मिथिलाक महान कलासम्पन्न व्यक्तित्व: अद्भुदानन्द

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adbhutanandaअद्भुदानन्दजीकेर अद्भुद प्रस्तुति सँ विराटनगरके समस्त दर्शक लोटपोट भेलाह आ एहि बेरुक विद्यापति स्मृति पर्व समारोहक मुख्य केन्द्रविन्दु बनल अपन दू दिनक निरंतर प्रस्तुतिसँ मैथिली-मिथिला प्रति लोकमें संवेदनाके संचार कयलाह। मैथिली सेवा समिति द्वारा आयोजित एहि समारोहमें हिनकर पहिल बेर सहभागिता छल जे सभकेँ बहुत पसिन्न पडलन्हि। मैथिलीमें हास्य-प्रस्तुति देखबाक बहुतो आमजन लेल ई पहिल मौका छल जाहिमें हमहुँ पडैत छी। बहुत बचपनमें रामलीला आ थियेटर में जरुर हास्य कलाकार देखने रही मुदा ओ जोकर होइत छलाह, लेकिन ई हमर सौभाग्य जे सभक प्रिय कलाकार अद्भुदानंदजीकेर विद्वतापूर्ण लेकिन नि:संदेह हास्य हमर परिकल्पनाके बदलि देलक। कहबाक तात्पर्य जे हास्य-व्यंगके आजुक लाफ्टर शो के दौरान मैथिली भाषामें अद्भुदानंदजी महान् बुझेला आ एना लागल जे आगामी समयमें मैथिलीके जियेबाक एक अत्यन्त सशक्त साधन ईहो विधा बनत से नव आत्मविश्वास जागल। शब्द कम पडि रहल अछि, बाद में फेरो अपन स्मृति सँ हिनकर समस्त प्रस्तुतिपर अहाँ सभ सँ जानकारी जरुर शेयर करब, लेकिन ई कहय लेल नहि बिसरब जे एहि कार्यक्रमक प्रमुख अतिथि उप-प्रधान सह गृहमंत्री (नेपाल सरकार) सेहो गद्गद् भेलाह आ रोकनहियो नहि रुकल हुनक ठाहाका ई सुनि:

“लेशन बदैल गेलै
फोर्मेशन बदैल गेलै
एक्शन बदैल गेलै
एमुनिशन बदैल गेलै
सरकार छथि नीचाँ बैसल (उप-प्रधानमंत्रीजी नीचां दर्शक-दीर्घामें बैसल छलाह तिनकहि तरफ ईशारा करैत)
आ मैथिल छी ऊपर (स्वयंके मंचपर देखबैत)
आइ मिथिलाकेर पोजीशन बदैल गेलै!

यैह सुनि आ प्रस्तुति के विशिष्ट अंदाज देखि उप‍प्रधान सह गृहमंत्री समेत समस्त दर्शक अपन कहकहा नहि रोकि सकलाह।

अद्भुदानंदजीकेर किछु अद्भुद बात:

१. पहिरन मैथिल – पागपर मिथिला पेन्टिंग, दोपटा (अंगवस्त्रम्) पर मिथिला पेन्टिंग आ कहि रहल छथि जे अगिला वर्षतक आरो मैथिलपन हमर पहिरनसँ झलकत एहि लेल कृतसंकल्पित छी आ ओकर सकारात्मक असर आमजन पर जरुर पडत जाहिसँ मिथिलाक कला रोजीके रूपमें परिणति पायत।

२. विचार मैथिल – मिथिलाक योगदान भारतक स्वतंत्रतामें कतेक ओजपूर्ण छैक ताहिपर १५० वर्षक इतिहास के आल्हा-धुनमें वीररस जेकर मैथिलीमें बहुत पैघ अभाव अछि ताहिपर गायन-सृजन कय रहल छथि, जेकर किछु प्रस्तुति सेहो विराटनगरके मंचपर प्रस्तुत केने छलाह आ किछु अहुँके लेल हम राखि रहल छी हुनकहि रचनासँ:

उत्तर राजा रहय हिमालय
दछिन गंगिया माय सहाय
पूर्वहि कोसी कमला कलकल
पछिमहि बागमतीकेर धार
जगजननी सीता केर धरती
अद्भुद मिथिला केर अवतार

सारण गर्जै राजा राजेन्दर
चंपारणमें राजकुमार
वन सँ गरजै विरसा-मुण्डा
शेर कुँअर के उठै तलवार

धधरा लहकल गढ मिथिलामें
मैथिल कूदि पडल ललकारि
टेलिफोन और बिजुलीक खम्भा
रेलक पटरी देलनि उखाडि

पडल फिरंगी हाहाकारमें
लंदनकेर हिल गेल सरकार
हृदयनारायण राधा शर्मा
बाबु रामनन्दन करैथि पुकार
आ सुरज नारायण रे मिथिलामें
भेलैन पूत अगिया बैताल

जेह-जेह जनमल एहि धरती पर
एक पर एक दैव के लाल
ईहो धरती रे मिथिलाकेर
जेकर शान कहल नहि जाइ…….

३. प्रखर रचनाकार: हिनक बेसी रास रचना लोकके हिलाबय-डोलाबयवाला होइछ, बस मुँह पोछऽवाला रचना कदापि नहि! कारण ई मानैत छथि जे बेसी रास रचनाकार ओ काज बढियाँ सऽ आ बहुत पहिले सऽ कय रहल छथि तऽ हिनका किछु ठाँय-पर-ठाँय आ सेहो बड बुलँद आवाजमें वीररससँ ओत-प्रोत जे निश्चित रूपसऽ लोकमें जागृति पसारयवाला होइछ। तऽ राखी एक नमूना:

आब नञि हिन्दू कम नञि मुसलिम कम
जमाना डब्लू डब्लू डट कम!

आब नञि झाजी नञि हाजी
जे बनल जहाजी
देखा देलक ओस्ताजी
ओहे भेल कामकाजी!

नया-नया स्टाइल भेलै
भोजनमें ब्वाइल भेलै
हाथमें मोबाइल भेलै
डाँड्हमें पेजर भेलै
लोक अपने मोंनक मैनेजर भेलै!
घरमें टीवी भेलै
नोकरीमें बीवी भेलै
लोक बुद्धिजिवी भेलै
केओ केकरो किऐक सुनतै!

कतेक रास लिखब, बरु हिनक रचना हम सभ ताकि-ताकि पढब आ एहेन रचनाकार एक बेर फेर अनायासे सभक हाथमें मैथिलीके पोथी पकडा देता से विश्वास हमरो जागल। एखन धरि केवल एक रचना लेकिन हरदम बाजारमें अपन माँग बनेने रहऽवाला आ नाम केहेन तऽ ‘टिटकारी’। एना किया यौ? तऽ कहय छथि जे यैह थीक हमर जीवनक अनुभव…. सभ ठाम मैथिलक टिटकारी टा!

हारलहुँ तैयो – जितलहुँ तैयो
खेलहुँ तैयो – भूखल छी तैयो
विद्वान् छी तैयो – बूरिबक छी तैयो
घर बैसल छी तैयो – बाहर कमाइ छी तैयो
सभ ठाम टिटकारिये टिटकारी भेटत!

बहुत जल्दी अद्भुदानंदजी केर अद्भुद लीला सभ फेसबुकिया मैथिल लेल सेहो भेटत, ओना हमर तऽ जोर रहत जे हिनका लेल एक स्वतंत्र वेबसाइट के निर्माण कैल जाय।