१८म अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन होयत भारतक वृन्दावन मे
परम्परानुसार प्रत्येक अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली सम्मेलनक अन्त (समापन गोष्ठी) मे आगामी आयोजनक कार्यसमिति ओ कार्यक्रम स्थलक नामक घोषणा कयल जाइत अछि। १७म अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली सम्मेलनक समापन गोष्ठी मे महासचिव डा. बैद्यनाथ चौधरी बैजू कार्यसमितिक घोषणाक संग-संग आगामी आयोजन भारतक वृन्दावन मे कयल जेबाक घोषणा कयलनि। पिछला तीन गोट आयोजन लगातार नेपालहि मे भेल। २०१७ ई केर आयोजन सप्तरी जिलाक राजविराज मे, २०१८ केर आयोजन धनुषा जिलाक मुख्यालय सह प्रदेश २ केर राजधानी जनकपुरधाम मे, २०१९ केर आयोजन प्रदेश १ केर राजधानी विराटनगर मे सम्पन्न भेल।
विगत तीन बेरक आयोजन अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन केँ भाषा, साहित्य, संस्कृति, कलाकर्म आ समग्र सभ्यता केँ जाहि तरहें एकटा निश्चित दिशा मे बढबाक सन्देश (घोषणापत्र) केर माध्यम सँ दैत रहल अछि तेकरा आगाँ सेहो निरन्तरता मे राखल जायत ई अपेक्षा कय सकैत छी। आयोजनकर्ताक संग कार्यसमिति निरन्तर सहकार्य करैत रहत आर उचित मार्गदर्शन करैत रहत से जरूरी अछि। चूँकि हम पिछला २ बेर एहि आयोजन मे सहभागी रही आ एक संचारधर्मीक नाते मैथिली जिन्दाबाद पर एहि सँ पूर्वहु भेल आयोजनक प्रारूप सँ परिचित रही, ताहि सँ संयोजन मे कोनो बेसी दिक्कत नहि आयल। आशा अछि जे आगू सेहो अनुभवी आ सहृदयी-समर्पित संयोजनकर्ता एहि लेल भार ग्रहण करता। हमर हार्दिक शुभकामना!!
*खुल्ला जनसहभागिता हो आर मजदूर सँ हाकिम धरिक परिवार केँ मैथिली भाषाक कार्यक्रम होयबाक सूचना दय सहभागी बनायल जाय।
*राज्य संचालन कयनिहार आ प्रशासन केँ सेहो ओतबे सक्रियता सँ एहि सम्मेलन मे सहभागी बनाकय हुनका सभ पर उचित दायित्व सौंपल जाय।
*मिथिलाक लोकसंस्कृति मे रहल मौलिक गीत-नृत्य केँ बेसी प्रदर्शित कयल जाय, ई नहि जे फल्लाँ बड़का गायक मंच पर ठाढ भऽ गेला आ नट-नटिन, पमरिया, बक्खो, विदापत, झुम्मरि, होली, झरी-झरी, झरनी, आदि विभिन्न मौलिक वस्तु परैस देलाह। एहि लेल लोककलाकार केँ सहभागी बनाकय अपन मौलिक – पारम्परिक सभ्यता केँ झलकायल जाय।
*मिथिलाक हस्तकला-शिल्पकला संग घरेलू उद्योगक उत्पाद सभक बिक्री-प्रदर्शनी आ गैर-मैथिलीभाषाभाषी केँ पर्यन्त आकर्षित करबाक हिसाब सँ प्रदर्शनी लगायल जाय। बाजार बढेबाक आ मिथिलाक उत्पादनक सम्बन्ध मे बेसी सँ बेसी जानकारी कराबयवला सहभागिता आवश्यक अछि।
*पुस्तक प्रदर्शनी-बिक्री हरेक मैथिली कार्यक्रम लेल अनिवार्य कयल जाय। साहित्य जतेक पढल आ लिखल जायत ततबे औरदा बढत मैथिली-मिथिलाक।
*स्थानीय व्यापारी-उद्योगी केँ सेहो मैथिली कार्यक्रम सँ आबद्ध बनाकय ई देखायल जाय जे मैथिल उपभोक्ता ओकरो सभक उत्पादन प्रति प्रतिबद्ध अछि। आपसी सहकार्य सँ परस्पर प्रगति तय होयत। आर्थिक प्रगति परस्पर आ बहुपक्षीय व्यापार प्रवर्धन सँ मात्र संभव छैक। लगानीक वातावरण सेहो एहिना मे बढतैक। तकनीकी विकास सेहो तखनहि संभव हेतैक जे मुरौरी-कुम्हरौरी बनाबय लेल हाथहि नहि मशीनो बनायल जा सकैछ।
*सम्मेलन एकटा निहित उद्देश्यक संग स्थानीय मैथिली भाषाभाषीक परिस्थिति मे उत्तरोत्तर सुधार वास्ते सम्बन्धित राज्य पक्ष, उद्योगी-व्यवसायी, विभिन्न सामाजिक-सांस्कृतिक समुदाय आदि केँ समेटबाक हिसाब सँ करब अत्यावश्यक अछि। एहि तरहें मैथिलीभाषाभाषी प्रति सभक सौहार्द्र आ सहयोगक भावना मे वृद्धि होयत।
*सम्मानक दायरा विस्तृत करब बहुत जरूरी अछि। भले एहि लेल विभिन्न कमिटी निर्धारण करय पड़य त ताहि दिशा मे सेहो संस्थापन पक्ष एवं आयोजन पक्ष जरूर विचार करथि।
*विराटनगर सँ तय कयल गेल मापदंड केँ ‘अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन’ निरन्तरता मे राखय। लोगो अनिवार्य रूप सँ एक्के रहय। एकरूपता केँ निर्वाह करब अन्तर्राष्ट्रीयता केँ दीर्घजीवी बनाओत।
*अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन मे आगन्तुक अतिथि – प्रतिनिधि केर नाम, परिचय आ प्रस्तुतिक पंजीयन बहुत जरूरी अछि। एहि लेल वेबसाइट लांच केनाय जरूरी अछि। संस्थापन पक्ष केर ध्यानाकर्षण हो जे यथाशीघ्र एकर आधिकारिक वेबसाइट लांच कयल जाय।
*अनावश्यक खर्च केँ नियन्त्रित करबाक लेल संस्थापन पक्ष व आयोजन पक्ष केँ सतर्क होयब जरूरी अछि। गैर-जरूरी पाहुनक संख्या कम कयल जाय। जतबे जरूरी हो ओतबे पाहुन केँ उपस्थिति आ प्रस्तुति करैत स्थानीय आयोजकक मोन अनुसार विषय-उद्देश्यक हितपोषण लेल बेसी ध्यान, समय आ ऊर्जा खर्च कयल जाय।
अस्तु! ई सब अपन अनुभवक आधार पर कहल अछि। शेष जेना सब केँ सहज हुअय तेना बढय जाउ।
हरिः हरः!!