सनकेनिहार-बहकेनिहार लोकक कुचक्र मे पड़ि गेल एक काज केनिहार – प्रसंग बालमुकुन्द-चेतना समिति

प्रिय बालमुकुन्द जी,
 
बहुत दुखदायी निर्णय अछि अहाँक, एकटा प्रतिष्ठित संस्थाक माध्यम सँ अहाँक विलक्षण प्रतिभासम्पन्न योगदान देबाक क्रम अहाँ स्वयं भंग कय रहल छी अथवा कय लेलहुँ। चढेला-बढेला पर एहि तरहक निर्णय कयल अथवा ई आत्मविवेक सँ कयल, से द्वंद्व मे हम नहि पड़ब। निर्णय गलत भेल से कहब। शुरुओ मे कहने रही, औचित्यक संग… जे चेतना समितिक कार्यप्रणाली मे वर्तमान समय जाहि तरहें दूरगामी योजना आ कार्यक्रम, नीति, आदिक क्रियान्वयन भऽ रहल देखैत छी ताहि सँ किछु इनसाइडर आ किछु आउटसाइडर केँ बहुत रास बर्न्स भेल छन्हि आर अहाँ बेर-बेर एहने बर्न्स वलाक बनायल माहौल मे मोहरा बनि रहल छी। खैर! ई हमर अपन समझ थिक आर हम अहाँक निर्णय केँ बदलबाक सामर्थ्य त नहि रखैत छी जे आर किछु कहू… तखन अहाँक कारण एकटा नीक संस्थाक सम्बन्ध मे गलत माहौल सोशल मीडिया पर बनि रहल छैक, जे मैथिली-मिथिलाक हित करबाक बदला थोड़-बहुत अहित कय रहल छैक, से तत्काल लेल। चूँकि चेतना समितिक वर्तमान कार्यकारिणीक आन्तरिक रणनीति सँ हम अनभिज्ञ छी, मुदा कार्यप्रणाली, नीति तथा कार्यक्रम पर निरन्तर निरपेक्ष नजरि रखैत रहबाक कारण अपना केँ ‘चेतना समिति’ जेहेन सर्वथा पुरान आ मजबूत संस्थाक एकटा प्रशंसक मानैत छी।
 
अहाँक संग घटल घटनाक बाद आरोपी कार्यकारिणी सदस्य नहि केवल माफी मंगलनि, बल्कि एहि सम्बन्ध मे अहाँ केँ कार्यकारिणीक कइएक प्रखर सदस्यक नैतिक, मानसिक आ सब तरहक सहयोग सेहो भेटल आर ई प्रकरण कम सँ कम अहाँ व समस्त कर्मठ कार्यकारिणी लेल ओत्तहि बन्द हेबाक चाहैत छल। लेकिन, ओ माफीनामा केँ सार्वजनिक कयलाक बादो अहाँ केँ सन्तुष्टि नहि भेटल, ई विस्मित करयवला अछि। गोटेक लोकक छद्म न्याय अनुरूप आरोपी केँ चेतना समितिक ‘कार्यकारिणी सदस्य’ सँ बाहर नहि कयल गेल ताहि विरुद्ध सामाजिक संजाल मार्फत निरन्तर अभियान चलाकय ‘विरोध, बहिष्कार, आदिक’ माहौल बनायल जेबाक कारण अहाँक अहं ओतबे चोटिल रहल जे शुरू मे छल। खैर…! समय बड पैघ न्याय करैत छैक। जहिना अहाँ अपन व्यक्तिगत निर्णय केँ आत्मविवेकीक रूप मे लेल बुझैत छी, किछु तहिना जिद्दी स्वभावक हमहूँ रहल छी जेकर न्याय देश, काल आ परिस्थिति अनुसार होइत छैक। आरोपीक आरोप माफीनामा उपरान्त खत्म छल। पटना मे अहाँ सेहो छी, ओहो छथि आर सारा झंझटि ओत्तहि तय छलैक। लेकिन अहाँक मोन मे चेतना समिति केँ सेहो अहित पहुँचाबयवला गिरोहक संग लैत उपद्रवे करय जेकाँ बुझाइत अछि। कतय अपन प्रतिभा सँ देल जा रहल सेवा मे आरो उत्कृष्टता आनि एतेक रास महत्वपूर्ण जिम्मेवारी केँ आरो प्रखर युवा जेकाँ पूरा करितहुँ, आब कतय फेसबुक पर अपन अहंता केँ सम्बोधन करय आ कराबय मे लागि गेलहुँ…! ई उचित नहि लागल हमरा। शेष सभक जीवन, सभक निर्णय मे हम के आ हमर कोन…! अहाँ स्वयं एक नीक अवसर गमेलहुँ जेकर पश्चाताप होइत रहत। अनाहके एकटा नीक संस्था आ नीक काजक जिम्मेदारी सँ मुक्ति कतहु सँ उचित नहि अछि। अस्तु! भगवती कल्याण करथि, ई कमेन्ट मे संग देनिहार सँ कहियो कोनो कल्याण कतहु जँ चेतना समितिक पासंगो भरि हुअय त मोन पाड़ब प्रवीणक बात। ॐ तत्सत्!  
 
हरिः हरः!!