फूलदाय शेरनी त छोटकी पुतोहु भेटलनि सवा-शेरनी

लघुकथा

– रूबी झा

फूलदाय भरि टोल में सबसँ बेसी बज्जैकर रहैथि। उचित-अनुचित केर ओतेक बोध नहि रहैन, सिर्फ बजनाय बुझथिन्ह। बिना बातक-बात में सब केँ टोकि देथिन, आ भरि टोल घूमल फिरैथि। नवारी में अहि स्वभावक कारण सँ घरवाला सँ कतेक दिन माइर तक खा लैथि, लेकिन ओहि सँ हुनका पर कोनो प्रभाव नहि पड़ैन, फेर दूए दिन बाद वैह हरकत। बुढारी में तँ ततेक चरफर भ गेलैथि जे एके ललकारा में बुढहा केँ दलान धरा देथिन, ओ बेचारा पूरब मुँहे बैसि पूरवा बसात पिबय लगैथि। दरबज्जा पोखरिक महार पर रहैन। अपनहि टोल-गाम में नहि बल्कि कोनो दोसरो गाम-गमैत के लोक अगर कहि दैन, कियो ऊपरो मोन सँ एकहु बेर कहि दैन जे हमरा ओतय आयब फलां काज अछि तँ मोटरी बान्हि, बिना बाल-बच्चा, घरवाला केँ पुछनहिये विदा भ’ जाइथ। भानसो चढा दुइ आंगन बुलि आबैथ, हिनका आंगन कहियो कियो नहि अबथिन्ह कियैक तँ ईहे भरि टोल में सबहक अंगने-अंगने हाजरी बनेने फिरैथि, तँ हिनका आंगन के औतैन। दुरागमन कय क जे एलीह तँ एको साल अपन सासु-ससूर संग नहि रहलीह, तुरन्त चूल्हा अलग कय लेलीह। बेटा रहथिन्ह चारिटा, तीनटा के विवाह भय गेल रहैन्ह। पुतोहु सब पीठ पीछा ढाकी-के-ढाकी शिकायत करथिन्ह, लेकिन सामने में मखानक पात लय केँ सासुक मुँह पोछैत रहैय छलखिन्ह। झूठे के माँ-माँ करैत रहैय छलैन्ह। सबटा फूलदाय में अवगुणें नहि रहैन, जतबहि बूलैय में फूर्ती रहैन ओतबहि भानस-भात आ घरक और काज में सेहो रहैन। तहन गीत-नाद, अरिपन-पूरहर सब में महारथ हासिल रहैन्ह, तकर घमंड सेहो बड छलैन्ह। खूब सब पुतोहु ठैक-फुसिया कय काज करा लय छलैन्ह, आ जहिना आंगन सँ निकलली कि शिकायतक पेटारी खोलि बैसि रहैय छलैन्ह सब। जहन सबसँ छोटकी पुतोहु एलखिन्ह, तँ हुनको सासु केर स्वभाव नहि नीक लगलैन्ह। लेकिन ओ अपन् तीनू दियादिनी सँ स्वभाव में अलग रहैथि। ओ कने उचितवक्ता रहैथि, बच्चे सँ हुनक श्लोगन रहैन नैह बाजब तँ नैह बाजब, बाजब तँ उचित्ते टा बाजब। सासु केर पीठ-पीछा तँ किछु नैह कहथिन्ह, सास के पक्ष सँ दोसरा संग मुँहा-ठुठ्ठी तक कय लैथ।लेकिन फूलदाय केँ अनुचित-उचित मुँहे पर कैह देथिन। बाप-रे-बाप फूलदाय तँ आगिबबूला भ जायथ, छोटकी पूतोहू केर बात सुनिते। कियैक तँ फूलदाय नवारी सँ लँ कय बुढारी तक अपन सासू केँ एके ललकारा में चूप करा दैय छलैथ। आ ई छोटकी पुतोहु हिनका चूप करा देथिन। फूलदाय के तँ होइत रहैत छलैन जे छोटकी केँ मूड़ी पकैड़िकय चूल्हा में घोंसिया दियैक, लेकिन आय-कैल्हक पुतोहु संगे किछु केनाय खतरा सँ खाली नहि। कतेक बेर तँ छोटकी पुतोहु अपन् सासु केँ पुलिस-दरोगा केर धमकी तक दय देलखिन्ह, कियैक तँ फूलदाय अपन बेटा सँ पुतोहु केँ पिटबेबाक चक्कर में रहल करथि। आ बेटा तमतमाकय अपन घरवाली केँ मारय लेल दौड़ि जाइत छलैथ। लेकिन दौड़िते टा छलैथि, घरवाली जब्बर घर-खानदान के रहथिन्ह, चट धमकी द देथिन कोट-कचहरी के। आ कहथिन्ह हमर गलती की से तँ बुझाउ। पाठक सब ताहि द्वारे कैह रहल छी, जतय जरूरत नहि बुझना जाय, तत नहि बाजी। आ बाजब तँ उचित बात बाजी। अनेरो नहि अनुचितो बात में जोतान जोतय लागी। नहि तँ फूलदाय जेकाँ अहुँ सबके स्थिति हैत से सोचि लेब।