मैथिली-मिथिलाक लिटमस टेस्ट
ओ हमर भाषा पर आरोप लगबैत छल जे तोरा सब ई भाषा केँ हड़ैप लेलहक, सबटा मंच, पोथी प्रकाशन, सांस्कृतिक कार्यक्रम, गाम, समाज, सब दिश खाली तोरे जातिक लोकक नाम रहैत छह… आर-आर कतेको आरोप लगबय मे ओ सब दिन आगाँ रहल। ओ स्वयं एक बुझनिहार आ पढल-लिखल लोक रहय, आर भाषा, संस्कृति, आदि जे गैर-राजनीतिक विषय होइत छैक ताहि मे योग्यता पहिल सवाल होइत छैक आगू होयबाक लेल, एतय जाति देखि आरक्षणक बात नहि चलैत छैक, ओकरा कतेको बेर बुझेलियैक। लेकिन रहय मुंहलगुआ दोस्त, बेर-बेर सुग्गारटान रटिकय ओ यैह शिकायत, आरोप, उपराग, उलहन सब देल करय।
एक बेर हमरो भाँज सुतैर गेल। ओकरा कहलियैक जे भाइ रे एना करे, तूँ एकटा लिस्ट बना जाहि मे ओहि सब व्यक्तिक नाम लिखे जेकरा तूँ बुझैत छिहीन जे अपना सभक मैथिली लेल, मिथिला लेल, समाजक पिछड़ापन दूर करबाक लेल, आर्थिक विकास लेल – आदि विभिन्न विषय मे नीक योगदान करैत अछि, कय सकैत अछि वा करबाक संभावना ओकरा मे छैक। संयोग देखू! ओ गछि लेलक ई काज। हम कहलियैक जे तोरा सँ जे लिस्ट बनैत छह भाइ से प्लीज फेसबुक पर पोस्ट कय केँ जनताक रायशुमारी कय लेल करिहह। एहि मे तूँ अपन किछु विशेषज्ञ मित्र जिनका तोरे जेकाँ बहुते बेर एहने आरोप-शिकायत सब रहैत छन्हि, ताहि वरिष्ठजन सब सँ सेहो सलाह-मशवरा कय लिहह।
ईमानदारी सँ हमर ओ दोस्त सूची बनबय मे लागि गेल। २ गोट तथाकथित वरिष्ठ सहयोगी बनौलक। एकटा राष्ट्रीय स्तरक अखबारक सम्पादक रहल व्यक्ति छलाह। ओ स्वयं कइएक बेर मैथिली भाषा आ मिथिला अभियानी पर अपन बौद्धिक प्रहार केने रहथि। अनेकों आरोप लगबैत रहल छलाह। बेसीकाल अपनहि उदाहरण देल करथि, देखू जे हमरा एतेक महान लोक जे एतेक पैघ अखबार मे सम्पादक बनलहुँ (जखन कि ओ राजनीतिक परिवर्तनक समय राजनीतिक दलहि केर सिफारिश सँ बनल छलाह), तैयो हमरा मैथिली-मिथिलाक मंच नहि भेटैत अछि। आर, दोसर एकटा गैर-मैथिलीभाषी मुदा मैथिलीभाषाभाषीक संगत मे रहनिहार अभियानी व्यक्ति रहथि। मैथिलीक बीच गैर-मैथिली मे सहयोगक भावना ओना त बहुत रहैत छैक, मुदा कनेक होशियारी जेकरा मे आबि गेल ओ त फेर अपन खुरपूजाइ लोक करय सेहो तकैत छैक। ओ सब बात बुझितो जानिबुझिकय मैथिलीभाषी केँ आपस मे विखंडित करबाक एकटा नीति ‘फूट डालो शासन करो’ पर चलैत छल। हमर ओ मित्र एहि दुइ व्यक्तिक संग लेलक।
पहिल सूची जारी भेल। सूची प्रकाशित करैत ओ अपन मोनक शिकायत पहिने राखि देलक जे मैथिली-मिथिला मंच पर केवल उच्च जातिक लोकक सहभागिता बेसी देखल जाइछ, एना लगैछ जेना कोनो सिन्डिकेट हो, ताहि सिन्डिकेट केँ तोड़बाक लेल यथार्थ योग्य आ महत्वपूर्ण व्यक्ति सभक नाम समेटबाक लेल ई प्रथम सूची जारी कयल जा रहल अछि। एहि सूची केँ पूर्णता देबाक लेल लोक सब आरो-आरो व्यक्ति केँ नामक सुझाव आ हुनकर योग्यता-दक्षता किंवा योगदानक विषय मे ओकरा मैसेज करथि, अथवा फोन करथि, आदि-इत्यादि लिखिकय ओ पोस्ट कय देलक। फेर कि छलैक…. लागि गेल लाइन ओकर पोस्ट पर… यौ! अहाँ कि एतबे लोक केँ बड़का अभियानी बुझि लेलियैक? से एहि मे फल्लाँक नाम कियैक नहि अछि? ओकर-ओकर नाम लिखू। ओ बेचारा लगे हाथ अपन सूची केँ सुधार करैत गेल। कतेको नाम जुड़ि गेलैक। नाम जुड़बाक क्रम एखन धरि जारिये छैक। अन्त मे ओ थाकिकय चूर भऽ गेल। हम कहलियैक, कोनो बात नहि। आबय न दिहीन नाम। जोड़ैत चले।
बहुत महीना बीतल। एक दिन फेर हम आ दोस्त विचार कयलहुँ जे आब एकटा एहेन मंच सजायल जाय जाहि पर लिटमस टेस्ट करब ई नवका अभियानी आ भाषाप्रेमी संगहि विद्वान् आ साहित्यकार लोकनिक। ओ फेर हमरा सँ झगड़ा करय लागल। “ई कोन बात भेलैक? सूची मंगलें से बना देलियौक। आब आयोजन तूँ करे।” – अरे! नहि दोस्त! आयोजन हम आ तूँ मिलिकय करे। लेकिन बजो एहि नवका सूचीक सारा लोक केँ। देख जे कतेक अबैत छौक। विषय चुन अपन भाषा, संस्कृति, समाज आ कहे जे अपन-अपन पाय खर्चा कय केँ सहभागिता जनाबय लेल आबय। – हम बुझेलियैक। ओ फेर गफलत मे चलि गेल। कहय लागल, “फल्लाँ-फल्लाँ आयोजन मे लोक अपन पाय खर्चा कय केँ गेल रहैक?” हम कहलियैक जे मैथिली-मिथिलाक अधिकांश कार्यक्रम मे आयोजक केलक २ लाख खर्च आ सहभागी करैत अछि ५ लाख खर्च। तखन मंच सजैत छैक।
बड जिरह भेल। ओकरा सब किछु जोड़ि-जाड़ि देखइयो देलियैक। “देख, आयोजक के जिम्मा मंच उपलब्ध करेनाय, खुएनाय-पियेनाय आ सुतेनाय, बड बेसी त होटल सँ कार्यक्रम स्थल धरि गाड़ी सँ अननाय-पहुँचेनाय। बाकी जे लोक सब पहुँचल, कियो हवाईजहाज, कियो रेलगाड़ी, कियो बस, कियो कार, आदि सँ, ओ सबटा अपन खर्च सँ… आर खर्चाक सीमा नहि रहि जाइत छैक। प्रति व्यक्ति १० हजार सँ २५ हजार तक खर्च भऽ जाइत छैक।” ओहि बेचाराक माथ पटपटा गेलैक। कहलक जे तखन छोड़ आयोजन। के एतौक एतेक खर्च कय केँ? हम मुस्कियाइत ओकरा जबाब देलियैक जे तखन सूची बिसैर जो आ खुल्ला आमंत्रण दय दिहीन। फेर नहि कहिहें जे सबटा बाभन-कायस्थ टा आबि गेलौक। …. भाग २ मे कहब जे फेर कि भेलैक!!
हरिः हरः!!