चलयवाला विद्यालय छी आ सबकेँ अंग्रेजीमे बात करब सिखबा लेल ई बाध्यता छैक जे सब कियो अंग्रेजी टा व्यवहार करय।” बेटी अपन माय सँ कहलक।

“माँ! हमारे विद्यालयमें मैथिली या हिन्दीमें बातचीत करना प्रतिबंधित है, क्योंकि ये तो एक अंग्रेजी माध्यममें चलनेवाला विद्यालय है और सबको अंग्रेजीमें बात करना सीखनेके लिये बाध्यता है कि सभी लोग अंग्रेजी सिर्फ व्यवहार करें।” बेटी ने अपनी माँ कही।

“Mom! Conversation in Maithili or Hindi is banned in our school, as it is an English medium school and everyone has to learn to speak in English, thus it is must for all to use only English.” said daughter to her mother.

३२. “ठीक छैक! मुदा विद्यालयसँ बाहर सदिखन अपनहि मातृभाषाकेर प्रयोगकेँ प्रश्रय देल करे, विद्यालयमे जखन कोनो पठन-पाठन करबाक रहौक आ कोनो कठिन बात बुझबाक बेर रहौक तखन मातृभाषा बुझे जे सब सँ बेसी सहज माध्यम होइत छैक बुझबाक लेल।” माय बेटीकेँ बुझेलखीन।

“ठीक है! पर विद्यालयसे बाहर हमेशा अपनी मातृभाषाका प्रयोगको प्रश्रय दिया करो, विद्यालयमें जब किसी पठन-पाठन करना रहे और कोई कठिन बात समझनेका समय हो तो मातृभाषा समझो कि सबसे ज्यादा सहज माध्यम होता है समझने के लिये।” माँ बेटीको समझाई।

“It’s alright! But do use your native language outside school mostly, while learning your syllabus in school or even while understanding difficult courses, it is easy to understand in native language alone.” convinced mother to daughter.

३३. “कि हमरा लोकनिक कक्षाक पुस्तक मैथिलीमे उपलब्ध छैक?” बेटी मायसँ जिज्ञासा केलक।

“क्या हमलोगोंकी कक्षाका पुस्तक मैथिलीमें उपलब्ध है?” बेटीने माँसे जिज्ञासा की।

“Are our courses books available in Maithili?” daughter queried with mother.

३४. “नहि बेटी! जखन सरकार मिथिला के रहैत तखन एहि दिशामे जरुर सोचैत लेकिन मैथिल तऽ माने जे आइ परतंत्रताके शिकार बनि गेल अछि, ताहि लेल शिक्षाक माध्यम सर्वोच्च न्यायालयकेर फैसला आ देशक संविधान अनुरूप करेबा लेल आदेशक बावजूद नहि करायल जाइत छैक।” माय बेटीकेँ फेरो ओकर जिज्ञासा अनुकूल आवश्यक जानकारी उपलब्ध करेलखिन।

“नहीं बेटी! जब सरकार मिथिला का होता तो इस दिशामें जरुर सोचता लेकिन मैथिल तो मानो कि आज परतंत्रताका शिकार बना हुआ है, इसीलिये शिक्षाका माध्यम सर्वोच्च न्यायालयके फैसले और देशका संविधान अनुसार करानेका आदेशके होते हुए भी नहीं कराया जाता है।” माँ बेटीको फिर उसके जिज्ञासाके अनुकूल उचित जानकारी उपलब्ध कराई।

“Nope daughter! Had there been the government of Mithila, they could have surely thought of doing that but Maithils are victim of dependency today, that is why the medium of education is not operated in Maithili despite the orders of Honorable Supreme Court as well as constitutional provisions.” mother again addressed needful to the queries of daughter.

३५. “हे भगवान्! यानि हम मिथिलावासी परतंत्र छी?” बेटी उदास होइत अपन हृदयक प्रश्न फेर मायकेर समक्ष राखि देलीह।

“हे भगवान्! यानि हम मिथिलावासी आज भी परतंत्र हैं?” बेटी उदास होते हुइ अपने हृदयका प्रश्न फिरसे माँ के पास रख दी।

“Oh my God! That means we the resident of Mithila are dependent even today?” becoming sad, daughter put the question of her heart to mother again.

एहिसँ पूर्वक वाक्य आ टास्क/कार्यक स्वरूप लेल निम्न लिंक पर जाउ

इससे पहलेका वाक्य और टास्क/कार्योंका स्वरूपके लिये नीचे लिंक पर जायें

To see the sentences before these (above ones) and the working structures, please follow the below link.

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Harih Harah!!

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२८ सितम्बर २०१३

राजीव गाँधी आ हमर स्मृति

३१ अक्टुबर, १९८४ ई. तात्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गाँधीकेँ अपनहि अंगरक्षक द्वारा गोलीसँ छलनी केला उपरान्त समूचा देशमे एक अजीब सनसनाहट छल। हम सब मिडिल स्कूलके अन्तिम कक्षा यानि आठवाँक छात्र रही, ताहि जमानामे रेडियो छोडि अन्य दोसर कोनो समाचार सुनबाक आ देश-विदेशक स्थितिसँ अवगत होयबाक चारा नहि छल। नहि फोन, नहि आजुक समान विकसित मिडिया…. तदापि लोकमे आक्रोश छल जे आखिर किछुए वर्ष पूर्व तक देशकेँ एक बेर फेर धर्मक नामपर टुकडा करबाक माँग करनिहार अपन हर तरहक उत्पात केलासँ जखन थाकि गेल आ आपरेशन ब्ल्यु स्टार द्वारा कट्टरपंथी खालसा उग्रपंथकेर घेर लेल गेल – ओकर हार भेल, शायद ताहि रोशमे श्रीमती गाँधीक अपन निजी अंगरक्षक बीच जे दुइ जन सिख समुदाय केर छलाह (बेअंत आ सत्यवंत) तिनका सबमे एक प्रकारक वहम बनि गेल जे श्रीमती गाँधी सिख धर्म विरुद्ध ओहेन कार्रबाई करबौली, तात्कालीन रिबेरो समान कडा पूलिस अधिकारीक देखरेखमे आपरेशन ब्ल्यु स्टार करबौली… खैर प्रतिक्रिया स्वरूप श्रीमती गाँधीक हत्या कैल जा चुकल छल आ आब पायलट राजीव गाँधीकेँ गद्दीपर आरोहण करेबाक विचार ताहि समयक भारतीय काँग्रेस पार्टी कयलक आ राजीव गाँधीक रेडियो पर राष्ट्रकेर नाम संबोधन भेल – ओहि संबोधनके हमर ओ बचपनवाला कान कोना सुनने छल – स्मृतिसँ:

जैसे एक बडे पेड के गिर जाने से धरती नहीं हिला करतीं वैसे मेरी माँ इन्दिराजी का हमें इस तरह छोडकर जाने से हिलना नहीं है, वक्त है संयम रखनेका….

ई पंक्ति हमरा हृदय केँ छूने छल, हम एक काँग्रेस समर्थक नहियो रहैत कोनो अविस्मरणीय शब्दकेँ अपन मन-मस्तिष्कमे ओहिना राखैत छी, राखय चाहैत छी जेना मिथिलाक एक – एक गुण आ चरित्र!

हरि: हर:!!

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भारतीय काँग्रेस पार्टी

हम भले काँग्रेस पार्टीक समर्थक नहि होइ, लेकिन पार्टी रूपमे भारतक स्वतंत्रता आ भारतक निर्माण सहित अनेको तरहक विधि निर्वाहक कार्यमे एहि राजनीतिक दलकेर महत्त्व नहि नकारल जा सकैत छैक।

निस्संदेह, प्रजातंत्र बलगर तखने भऽ सकैत छैक जखन राज्य सत्ताक बागडोर विरोधी पक्षक हाथमे सेहो बराबर रूपमे जाइक। लेकिन तेना भारतमे नहि होइत छैक। एहि लेल विरोधी आइ धरि अपन पैर नहि जमा सकलैक। भाजपा यदि अन्त-अन्तमे ठाड्हो भेलैक तऽ एकर हिन्दुत्व एजेन्डाक चलते सीमा-बन्हन सीमित क्षेत्र तक मात्र प्रसार भऽ सकलैक।

किछु तऽ कारण हेतैक जे भारत सन विशाल गणतंत्रमे, सबसँ बेसी पैघ संविधानक मालिक आ संविधान द्वारा शासित समाजवादी प्रजातांत्रिक गणतंत्रमे आखिर विरोधी पक्ष किऐक मजबूत नहि भेलैक।

२०१४ मे मोदी-प्रभाव नकारल नहि जा सकैत अछि, बल छैक सुशासन, विकास आ मानवताक प्रसार।

लेकिन देश मे कोनो दल आगू आबय, कृपया भ्रष्टाचार सहित आरक्षणक आधार जातिवादिता वा धर्म नहि बनय आ असल धर्म-निरपेक्षताक शासन कायम हो, समान नागरिक अधिकार लागू हो, हर क्षेत्रक प्रतिनिधि द्वारा न्युनतम कार्य करबाक प्रथा शुरु कैल जाय आ भारतीय दर्शन मूल्य केर पुनर्स्थापना जरुर हो, मिथिला राज्य के निर्माण जरुर हो।

हरि: हर:!!

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मिथिला ग्रामीण जागरण यात्रा – ३

दहेज मुक्त मिथिला निर्माणार्थ आ सौराठ सभागाछीकेँ पुनरुत्थानक उद्देश्यसँ आइ दू वर्षसँ विभिन्न गामक यात्रा कैल जा रहल अछि, यात्राक उद्देश्य:

* लोकमानसमे मिथिलाक विशुद्ध परंपरा केर निर्वहन लेल संदेश आदान-प्रदान

* माँगरूपी दहेजक व्यवहार बंद करबाक आह्वान

* सौराठ सभागाछीक पुनरुत्थान सहित अधिकार निर्णय, सिद्धान्त लेखन व पंजी व्यवस्थापनकेर संरक्षण संग स्वस्थ वैवाहिक संबंध निर्माण लेल पारंपरिक एकजुटताक पुन: जागरण

एहि बेरुक प्रस्तावित यात्रा जे कुल ५० गाममे होयत, उपरोक्त महत्त्वपूर्ण बुंदा संग निम्न विन्दुपर सेहो प्रचार-प्रसार करबाक योजना:

* मिथिला राज्य बिना मिथिलाक अस्मिताक संरक्षण संभव नहि, एकरा आत्मसात करैत गाम-गाम जे विकास समितिक मोडेल २०११ मे बनल छल तेकरा ऊपर कार्य प्रारंभ करौनाइ।

* मिथिला क्षेत्रमे भोजभात, बाराती-स्वागत, विवाह, उपनयन आदिक अवसरपर फिजूलखर्ची बन्द करैत बदलामे सामाजिक विकासक डा. सुमनकान्त झा (रसियारी) अवधारणा पर कार्य प्रारंभ करबाक आह्वान।

* मिथिला राज्य लेल आन्दोलनीमे एकता करैत कार्य करबाक आ सब जातिय समूह निर्माण करबाक मोदाराम परिकल्पना पर कार्य करौनाइ।

यात्राक प्रारंभ: दरभंगाक ग्रामीण क्षेत्र गलमा सँ प्रारंभ करैत, हरद्वार, पुनहद, नरमा, कोर्थु, कसरर, लोहार, हाटी, हिरनी, हरिपुर होइत रोसडा, बखरी होइत खगडिया जिलाक विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रमे अभियान संचालन।

आयोजक: दहेज मुक्त मिथिला, मिथिला राज्य संयुक्त संघर्ष समिति, ग्रामीण विकास स्वस्फूर्त स्वयंसेवी संघ एवं अन्तर्राष्ट्रीय मैथिल परिषद्।

हरि: हर:!!

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अमर शहीद भगत सिंह को स्मृतिमें लाते हुए, मेरे दो शब्द सारे भारतीयोंके लिये!

मिडिया या कोई भला हिन्दू विरोधी क्यों बनने लगे और बनकर अपने जीवनको क्यों अपने ही हाथ से लूटने लगे….. लेकिन ये कलियुग है, सारे लोग एकमात्र ईश्वर यानि “पैसा पहलवान” को भगवान् मानकर रावणी अहंकार जैसी आहें भरते हैं। हिन्दुस्तानका वर्तमान अपनी ही ऊँची संस्कृतिको नीचे दिखाते हुए आध्यात्म से दूर और भौतिकवादी पाश्चात्य संस्कृतिके लुभावनी प्रेयसी-बाँहोंके आगोशमें फँस गयी है…. यह कुछ ऐसा ही मानो जैसे विश्वामित्रको अपने अटलपथसे डिगानेके लिये इन्द्रलोक से मेनका आयीं और फिर राजर्षिसे ब्रह्मर्षिपर दावी देनेवाले विश्वामित्र भी मेनकाकी बाँहोंमें झूलने के लिये कभी मचल उठे थे। यदि तुम्हें अपनी संस्कृतिसे इतना ही प्रेम है तो छोडो इन मिडियाकी कूत्तेसी भौंक और झल्लाहटको और थामो अपने पूर्वज ऋषि-मुनि निर्दिष्ट राहोंको, पकड लो आध्यात्मकी पगडंडी और बना डालो फिर से भारत को विश्वगुरु। लेकिन भूलना नहीं, इस तरहके प्रयास के लिये तुम्हें जानना जरुरी है अपने ही भूले इतिहासोंको! गुलामीकी बातें तो तुम पढ रहे हो, पर अपने यहाँ मौजूद वेद-उपनिषद् और पुराणादिसे निकले सारतत्त्व गीता पढनेकी तुम्हारी रुचि तक नहीं, तुम खुद हँसते हो और अपने ही मूल संस्कृत एवं संस्कृतिसे दूर भागते हुए केवल झल्लाहट-बौखाहट झारते हो। खुद की भ्रष्टाचारीको त्याग करो। दुनिया सही दिखेगा। पश्चिम तुम्हारे वेदकी बातोंपर मात्र कान धरकर आज नासा सहित कितने मिशन चलाकर सृजनशील बने हुए हैं, और तुम तो बस उनके छोडे परिधानोंमें खुदको देखकर आइना देखकर बाहर हिरोपनी झारने निकल जा रहे हो। बंद करो यह मिथ्याचार। बनो असली भारतीय! शुभकामना है।

हरि: हर:!!

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संसारमे सेहो प्राप्ति लेल सुन्दर-सौम्य संस्कार मात्र पैघ चरित्र आ व्यक्तित्व निर्माण करैत अछि।

लता मंगेशकर जिनका स्वर सम्राज्ञी कही तऽ कोनो अतिश्योक्ति नहि, हुनकर शील आ मृदु स्वभावसँ परिचित आ प्रभावित होइत बेर-बेर हिनक चरण वन्दना करैत छी आ अवश्य एहेन महान नायिका केर जन्मदिनक शुभ अवसर पर हिनक दीर्घायू होयबाक कामना व ईश्वर संग प्रार्थना सेहो करैत छी।

या देवि सर्वभूतेषु विद्यारूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

हरि: हर:!!

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२७ सितम्बर २०१३

राठ सभा दिल्लीमे चाही, एहि पर हमर मित्र आ मैथिली सेवा समिति, विराटनगरकेर सचिव श्री अजित झा लिखैत छथि:

“सौराठ सभा चाही” रचनाकार : अजित झा,2070/06/11, 5:20pm

दिल्ली मे सौराठ सभा होबाक चाही
दहेज पेर अंकुश लगबाक चाही
शिक्षित आ अशिक्षित सब दूलहाके
आइ एहेन बात बजबाक चाही

धिक्कार अछि ओहि माता-पिता पर जे दहेज मँगैअ
पुत्र पुत्री दुनु के जन्म द् एकरा खरिद-बिक्री मे लगैअ
प्रेम के बदला मे पाए मँगैअ

सौराठ सन ऐतिहासिक सभा सँ
बहुत किछु सिखबाक चाही
हमर बाबा दादा मूर्ख रहितो
विद्वताक परिचय देलक
मुदा आइ पढलहवा सब
नाम बुरौलक, धर्म डुबौलक,
दहेज के रुपे सोन चाही, चानी चाही, रुपैया चाही,
सारा सुखक समान चाही
वाह रे दहेज! केकरो नहि बेटी चाही
केकरो नहि पुतोहु चाही
केकरो नहि बहिन चाही
वाह रे दहेज सब के रुपैए टा चाही
तहिला हमरा दिल्ली मे मात्र नहि
हरेक गाउँ मे सौराठ सभा चाही
तहिला हमरा दिल्ली मे मात्र नहि
हरेक गाउँ मे सौराठ सभा चाही

(उपरोक्त रचनामे थोडेक संपादन हमरा द्वारा)

हरि: हर:!!

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मिथिला राज्य लेल कैल जा रहल प्रयास अपन अन्तिम यात्रा पर अछि,

मिथिला राज्य संयुक्त संघर्ष समिति आधिकारिक रूपमे एकरा जनमानस तक लऽ जा रहल छथि,

जतेक भी मंच अलग-अलग कार्य कय रहल छी, ओ सब एकठाम जुडैत शक्तिपूंज निर्माण करैत संयुक्त प्रयास करी,

आगामी किछु दिवसमे सबकेँ जोडबाक लेल एक विधान निर्माण हो,

कोष कथमपि माँगिके पूरा नहि भऽ सकैत छैक, एहि लेल स्वेच्छिक दानकेर व्यवस्था हो,

मिथिला निर्माण हो नहि तऽ मैथिलक पहिचानकेँ इतिहासमे समेटल बुझल जाय।

हरि: हर:!!

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मिथिलाक तेली

तेली लेल लिखल गेल किछु पाँति, सबहक आत्मसम्मान अपन घरैया लूरि संग जुडल छैक, हमरा बहुत नीक लागल। एखन तुरन्ते हमरा संग जुडल एक मित्र Shashi Shah केर वालसँ, हलाँकि मिथिलाक तेली एना हिन्दीमे डायलाग नहि दैत छैक, ताहि हेतु हम एकरा एहिठाम अनुवाद करैत लिखय लेल चाहब।

के कहैत अछि बेकार होइछ तेली?
सबसँ दिलदार आ दमदार होइछ तेली!
रणभूमि मे सबसँ तेज तलवार होइछ तेली,
नहि जानि कतेको के जान होइछ तेली,
सच्चे प्रेम पर कुर्बान होइछ तेली,
यारी करब तँ यारो सबके यार होइछ तेली,
दुश्मन लेल तूफ़ान होइछ तेली,
तखनहि तँ दुनिया कहैत छैक – बाप-रे-बाप – बड खतरनाक होइछ तेली!! 

हरि: हर:!!

पुनश्च: समाजमे सब लेल एक विशेष भूमिका तय कैल गेल छैक। सबहक सबकेँ जरुरत छैक। आत्मसम्मान लेल सब किछु नीक, लेकिन सामाजिक सौहार्द्र लेल सबहक आत्मसम्मानकेँ स्वागत करब जरुरी। सब मिलियेकऽ रहू, कल्याण होयत।

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जर जतेक तूँ जरमे

जर जर तूँ जरे हरासंखा, मिथिला देखिके जरमे जतेक
कतबू हँटेमे भाइ-भाइके, जातिक झगडा बझेमे कतेक

जर जर तूँ जरे मगहिया, मैथिली देखिके जरमे जतेक
कतबू मारमे ईथर हिन्दी, मीठ रस तू छिनमे कतेक

जर जर तूँ जरे घरहिया, देक्सी दाह मे जरमे जतेक
बारीक पटुआ तीत बुझि तूँ, दारू विदेशिया पिमे कतेक

जर जर तूँ जरे बिलइया, मियाउँ मियाउँ तू जरमे जतेक
मिथिला माछ बिलइये गेलौ, अंधराक बले भूकमे कतेक

जर जर तूँ जरे रे ढोलिया, अंग्रेजी बाजा पिटमे जतेक
अपन पुरनका ढोले पिपही, धून नबका तू गेमे कतेक

जर जर तूँ जर रे विदेशिया, विद्यादेखि तूँ जरमे जतेक
एक सऽ एक विद्वान् भेल छै, ज्ञान हमर तूँ हरमे कतेक

निरन्तरतामे….

किछु पाँति अपनो लोकनिकेँ जोरय लेल निवेदन सहित…..

हरि: हर:!!

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प्रसन्नता भेल ई जानि जे निम्न प्रश्न सभक जवाब सम्बन्धित विभाग द्वारा देल गेल अछि आ श्री कमलेश मिश्र, मिथिला राज्य निर्माण सेना आरटीआइ एक्सपर्ट आइ संध्याकाल धरि प्रकाशित करता। वर्तमानमे मिथिला राज्य निर्माण यात्रा -३ मे व्यस्त छथि, ताहि चलते पहिले प्रकाशित करबा लेल समय नहि भेटलनि। यात्रा लेल शुभकामना हमरो तरफसँ आ अपनो लोकनि सँ निवेदन जे शुभकामना संग सहयोग प्रदान करैत पुण्यकार्यकेँ सफल बनेबा दिशि ध्यान दी। विशेष शुभ हो!!

हरि: हर:!!

Kamlesh Mishra Pankaj Jha Pankaj Prasoon Pankaj Raja Arabind Jha Arbind Kumar Choudhary Sanjay Mishra Ganesh Maithil Abhineet Shandilya Kandarp Lalkaka

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सौराठ सभामे पंजिकार पंडित विश्वमोहन चन्द्र मिश्र संग मधुबनी जिलाधीश संजीब हंस आ आरक्षी अधीक्षक सौरव कुमार जी जानकारी ग्रहण करैत एहि परंपरासँ काफी प्रभावित भेलाह आ बादमे एसपी कुमार केर एक अत्यन्त मूल्यवान संबोधन भेल छल:

एक चिडिया होती है स्काइलार्क जो काफी ऊँची उडान भरती है पर निगाहें सदा नीचे धरती जहाँ उसका जड है वहीं होता है। मैथिल ब्राह्मणोंका यह परंपरा इतना मूल्यवान है जिसका गान शब्दोंमें संभव नहीं है, परन्तु आज ये इतने ऊँचे उडने लगे हैं कि अपने जडको ही भूल रहे हैं, इन्हें स्काइलार्क की उस अनोखी अदा से कुछ सीख लेना होगा।

हरि: हर:!!

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२५ सितम्बर २०१३

मिथिला माय करैथ पुकार

बेटा! जागु बनू होशियार!
दुश्मन के करू खबरदार!

दोसर भावे जड़ैछ अहाँ सँ,
हुनको संग करू मृदु व्यवहार।

स्वयंमे जे अछि कायर-घोर,
माइर भगाबू कर्महि धार।

दूर भगाबू दहेजक कू-रीति,
मानू बेटीकेँ सुन्दर नाज।

मातृ ऋण सँ ऊऋण बनू,
करू जगत्‌ में सुन्दर काज।

मिथिला सदिखन उपमा बनल,
आइयो चलू उच्च संस्कार।

राखू लाज माय केर आबो,
एकत्रित बनि राखू ताज।
लाबू अपन मिथिला राज!
मिथिला राज मिथिला राज!!

मिथिला माय करैथ पुकार!

हरिः हरः!

(पूर्वक रचनाकेँ संशोधन करैत फेरसँ प्रस्तुत)।

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एहि लिंकपर दहेज मुक्त मिथिलाक संस्थापन समय देल गेल हरेक योगदानक सुस्पष्ट उल्लेख अछि। एकर अतिरिक्त यदि कियो कतहु कोनो तरहक योगदान देने छी तेकर जिम्मेवारी संस्था नहि अछि आ अपना मोने कतहु खरखांही लूटबाक कार्यकेँ दमुमि भर्त्सना करैत अछि। मात्र गपबाजी केला सऽ संस्थापक सदस्य कियो नहि बनैत छैक। एहि लेल त्याग करबाक आ योगदान देबाक जरुरति होइत छैक। हम नाम नहि लेबय लेल चाहब, लेकिन एक व्यक्ति जिनका ५ वर्ष सऽ तऽ हमहीं देख रहल छी जे सब दिन दोसरक काजपर टीका-टिप्पणी टा कयलन्हि अछि आ कतहु पूछ नहि भेलापर बेर-बेर घोसियाइ लेल औता आ फेर बीखपाद छोडि चलि देता। दहेज मुक्त मिथिला सँ जुडल सबहक योगदान नीक जेकाँ डायरी, रजिस्टर आ डिजिटल फार्मके संग-संग अनलाइन सुरक्षित अछि। यहाँ न लागे राउर माया – प्रवीण संग जुडल कोनो भी संघ-संस्था-समूह पर अनावश्यक टिप्पणी सँ ताबत धरि बचू जाबत सही मे कतहु आहत भेल होइ आ हम या हमरा सबहक समितिक एको गो समर्पित सदस्य कोनो तरहक गलती केने होइथ। गलती भेल कि दोसर दिन प्रवीण स्वतंत्र उडैत पंछीरूपमे भेटत।

हरि: हर:!!

सहयोग देनिहारके सूची निम्न लिंकपर:

https://www.facebook.com/groups/dahejmuktmithila/doc/446911958652874/

(दू वर्ष यानि २०१२-१३ आ रनिंग वर्षक विवरण नहि देल गेल अछि। जतेक जे खर्च अछि से मात्र आ मात्र सदस्य द्वारा निर्वाह कैल जा रहल अछि।)

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मैथिली: मैथिली सिखबाक लेल मोडेल ६० वाक्य!

हिन्दी: मैथिली सीखने के लिये ६० मोडेल वाक्य!

अंग्रेजी: 60 Model sentences for learning Maithili!

२६. “चलू बहिन! हम अहाँकेँ अपनहि सँ आइ विद्यालय पहुँचा अबैत छी।” भाइ बहिन सँ कहलैन।

“चलो बहन! हम आज खुद तुमको विद्यालय पहुँचा आते हैं।” भाई ने बहनसे कहा।

“Come on sister! Today I will myself take you to school.” brother said to sister.

२७. “नहि भैया! हमर संगी सब आबि रहल अछि, हमरा लोकनि सब दिन मिलि-जुलि विद्यालय जाइत छी। अहाँ शहरसँ आपस अयलहुँ अछि, आराम करू, संगी सभ संग भेटघाँट करू।” बहिन जबाब देलीह।

“नहीं भैया! मेरे साथी लोग आ रहे हैं, हमलोग सभी दिन मिलजुलकर विद्यालय जाते हैं। आप शहरसे वापस आये हैं, आराम करिये, अपने साथियोंसे मिलिये-जुलिये।” बहन जबाब दी।

“No brother! My friends are coming, we always go school together. You have returned from city, just relax, do meet your friends.” sister replied.

२८. “कि हमरा अहाँक संगी सभ संग परिचय नहि करायब?” भाइ जिज्ञासा कयलैन।

“क्यों? मुझे तुम्हारे साथियोंके साथ परिचय नहीं कराओगी?” भाईने जिज्ञासा किया।

“Why? Won’t you introduce your friends to me?” brother queried.

२९. “अच्छा! तऽ अहाँ हमर संगी सभ संग परिचय लेल हमरा विद्यालय छोडय चलब?” बहिन इशारा करैत मुस्कुरैत छथि।

“अच्छा! तो आप मेरे साथियोंसे परिचय करने मुझे विद्यालय छोडने चलेंगे?” बहन इशारे करती मुस्कुराती है।

“Okay! So you wanna take me to schools to get introduced with my friends, don’t you?” Sister signalled with smiles.

३०. “नहि! नहि! तेहेन कोनो बात नहि छैक। परिचय ततेक जरुरी नहि। बस इच्छा भेल जे देखी अहाँक संगी सब केहेन-केहेन छथि, कतेक होशियैर सब छथि।” भाइ हँसैत बहिनक इशाराकेँ जबाबमे ईशारे सँ हामी भरैत छथि।

“ना! ना! वैसी कोई बात नहीं है। परिचय उतना जरुरी नहीं। बस इच्छा हुआ कि देखूँ तुम्हारे साथी लोग कैसी-कैसी हैं, कितनी होशियार सब हैं।” भाई हँसते हुए बहनके इशारेका जबाबमें हामी भरता है।

“Nope! Nothing like that! Introduction is not that important. Simply wished to see how your friends are, how efficient they are.” smiled brother and agreed to the signal given by sister.

एहिसँ पूर्वक वाक्य आ टास्क/कार्यक स्वरूप लेल निम्न लिंक पर जाउ

इससे पहलेका वाक्य और टास्क/कार्योंका स्वरूपके लिये नीचे लिंक पर जायें

To see the sentences before these (above ones) and the working structures, please follow the below link.

https://www.facebook.com/PravinakFacebukiyaMaithiliCoachingCenter

Harih Harah!!

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प्रसंगके शीर्षक छैक फटकार…. लोक जखन आक्रोशित होइत अछि तऽ एक सय तरहक अवाच कथा बजैत अछि…. आक्रोश होयब मानवीय स्वभावमे पडैत छैक आ शास्त्रवचन अनुरूप ओकरहि दोषी मानल जाइत छैक। अपने लोकनि – जिनका ऊपरका आक्रोशक असर अपना पर पडैत बुझा रहल हो, कृपया कारण तकैत दोषी हमरा मानी जे वर्दाश्त नहि भेल तऽ आक्रोशित होइत किछु अवाच कथा लिखि देने छी। कोनो एक लेल नहि वरन् ओहि समस्त “अटेन्शन-सीकर” लेल ई ठोकि के लिखल अछि जे मात्र गप-गफ-गप्फामे समय चौपट करैत काजो करनिहारके लम्फ-लम्फइ आ चम्फ-चम्फइमे मोडि रहल छियैन। उदाहरण देब, काल्हि एगोटे कहला जे मो. सन्नी शर्त रखलक अछि जे ई एना होयत तखनहि ओ ओना होयत…. आदि-आदि…. हम मो. सन्नीके सरेआम अटेन्शन-सीकर वर्गमे वर्गीकृत केने छी आ ओहेन अवंड सऽ यदि एगो खरो उसकेबाक कार्य मिथिला राज्य निर्माण विषय लेल भऽ जायत तहिये हमर सूचीमे कोनो सुधारक गुंजाईश बनत। कहबाक तात्पर्य छैक जे यदि तोरा बूत्ते किछु कैल पार नहि लगतौक तऽ तों बेकार हमर समय खेबाक लेल कथी लेल अबैत छेँ। दूर हँट!! जीवनक पल बहुत सीमित छैक। कीडा-मकोडा संग सट-सट खेलेबें तऽ लस्सा लगतौ आ लसैर पसरतौ। सावधान!! ई पोस्ट सावधानी लेल ओहि कर्मठ वीरपुत्र मैथिल लोकनि अपन सही दिशामे डेग बढबैत रहैथ। बूरि-बानुरक संग लेबाक लेल आतुर नहि बनैथ।

एक बात आरो कहब – ऊपरका संदेश “फटकार प्रसंग”मे एक सत्यक आइना यैह देखायल छैक जे ओ समस्त अभियान जे त्यागपूर्ण कीर्तिक न्याउपर निर्मित छैक ओ सनातनकालीन सत्य सूरज समान चमकैत रहतैक। विशेष शुभम् अस्तु!

हरि: हर:!!

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माय माँगैथ खून

(Composed on day when took oath for working on Mithila’s statehood on 19th November, 2011.)

जखन खून हेतैक विश्वास के,
जखन अपमान होयत मायकेर अस्मिताके,
जखन लूटत केओ स्वाभिमान के,
तखन माय के आँखि सँ ज्वाला निकलय,
आह्वान करय सभ पुत्र सँ,
जागे बेटा आब जुनि रहे सुतल,
उठा हाथ में सत्यके हथियार,
बचा मान तों माय के,
हमलावर के कर पहचान,
राख स्मिता निज-भूमि के,
बहुत भेलहु रखलें बन्धक तों,
मायके लहठी ओ चूड़ी,
आबो ला एकरा तों वापस,
पटना के बेईमान से,
जुनि बिगड़े अपन इच्छा सँ,
नून-तेल में कय ले गुजर,
कोनो जरुरी नहि छौ तोरा,
पटना-मगध-भोजपुर मजबूर,
अपनहि धरती सोना उपजय,
बनो अपन सुन्दर भरपूर,
आब बिहार के माया छोड़े,
बनो मिथिला राज के पुर,
कर सभ नाका बन्द ओकर जे,
मानय नहि छौ बात,
चलो प्रशासन अपनहि अपन,
छोड़ हेहर के बाट,
बन्द करे सभ मौगापन,
बुझ पहचान के असली मोल,
पूर्वाग्रही पड़ोसी सभ छौ,
कर ने एकर आगू विश्वास,
तोरे संपदा सऽ बनल व्यापक,
तोरहि सभ पर करे ओ राज,
एहेन राज के जंजीड़ तोड़े,
बचो माय के आबो लाज,
एहि लेल बहो आब रक्तके धार,
मिथिला माय मनतौ आभार,
बेर-बेर हमर क्रन्दन सुन,
माँगय माय आब तोहर खून।

हरिः हरः!

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२४ सितम्बर २०१३

गीत

देर-सबेर सब जगबे करतय, मिथिला माईक हेतय उद्धार
राइत अन्हरिया कटबे करतय, उगतय सूरज एतय बहार

पिछडल महिलो पवनी बहन्ने, आबि गेल छय रणमे आब
कचिया खापैर हाथमे लेतय, झोंटो तानि के देतय जबाब
देखा देतय कोना मैथिली सेहो बध करैत सहस्रार्जुन सम रार!
राइत अन्हरिया…..

बाबा पोता बीच के खधिया, भरतय बाप-काका होशियार
पासटर फेरो मासटर बनतय, शिक्षा फेरो मिथिलहि धार
फेरो बनतय गौतम-गार्गी होऽऽ, याज्ञवल्क्य मंडन सम तार
राइत अन्हरिया…..

बेटी बहिन सब बैसी सोचय, करमे बहिना केहेन श्रृंगार
घरोक नहि न घाटक बहिना, बिन मुक्ति बस छूछ बहार
जाइग भगेतय पूँजी अपव्यय होऽऽ…२ करतय मिलिके भोज ऊबार
राइत अन्हरिया….

मिलहक बाबु भैया बहिनिया, तखनहि बनतह अपन राज
फेर उतरथिन मैथिली सिया, लागि जेतय नैया ओहि पार
औथिन राम रावण केँ हनथिन होऽऽ…२ हेतय मिथिलाके उद्धार
राइत अन्हरिया…..

हरि: हर:!!

(एहि गीतमे अपन विगतकेर दू प्रमुख कार्यक्रममे देखल सच्चाइ स्थितिक आधारपर आ राखल गेल समृति रचना अछि। जितिया समारोहमे ४०० के जगह ४००० महिलाक उपस्थिति आ तहिना बाबाक जमानाक बात कोना पोताक जमानामे विस्मृति भऽ रहल अछि कतेको प्रकारक जागृतिमूलक अन्तर्क्रियाक आवश्यकता अछि, तहिना महिलावर्गमे आधुनिकताक श्रृंगार केना हावी अछि आ तेकरा प्रतिकार करबाक लेल कोना फेर सऽ मैथिली बेटी-बहिन तैयार हेती से परिकल्पनाक आधारपर राखल गेल अछि।) 

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मिथिला राज्य संयुक्त संघर्ष समितिमे मिथिला राज्य लेल अनवरत रूपमे कार्य करनिहार दूहो प्रमुख संस्था मिथिला राज्य संघर्ष समिति १९८५ ई. सँ आ अखिल भारतीय मिथिला राज्य संघर्ष समिति १९९५ ई. केर बादसँ आन्दोलन करनिहार एक मंच पर आयल छथि। एकर अतिरिक्त तेसरमे आब मिथिला राज्य निर्माण सेना जे युवाकेन्द्रित आ हालहि गठित संस्था सेहो मिथिला राज्य लेल संघर्षरत छथि, हमरा प्रयासे हिनको सबकेँ सहयोग रहबाक छल लेकिन से नहि भऽ सकल जाहि कारणे हम एकर नेतृत्ववर्गसँ अपनाकेँ स्वतंत्र करबा लेल मजबूर भेलहुँ। हलाँकि मैथिलक कोनो संस्थाकेँ संयुक्त करब कठिन छैक, तथापि ई प्रयास थिकैक जे चलबाके चाही नहि तऽ आन्दोलन बस ढोंग बनि के रहि जेतैक, जाहि लेल मिथिलावासी आब केकरो क्षमा नहि कय सकैत अछि। बहुत देरी पहिले भऽ चुकल छैक।

हरि: हर:!!

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आदरणीय महोदय,

सादर प्रणाम!

अपनेक परिचय श्री किसलय कृष्ण देलनि आ पत्रिका मिथिला दर्शनक सेहो दर्शन करबैत बहुतो रास रोचक विषयपर लेख-रचना सब पढबाक अवसर प्रदान केलनि। हमरो इच्छा अछि जे हम एहि पत्रिकाक निरंतर ग्राहक बनी, यदि एकर कोनो अनलाइन वर्सन हो तेकरो किछु जानकारी चाही, कारण बहुत रास लेख-रचना सबहक लिंक दैत अपन प्रतिक्रियाक संग सोशियल नेटवर्क पर मौजूद आरो कतेको मैथिलक ध्यानाकर्षण करबैत समयक सदुपयोग करबाक प्रबल इच्छा रखैत छी हम।

अपन फेसबुक मित्रक सूची मे स्थान दय कृपा वर्षा हेतु हृदयसँ धन्यवाद। एहि पत्रिकामे रचना आदि पठेबाक लेल कोन इमेल प्रयोग करी सेहो जानकारी लेल करबद्ध एवं विनम्रतापूर्वक अनुरोध करैत छी।

अपनेक विश्वासी,

प्रवीण नारायण चौधरी
महासचिव, मैथिली सेवा समिति,
कार्यालय: मिश्रा कुञ्ज, डा. मिश्रा क्लिनीककेर पाछू,
विराटनगर, नेपाल।
वाया: पत्रालय – जोगबनी, जिला: अररिया, मिथिला (बिहार)।
पिन: ८५४३२८

हमर फोन नंबर: ००९७७-९८५२०२२९८१.

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फटकार प्रसंग

हमर ४ वर्षक फेसबुक यात्राक दौरान कतेको रास गप्पी सऽ जे भेट भेल ओ अलग बात छैक, लेकिन महा-बताह जेकरा अंग्रेजीमे सभ्यता संग हम “अटेन्शन-सीकर” कहैत आयल छी तेकर संख्या सेहो कम नहि अछि।

कतेको बेर फूइस-फटक लेल अबैत अछि आ ३-४ दिन पोनाठ-कूदकाबैत फेर नाँगैर सूटकाय भगैत अछि। रौ बूरि!! तोँ अपने समान हमरो बूझि गेलें कि? चूतिया!! देखैत नहि छिहीन जे अपन वचनकेँ निर्वाह करय लेल आइ धरि हम या हमर ओहेन मित्र जे सचमे परिवर्तन चाहैत अछि से ओतहि लागल छी जतय सऽ शुरु केलहुँ? गदहा कहीं का??

१. धर्म-मार्ग शुरु केलहुँ तऽ तोरा धर्म के व्याख्या चाहैत छलौक, टीका-चन्दनपर टिप्पणी चाहैत छलौक, हमर मर्मपर सवाल भेटैत छलौक, आ कतेको तरहें फदकी छूटैत छलौक।

२. दहेज मुक्त मिथिला चालू भेल तऽ बिना जनने-बुझने हमरे पर आंगूर ठाड्ह करैत कतेको घडी बितेलें आ कोना-कोना नौटंकी करैत सौराठ सभाक पुनरुत्थान लेल चुगलखोरी आ चमचिकनी बात सबसँ मुहिमकेँ तोडबाक चेष्टा केलें से जनिते छेँ।

३. मिथिला राज्य केर माँग प्रति एकजुटताक मुहिम चालू भेल आ बेर-बेर कहलियौक जे राज्यक माँग करनिहार बैजु होइथ वा धनाकर वा कृपानन्द, सबके संग दहून आ युवा-शक्तिक संङोर सँ शक्तिपुँज बना… हमरा कहिते तोरा बुझेलौक जे आब फेर कतहु नाम नहि रहतौक तऽ सार भागि के नव-नव नौटंकी शुरु केलें।

४. जखन युवा एकान्तक अनशन केँ समर्थन देबाक लेल कहलियौक तऽ ओतहु बुस्चो-पचास तरहक मेखचोबाजी करबे केलें।

५. मिथिला राज्य निर्माण सेना ठाड्ह भेल तऽ फेरो कतेक अन्तर्घात केलें जे चुगला तों नीक जेना जनिते छेँ।

६. मिथिला राज्य संयुक्त संघर्ष समिति बनलौक अछि आ आब तों ओतहु अपन गिरगिटिया – छूछनर चाइल चलबाक भरपूर प्रयास करिये रहल छेँ।

आब कान खोल के सुन रे ईर्ष्यालू-साँप!! तोरा समान पूआ-पूच्छड सभक कतेको बीख हम झेलि चुकल छी। तों कतबो कूदमें ओ समस्य अभियान अपन गतिसँ चलिते रहतौक जे ‘त्यागपूर्ण कीर्तिक अक्खज नींब’ पर निर्मित कैल गेल छौक। हम सदेह-विदेह तोरा ओहिना भेटिते रहबौक जेना अदृश्य शक्ति या आभासी छाया!! आर इहो सत्य जे तों भैर जनम अहिना नकारात्मक सोच सँ प्रभावित होइत उछल-कूद करिते रहबें। ई सब सनातन सत्य थिकैक रे मूढ हरासंख!!

हरि: हर:!!

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एक समाजिक संस्थाकेँ सदैव समाजिक सरोकार पर ध्यान देबाक चाही। कथमपि कोनो राजनीतिक मुद्दा संग जुडाव करय पडय तऽ समाजिक सरोकारकेँ ऊपर राखैत मात्र कोनो तरहक सहभागिता सुनिश्चित कैल जा सकैत छैक।

दहेज मुक्त मिथिला हो या मैथिली सेवा समिति – सदिखन पहिल धर्म केर निर्वाह करब हमर कर्तब्य अछि, कथमपि प्रदर्शनकारी कार्य कोनो एक वा खास समूहक राजनीतिक मुद्दा सँ जुडल नहि हो।

हरि: हर:!!

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समस्त मिथिलावासीकेँ हार्दिक बधाई!

ईश्वर संग प्रार्थना करैत छी जे एहेन जोगार लागय जे एतेक सक्रिय दहेज मुक्त मिथिलाक मुंबई टीम संग सहकार्य करबाक एक मौका जरुर भेटय आ जल्दी भेटय। ओना दूरो सऽ अपन धन्यवाद सेहो आभार प्रकट करैत एहि लेल देब जे ‘काजक लोक केवल काज टा पर ध्यान दैत छैक, नहि कि पद-नाम के लोभमे फँसैत कोर कमिटी आ केन्द्रीय कमिटी आदि लेल मरैत छैक’, एहि उक्तिकेँ प्रमाणित कय रहल छथि समस्त नि:स्वार्थी मुंबईमे प्रवासी मैथिल। बहुत जल्द आरो बहुत रास सकारात्मक समाचार सुनय लेल भेटत जाहिसँ एक पर एक मिथिलाक हस्ती यथा प्रकाश झा, उदित नारायण झा, मुरलिधर, आ अनेको फिल्मी हस्ती जे मिथिलाक रहितो मैथिल द्वारा सम्पर्कमे कम छथि, सम्मान तऽ दूरक बात भेल। दहेज मुक्त मिथिला नहि केवल हिनका लोकनिकेँ सम्मान करथिन बल्कि एक सऽ एक एहेन कार्य करता जाहिसँ मिथिलाक नाम रौशन महाराष्ट्रमे सेहो होयत आ कतेको गरीबक बेटीक कल्याण संभव होयत, कतेको गरीब ब्राह्मणक बेटाक उपनयन संस्कार होयत, कतेको गरीब आ संघर्षपूर्ण परिवारक कमजोर आर्थिक अवस्थाक चलते जे समुचित पढाइसँ वंचित होइत छथि तिनका लोकनिकेँ छात्रवृत्ति आदि प्रदान करैत अपन मिथिला समाजक लोककेँ जोडबाक ‘दहेज मुक्त मिथिला’क सपनाकेँ पूरा करत। एहि लेल ‘इन्सानियत फाउन्डेशन’ नामक एनजीओ संग आवश्यक सहकार्य करैत आदरणीय मुंबई दमुमि अधिकारीगण जल्दीये निर्णय करता। वर्तमानमे हर क्षेत्रक मैथिल सभक बीच हिनका लोकनिक ‘लोक जोडू – संगठित होउ’ अभियान जोर पर अछि। धन्यवाद मैथिलपुत्र लोकनि – अपनेक महान कार्यशैलीकेँ हमर बेर-बेर प्रणाम अछि।

हरि: हर:!!

पुनश्च: हमरो एकटा एहने अन्तर्राष्ट्रीय मैथिल संस्थाक एकटा आइडेन्टीटी कार्ड भेटत से सुनि आह्लादित छी आ अपन ईष्ट-मित्रकेँ सूचित कय रहल छी जे स्वेच्चासँ एहि पुण्य कार्यमे अपन योगदान देबाक लेल सम्पर्क करू: दहेज मुक्त मिथिला – मुंबई एवं दिल्ली सँ। अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र सँ जे कियो होइ सेहो सम्पर्क करू आ जतय-जतय मैथिल छी ततय-ततय एहि पुण्य कार्यकेँ आगू बढाउ। कारण मिथिलाक लोकमे अपव्ययके रोकबाक लेल सामूहिक व्रतबंधन (यथा विवाह, उपनयन, आदि) आब अनिवार्य अछि आ एहि लेल चारू कात जागृति पसारबाक कार्य दहेज मुक्त मिथिला जरुर करत। ॐ तत्सत्!!

Sanjay Mishra Pankaj Jha Rajesh Rai Lalbabu Sharma Ram Naresh Sharma Purushottam Roy Jitu Jha Navin Thakur Madan Kumar Thakur Deepak Kumar Kha Maithil

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२३ सितम्बर २०१३

मैथिल विद्यार्थीक हकमे व्यक्तित्व विकास: विचार-गोष्ठी सम्पन्न

आइ महेन्द्र मोरंग कैम्पसके गैलरी-हलमे “मधेशी विद्यार्थी फोरम (लोकतांत्रिक) – मोरंग कैम्पस इकाइ” द्वारा आयोजित “मैथिल विद्यार्थीक हकमे व्यक्तित्व विकास लेल विचार गोष्ठी आ दसमी-दिवाली-छैठिक शुभकामना आदान-प्रदान कार्यक्रम” भव्यतापूर्वक सफल भेल। एहि कार्यक्रमक सभापतित्व कैम्पस प्रमुख श्री सरोज कुमार चौधरी आ प्रमुख आतिथ्य मधेशी जनाधिकार फोरम नेपाल (लोकतांत्रिक) केर मोरंग अध्यक्ष श्री चुमनारायण तवदार जी केलनि। तहिना आजुक एहि कार्यक्रममे विशिष्ट आतिथ्य श्री कामेश्वर यादव, श्री एस. सी. सुमन आ श्री प्रवीण नारायण चौधरी छलाह। अतिथिरुपमे विशेष उपस्थिति श्री भगवान् झा, श्री नवीन कर्ण, श्री जितेन्द्र ठाकुर आ श्री कर्ण संजय केर रहल। राजनीतिक मंचसँ विशेष उपस्थित अतिथि श्री रंजित झा – युवा फोरम केन्द्रीय सदस्य आ श्री सलीम अंसारी छलाह। प्राध्यापक श्री महेन्द्र यादव सहित अनेकानेक गणमान्य प्राध्यापककेर उपस्थिति संग-संग विभिन्न विद्यार्थी मंचसँ जुडल विद्यार्थी नेता, पत्रकार, समाजसेवी, कवि आ मोरंग कैम्पसकेर विभिन्न निकाय व तहमे अध्ययनरत छात्र-छात्राक उपस्थिति छल।

कार्यक्रमक विषय पर विशेष वक्तारूपमे आमन्त्रित मैथिली सेवा समितिक महासचिव प्रवीण ना. चौधरी अपन वक्तव्यमे आत्मसम्मानसँ पहचान-निर्माण आ स्वाध्याय, शिष्टाचार, शील, शौच, संस्कारसँ चरित्र निर्माणक कार्य करैत आजुक युवाजनमे व्यक्तित्व विकास होयबाक बात रखलैन आ मिथिलाक ऐतिहासिकताक विशाल उदाहरण एहि बातक पुष्टि करैत अछि तेकर विस्तार सँ उदाहरण सब रखलैन। जाबत स्वाभिमान नहि – सत्य मूल प्राकृतिक पहचानकेँ सम्मान नहि, ताबत व्यक्तित्व विकासक बात मात्र ढकोसला आ खोखला होयत कहैत वर्तमान ग्लोबसँ मिथिलाक भूगोल गायब होयबाक चलते वगैर कोनो राजनैतिक – राजकीय संरक्षण समान विकट परिस्थितिमे ‘स्वस्फूर्त जागृति’ एकमात्र आधार बचैत अछि जाहिसँ मैथिल छात्र-छात्रा अपन विशाल संस्कृति, इतिहास, भाषा, लिपि, साहित्य, समाजिक-समरसता आदिकेँ अपनहि जोगा सकैत छथि आ एहि तरहें अपन व्यक्तित्वक सुरक्षा जिम्मेवारी बखूबी निर्वाह कय सकैत छथि कहि सबकेँ पूर्ण जागरुक बनैत कर्म आचरण करैक अपील कयलनि।

तहिना दोसर विशेष वक्ताक रूपमे आमन्त्रित श्री एस. सी. सुमन अपन जीवनक प्रेरणीय उद्धरण द्वारा कोना मैथिल पारंपरिक पद्धति वा वर्तमान शिक्षा पद्धतिसँ इतर सेहो अपन व्यक्तित्व विकास कय सकैत छथि ताहि लेल अनेको क्षेत्र मे कैरियर निर्माण करैत आगू बढबाक प्रेरक आह्वान कयलन्हि। अपन स्मृतिसँ मिथिला पेन्टिंग प्रति दादी, नानी, माय, मामी, काकी सहित विभिन्न जाति-समुदाय द्वारा अपन-अपन घर आ अंगनाकेँ सजेबाक ओ अरिपन, भित्तलेखन, भित्त-चित्र, माटिक मूर्ति व विभिन्न अन्य लोक संस्कृति जे मिथिलाक संस्कृतिक सम्पन्नताक द्योतक थीक ताहि दिशि पिता, परिवार, समाज वा संस्थान आदिमे कोनो तरहक प्राविधिक-नैतिक सहयोग नहियो रहलाक बावजूद मात्र निजी रुचि आ रुझान संग सेहो एहि दिशामे उल्लेखणीय उपलब्धि प्राप्त करबाक सुन्दर प्रकरण-उद्धरण आदि रखलैन श्री सुमन। निचोरमे ओ विद्यार्थीवर्गकेँ अपन विशाल संस्कृतिक अलौकिकता दिशि ध्यानाकर्षण करबैत अपन रुचिसँ ओहि दिशामे सृजनात्मक कार्य करैत पारंपरिक पढाई जेना डाक्टर आ ईन्जिनियर बनबाक होडसँ बहुत दूर एक ग्लैमरस लाइफ आ पर्सनालिटी डिवलप करबाक दिशामे अपन सुझाव दैत निज पहिचान प्रति निज सम्मानकेर वकालत कयलनि।

तदोपरान्त कार्यक्रममे राखल गेल विषयक मुख्य प्रशिक्षक श्री कामेश्वर यादवजी अपन गरिमामय संबोधन सँ छात्र-छात्राकेँ अध्ययनक एकमात्र उद्देश्य अनुशासन, आ तदोपरान्त व्यक्तिगत रुचि अनुरूप बाल्यकालहि सँ सदिखन सकारात्मक सोच सहित सृजनकारी बनलासँ व्यक्तित्व विकास निश्चित सार्थकरूपमे होयबाक जानकारी देलैन। विषयपर संबोधन बड गहिंरगर हेतैक आ एना किछुवे समयक भाषणसँ शायद ओ संभव नहि हेतैक, तथापि एक महत्त्वपूर्ण विषयपर विद्यार्थीवर्गमे एहेन सोच आयल तेकर स्वागत करैत निरंतरतामे अपन शिक्षण पेशा द्वारा चरित्र निर्माण संग-संग व्यक्तित्व विकासपर आरो-आरो कार्यशाला आयोजन करबाक बात कहलैन मुख्य प्रशिक्षक महोदय।

प्राध्यापक भगवान् झा जन्म उपरान्त विकास लेल सोच टा नहि अपितु गर्भ-धारण समयसँ व्यक्तित्व विकास होइत छैक से आत्मसात करबाक अनुरोध समस्त प्रशिक्षुवर्गमें कयलन्हि। एतेक पैघ रहस्यकेँ अपन संछिप्त संबोधनमे समेटैत अपन निज-पहचानकेँ कथमपि अपमान नहि कय आत्मसम्मान पयबा प्रति चिन्तनशील बनैत व्यक्तित्वक विकास होयत एहेन प्रेरणाक संचरण कयलन्हि।

कर्ण संजय सेहो अपन असल पहिचानकेँ सम्मान बिना केने व्यक्तित्व विकासक परिकल्पना गलत होयत, अपन भाषा, वेषभुसा प्रति समर्थन मोल बढाबैत सदिखन अपन अधिकार प्रति सचेत रहबाक बात कहलनि।

राष्ट्रीय मधेश समाजवादी पार्टीक केन्द्रीय सदस्य श्री सलीम अंसारी द्वारा मैथिली भाषा स्वयं बिसैर जायब एक बाध्यता कहि अपन कलाकारी फिल्मी अंदाजमे बहुत रास सम-सामयिक समस्या तरफ इशारा करैत नव-युवामे चेतनशील बनबाक बात कहल गेल। तहिना व्यक्तित्व विकास लेल ४-डी फरमूला – डिसीप्लीन, डिटरमिनेशन, डेडिकेशन और डिवोशन जरुर रखबाक चाही, तखनहि कोनो व्यक्ति अपन लक्ष्य प्राप्त कय सकैत अछि सेहो प्रेरणा देल गेल जे लक्ष्यसाधनामे सफल होयत ओकरे सब सऽ पैघ पर्सनालिटी कहैत दुनिया सम्मान करैत अछि।

मधेशी जनाधिकार फोरम नेपाल (लोकतांत्रिक) केर भ्रातृ संगठन युवा फोरमक केन्द्रीय सदस्य श्री रंजित झा छात्र उम्रसँ कोनो खास वर्गक लोक, भाषा-भाषी, पहिचानधारीक पिछडापण लेल राज्यक शोषण प्रति चेतनशील रहैत कोनो भी उत्पीडण विरुद्ध समुचित संघर्ष करबाक ओकालति केलनि। ओ मोरंग कैम्पसमे शासक वर्गक जातिय प्रतिनिधित्व करयवाला छात्रवर्ग वा छात्र नेता कोन तरहें दमन आ उत्पीडण करैत मधेशीकेँ हेपैत रहल ताहि दिशि उदाहरणसहित अपन निजी अनुभव आ विद्रोहकेर गाथा रखलैन, युवावर्गमे जे पिछडल आ उत्पीडित दोसर दर्जाक नागरिक समान राज्य द्वारा दमन-शोषणक शिकार बनल अछि तेकरा सबकेँ ताबत संघर्षशील होयबाक बात केलनि जाबत कि विगतमे शहादत देनिहार शहीदक आत्मा ओ समस्त अधिकार आ मुक्ति नहि पाबि जायत अछि। एहि मुक्तिक संघर्षमे जे कियो धोखा देबाक कार्य करत ओकरा विरुद्ध सेहो सदिखन संघर्ष करहे पडत कहैत समस्त उपस्थित जनसमुदायकेँ शुभकामना ज्ञापन कयलन्हि।

प्राध्यापक तथा मानवाधिकारकर्मी श्री महेन्द्र प्रसाद यादव द्वारा सेहो हर छात्रमे अपन संवैधानिक अधिकार आ राजकीय शोषण विरुद्ध संघर्ष करबाक सामर्थ्य विकास करबाक बात कहल गेल। श्री यादव अपन छात्र उम्रमे मोरंग कैम्पसमे उठल राजनैतिक संघर्षक चर्चाक संग-संग पूर्व वक्ता द्वारा कहल गेल बात सबकेँ ध्यानमे रखैत – समग्र मधेश एक प्रदेशक माँग सऽ इतर दोसर कोनो बात मंजूर नहि करबाक ओकालति करैत धैर्यता संग मुक्तिक संघर्ष करबाक बात कहल गेल। जाबत मुक्ति नहि भेटत, ताबत अधिकारवंचित रहबाक खतरा बनले रहत कहि सावधानीपूर्वक संघर्षमे निरंतरता देबाक बात कहलैन। एकजूटता मुद्दापर होइत छैक, व्यक्ति वा संस्थापर नहि, सब कियो अपन अधिकार प्रति चेतनशील रही से अपील कयलन्हि।

प्रमुख अतिथि श्री चुम नारायण तवदार सेहो अपन संछिप्त संबोधनमे राज्य द्वारा समुचित व्यवस्था करबाक अनुरोध जाहिसँ मिथिलाक्षर, भाषा, साहित्य, संस्कृति आदिकेर संरक्षण होयत ताहि लेल सबकेँ जाग्रत रहबाक अनुरोध कयलन्हि। संगहि स्वयं एक राजनीति आ दलसँ जुडल रहबाक कारणे सदिखन एहि लेल आवश्यक नीति – नियमन करैत शासनसँ समय-समयपर आवश्यक ध्यानाकर्षण करबैत युवा-पीढीकेँ सचेत अवस्थामे रहैत ओहेन प्रतिनिधिकेँ चुनि संविधान निर्माण लेल पठेबाक अनुरोध केलैन जे कथमपि धोखा नहि दय।

कार्यक्रमकेर सभाध्यक्ष आ प्रधानाध्यापक श्री सरोज कुमार चौधरी पुन: विषयपर संछिप्त संबोधन करैत विद्यार्थी वर्गमे अनुशासन, समर्पण, अध्ययन, निश्चितताक संग नीक भविष्य प्रति सचेतनशील रहबाक अपील कैल गेल।

तदोपरान्त प्रश्नकालमे वक्ता आ श्रोता विद्यार्थी बीच नीक बहस – आत्ममंथन भेल आ अन्तमें आयोजक समितिक अध्यक्ष श्री धीरज वर्मा द्वारा शुभकामना आदान-प्रदान करैत सभाक समापन घोषणा कैल गेल। हरेक महीना एक न एक कार्यक्रमकेर मार्फत एना स्व-जागरण निरंतरतामे रखबाक संकल्प सेहो लेल गेल। कार्यक्रमक सफलतापूर्वक संचालन आयोजक समितिक सचिव तथा कार्यक्रम संयोजक श्री सच्चिदानन्द मिश्र द्वारा कैल गेल। एहि आयोजन सँ मैथिल विद्यार्थीमे जेना नव जोश आ उर्जाक संचरण भेल से कहैत श्रोतावर्ग प्रसन्न नजरि अयलाह।

हरि: हर:!!

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जितिया समारोह सम्पन्न: इज्जत बचल आ प्रतिष्ठा भेटल
(संस्मरण: जरुर पढू)

बीतलाहा परसू शनि दिन यानि सेप्टेम्बर २१, २०१३ केँ मिथिलाक महान पावैन जितियाक स्मृतिमे “जितिया पर्व समारोह २०७०” महिला लोकनिक विशाल जनसहभागिता आ सक्रियतासँ अपार सफलतापूर्वक सम्पन्न भेल। एहि मे अध्यक्षता आ संयोजिका वसुन्धरा झा केर जतेक प्रशंसा करब से कम होयत, धन्य हिनक सक्रियता जे घर-घरसँ महिला जागि गेलीह आ अपन अधिकार बुझैत घरक चहारदीवारी सँ बाहर निकलबाक बस एक बहन्ना टा मे एतेक विशाल समूह निर्माण करैत भव्य समारोह मनाबय गेलीह। एहि कार्यक्रममे पुरुष-वर्ग यानि मैथिली सेवा समितिक पुरुष इकाइ हिनका लोकनि संग सहकार्य करैत मंच-निर्माण सहित समस्त लाजिस्टिक मैनेजमेन्ट यथा साउन्ड, म्युजिक, खान-पान आ अन्य व्यवस्थापन केलनि। लेकिन पहिल बेरुक प्रयास मे महिलावर्ग स्वयं सदस्यता अभियान संचालन सहित कार्यक्रम लेल आर्थिक सहयोग (चन्दा) संकलन मे सेहो ओतबी सक्रियता संग भाग लेलीह जतेक वास्तवमे पुरुषवर्ग करैत छथि। एहि समारोह सँ ई देखबामे आयल जे मौका देलापर महिलावर्ग कथमपि पाछू नहि छूटि सकैत छथि। आगामी समयमे अपनहि दम-खमपर कार्यक्रम कय सकबाक सामर्थ्य सेहो विकास केने होयत जेना हमरा विश्वास बढल अछि, लेकिन पुरुषक सहभागिताक आवश्यकता एखनहु यथावत रहत सेहो शंका बनले अछि।

एक आरो खास बात देखयमे आयल जे आखिर मिथिलाक महिलावर्ग जेना ग्रामीण परिवेशमे खापैर, कचिया, दबिया, पेना आ अन्त-अन्तमे झोंटा तानातानी युद्ध कौशलमे निपूण होइत छलीह से एखनहु थोड-बहुत यथावते अछि – आ मौका बिना गमेने आपसी कहासुनीमे पुरुषवर्गसँ बड बेसी आगू आइयो मिथिलाक महिलावर्ग छथि, कारण मनमे कतहु न कतहु ई दावी रहैत छन्हि जे हमर हजबैन्ड फल्लाँ बाबु आ हमर हजबैन्ड चिल्लाँ बाबु…. अर्थात् पूर्ण आत्मनिर्णय केर अवस्थामे बहुत पैघ कमजोरी महिलावर्ग मे एखनहु विद्यमान अछि, नहि जानि शिक्षाक केहेन असर हिनका लोकनि पर पडल एखन धरि। मुदा कहि सकैत छी जे चुनौती स्वीकार करबा लेल ई सब निकम्मा-ढोंगी पुरुषवर्गसँ बहुत बेसी आगाँ छथि। बस एक कमाण्डर धरि चाही – आगू चलू! पाछू हँटू! दायाँ मुडू!! बायाँ घूमू!! आदि कमाण्ड वगैर अपन-अपन बुद्धि सँ नहि जानि महिला प्लाटून केम्हर केखन मोड लऽ लेत!! हमरो बड दाबी छल जे कमाण्डर नीक छी से कपार हाथ धेने रही कि कहिया कार्यक्रम समाप्त हेतैक आ हम निजात पाबि लेब। तहू मे संस्थाक इज्जत जखन दावपर हो तखन उत्तरदायित्त्व आरो बडि जाइत छैक। जेना-तेना हमर चुनौतीक सामना ४०० के व्यवस्था विरुद्ध ४००० लोकक सहभागिता देखबैत मानू हमरा सीधा-सीधा आइना देखा देलैन महिला लोकैन, खास कय के वसुन्धराजी। हमर पत्नीकेँ सेहो खूब मौका भेटलनि जे सखी-बहिनपा मिलिजुलि हमरा धोंपयके किछु क्षमता बढा सकलीह, आ तहू मे तखन जखन ओ सब अपने हमरा सबकेँ निकम्मा-ढोंगी आ गप देनिहार वर्ग मे राखि स्वयं अपन प्रखर व्यक्तित्वसँ एतेक पैघ कार्यक्रम करबाक हिम्मत जुटा लेलीह आ कय के सेहो देखा देलीह। जय मैथिलानी! प्रणाम करैत छी। हे देवि!! ईश्वर अपने लोकनिकेँ सदैव अहिना सक्रिय आ बढनशील राखैथ।

कार्यक्रमसँ उपलब्धि:
*महिलामे एकजूटतासँ संस्कृति संरक्षणकेर भावना फलस्वरूप संगठनकेर निर्माण
*महिला में चेतना जागृति आ समूहमे पावनि करबाक खास अनुभव प्राप्ति
*निज सहभागिता सँ कि-केना चुनौती सब आबि सकैत अछि तेकर अनुभव आ समाधान लेल संयोजन क्षमतामे अभिवृद्धि
*शहरी परिवेशमे सेहो अपन महत्त्वपूर्ण परंपराकेँ बचेनाय जरुरी, एहि ब्रह्मज्ञानक आविर्भाव
*जातिपाति आ छूआछूत सहित विभिन्न वर्गीय विभेदक अन्तकेर द्योतक
*आपसी अनुभव आ योग्यतासँ प्रेरणा सहित सौहार्द्रताक विलक्षा आदान-प्रदान
*शिक्षा आ संस्कार केर दूरगामी प्रभावसँ परिचय

आ एहेन कतेको रास उपलब्धि, भऽ सकैत छैक हमर सामर्थ्यमे वा एना कही जे एहि क्षण कम स कम एतय राखयमे अक्षम छी।

किछु नकारात्मक बात सब सेहो देखलहुँ, नाम-पद केर लालच आ सब सऽ बेसी एक अभिमान बहुतो मे जे ‘हमर लिपिस्टीक एहेन हो कि दोसरक ठोर सऽ बेसी नीक देखाय’। एहेन प्रवृत्ति सब केँ त्याग करब बहुत जरुरी अछि। पतिक पामर सऽ ओ पुरनका गीत फेरो या कम स कम बेर-बेर नहि दोहरायल जाय जे “हमर पिया छै गामक किसान गे बहिना, तोहर पिया परदेशी बेइमान”। जाहि गरिमाक रक्षा लेल हमरा लोकनि एतेक भव्य समारोह – उत्सव – पावनि आदि करैत छी तेकर आध्यात्मिक महत्त्व बिना आत्मसात केने भले एतेक खर्च करैत – वा एक ठाम अबैत समय व्यर्थ केला सऽ कि फायदा?

लेकिन नीक-बेजाय दुनूसँ भरल एहि संसारमे सब दिन हंस आ कौआ बनि हमरा लोकनि आपसी एकजूटतापर धरि कायम रही से हम कामना करैत छी आ आगामी समयमे क्रमश: नीक करब सेहो आशा करैत छी।

हरि: हर:!!

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२२ सितम्बर २०१३

कोहुना नहि भेल

जँ ई केलहुँ तौँ नहि भेल
जँ ओ केलहुँ तौँ नहि भेल

मन मारि लेलहुँ तौँ नहि भेल
खूब जागि गेलहुँ तौँ नहि भेल

नेता चुनलहुँ तौँ नहि भेल
जँ नहि चुनलहुँ तौँ नहि भेल

कोहुना केलहुँ तौँ नहि भेल
नहियो केलहुँ तौँ नहि भेल

बुद्धि लगाउ तौँ नहि भेल
बल लगाउ तौँ नहि भेल

नहि जानि केहेन ई काज-राज
ई मिथिला राज कोहुना नहि भेल!!

बस काज करू आ राज करू
जे जेना हेतैक बस करैत रहू!

लागल छी आ लगले रहू
निज कर्म करू नहि शर्म करू!!

हरि: हर:!!

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मैथिली: मैथिली सिखबाक लेल मोडेल ६० वाक्य!

हिन्दी: मैथिली सीखने के लिये ६० मोडेल वाक्य!

अंग्रेजी: 60 Model sentences for learning Maithili!

२१. भाषा सिखबाक लेल आखर (अक्षर) आ ताहिकेर संयोजन यानि शब्द आ तेकर भंडारण करब आवश्यक छैक।

भाषा सीखनेके लिये अक्षर और इसका संयोजन यानि शब्द और फिर शब्दोंका भंडारण करना आवश्यक है।

For learning language, knowledge of letters and the corresponding coordination of these words, that is vocabulary and the stock of words are must.

२२. जीवनक दिनचर्या मोटामोटी एक निश्चित प्रारूपपर चलैत छैक आ शब्दक उपयोग निश्चित अलग-अलग परिस्थिति अनुरूप लगभग सभ लेल रहैत छैक।

जीवनका दिनचर्या मोटामोटी एक निश्चित प्रारूपपर ही चलता है और शब्दोंकी उपयोग निश्चित अलग-अलग परिस्थिति अनुरूप लगभग सभीके लिये होता है।

The lifestyle is almost at a fixed pattern, the use of words though vary in different situations but still same for all.

२३. देखल गेल छैक, जेकरा लग जतेक शब्दक भंडारण क्षमता – स्मृतिमे रखबाक योग्यता विकसित होइत छैक, तेकरा लग साधारण वैयाकरणिक सिद्धान्तकेर अमल सँ वा एना कहि सकैत छी कि बस बोली-वचनक सामाजिक प्रयोगसँ सेहो नीक वाचन व लेखन कला सहजहि भेटल रहैत छैक।

देखा गया है, जिनके पास जितना शब्द-भंडारण क्षमता – स्मृतिमें रखनेकी योग्यता विकसित होता है, उनके पास साधारण वैयाकरणिक सिद्धान्तोंके अमलसे या यूँ कह सकते हैं कि बस बोली-वचनका सामाजिक प्रयोग से भी बेहतरीन बोलने व लिखनेकी कला सहज ही प्राप्त हो जाता है।

It has been observed, whoever have more capacities of stocking the words – abilities to remember the words, they by following a very simple grammatical theories or say by simply following the social dialects-dialogues can attain the art of both writing and speaking well easily.

२४. वाचन-भाषण-संबोधन तेकरे नीक होइत छैक जेकरा पास सामान्य ज्ञानक शब्द-भंडारण नीक होइक।

वाचन-भाषण-संबोधन उन्हींका बेहतर होता है जिनके पास सामान्य ज्ञानकी बातोंके साथ शब्द-भंडार अच्छा हो।

Reading-speaking-addressing can be better for those who have enough word-stock (vocabulary) with the general knowledge.

२५. रहलय बात मात्र ७ दिनमे कोनो भाषा सिखबाक, एकर सहज मतलब भेलैक जे अपन जीवनचर्यामे प्रयुक्त शब्द आ परिस्थिमे तालमेल बनबैत बस ६० गो वाक्य बनबैत आ बाकी लेल अही तर्जपर वाक्य-रचना करबाक सामर्थ्य विकास करैत हमरा लोकनि एतेक कम समयमे थोडेक मेहनत सँ जरुर कोनो भाषा सीखि सकैत छी।

रही बात केवल सात दिनोंमें किसी भाषा सीखनेका, इसका सहज माने यही हुआ कि अपने जीवनचर्या में प्रयोग करनेवाले शब्दों और परिस्थितियोंके बीच तालमेल बनाते केवल ६० वाक्य बनाते हुए बाकी के लिये इसी तर्जपर वाक्य रचना करनेकी सामर्थ्य विकास करते हुए हमलोग इतने कम समयमें थोडा मेहनतसे ही किसी भी भाषाको सीख सकते हैं।

As much as learning any language within 7 days is concerned, it simply means to make 60 sentences of general use from daily life duly caring different situations and also be able to convert the rest of sentences on similar pattern, this way we can be able to learn any language easily within a very little time.

एहिसँ पूर्वक वाक्य आ टास्क/कार्यक स्वरूप लेल निम्न लिंक पर जाउ

इससे पहलेका वाक्य और टास्क/कार्योंका स्वरूपके लिये नीचे लिंक पर जायें

To see the sentences before these (above ones) and the working structures, please follow the below link.

https://www.facebook.com/PravinakFacebukiyaMaithiliCoachingCenter

Harih Harah!!

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धन्यवाद ‘अप्पन मिथिला’ मैथिली मासिक पत्रिका जे काठमाँडुसँ अत्यन्त सुन्दरता आ संपूर्णताक संग प्रकाशित होइत रहल अछि। हमर तीन रचना, एक कविता “सुनु-सुनु मिथिलावासी…”, एक गीत “चेहरा बदैल सकैय यऽ तोहर चाइल कोना बदलतौ” आ एक छन्द “कि अहाँक ई रहस्य बुझल अछि” प्रकाशित करैत मैथिल पाठक समक्ष परोसबाक लेल आभार संग फेरो धन्यवाद ज्ञापन कय रहल छी।

हरि: हर:!!

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श्री सुजीत कुमार ठाकुर जी,

हिन्दी भाषाक जगह मैथिलीमे दितहुँ तऽ आरो नीक लगैत। आगू सऽ कनेक एहि मादे ध्यान देब। कारण मैथिलीकेँ मारय लेल जाहि तरहें हिन्दी अफीम के दुरुपयोग करैत सरकार आइ धरि मैथिलकेँ मैथिलीमे नहि पढाय कोरप्ट-ब्रेन सिन्ड्रोम नामक रोगसँ ग्रसित-त्रसित करैत मिथिलाक साक्षरताकेँ दिन-ब-दिन घटिया बनेने जा रहल छथि ताहि कारण हमरा हिन्दी जेना सौतिन माय जेकाँ लागय लगलीह अछि। माफी देब, मुदा एतेक बात मानि लेब, आगाँ सऽ हिन्दीमे एक मैथिल रहैत एना आशीर्वाद नहियो देब तैयो हम अहाँक आभारी रहब।

हरि: हर:!!

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गौरवशाली क्षण – मैथिली – मिथिला प्रति समर्पित हमरा लोकनिक अभिभावक डा. नारायण कुमार जी द्वारा २०१७ केर हिन्दी आन्दोलनमे हुनक पिता स्व. अवध नारायण बाबुकेर योगदान हेतु सम्मान नेपालक उपराष्ट्रपति महामहिम परमानन्द झा द्वारा सम्मान ग्रहण करबाक अविस्मरणीय क्षण। समारोह जेना-जेना नजदीक आबि रहल अछि तेना-तेना भीतरका मिथिला-मन हिलकोर मारय लागल अछि… तहू मे जखन कौल्हका ओ विशाल कार्यक्रम ‘जितिया पर्व समारोह २०७०’ मे विशाल जन-सहभागिताक परमानन्द दर्शन भेल छल तेकर प्रेरणामे आरो चुनौती देखाय लागल अछि।

जय मैथिली! जय मिथिला!! जय अभिभावकगण!!

हरि: हर:!!

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मैथिल विद्यार्थी समूह लेल काल्हिक कार्यक्रम: व्यक्तित्व विकास

जेना आकृति भिन्न-भिन्न, तहिना प्रकृति भिन्न-भिन्न, गुण, संस्कार, निष्ठा, सोच, ईमानदारिता, धर्म, आचार-विचार….. सबमे भिन्नता देखल जाइछ मानव समुदायमे।

विचार करू, व्यक्तित्व विकास लेल स्वाभिमान प्रथम आवश्यकता छैक से हम मानैत छी आ स्वाभिमान वगैर अपन असल पहिचानकेँ आत्मसात केने, वगैर अपन चरित्र निर्माण प्रक्रियाकेँ आत्मनिरीक्षण केने नहि भऽ सकैत अछि।

पहिचान निर्माण होइत छैक व्यक्ति, परिवार, समाज, समुदाय, राज्य आ राष्ट्र द्वारा निर्धारित अधिकारसम्पन्नतासँ, यदि कोनो तरहक परतंत्रता वा निर्भरताक चाप रहतैक तऽ निश्चिते एक हीन भावनासँ ग्रसित ओ व्यक्तित्व कतहु न कतहु कुंठित रहि जेतैक। एहि कुंठासँ मुक्ति हेतु लोक भौगोलिक, ऐतिहासिक, सामाजिक, सांस्कृति, भाषिक, आदि महत्त्वपूर्ण आधारपर अपन स्वराज्य-स्वायत्तता लेल संघर्ष करैत रहल छैक। वर्तमान नेपालक परिस्थिति सेहो संक्रमणकालसँ निकलबाक यैह मानवीय अन्तर्संघर्ष थिकैक। जेना दक्षिण नेपाल जे भारतक सीमासँ लगैत छैक तेकरा मध्यदेशी भूगोल मानि खसभाषी मधेश’क संज्ञा दैत एकीकृत नेपालक लगभग २५० वर्षक इतिहासमे एतुका वासिन्दाक सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, भाषिक आधारपर रहल पूर्व-पहिचानकेँ तिरस्कृत करैत मधेशी कहि दोसर दर्जाक नेपाली नागरिक मानि हेपहा संस्कृति अपनेलकैक, राजनैतिक अधिकार आ प्रशासकीय अधिकारसँ मधेशीकेँ वंचित रखैत देशक अहम सुरक्षा लेल सेना वा प्रहरीक नियुक्ति तकमे विभेद रखलकैक…. स्पष्टत: शासक आ शासित दू प्रमुख वर्गमे जनताकेँ बाँटि के रखलकैक आ यैह उत्पीडणक दुष्परिणाम आइ देशमे सांप्रदायिक सौहार्द्रतापर ग्रहण लगेने छैक, ईमानदारीसँ गणतंत्रकेर स्थापना करबा लेल पर्यन्त राजनीतिकर्मीक मानसिकतापर प्रश्न ठाड्ह छैक, अदूरदर्शिता आ क्षूद्रतापूर्वक कतेको बुँदे-सहमतिक बूँद आइ निरन्तर कतेको वर्षसँ टपैक रहल छैक मुदा समाधान अन्हरियेमे कतहु नुकायल बुझाइत छैक… एनामे स्पष्ट छैक जे प्राकृतिकरूपेण जे पहिचानक अधिकार छैक तेकरा कतहु न कतहु कात राखैत स्वनामधन्य-स्वयंभु राजनेता लोकनि एखनहु सुव्याख्याक जगह कूव्याख्या करबा पर भिडल देखैत छैक। प्राकृतिक पहिचान लोकक अपन क्षेत्र, भाषा, इतिहास, संस्कृति, लोक-परंपरा (पावैन, पूजा, नाच-गान, कला, आदि) सबके समेटैत बनैत छैक। संभव छैक जे आइ कालान्तरमे बहुतो रास संस्कृति आपसमे मिश्रित अवस्थामे रहय लागल छैक, ताहू लेल सामंजस्यताक संग बाँट-फाँट करैत सभक बराबरीसँ सहभागिता तय करैत पूर्ण समावेशिक दीर्घकालीन समझौता हो जे लगभग सभक हित आ सरोकारकेँ संबोधन करैत हो तेकर आवश्यकता छैक।

मिथिलाक इतिहास, भूगोल, संस्कृति, भाषा, लिपि, साहित्य, आ हरेक ओ तथ्य-सत्य जे एक स्वतंत्र देश संग रहैत छैक ओ सभ मौजूद रहितो आइ मिथिलावासीक पहिचान दू देश भारत व नेपालक बीच तकनीकी झंझैटमे फँसल रहबाक कारण विभक्त पहिचान याने कतहु बिहारी तऽ कतहु मधेशी बनबाक बाध्यता भऽ गेल छैक। जखन ओकर असलियतकेँ राज्य असम्मान देतैक, जखन ओकर भाषाके राज्य कतहु सँ विकास करबाक – करेबाक लेल सोचबे नहि करतैक, जखन ओकर लिपिकेँ विलोप होयबा सँ बचेबे नहि करतैक, जखन ओकर सुप्रसिद्ध लोक-संस्कृति जेना राजा सलहेश, दीना-भद्री, लोरिक, कमला-स्नान, झिझिया, नट-नटिन, जट-जटिन, आदि केर संरक्षणक उपाय करबे नहि करतैक… तखन भले कोन तरहक विकास कोनो किताबक पन्नासँ निकालि केहनो वीर-गंभीर गुरु द्रोणाचार्य देथिन जे आजुक मैथिल विद्यार्थीकेँ ओहिना मजबूत दृष्टिकोण, सूर्य समान प्रखरता, वाकपटुता, विद्वता आदि सद्गुण भेटतैक जेना ऐतिहासिक पुरुष याज्ञवल्क्य, गौतम, कपिल, विश्वामित्र, जनक सँ लैत मध्यकालीन मिथिलाक ज्योतिरिश्वर, चण्डेश्वर, रत्नेश्वर, वीरेश्वर, धीरेश्वर, विद्यापति आ आधुनिक मिथिलाक अनेको गणमान्य साहित्यकार आ विद्वान् मे छैक। प्रकृतिकेँ धन्यवाद कहि सकैत छी जे एहि ठामक माटि आ पानि दुनूमे ओ शक्ति छैक जाहिसँ विकसित मस्तिष्क सबके भेटैत छैक, मुदा जाबत राज्य आ स्वायत्तता ओकरा बाध्यतापूर्ण तरीकासँ विकास लेल बाट बनेतैक ताबत ओकर व्यक्तित्व भले कोन तरहक विकास पाबि सकैत छैक? विश्व भरिमे उदाहरण भेटैत छैक जे मातृभाषाक माध्यमसँ कोनो विषयकेर शिक्षा अति सहज आ मनन-रमण लेल सेहो उचित छैक, तखन जबरदस्ती लादल भाषाक माध्यमसँ ओकर प्राकृतिक विकास कतहु न कतहु अवरुद्ध होइत छैक। आइ मिथिला हो या समग्र मधेश-प्रदेश, शिक्षामे यैह क्षेत्र अग्रसर रहलैक कहियो, कारण भारतक विद्यालय-विश्वविद्यालय तक पहुँच एतुका वासिन्दालेल सुगम छलैक आ दोसर दिशि नेपालक शासन द्वारा बहुत देरी सँ शिक्षा लेल सर्वसाधारणकेँ अधिकारसम्पन्न बनायल गेलैक। मुदा आइ बहुत बेसी नहियो तऽ मात्र ५०-६० वर्षक अन्तरालमे राजकीय संरक्षण भेटबाक कारणे आइ नेपालीभाषा-भाषीमे शिक्षाक स्तर कतेक ऊपर पहुँचि गेलैक से तथ्यांक केकरो सँ ओझल नहि अछि।

हमरा लोकनि तकनीकीरूप सऽ मुदा मात्र नामक लेल आब गणतांत्रिक प्रजातंत्र नेपालमे छी। एखनहु ई देश संक्रमणकालसँ गुजैर रहल अछि। सब किछु अनिश्चित छैक। कोनो एहेन ठोस स्रोत नहि जेकरापर विश्वास भरल दृष्टिसँ देखल जा सकैत छैक। वर्तमान विद्यार्थी पीढीपर एहि कालक बड बदतर असर पडैत हम सभ देखि रहल छी। आपसी सहकार्य आ स्वस्फूर्त आत्ममंथनकेर आधार टा सहारा बनल छैक। लोक जागल अछि तैयो जागैत रहू कहि-कहि एक-दोसरकेँ रौतका चौकीदार जेकाँ खबरदारी कय रहल अछि। लेकिन सत्ताक लिप्सासँ आक्रान्त आइयो किछु वर्ग आपसमे लोककेँ कतेको तरहक पहिचान सँ विभूषित करैत तोडि रहल अछि। इतिहासकेँ अपने हिसाबे व्याख्या कैल जा रहल अछि। जेना साविकमे पाण्डित्यपूर्ण भाषा संस्कृत जे नहि बुझि सकैत छलाह ओ अपनामे वैह मर्मकेँ आत्मसात करबाक लेल लोक-नृत्य-नाटक जेहेन सहज माध्यम अपनाबैत आपसी समझ निर्माण करैत अपन संततिकेँ सेहो आगू बढबाक प्रेरणा दैत छलैक, हलाँकि शासन-शोषण चौजुगी सत्य सब दिन अपन नीक-बेजाय देखबैत आबि रहल छैक… लेकिन आब जखन सामंतवादी युगसँ बहुत आगू हम सब प्रजातंत्र आ गणतंत्रक रसास्वादन कय रहल छी तखनहु अपन पहिचानकेँ गाइर पढब आ राजनीतिक समाधान १९-२० करैत अपन वर्तमान पीढीकेँ विकास लेल निकास नहि देब तऽ शायद नीक भविष्यक बदला सांस्कृतिक हत्या होयत मिथिला-संस्कृति केर। हमहु अन्तमे एखन सूर्यकेँ सोझाँ देखैतो दिने-देखारे यैह कहब जेना ऊपर चर्चा केने छी – जागैत रहू!! जागैत रहू!!

हरि: हर:!!

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२१ सितम्बर २०१३

आजुक दिनमे एक ऐतिहासिकता मैथिली सेवा समिति केर उप-समिति मैथिल महिला सेवा समिति द्वारा जितिया पर्व समारोह २०७० केर भव्य आयोजना संपन्न भेल। सभाक अध्यक्षता मैथिल महिला सेवा समिति केर अध्यक्षा आ कार्यक्रम संयोजिका वसुन्धरा झा द्वारा कैल गेल आ तहिना प्रमुख आतिथ्य मधेशी जनाधिकार फोरम (नेपाल) केर सल्लाहकार आ अध्यक्षक पत्नी श्रीमती पार्वती देवी आ ई. रमाकान्त झा सहित विभिन्न संघ-संस्था आ राजनीतिक दल सँ जुडल लोकजनकेर सहभागिता संग एहेन भव्य कार्यक्रम विराटनगरकेर इतिहासमे पहिल बेर भेल। एतेक पैघ जनमानस केर सहभागिता संग एहेन सामूहिक पावैनिक समारोह सचमुच ई सूचना दय रहल अछि जे मैथिलानी सब सनातनकालीन समयक संग समाजक विकासमे आगू रहलीह अछि आ हिनकहि जागृतिसँ आगुओ विभिन्न समाधान जरुर निकलत।

प्रवीण नारायण चौधरी
महासचिव,
मैथिली सेवा समिति
विराटनगर।

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आजुक दिनमे एक ऐतिहासिकता मैथिली सेवा समिति केर उप-समिति मैथिल महिला सेवा समिति द्वारा जितिया पर्व समारोह २०७० केर भव्य आयोजना संपन्न भेल। सभाक अध्यक्षता मैथिल महिला सेवा समिति केर अध्यक्षा आ कार्यक्रम संयोजिका वसुन्धरा झा द्वारा कैल गेल आ तहिना प्रमुख आतिथ्य मधेशी जनाधिकार फोरम (नेपाल) केर सल्लाहकार आ अध्यक्षक पत्नी श्रीमती पार्वती देवी आ ई. रमाकान्त झा सहित विभिन्न संघ-संस्था आ राजनीतिक दल सँ जुडल लोकजनकेर सहभागिता संग एहेन भव्य कार्यक्रम विराटनगरकेर इतिहासमे पहिल बेर भेल। एतेक पैघ जनमानस केर सहभागिता संग एहेन सामूहिक पावैनिक समारोह सचमुच ई सूचना दय रहल अछि जे मैथिलानी सब सनातनकालीन समयक संग समाजक विकासमे आगू रहलीह अछि आ हिनकहि जागृतिसँ आगुओ विभिन्न समाधान जरुर निकलत।

प्रवीण नारायण चौधरी
महासचिव,
मैथिली सेवा समिति
विराटनगर।

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संसारमा मान्छे गृहस्थ धर्म अपनाउने र आध्यात्मिकताको साथ सांसारिकतामा पनि रमाउने प्रचलन सर्वविदितै छ। संतानको लागी दीर्घजीवी बन्ने साथ सुस्वास्थ्य र सुमंगलपूर्वक जीवनयापनको लागि आमावाट राखिने कठोर व्रतको नाम हो जितिया। हिन्दु धर्म विविधतालाई कसरी अंगालियेकोछ त्यस कुराहरुमा पानि उपनिषद् र वेदान्तले ठाउँ-ठाउँमा मार्गदर्शन गरेको पाइन्छ र यसै आधारमा साविक देखि नै कतिपय व्रत-उपवास राख्ने चलन हिन्दु संस्कृतिमा प्रचलित छ। यस्तै एउटा ठुलो व्रतको नाम ‘जितिया’ मानिन्छ।

आश्विन कृष्ण पक्ष अष्टमीको दिन राख्ने व्रत, सप्तमी दिन नुहाएर ‘अरबा-अरबाइन’ (न उसिनेको खाद्य-पदार्थ) खाने प्रचलन साथ सबै संतान प्राप्त ‘अइहव’ (विवाहित) वा वीधवहरु (विधवा) ले गर्ने व्रत हो जितिया। अष्टमीको दिन निराहार रहेर यो व्रत गरिन्छ। फलाहार को कुरो के गर्नु यसमा त एक थोपा पानी पनि खानु वर्ज्य छ। सबै व्रतधारी कुनै नदी वा पोखरीमा समूहमा मात्र नुहाएर सबैजना मिलेर झिमनीको पातामा खइर र सरिसवको तेल जितवाहनलाई चढाउने गर्छन। शालिवाहन राजाको पुत्र जिमुतवाहनको ‘कूश’-निर्मित मूर्ति कलशमा स्थापित गरेर, एउटा पोखरीको आकार खनेर त्यहाँ पाकडि गाछीको डालो जसको टुप्पोमा गायको गोबर र माटोले बनाएको चिल्होरि चरा र फेदमा चाहिं सियालको आकृति बनाएर राखे पछि खिरा, केरा, अँकुरी, अक्षत, पान-सुपारी, मखान, मधुर हरु लिएर नैवेद्य अर्पण गरी धूप-दीपहरु जलाइन्छ। सबैले आ-आफ्नो संतानको दीर्घायु र सम्पूर्ण मनोरथ पूरा हुन भनी वरदान माँग्छन। जितिया व्रतकथा सुनेर मात्रै सबैजना आ-आफ्ना घर फर्किन्छन। नवमीको दिन फेरी त्यही पूजा-पाठ गरेर खिरा, केरा, अंकुरी, अक्षत, पान-सुपारी, मखान, मधुर हरु नैवेद्य अर्पण गर्दै धूप-दीप आरती देखाएर विसर्जन गरिन्छ। जीतवाहनको प्रसाद पहिला संतानहरुलाई खुवाएर अनि आफु पारन (उपवास तोडनका लागि प्रसाद खाने परंपरा) गर्छन। जस्को संतान परदेशमा बस्छन उनले आफ्ना संतानको निमित प्रसाद (जीतवाहनलाई चढाएको अंकुरी र सुपारी) सुरक्षित राखे पछि मात्र पारन गर्ने परंपरा रहेको छ।

जितियाको पौराणिक कथा अनुसार कुनै ठाउँमा गरुड महाराजको खानाका लागि नित्य एउटा साँप हरेक साँप-परिवारवाट चढाउने नियम रहेको हुँदा कुनै दिन मात्र एउटा संतान-साँपको आमा साँपिन आफ्नो छोरा गुमाउने पीरमा रहँदा त्यस देशको राजा शालिवाहनको पुत्र जिमुतवाहनलाइ जंगलमा शिकार खेला फेला परेको थियो। त्यस आमाको दु:ख हेरेर जिमुतवाहनले तियो साँपिन आमालाई आफ्नो छोरा साँपको ठाउँमा आफुलाई नै चढाउने आग्रह गरे र यसरी ती आमा साँपिनको दु:ख दूर गरे। पछि गरुडले यो कुरा थाह पाए पछि बालक जिमुतवाहनको बहादुरी र एउटा आमाको पीडा हरण गर्ने अठोटवाट साह्रै प्रेरित भएर जिमुतवाहनलाई आशीर्वाद दिए। त्यही आशीर्वाद (वरदान) अनुरूप गरुड कसैको बच्चा लाई जबरजस्ती खाने प्रचलन पनि बन्द गरे र जिमुतवाहनलाई साक्षी मानेर जितिया व्रत गर्ने सबै आमाहरुलाई उनका संतानका लागि कल्याण हुने वचन दिए। व्रतको मूलमा रहेको यो प्रकरण कालान्तरमा विभिन्न प्रदेशमा मनाउने शुरुआत भयो। मानव समुदाय अनुसार चरा-जनावरहरुमा पनि यस्तै नियमपूर्वक व्रत राख्ने परंपरा पनि देखिन्छ। मिथिलामा प्रचलित कथा अनुसार सियाल र चिल्होरिनी दुइ जना साथी कुनै पाकरिको गाछीमा बस्दै गरेको र त्यहाँ आउने व्रतधारी आमाहरुको अनुकरण गरेर व्रत राख्ने प्रकरण छ। व्रत राख्दा कुनै किसीमको लोभ-लालच प्रवेश न पाउनुलाई एक थोपा पानी पनि न खानु जस्तो कठोर नियम सित जोडिएको देखिन्छ। व्रतधारी महिलामा आफ्ना संतानप्रति ममतामयी व्यवहार र ईश्वर संग आबद्ध रहेर सधैं उनको लागि दीर्घायूपन र सुख-समृद्धिको कामना गर्नु यस महान चाडको मर्म रहेछ जसलाई आजको नारीमा संदेश जाउन भने उद्देश्य राखेर समारोहरूपमा मनाउने गरेको देखिन्छ।

हरि: हर:!!

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१९ सितम्बर २०१३

प्रजातंत्रमें परिवर्तन के कुछ सुझाव:

प्रजातंत्र अपना सबसे बुरा दिन से गुजर रहा है – ऐसा प्रतीत हो रहा है। प्रतिनिधि चुननेका अधिका, चुनाव नहीं करनेका अधिकार, प्रतिनिधि चुननेका तौर-तरीका, आदि ऐसे बहुत सारे संवैधानिक नियम-कायदोंपर विस्तृत समीक्षा होना जरुरी है। हम जिस तरहसे अपने देशको संविधान प्रदान किये और फिर जिस तरह से संशोधन प्रस्ताव विभिन्न समयोंपर लाये उसमें कभी प्रतिनिधि चुननेके तौर-तरीके और प्रतिनिधि द्वारा क्षेत्रका अवहेलना न हो इस पर कभी किसी तरहका कोई करारा प्रबंधन नहीं, जनताको अपने प्रतिनिधिके निकम्मेपन पर सीधा प्रतिक्रिया और कार्रबाई करनेका अधिकार नहीं देना मुझे कमजोरी रूपमें नजर आता है। प्रतिनिधि के लिये न्युनतम विकास कार्य निश्चित न होना भी एक कमजोरी है। मत देनेका तौर तरीका बस किसी दल के उम्मीदवार के चुनाव चिह्नपर मोहर लगाना, मेरे समझ से हरेक मत देनेवालोंको मतके रूपमें एजेन्डा और विकासके पक्षमें आम जनहितकारी योजना भी लिखनेका अधिकार दिया जाय। मताधिकार के लिये अब इतना तामझाम न करके सभीको डिजीटल आइडेन्टीफिकेशन राइट देकर अनलाइन वोटिंग करनेका प्रावधान हो। इन सारे विशाल स्तरपर परिवर्तन लाये जायें तभी जाकर क्रान्तिकारी परिवर्तन और आम जनोंका विकास होगा। फूड सेक्योरिटीके नाम पर नकद भत्ता सभी नागरिकके बैंक खातेमें वैसे ही दिये जायें जैसे कर्मचारियोंका वेतन या बीमित व्यक्तिको भुगतान सीधे एकाउन्टमें किये जाते हैं।

हरि: हर:!!

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मैथिल विद्यार्थीक हकमे ‘व्यक्तित्व विकास लेल विचार-गोष्ठी तथा आगामी दसमी-दिवाली-छैठ लेल शुभकामना आदान-प्रदान’ – मैथिली सेवा समिति संग सहकार्य करैत आयोजक “मधेशी विद्यार्थी फोरम – लोकतांत्रिक द्वारा ७ गते यानि २३ सेप्टेम्बर महेन्द्र मोरंग कैम्पस के सभागारमे आयोजित कैल जा रहल अछि। विराटनगर क्षेत्रमे अध्ययनरत समस्त मैथिल विद्यार्थी एहि सभामे सहभागी बनैत निम्न स्रोत व्यक्ति द्वारा विशेष संबोधन सुनि लाभान्वित जरुर बनी:

१. प्रो. कामेश्वर यादव – व्यक्तित्व विकास पर उपलब्ध मनोवैज्ञानिक सुझाव पर प्रकाश

२. श्री एस. सी. सुमन – मिथिलाक लोक-संस्कृति आ वर्तमान परिस्थिति पर प्रकाश

३. श्री प्रवीण ना. चौधरी – मिथिलाक इतिहास आ वर्तमान विकास पर प्रकाश

समय: भिनसरे ८ बजे सँ ११ बजे धरि।

प्रमुख अतिथि, विशिष्ट अतिथि, अतिथि – विद्वान्, समाजसेवी, राजनीतिकर्मी, बुद्धिजीवी, विद्यार्थी नेतृत्व आदि।

सहभागी: म. मो. आ. ब. कैम्पसकेर विद्यार्थी समूह।

कार्यक्रम सफलताक शुभकामना सहित – आमंत्रण लेल धन्यवाद!

हरि: हर:!!

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Please make this post in public Sanjay Jee – I want to write something in public. Let’s avoid private chats with such a high value and hot issue debate. An 85 yr old Sadhu can also get erection is a question.  But the democracy based on number of votes in form of mere pressing a button on party’s voting symbol will earn more bad reputations as happens in case of Asharam. Of course, Baba should have followed himself the strict discipline as described by the scriptural ordinances of our respected religion, he should have controlled using Mantra and Tantra to women in a private room to create doubts among us. Still, the question remains open in public – how does an 85 year old man gets erection. Lol!!   Harih Harah!!

– in response to my friend Sanjay Roy’s below message to my inbox:

Sanjay Roy
http://www.ekantipur.com/np/2070/6/2/full-story/375940.html
Read this my friend and be ashamed. Its all in the religion, our great religion.

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१८ सितम्बर २०१३

मिथ्याचारक चाप

(समय-सापेक्ष नैतिककथा)

जँ भीतर मनमे कूद-कूद मचल रहय आ बाहर सँ ई आवरण चढेने रहब कि जोगी-फकीर छी, तेकरे कहल जाइत छैक मिथ्याचार। आचार-विचार जेहेन भीतर हो तेहने बाहर, भले गुन्डइ भीतर अछि आ बाहरो अछि तऽ संसार ओकरा नीके कहैत छैक, खास कऽ के एहि कलियुगमे। जतेक राबिन हूड आजुक दुनियामे भेटैत छैक, जतेक छूटभैया सुधरैत छैक, जतेक लफुआक लोफरपन्थी नियंत्रित होइत छैक… ओ सभटा एके सिद्धान्त अपनबैत अछि जे जेहेन भीतर रहब तेहेन बाहर रहब। हम गारंटीक संग कहि सकैत छी जे एहेन दुष्प्रवृत्तिक लोक एक न एक दिन ओहिना निवृत्ति पाबि सकत जेना बाल्मीकि डकैती छोडि आदिकवि बनि सकलाह।

कथा सुनलहुँ जे एक कर्मठ विचारधाराक लोक अपन कार्यालयक प्रमुख रहैत किछु काज आशाराम बापु समान ८ बजे रातिक बाद झाडफूक करैत छलाह, हुनकर कतेको रास लोक द्वेषी चारूकात एहेन लीला सब देखैत रहल आ पहिले तऽ चुप्पे रहल मुदा बादमे कियो कोनो कारणवश किछु बेसिये नून पी लेला पर अपन अतिखैन मनक पित्त कर्मठ प्रमुखकेर मैमसाहिबापर उझैल देलाह आ सेहो प्योर मिथिलांग वाला माछक झोरमे देल जायवाला लुंगिया मेरचाइक पेस्ट सहित। फेर कि छलैक…. पत्नी कतबो बात लेल माफी दऽ सकैत छथि लेकिन हुनका ई मंजूर नहि जे हमर घरवाला कतहु कोनो दोसर महिला संग हँसी-ठिठोली खेलाइत छथि। बस, हुनका लग ई बात पहुँचिते ओ अपन औंठा-छाप बुद्धिक मारि अपनहि पतिकेँ सौंपैत पतिक कंपनी मालिक सँ शिकायत कय देलीह आ परिणाम एहेन जे कर्मठ प्रमुखकेर नौकरी छूटि गेल। केहेन समयक धारा छैक से गौर करियौक… ओ बेचारे प्रमुख महोदय कर्मठ रहैत कनेक – मनेक मिथ्याचारक गँध सँ गाँथल पत्नीक चपेटमे पडि जाइत छथि। पत्नी संग हुनका एहि लेल सम्बन्ध नहि बिगडैत छन्हि कारण ओ सहीमें नीतिवान लोक छथि, हलाँकि मनमे तहू लेल विचार उठैत छन्हि जे किछु करी, मुदा से फेर हुनकर स्वविवेक आदेश नहि दैत छन्हि आ ओ रुकि जाइत छथि। हुनका स्मृतिमे एक जेठ भैयारीक पत्नी द्वारा परित्यागक कथा सेहो स्मृतिमे अबैत छन्हि आ ई सभ बात देखैत ओ अपनाकेँ सम्हारैत छथि। संसार नीक जेकाँ देखल लोक, दु:ख-बिपत्तिसँ पूर्ण परिचित ओ बस चुपचाप परिस्थितिसँ लडबाक लेल सोचि चुप रहि जाइत छथि। बरु नोकरी सेहो खुशीपूर्वक छोडि दैत छथि, घरवालीकेँ सेवामे उपस्थित भऽ जाइत छथि आ धीरे-धीरे फेर सँ अपन सृजनशीलताक प्रसादे नव निर्माण कार्य करैत संसारमे प्रतिष्ठाकेर संरक्षण करैय मे लागि जाइत छथि। मिथ्याचार आब नहि करब से धरि शपथ लेने छथि, तदापि हुनका अपना पर सेहो भरोस कम छन्हि कारण ई प्रकृतिकेर हाथमे छैक। मिथिलाक ओ कहबी कथमपि बेजाय नहि छैक – चाइल, प्रकृति आ बेमाय – ई तिनू संगहि जाय। लेकिन ओ कर्मठ व्यक्ति छथि, फेर प्रमुख बनि जेता ताहि आत्मविश्वासक संग जीवनक डेग आगू बढा रहल छथि।

पूर्वमे सेहो एहेन अनेको गाथा भेटत जे संयुक्त परिवारमे १० भाइ बीच एक भैयारी कनेक भाइमे दादा बनैत छलाह। डाइ सेहो हुनके चलैत छलैन। नीति-अनीति गेल तेल लेबय लेल। ओ जे बाजि देलाह से अन्तिम होइत छलैक। लेकिन हुनकर एक गुण सब कियो आत्मसात धरि जरुर करैत छल जे ओ कहियो चोरा कय कोनो काज नहि करैत छलाह आ नहिये हुनका मे उपरोक्त मिथ्याचार कतहुसँ कियो देखैत छल। लोककेँ यदि ओहि भैयारीमे दादाक डर लगैत छलैक तऽ ओकर कारणे यैह रहैक जे ओकरा मे मिथ्याचार नहि रहैत छलैक। आब अहाँ एक पत्नी-परित्यक्त छी, मुदा कर्मठ छी, तथापि पत्नी वियोग सँ अहाँक भीतर जे बेर – बेर कचैक उठैत अछि… एकरा मात्र आ मात्र निरन्तर योग-साधनासँ दाबल जा सकैत छैक। दुनिया सँ झगडला सऽ वा केकरो दोसराक चरित्रमे खोट देखला सऽ कदापि नहि। कबीरक एक दोहा बड पैघ छैक, जरुर मनन करू प्रवीण!

बुरा जो देखन मैं चला – बुरा न मिलया कोइ!
जब दिल खोजा आपना – मुझसा बुरा न कोइ!

ॐ तत्सत्!!

हरि: हर:!!

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हमर दुष्चरित्र हो या सच्चरित्र, समीक्षा हमरहि करय पडत। हमर योगदान हो या अवदान, समीक्षा अपनहि करय पडत। बेर-बेर कहैत आयल छी, बस १ आदमी, १ सप्ताह आ १ काज। १११ – सिद्धान्त जाहि पर हम अपना समीप रहल कोनो भी संस्था – संगठन – समूहकेँ कार्यरत रहबाक अनुरोध करैत रहल छी, करैत रहब।

एकटा बात ध्यान राखब। मिथिला सम्बन्धित कोनो भी अभियानमे हमर संग तखनहि माँगब जखन संयुक्त संघर्ष समिति एकमात्र निर्णीत संस्था मंजूर हो। चाहे कोनो संस्था होइ वा व्यक्ति वा विचारधारा, मिथिलाक नाम पर ढकोसला सऽ हम तंग आबि चुकल छी आ बहुत वेदना वर्दाश्त करैत आब फेर सऽ कोनो एक विशेष संस्था लेल अपन समय कम से कम खर्च नहि करब, जरुर यदि कोनो नीक कार्य करनिहार धरतीपर कार्यरत रहता तऽ हमर आर्थिक योगदान निरंतरतामे जरुर दैत रहब।

हरि: हर:!!

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श्रीदेव्यथर्वशीर्षम्
(अर्थ मनन करबाक लेल पूर्वक ३ दिवसक पोस्ट व क्रमश: सँ आगू, फलादेश)

सायमधीयानो दिवसकृतं पापं नाशयति। प्रातरधीयानो रात्रिकृतं पापं नाशयति। सायं प्रात: प्रयुञ्जानो अपापो भवति। निशीथे तुरीयसंध्यायां जप्त्वा वाकसिद्धिर्भवति। नूतनायां प्रतिमायां जप्त्वा देवतासांनिध्यं भवति। प्राणप्रतिष्ठायां जप्त्वा प्राणानां प्रतिष्ठा भवति। भौमाश्विन्यां महादेवीसंनिधौ जप्त्वा महामृत्युं तरति। स महामृत्युं तरति य एवं वेद। इत्युपनिषत्॥

एकर अध्ययन सायंकाल (साँझ)मे करऽवालाकेर दिनमे कैल गेल पापक नाश होइत अछि, प्रातकाल (भोर)मे अध्ययन करऽवालाकेर रातिमे कैल गेल पापक नाश होइत अछि। दुनू बेरमे अध्ययन करनिहार निष्पाप होइत अछि। मध्यरात्रिमे तुरीय (श्रीविद्याक उपासक लेल चारि संध्या आवश्यक होइछ। जाहिमे तुरीय संध्या मध्यरात्रिमे होइछ।) संध्याक समय जप केलासँ वाक् सिद्धि प्राप्त होइछ। नव प्रतिमापर जप केलासँ देवतासान्निध्य भेटैत अछि। प्राणप्रतिष्ठाक समय जप केलासँ प्राणक प्रतिष्ठा होइछ। भौमाष्विनी (अमृतसिद्धि) योगमे महादेवकेर सन्निधिमे जप केलासँ महामृत्युसँ तैर जाइत अछि। जे एहि तरहे जनैत अछि, ओ महामृत्युसँ तैर जाइत अछि। एहि तरहे ई अविद्यानाशिनी ब्रह्मविद्या थीक। उपनिषदकेर यैह विचार अछि।

हरि: हर:!!

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१७ सितम्बर २०१३

मधुबनीमे जिला परिषद् द्वारा लेल गेल साक्षरता शत-प्रतिशत बनेबाक संकल्प!!

ई संकल्प तखनहि टा पूरा भऽ सकैत अछि जखन हमरा लोकनि मातृभाषा मे सभ परिवारक बच्चाकेँ शिक्षा दी आ शिक्षाक पद्धति सेहो सामाजिक-आर्थिक विकाससँ जुडल व्यवसायिक शिक्षा पद्धति (vocational education system) आधारित हो। एहि लेल सेहो भारतीय सरकार द्वारा अनेको योजना बहुत पूर्वहिसँ चलि रहल अछि…. दुखद यैह जे कोनो योजनाक निस्तारण ईमानदारितापूर्वक नहि कैल जाइत अछि आ मिनेरल वाटर बोटल, चमकदार कुर्सीक रोब, टेबल माइक्रोफोनपर हलमे गुंजायमान आवाज आदि लम्फ-लम्फा, चम्फ-चम्फा धरि मात्र सीमित रहि आम जनमानसकेँ लाभ प्राप्त करबा सँ वंचित राखल जाइत अछि। लेकिन विश्वास करू, भरत भूषण यदि संकल्प लेला तऽ सुखद परिणाम के संदेश जिबैत जहान आ शीघ्रे जरुर देखय – सुनय लेल भेटत।

हरि: हर:!!

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मिथिला के साथ उपेक्षा और आन्दोलनकी मजबूरी

– प्रवीण नारायण चौधरी

किसी संस्कृति और सभ्यता पर दमन का दौर कभी न कभी तो अन्त होता ही है। मिथिलावासी मैथिलोंका पहचान आधुनिक भारतमें लगभग पूरी तरह से छीन गया है। भारतमें गणतंत्र स्थापित होने पर भी ऐसे बहुत सारे संस्कृतियोंको राजनीतिकी कुछ संकुचित या यूँ कहें कि कुछ अति-विकसीत सोचके कारण ऐसा परिस्थिति निर्माण हुआ कि सब कुछ जानते हुए भी कुछ सहिष्णुवादी सभ्यताको पीछे छोड केवल सत्तालोलूप राजनेताओंके सोचे अनुरूप प्रजातंत्रका निर्माण हुआ। इसी दमनका शिकार मिथिला जैसी पुरानी और समृद्ध संस्कृति, सभ्यता, इतिहास, भूगोल और समाजिकता को हम मान रहे हैं। दमनका असर मिथिलासे जुडी सारे महान लोक-संस्कृति, लोक-परंपरा, नीति, सिद्धान्त, व्यवस्था, न्याय, सद्भाव, सौहार्द्र आदि सारे क्रमश: खत्म होते जा रहे हैं।

मिथिलाके साथ-साथ भारतको भी गाँवोंका देश कहा जाता था। मिथिला भारतकी अभिन्न अंग रहते हुए भी उपेक्षा यहाँ सदा ही हावी रहा है। मिथिलाके लोगोंका जन-प्रतिनिधित्व नाममात्र के लिये ही है, ऐसा प्रतीत होता है। मैंने एक रोज भारतीय सँसदमें उठे सवालोंके बीच मिथिला से जुडे सवालोंका सूची का अनलाइन अध्ययन कर रहा था। ऐसा सवाल महज ३ या ४ बार पूछे गये दिखे। नि:सन्देह क्षेत्रीय समस्याओंपर अलग-अलग और अपने-अपने क्षेत्रोंसे जुडे लोगोंने प्रश्न रखे होंगे, परन्तु कि-वर्ड मिथिला से जुडे सवालोंके सूचीमें मुझे विपन्नता और घोर उपेक्षा ही नजर आया। सूचना-अधिकारका प्रयोग करते हुए कुछ और प्रश्न भेजे गये हैं जिसका जबाब लंबित है। जल्द ही इन सभी बातोंपर हमें जानकारी प्राप्त होगा कि कितने सारे योजनाओंमें केन्द्र सरकार द्वारा मिथिलाकी संस्कृति और सभ्यताको बचानेके लिये आज तक काम किया गया है।

उपेक्षा तो हमारे नजरोंके सामने ऐसे ही दिख रहा है। न तो पर्यटनका विकास हुआ न ही बाढका समस्याका अभी तक कोई निदान निकाला गया न ही शिक्षा के क्षेत्रमें किसी प्रकार के ऊँचे स्तर के संस्थान ही स्थापित किये गये न स्वास्थ्य, न कृषि, न बिजली, न सिंचाई, न उद्योग, ऐसा कुछ भी नहीं जिसके लिये केन्द्र या यहाँ तक कि राज्य सरकार को ही धन्यवाद दिया जाय। उलट भाषा, लिपि, साहित्य आदि पर भी राजनीतिके कितने थपेरे थोपे गये जिससे मिथिलाकी अपनी सब कुछ चौपट-भ्रष्ट ही होते चला गया। आमजनोंके समझमें ये सारी उपेक्षाएं भला क्या आये जब शिक्षा और राजनीतिक जनचेतनाको विकसित ही न होने दिया जाय? लोगोंको जाति-पातिमें तोड-मरोडकर बस वोटकी राजनीति करते रहने से मिथिला तिल-तिलकर मर रही है। कालान्तरमे यहाँ के जन-प्रतिनिधियोंने इस पौराणिक भूमिको खण्ड-पखण्ड नामोंमें विभक्त करनेका दुश्चक्र भी चलाया है। फलत: पूर्वी मिथिलाको कोसी, सीमांचल तो पश्चिमीको बज्जि, दक्षिणीको अंग-प्रदेश आदि नाम और विभिन्न तरहका तर्क देकर मिथिला राज्य आन्दोलन को कमजोर करनेकी कोशिस की गयी है। वह यहाँ भूल गये कि जिस मैथिली (सीता) के नामपर इस भूमिका नाम मिथिला पडा, उसकी प्राकट्य-स्थली सीतामढीमें ही है। मैथिलीकी पहली फिल्मको सिनेमा घर तक पहुँचानेवाले रविन्द्र नाथ ठाकुर पुर्णिया तो मैथिली साहित्यको वैश्विक पहचान दिलानेवाले राजकमल सहरसा और प्रसिद्ध मैथिली लेखक हास्य सम्राट हरि मोहन झा हाजीपुरकी धरतीपर जन्म लेकर मिथिलाके नामको रौशन किये।

मिथिला सहित विश्वभरके बौद्धिक-वेत्ताओंने भारतके स्वतंत्रता के बहुत पहले से ही मिथिलाकी संस्कृति और सभ्यताको संरक्षित रखनेके लिये सम्बन्धित निकायोंको आगाह कराते आये, परन्तु न जाने किस सूझ-बूझ से मिथिलाको उपेक्षित छोडा गया और जिसे राज्य बनानेकी बात स्वतंत्र भारतमें सँसदके पहले दिन से माँग हो उसे आज ६५ वर्ष बीत जानेतक भी न मानना कितना बडा अन्याय है वो समझना किसीके लिये भी कठिन नहीं होगा। कहते हैं कि उपेक्षा के विरुद्ध जनचेतना जरुरी है, अब चिन्ता भी लोग पहले अपने पेट पोसने का करें या राजनीतिक जनचेतना का? यहाँ तो लोगोंके लिये समुचित रोजी भी उपलब्ध नहीं है और दूसरे राज्योंमें जाकर सस्ते मजदूरी से अपना जीवन-निर्वाह और लोगोंका पलायन इतना तेजी से हो रहा है कि हर गाँव लगभग सूना पड गया है। विडंबना यह भी है कि सरकारी तंत्र से लेकर विधायिका तक मूक दर्शक बनकर इन सारे उपेक्षाओंको झेलने के लिये आम-जनोंको बाध्य कर रहे हैं।

अत: मिथिला राज्यका माँग धीरे-धीरे जनसंघर्षका रूप लेते जा रहा है और न जाने किस दिन इतने वर्षों से चला आ रहा शान्तिपूर्ण आन्दोलन वीभत्स जनसंघर्ष को जन्म दे दे! अन्तर्राष्ट्रीय सीमाओंसे सटे होने के कारण यहाँपर चलनेवाला किसी भी प्रकारका खूनी संघर्ष पूरे देशके लिये नया चुनौती बन सकता है, राज्य आन्दोलन से जुडे लोगोंका आस्था निष्ठा से भरा होनेके बावजूद कुछ असमाजिक तत्त्व जो पहले से यहाँके किसी खास समुदायके लोगोंसे आतंकवादी गतिविधिमें शामिल कराने तक का जुर्रत कर चुके हैं उन जैसे देशद्रोहियोंके लिये एक सुरक्षित मैदान बन सकता है जिसकी चिन्ता हम सबोंको पहले से ही है। परन्तु यहाँ तो जब तक केदारनाथका प्रकोप न हो और लाखों लोग अपनी जान न गँवा बैठें तबतक शायद किसीके कानोंपर जूँ तक नहीं रेंगनेवाला जैसा प्रतीत हो रहा है। हम सम्बन्धित पक्षोंसे आह्वान करना चाह रहे हैं कि ऐसा नौबत आने से पहले ही समस्याका समुचित निदान खोजे और मिथिला जैसी ऊँची संस्कृति व सभ्यताको संरक्षित करनेका तुरन्त उपाय करते हुए इसे स्वराज्य सुपुर्द करे जिससे मिथिलावासी अपना भविष्य खुद निर्माण कर सकें और बिहार व केन्द्रकी उपेक्षासे सदा-सदाके लिये निजात पा सकें।

श्रीमान् के अवलोकनार्थ व प्रकाशनार्थ प्रेषित।

हरि: हर:!!

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