पाँच गो माय आ पाँच पिता होयबाक तथ्य

चाणक्य ५ गो माय हेबाक चर्चा करैत कहलनि अछि –
राजपत्नी गुरोः पत्नी मित्रपत्नी तथैव च।
पत्नीमाता स्वमाता च पञ्चैताः मातर स्मृताः॥
राजाक पत्नी, गुरुक पत्नी, मित्रक पत्नी, पत्नीक माय, तथा अपनी माय, ई पांच प्रकारक माता होइत छथि।
पुनः चाणक्य ५ गो पिता हेबाक चर्चा करैत कहैत छथि –
जनिता चोपनेता च यस्तु विद्यां प्रयच्छति।
अन्नदाता भयत्राता पञ्चैता पितरः स्मृताः॥
जन्म देनिहार, उपनयन संस्कार करनिहार, विद्या देनिहार, अन्नदाता तथा भय सँ रक्षा करनिहार, ई पांच प्रकार केर पिता होइत छथि।
ज्ञानक गूढता हमरा लोकनि अपन समझशक्ति सँ पता कय सकैत छी। हमरा सँ जँ कियो पूछत त चाणक्यक एक-एक बात यथार्थ सत्यक निरूपण करैत मानव जीवन लेल एकटा नीक मार्गदर्शन प्रस्तुत करैत अछि।
एतय माता आ पिताक ५ गोट रूप जे वर्णित अछि, एकर महत्ता लगभग सब कियो बुझि रहल छी।
हरिः हरः!!