मिथिला रत्न केर खोज लेल वृहत् सहकार्यक आवश्यकता

विचार

– प्रवीण नारायण चौधरी

मिथिला रत्न किनका मानल जाय
 
सामान्यतया अपन मिथिला सभ्यता लेल मूल्यवान् योगदान देनिहार व्यक्तित्व केँ ‘मिथिला रत्न’ कहल जा सकैत अछि। मुदा विगत कतेको समय सँ ‘मिथिला रत्न’ उपाधि सँ सम्मान प्रदान करबाक कार्य पर कइएक प्रकारक सवाल ठाढ़ कयल जेबाक कारणे हमहुँ दुविधा मे पड़ि गेल छी जे वास्तव मे मिथिला रत्न केर उपाधि कोन-कोन मापदंड पर आधारित रहैत अछि आर एहि लेल कोन तरहक जाँच प्रक्रिया पूरा करबाक बाद किनको सम्मान-उपाधि प्रदान कयल जाइछ।
 
विदिते अछि जे अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन २०१९ जेकर आयोजन एहि वर्ष २२ आ २३ दिसम्बर २०१९ केँ तदनुसार पुस ६ आ ७ गते मिथिलाक ऐतिहासिक भूमि ‘मोरंग’ केर मुख्यालय ‘विराटनगर’ जे आब नेपालक प्रदेश १ केर राजधानी सेहो थिक एतय होमय जा रहल अछि। एहि आयोजन मे पुनः किछु महत्वपूर्ण व्यक्ति केँ हुनकर अमूल्य योगदानक वास्ते ई सम्मान देल जायत।
 
डा. बैद्यनाथ चौधरी ‘बैजू’ एवं डा. रामभरोस कापड़ि ‘भ्रमर’ केर नेतृत्व मे ई आयोजन २००३ ई. सँ लगातार नेपाल आ भारत केर भिन्न-भिन्न स्थान मे आयोजित होइत आबि रहल अछि। हाल एकर अध्यक्ष डा. महेन्द्र नारायण राम जे मिथिलाक लोकसाहित्यक एक प्रख्यात लेखक आ शोधकार मानल जाइत छथि, हुनकर नेतृत्व मे एहि वर्ष ई आयोजन विराटनगर मे कयल जेबाक निर्णय लेल गेल अछि। एहि वर्ष सेहो मिथिला रत्न देबाक परम्परा केँ निर्बाध रूप सँ आगू बढायल जायत।
 
एकर संयोजक रूप मे हम प्रवीण नारायण चौधरी एहि लेल अध्यक्ष एवं नेतृत्व प्रदान कयनिहार अभिभावक लोकनि सँ ई मार्गदर्शन लय चुकल छी जे ‘मिथिला रत्न’ सम्मान देबाक लेल किछु लोकतांत्रिक प्रक्रिया अपनायल जाय, यथा – सामाजिक संजाल पर पहिनहि सँ विभिन्न संभावित नाम पर आम चर्चा करैत सम्मान योग्य व्यक्ति लोकनिक व्यक्तित्व ओ कृतित्व पर प्रकाश देल जाय। विवाद सँ ई सम्मान कतहु न कतहु महत्वहीन भऽ रहल अछि, तेँ सम्मानहु केर सम्मानक रक्षा लेल सम्मानित बाट पर चलबाक आदर्श स्थापित कयल जाय। एहि क्रम मे आइ ई मंथन कय रहल छी जे ‘मिथिला रत्न किनका मानल जाय’।
 
रत्न सन्दर्भित सामान्य ज्ञान (साभार विकिपीडिया)
 
ओहुना ‘रत्न’ केर मतलब एकटा मूल्यवान निधि होइत छैक। मानव रत्न प्रति आकर्षित रहल अछि, भूत, वर्तमान आ भविष्य तीनू मे। रत्नक परिभाषा मे कहल गेल अछि जे “रत्न सुवासित, चित्ताकर्षक, चिरस्थायी व दुर्लभ होइछ तथा अपन अद्भुत प्रभाव केर कारण सेहो मनुष्य केँ अपन मोहपाश मे बान्हने रहैछ। रत्न आभूषण केर रूप मे शरीरक शोभा त बढ़बिते टा अछि, संगहि अपन दैवीय शक्ति केर प्रभावक कारण रोगादिक निवारण सेहो करैत अछि।
 
रत्न मे चिरस्थायित्वक एहेन गुण छैक जे ई ऋतु केर परिवर्तनक कारण तथा समय-समय पर प्रकृति केर भीषण उथल-पुथल सँ तहस-नहस भेलो पर स्वयं प्रभावित नहि होइछ। पौराणिक संदर्भ मे रत्नक सम्बन्ध मे ऋग्वेद केर प्रथम श्लोकक ‘रत्न धात्तमम्‌’ शब्द केँ मानल जाइछ जेकर अर्थ आधिभौतिक केर अनुसार अग्नि रत्न या पदार्थ केर धारक अथवा उत्पादक सँ छैक। माने जे ई सुस्पष्ट अछि कि रत्न केर उत्पत्ति मे अग्नि सहायक छैक तथा आधुनिक वैज्ञानिक सेहो एहि बात केँ स्वीकार करैत अछि जे बेसी रास रत्न कोनो न कोनो रूप मे ताप प्रक्रिया अर्थात अग्नि केर प्रभावक कारण टा बनल अछि।
 
आगू ईहो कहल गेल अछि जे जखन विभिन्न तत्व रासायनिक प्रक्रिया द्वारा आपस मे मिलैत अछि तखन रत्न बनैछ। जेना स्फटिक, मणिभ, क्रिस्टल आदि। एहि रासायनिक प्रक्रिया केर बाद तत्व आपस मे एकजुट भऽ कय विशिष्ट प्रकारक चमकदार आभायुक्त बनि जाइत अछि आर कतेको तरहक अद्भुत गुणक प्रभाव सेहो समायोजित भऽ जाइत अछि। यैह निर्मित तत्व केँ रत्न कहल गेल अछि, जे कि अपन रंग, रूप ओ गुण केर कारण मनुष्य केँ अपना दिश आकर्षित करैत अछि। यथा – रमन्ते अस्मिन्‌ अतीव अतः रत्नम्‌ इति प्रोक्तं शब्द शास्त्र विशारदैः॥ (आयुर्वेद प्रकाश ५-२)
 
लौटैत छी विषय पर – मिथिला रत्न के
 
उपरोक्त सन्दर्भित सामग्रीक गूढ अध्ययन-मनन सँ कि स्पष्ट अछि जे अग्नि (ताप केर कारण) रत्न निर्माणक कारक थिक आर बहुत रास तत्वक आपसी संयोग सँ मात्र रत्न बनैत अछि। एतय मानवीय रत्नक सवाल अछि। मानव केँ सेहो बहुत कष्ट, परिश्रम, तप, बल, गुण, धर्म आदिक सहारे रत्नरूप मे समाज प्राप्त करैत रहल अछि। हम सब एहेन कइएक उदाहरण देखि सकैत छी समाज मे। अत्यन्त गरीबी सँ कियो उच्च अध्ययन कय अपन परिवार आ समाजक प्रतिष्ठा केँ ऊँच स्थान पर पहुँचबैत छथि। एहने लोक केँ चिरकाल धरि समाज मे नाम लैत रहैत अछि सब। इतिहास मे सेहो यैह अमर व्यक्तित्व सब वर्णित होइत छथि। सुकर्मे नाम कि कुकर्मे नाम – कुख्यात लोक केँ रत्न नहि मानल जाइछ। विख्यात लोक रत्न होइत छथि।
 
मिथिला लेल रत्न स्पष्टतः वैह भेलाह जे मिथिला लेल अपन जीवन आ तप केँ समर्पित कयलनि अछि। आर एहेन रत्न केर खोज करय लेल प्रक्रिया सेहो सहज नहि छैक। कारण मिथिला बड पैघ अछि। हमर-अहाँक दृष्टि सब तैर नहि पहुँचि सकत। आ ने हमरा-अहाँक हाथ मे राज्य अछि जे राज्यक कोषक सहारे ढोलहा पीटबा देबैक, रत्न सभक खोज कय लेब आ तखन साले-साल रत्न ई छथि, एहि बेर हिनका सम्मान देल जाय से निष्कर्ष पर पहुँचि जायब। तखन समाधान की? तात्कालिक समाधान यैह अछि जे आयोजनकर्ता अपन दृष्टि केँ जतेक व्यापकता प्रदान करता, ओ ततेक सहजता सँ रत्न सभ केँ ताकि सकता। हमहुँ सब ई चर्चा सामाजिक संजाल मे ताहि लेल आनल जे एहि दिशा मे अहाँ सब कियो सहकार्य करैत ‘मिथिला रत्न’ केँ ताकय मे मदति करी।
 
हरिः हरः!!