कथा
– सविता झा
आइ जे कथा लिखल जा रहल अछि ओ वास्तविक घटना पर आधारित अछि। कलुवाही केर ढेंगा में सुशीला नामक लड़की रहैत छल्थिन्ह। जेहेने नाम छलन्हि सुशीला तेहने ओ सुशील स्वभाव केर छलथि। ओ मधुबनी सँ पढल-लिखल छलथि। पढ़य में ओ मेधावी छात्रा छलथि। देखय में सेहो बड़ सुन्दर रहथि। मिला-जुला कय सर्वगुणसम्पन्न! हुनकर माँ बाप गरीब छल्खिन्ह। खेत पथार सेहो कम छलन्हि। कहुना क गुजारा होइत छलन्हि परिवारक। सुशीला विवाह योग्य भ गेल रहथि। वर तकाय छलन्हि। भगवती के कृपा स नीक घर वर भेटलन्हि। वर पक्ष केँ कोनो चीज़क कमी नहि छलन्हि। वर पक्ष आदर्श विवाह लेल तैयार रहथिन्ह। जेना तेना सुशीलाक बाबूजी चारि पांच लाख रुपया जमा केला जे एतेक में त विवाह भ जायत किन्तु आशाक विपरीत वर पक्ष के मांग सुनिकय क्षुब्ध भ गेला। हुनका कहल गेलन्हि जे एकटा चेन आर अंगूठी सोना केर अपना जमाय केँ कोना नहि देथिन्ह। नै कार त कम स कम एकटा फटफटिया आय काइल के नै दैत छैक, अपने बेटी घुमतन्हि। विवाह बेर-बेर त नहि होइत छैक, तेँ कनी धूमधाम स हेबाक चाही, आर विवाह रातिक सारा खर्चा में आधा लड़की पक्ष करथिन्ह। सबटा गहनाक भार लड़की पक्ष केँ सौंपल गेलनि। दुरागमन में सब समान जेना टीवी, फ्रीज, सोफा, पलंग, ड्रेस्सिंग टेबल, पेटार केर संग सब बर्तन बासन इत्यादि अपन बेटी सब केँ कोना नै देथिन्ह। हुनकर सब परिवार आर बरियाती केर कपड़ा सेहो कन्या पक्ष केँ देबाक मांग छलन्हि। कुल खर्चा 10 स 15 लाख तक केर पड़ल। सुशीला के बाबूजी सगा सम्बन्धी सब स रुपया के माँग केल्खिन्ह लेकिन एतेक पैघ रकम के लेल कियो तैयार नै भेलन्हि। लड़कावला सुझाव देल्खिन्ह जे जमीन बेच लियह लेकिन ई सम्भव नहि छलैक जाहि कारण विवाह टूटि गेलन्हि। ज़मीन गुजर वसर लेल छलन्हि। अंत में सुशीलाक विवाह 2 बच्चा के बाप स करा देल गेलन्हि आर कहल गेलन्हि जे अहाँक नसीब मे यैह वर रहथि। वर मास्टर छल्खिन्ह सरकारी स्कूल के।
जे बाप के सम्भव होइत छन्हि ओ त द क विवाह करा दैत छेथिन्ह अपन बेटी के, बेटी के सेहो अधिकार होइत छैक मुदा जे गरीब छथिन्ह तिनकर बेटी के विवाह कि बुढ़वा वर सँ हेबाक चाही – हम पाठक लोकनि सँ पूछय चाहैत छियन्हि जे सुशीलाक सङ्ग उचित भेलन्हि या अनुचित? वर पक्ष केँ जे ई कार्य में सहयोग करैत छथिन्ह हुनको सँ हम पूछय चाहैत छी जे कि सही में सुशीला के नसीब में 2 बच्चा के बाप लिखल छलन्हि? विवाह अगर टूटैत छैक ताहू में दोषी कन्यपक्ष केँ मानल जाइत छैक। की सब तरहे दोषी कन्यापक्ष वला होइत छथिन्ह कियैक त ओ कनिया केर माय-बाप छथिन्ह? सुशीलाक नसीब सही में दोषी छन्हि या फेर हुनकर माँ-बाप केर सोच जे विवाह कराबय के छैक त 2 बच्चाक बापे सही या फेर वर पक्ष वला जे एतेक नीक कन्या केँ किछु पाय केर लेल छोड़ि देलखिन? सही मायने में हमर समाज कहिया दहेज मुक्त होयत आर सुशीला जेहेन लड़की केँ कहिया धरि न्याय भेटत?