– आलेख
– बिन्देश्वर ठाकुर, दोहा, कतार (मूल: जनकपुर, मिथिला, नेपाल)! मैथिली जिन्दाबाद!!
एखनुक समय २१म शताब्दी अछि । बहुते किछु बदैल गेल छैक आ बहुते किछु एखनो बदैलिए रहल छैक । मानव सभ्यताक बिकास सँ एखनधरि तक निरन्तर उन्नती – प्रगतीके तरफ बढि रहल मानव समुदाय आब पूर्णत: भौतीकवादी जुगमे प्रवेश कS लेने अछि कहनाई कोनो अनूचित नै होएत । एहि तरहे मानव जीवनमे सेहो बदलाब आएब स्वाभाविक अछि । पहिने बास, गास आ कपास टा के मात्र मानव जीवनके मूल आधार मानैत छल । मुदा आब बस एहि ३ टा चिजसँ जीवन जीयब असम्भव भ गेल अछि । आब लोकके जीवित रहबाक लेल गास, बास, कपासके साथ- साथ शिक्षा, स्वास्थ, यातायात, मनोरन्जन आदि इत्यादी सेहो अनिवार्य भ गेल अछि । ताँहिपरसँ एखनुक प्राविधिक जुगमे एक-दोसरबीच प्रतिस्पर्धा तते बेसी ने भ गेल छै से लोक दोसरके नजरमे नीक आ सम्पन्न देखबाक लेल जान जिउ सेहो सहजे लगादैत छैक ।
पहिने कतबो धनीक बा सम्पन्न लोक अपन सम्पतीके देखाबा नै करैत छल मुदा एखन हरेक क्षेत्रमे एक-दोसरकेँ दिखाबा भ गेल छैक । लोक अपन सुखसँ जते बेसी खुशी नै होइय, ओहिसँ कतेको गुणा बेसी दुखीत ओ दोसरके उन्नती आ प्रगतीसँ भ रहल छैक । सब एक -दोसरके दिखाबा आ अनुकरण क रहल अछि । मुदा नीक आ सभ्य संस्कारके अनुकरण करब लोक आंगुरेपर गनल भेटत । अपितु कु-संस्कार, कोनो खराब चिज अथबा कही जे अपन सामर्थ्यसँ बाहरके चिजसब सेहो दोसरके देखिते अनुकरण करब आ ‘हम ककरोसँ कम नहि छी’ कथनीके चरितार्थ करब लोकके लत बनि गेल छैक ।
सबगोटे नाकारात्मके सोचके छै सेहो बात नै । कतेकोके इहो मजबुरी छनि जे आखिर समाज आ साथीसंगीबीच अपनाके कोना समायोजन करी ? कारण सबगोटे नीक खाएत, नीक कपडा लगाएत, अपना बालबच्चाके नीक स्कूलमे पढाओत, तखन त अहूँक कर्तब्य बनैत अछि जे ओहि तरहे जीवन ब्यतीत करब । नहि त दोसरके नजरिमे त खसबे करब । अपने आपमे सेहो हीनताबोध होइत रहत । तखन जरुरी छैक जे अहाँके रोजगारी चाही । अहाँ पैसा कमेबै तखने अपन आ अपना परिवारके जीवनस्तरमे बिकास क सकैत छियै, अन्यथा किन्नहूँ नै ।
लोकोसब सोचैए जे किछु करी, कोनो रोजगार खोजी, अपन जीवनस्तर उठाबी मुदा देशमे बिद्यमान राजनैतीक अस्थिरता, बढिरहल बेरोजगारी, उपरसँ दिनानुदिन उपरे मुँहे घुसैक रहल महंगी जनताके जिनगी अस्त ब्यस्त बना दैत छै । ओहिपरसँ ओकर अपन पुर्ख्यौली उपहार त छिहे – गरीबी । आब लोक कि करत ? ने देशमे रोजगार छै, ने ओकरापास कोनो प्राबिधिक शिक्षा । नहिए देशक अवस्था नीक छै जे कतौ ४ शेर बोइनो क क खाएत । उपरसँ ४/५ गोटेके परिवार । अस्गर कमौवा । कि कि करत ? राति खाएत दिन ल झखत आ दिन खाएत त राति ल झखत । माने सबदिन ठेला चलाओत त ओकर चुलही जरत आ ने त चुलहीमे उको ने जरत । तहु मे सबदिन ओ काम करत कोना ई मचरुवा नेता सबके जे महिनामे १५ दिन बन्दिए रहै छै । तखन त जेहो कमैने रहत से खा पि क उपरसँ जिम्दरबा के करजे भ जाएत । तखन ओ सोचै छथि जे चल कम स कम बिदेश जाएब किछु मेहेनत करब त जेहे २-४ ढौवा आएत ओहिसँ बालबच्चा त नीके नाहित सुखी रहत कि ने! अपने बिदेशमे दु:ख कैयोक घरक बाँकी लोक त सुखसँ बाँचत ने ! गरीब लोक यैह सोचि बिदेश जाइत छैक ।
जे बेसी पढल -लिखल अछि ओकरा सबहक लेल ने नेपाल मे कोनो तेहन ठोस व्यस्था छै आ ने ओहि हिसाबे नेपाल सरकार ओकरा तलब दै छैक । उपरसँ देशक अवस्था त गरदमगोल छैहे । एहनमे अपन माटि-पानि लेल जँ किछु करबाको उमंग जागल ओहो सब बौद्धिक पलायन भ गेल । एहि तरहे नेपाल सँ दक्ष जनशक्ति बा कही जे युवाशक्ति पलायन भ रहल छैक । एहि तरहे नेपाल सँ बर्शेनी नेपाली युवासब बिदेश पलायन भ रहल अछि । माने एखनो लगभग नेपालक कूल जनसङ्ख्या ३ करोड मे सँ ३० लाख नेपाली बैदेशिके रोजगारमे रहल अछि । एहि प्रवासी सभक रेमिट्यान्ससँ देश नीक जकाँ चलिरहल छैक कहब त कोनो गलत नहि हेतैक ।
ई एकटा नीक पक्ष भेल । तहिना दोसर साकारात्मक पक्ष इहो देखल गेलैए जे प्रतेक परिवारसँ एक-एकटा ब्यक्ती गेल छै तें पहिनेसन गरीबी सेहो आब नै रहलैए । सबगोटे अपन्-अपन परिवारके भरण-पोशण नीक जकाँ क रहल छैक । खानपानसँ ल’क लत्ता कपडा आ शिक्षा स्वास्थ तकमे सेहो बिकास भेलैए । तहिना लोक बैदेशिक रोजगारमे ब्यस्त भेलासँ चोरी-डकैती सेहो किछु हदतक कम भेलैए । समग्रमे कही त गरीबी धिरे-धिरे अपन डेरा सारए लगलैए आ लोकके अपन जीवनस्तरमे सुधार आबए लागल से महशुस होबए लगलैए । ई सब त भेल बैदेशिक रोजगारके साकारात्मक पक्षसब ।
आब चली कने दोसर दिस । बैदेशिक रोजगार बाहरसँ जतबे बेसी नीक देखारहल छैक । भीतरसँ ओतबे बेसी खराब सेहो छैक । प्रवासीसब अपन रेमिट्यान्ससँ देश त चलारहल छैक मुदा ओहि प्रवासीसाथ बिदेशमे केहन जानवरसन व्यबहार कएल जा रहल छैक से के बुझतै ? ओकरा जे शोशण -दमन,अभेलना आ तिरस्कार भ रहल छैक ओकर जिम्मेबारी के लेतै ? ओतबे कहाँ बिदेशमे काम करैत करैत कम्पनीएके लापर्बाहीसँ अथबा अन्य कोनो कारणेसँ जँ ओ मरि जाइछै तखन ओकरप्रति ने त ओही देशक सरकार किछु करैछै आ ने एहि देशक सरकार किछु करैछै । माने बुझू जे ‘चोरबाक अरजल सबकियो खाए आ अस्गर चोरबा फाँसी जाए ।’
तहिना दोसर समस्या देखलियैए जे एखन त बच्चेसँ बिधार्थीबर्गमे एहन मानसिकताके बिकास भ गेल छै जे एह नेपाल देशो त तेहने छै । दिन-राति कटराकटरी,मचरा मचरी होइते रहैछै नेतासबमे । एक त पढाई-लिखाइ होइ नै छै बढीयाँ स । जँ पढबो करब अते दिन लगाक’तखन नोकरी त भेटबे नहि करत । तें एहिसँ नेक जे ताधरि बिदेश जा बहुते बेसी पैसा कमा लेब । घर आएब विवाह करब आ खूब दहेज लेब । शिक्षा स्तर अहिनामे गेल,दहेज बुझू अहिना बढि गेल । बेटियोबला सोचलक चलू कमस काम नेपालमे दलबदलु आ ढेलफोरबा नेता बनएसँ नीक त बिदेशमे कमारहल छै ने ? बड सुन्नर बात । बेटीयो द’ददेलक आ उपरसँ रुपैयाके गड्डी सेहो । ओहो बिचरा २ या ३ महिना छुट्टीमे रहल तकर बाद चलि आएल अपन कर्मभूमेमे करम कूटए लेल । ओम्हर नवकी दुल्ही तड्पे एम्हर अपने तड्पैए । तखन शुरु भ जाइए सामाजिक अनैतीक बातक शुरुवाति जकरा हमसब सपनोमे ने देखने रहैछी आ ने कल्पनामे सोचने रहैछी ।
बेटा बिदेशमे ५० डिग्रीके रौदमे अपन करम कुटिरहल यै आ ओम्हर कनिया ससुरेसंगे रसलीला नचरहल यै । कियो देबरसंगे त कोयो गामक दोसरे -तेसरेसंगे अपन पतिके कमाएल पैसा आ अपन अस्मीताके धझिया उडारहल यै । कि कहब कते कहब । ने कोनो संस्कार रहिगेल छै एखन आ ने कोनो मर्यादा । कहू न बाप बेटीके बलत्कार करैए । भाई बहिनके अस्मीता लुटैए । नेतासब दोसरेके बहुबेटी ल’सुतैए । त कियो अपन घरबलाके कमाएल पैसापर ध’क मोज उडबैए ।
कनिए दिन पहिने भमरपुरामे घटल घट्ना अहाँसब बिसरलो ने होएब शायद जे विश्वमे रेकोर्ड क’देलक । अपन जमाए आ अपने साउससँग । जखन कि जमाए सिंगल सिलीण्डर सिंगल पार्ट आ साउस डबल सिलिण्डर डबल पार्ट छैक । माने उमेरोमे १० बर्षक फासला । अपने बेटीके फाल्गुनमे विवाह करब आ बैशाखेमे जमाएसंगे अपन सादी रचाएब ,कते तक उचित छैक ? पति बैदेशिक रोजगारमे एतै कतारमे । तहिना किछुए दिन पहिने अहाँसब सुनने होएब धनुषा जिल्लाक लोहना आ एकराहीके घट्ना । घट्ना दुनू ओहन छै बस समय आ स्थान फरक । लोहनाबाली महिलाके उमेर २८ बर्ष ४ गोट धियापूता आ पति बैदेशिक रोजगारमे । शारीरिक सम्बन्ध अपने जाउतसंगे । जाउतक उमेर २१ बर्षा मात्रे । ओतबे कहाँ, महिला शर्त लगाओल जे अहाँ हमरा छोडि दोसर्संग शादी नहि करु । बस अहँ आ हम दोसर भाँडमे जाओ । लडका ओकर इच्छा बिपरित दोसर ठाँ शादी कएलाक कारणे प्रतिशोध हेतु महिला एकदिन अपने घरमे बजाए क यौनसम्पर्क कएलाक बाद लिङ्ग काटि देलक । एखन त ओ ज्यान मार्ने आ शरीर अङ्ग भङ्ग सम्बन्धी मुदामे जेलमे चक्की पिसरहल छैक ।
तहिना एकराहीबला घट्नामे सेम सम्बन्ध । महिला ३२ बर्ष आ लडका २६ बर्ष रहल छैक । ओकरो लिङ्ग काटि देलाक बाद जनकपुर अञ्चल अस्पातलमे उपचार सम्भव नहि भेलासँ धरान ल’ गेल । ई सब त बस एकटा प्रतिनिधी पात्रसब अछि । एहन हजारौ घट्नासब घटिरहल छैक । कतौं बच्चाके छोडिक भागि जाएब, माने बुढोमे बुढशोख करब । कतौं पतिके सम्पतीए ल’क चैल जाएब । कियो अपने पतिके हत्या करादेब त कोनो पति अपने सरमसँ स्वयं अत्महत्या क’लेब । आदि आदी ….
ई सब अछि सामाजिक कुरीति, समाजमे पसरल अत्याचार । बैदेशिक रोजगारके नाकारात्मक प्रभाव । तहिना बैदेशिक रोजगरमे रहल ब्यक्तिसबके बच्चा -बच्चीसब नै पढब, कूलतमे लागब, अपन जिनगी अपनेसँ बर्बाद क’लेब इहोसब अछि बैदेशिक रोजगारसँ श्रीजना भेल कु-संस्कार । दोसर दिस बैदेशिक रोजगारमे रहल स्वयं परदेशी पति,बेटा या बाप सेहो बिदेशमे गलत रास्तामे फँसिक अपन जिनगी अपनेसँ नारकीय बनारहल प्रशस्त उदाहरणसब अछि ।
तें अन्त्यमे सबसँ पहिने त सरकारसँ ई निवेदन जे अपने देशमे रोजगारक अवस्था श्रीजना करए तखन ई छोटमोट सबाट समस्या अपनेआप समाधान भ’जेतै । एहिसँ अपन देशक सब जनशक्ती अपनहि देशमे रहतै तें देश बिकासमे सेहो नीक जकाँ टेवा पहुँचतै आ समाज तथा राष्ट्रके सेहो उन्न्ती हेतै । दोसर गप्प ई सबगोटेके बुझबाक चाही जे जँ हम बिदेश आएल छी त हमर अपन घर-परिवार,समाज तथा राष्ट्रप्रतिके बहुतो कर्तब्य अछि । तें भुलियोक बिदेशमे कोनो गलत काज नहि करब आ ने पथभ्रस्ट होएब । तहिना घरमे रहल माए,बाबू,पत्नी,बालबच्चा सबगोटेके सोचबाक चाही जे हमर बेटा पती पिता परदेश गेल अछि हमरे सुख सुबिधा लेल । हमरे खुशी लेल तें ओकरासंग ने विश्वासघात करबाक चाही आ ने कहियो धोखा देबाक चाही । तखने बैदेशिक रोजगार सफल आ सार्थक सिद्ध भ सकत । अन्यथा दिनानुदिन एकर अवस्था आओर नाजुक होइत देखाएदेत ।
(समयाभाव मे आलेख केँ कोनो तरहक सम्पादन नहि कैल गेल अछि, लेखकक मूल भाषा मे प्रस्तुत आलेख अपने पाठकक समक्ष प्रस्तुत अछि। अपन प्रतिक्रिया मे जरुर सब बात पर प्रकाश देबाक अनुरोध अछि जाहि सँ लेखक व मैथिली जिन्दाबाद व्यवस्थापन समूह केँ आगाँ आरो उत्कृष्ट कार्य करबाक प्रेरणा भेटत। – संपादक)